खास तरीके से चुने पत्थरों से बना राम मंदिर, हर ब्लॉक की हुई टेस्टिंग; अनंत काल तक टिके रहने की गारंटी

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  • भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर सिर्फ पत्थरों से बना है. इन पत्थरों को खासतौर पर चुना गया है और हर पत्थर की ताकत पहचानने के लिए उसकी टेस्टिंग भी की गई है. कोलार गोल्ड फील्ड्स में स्थित भारत की अग्रणी जियोलॉजिकल टेस्टिंग लेबोरेटरी में इन पत्थरों की टेस्टिंग हुई.

DMT : अयोध्या : (17 जनवरी 2024) : – अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir at Ayodhya)लगभग बनकर तैयार है. श्रीरामलला बरसों टेंट में रहें. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उन्हें कांच और लकड़ी से बने अस्थाई मंदिर में रखा गया. अब प्रभु श्रीराम (Shri Ram Mandir)अपने भव्य मंदिर में विराजमान (Ram Mandir Consecration) होने जा रहे हैं. 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है. 16 जनवरी से अनुष्ठान शुरू भी हो चुके हैं. भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर सिर्फ पत्थरों से बना है. इन पत्थरों को खासतौर पर चुना गया है और हर पत्थर की ताकत पहचानने के लिए उसकी टेस्टिंग भी की गई है. कोलार गोल्ड फील्ड्स में स्थित भारत की अग्रणी जियोलॉजिकल टेस्टिंग लेबोरेटरी में इन पत्थरों की टेस्टिंग हुई.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स (NIRM) बेंगलुरु के डायरेक्टर डॉ. एचएस वेंकटेश कहते हैं, “जो पत्थर सावधानीपूर्वक चुने गए हैं, वे अनंत काल तक टिके रहेंगे.” NIRM फिजिको-मैकेनिकल एनालिसिस का इस्तेमाल करके पत्थरों की टेस्टिंग में मदद करने वाली नोडल एजेंसी है. ये एजेंसी भारत के डैम और न्यूक्लियर पावर प्लांट की टेस्टिंग करने का काम भी करती है.पत्थरों के ब्लॉक की हुई टेस्टिंग
डॉ. एचएस वेंकटेश ने कहा, “बेहद खास तरीके से चुने गए ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और संगमरमर पत्थरों का इस्तेमाल ही राम मंदिर के निर्माण में किया गया है.” उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किए गए ग्रेनाइट, बलुआ और संगमरमर के पत्थर के ब्लॉक का वैज्ञानिक सिद्धांतों और टूल्स का इस्तेमाल करके उनकी अखंडता और सुदृढ़ता के लिए गंभीर रूप से मूल्यांकन किया गया था.

वेंकटेश कहते हैं, “इंजीनियर्ड नींव के ठीक ऊपर ग्रे ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया है, जो मंदिर के लिए 6.7 मीटर मोटा चबूतरा बनाता है. ग्रेनाइट कम से कम 2100 लाख साल पुराने हैं. दक्षिण भारत के ओंगोल, चिमाकुर्ती, वारंगल और करीमनगर में सावधानीपूर्वक चुनी गई खदानों से इन्हें लिया गया है. इन्हें अयोध्या ले जाया गया. फिर प्रत्येक ब्लॉक को श्मिट हैमर जैसे आधुनिक साइंटिफिक टेस्टिंग के लिए भेजा गया था.” उन्होंने बताया कि संदिग्ध गुणवत्ता वाले सभी ब्लॉकों को खदान हेडक्वॉर्टर पर ही रिजेक्ट कर दिया गया था. तराशने के लिए बलुआ पत्थर पसंदीदा
डॉ. एचएस वेंकटेश ने कहा, “बलुआ पत्थर कम से कम 700-1000 लाख वर्ष पुराना है. बलुआ पत्थर एक पसंदीदा पत्थर है, जो तराशने के लिए काफी नरम है. लेकिन हवा के कटाव जैसे मौसम का सामना करने के लिए ये पत्थर काफी कठोर है.”

नक्काशीदार पिलर्स की भी हुई टेस्टिंग
चट्टानों की टेस्टिंग का नेतृत्व करने वाले डॉ. ए राजन बाबू की टीम ने सभी चट्टानों का घनत्व, पोरोसिटी यानी सरंध्रता, कंप्रेसिव पावर और इनकी ताकत की जांच की थी. वहीं, नक्काशीदार पिलर्स का अल्ट्रासोनिक और इन्फ्रारेड थर्मोग्राफिक टेकनीक के जरिए गैर-विनाशकारी परीक्षण (NDT) भी किया गया.

वेंकटेश कहते हैं, ”राष्ट्रीय प्रतिष्ठा की इस अनूठी मंदिर निर्माण परियोजना में योगदान देना एक सुखद और भक्तिपूर्ण अनुभव था.” उन्होंने दावा किया, “जहां तक ​​चट्टानों का सवाल है हम गारंटी दे सकते हैं कि वे एक हजार साल से भी अधिक समय तक जीवित रहेंगी.”

22 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे होगी प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में 22 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित 6000 दिग्गज शामिल होंगे. इनमें 4000 संत भी शामिल हैं.

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