पाकिस्तान-चीन की दोस्ती में ऐसे मिठास बढ़ा रहे हैं आम लेकिन राह में कई चुनौती

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DMT : पाकिस्तान : (22 जुलाई 2023) : –

पाकिस्तान के मुल्तान में आम के अपने प्रोसेसिंग प्लांट में तारिक़ ख़ान एक वर्कर के साथ बातचीत में मशगूल थे. पसीने में लथपथ तारिक़ आम के बक्से के डिज़ाइन के बारे में बात कर रहे थे. इन्हीं बक्सों में आम को एक्सपोर्ट करना था.

चीनी अधिकारियों ने पाकिस्तान से अपने देश में एक्सपोर्ट के लिए तीन कंपनियों को अप्रूव किया है, उनमें से एक कंपनी तारिक़ की है.

वो अभी तक अपने ऑर्डर हवाई मार्ग से भेज रहे हैं, लेकिन चीन-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर के जरिए सड़क मार्ग से इसे भेजने की उम्मीद जगी है.

कनवेयर बेल्ट की ओर इशारा करते हुए वो कहते हैं, “चीन के क्वारंटीन के नियम बहुत सख्त हैं. वहां कुछ भी भेजना आसान नहीं है.”

तारिक़ कहते हैं, “हम आम को एक घंटे के लिए 48 डिग्री सेल्सियस पर ट्रीट करते हैं, फिर उन्हें सुखाते हैं ध्यान से पैक करते हैं…चीनी खरीददार वो आम नहीं नहीं लेते जिनमें छोटा सा भी दाग हो.”

चीन पाकिस्तानी निर्यातकों के लिए एक बड़ा बाज़ार है लेकिन हवाई मार्ग से इन्हें भेजना महंगा है.

तारिक कहते हैं, “इसका फ़ायदा उठाने का एक ही तरीका है कि सड़क मार्ग को दुरुस्त किया जाए.”

कितना आम निर्यात करता है पाकिस्तान?

चीन भी सैंकड़ों सालों से आम उगा रहा है लेकिन अपने देश की डिमांड को वो पूरा नहीं कर पाता.

हर साल वो थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया जैसे देशों से बड़ी मात्रा में आम का निर्यात करता है.

साल 2020 में चीन ने 84 हज़ार टन आम आयात किया था. भारत और पाकिस्तान चीन को आम निर्यात करते हैं लेकिन उनकी मात्रा कम है.

चीन के कस्टम विभाग के मुताबिक पाकिस्तान से चीन भेजे जाने आम की कीमत 2022 में 55,605 डॉलर थी जो साल 2021 के 127,200 डॉलर से काफ़ी कम है.

आम की मात्रा की बात करें तो साल 2022 में पाकिस्तान से 23.95 टन आम निर्यात किया गया और 2021 में 37.22 टन आम निर्यात किया गया.

आम जल्दी ख़राब होने वाला फल है. चीन के इंपोर्ट से जुड़े कड़े कानून और महंगी कीमतें पाकिस्तान से एक्सपोर्ट में सबसे बड़ा चैलेंज हैं.

पाकिस्तान आमतौर पर देश के अंदर आम बेचता है या ईरान के लोगों को ही आम भेजता रहा है. लेकिन हाल के दिनों में नज़रिया बदला है. इसका कारण है, चीन-पाकिस्तान कॉरिडोर का काम शुरू होना.

तारिक़ ख़ान के मुताबिक चीनी इंजीनियर, कंपनी के लोग और मज़दूरों ने अपने देश तक पाकिस्तान के आम का ज़ायका पहुंचाया. वो सड़क रास्ते थोड़े आम ले जाते हैं. इसलिए वहां इनकी डिमांड बढ़ी है.

चीन में आम की बहुत है डिमांड

इस साल कुछ प्रतिनिधिमंडलों ने दौरा किया है, वे सभी प्रकार की चीजों में रुचि रखते हैं, ताज़े आम के साथ-साथ आम के पल्प और उत्पादों में भी.

इसमें निर्यातकों से निवेश की आवश्यकता है, लेकिन जब तक इसकी गारंटी नहीं होगी कि निर्यात को सुविधाजनक बनाया जाएगा और यह वित्तीय रूप से बेहतर होगा, लोग अगर इच्छुक नहीं होंगे तो व्यापार आगे नहीं बढ़ पाएगा.

अब्दुल गफ्फार मुल्तान में कृषि विभाग में बागवानी निदेशक के रूप में काम करते हैं. वह निर्यात के लिए नई किस्में बनाने के लिए एक शोध कर रहे हैं.

उन्होंने बीबीसी को बताया कि पाकिस्तान की ‘व्हाइट चौंसा’ और ‘चनाब गोल्ड’ किस्मों को चीन में विशेष रूप से सराहा गया है.

वो कहते हैं, “हर क्षेत्र के लोगों स्वाद अलग होता है. चीनी आम हमारे जैसे नहीं हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से सीमित औपचारिक और अनौपचारिक निर्यात के साथ एक बाजार तैयार हो गया है.”

कैसे आम पसंद करते हैं चीन के लोग?

गफ़्फार कहते हैं, “वे मीठी सुगंध वाले, फाइबर रहित, बड़े, पीले आम खरीदना चाहते हैं. सफ़ेद चौंसा और चनाब गोल्ड पूरी तरह से इस मानक पर खरे उतरते हैं”

गफ़्फार के मुताबिक चीन में तीन तरह के बाजार हैं. एक गिफ़्ट का बाज़ार, एक सुपरमार्केट और एक स्थानीय बाज़ार.

वो कहते हैं, “ गिफ़्ट का बाज़ार बहुत अलग और महंगा है. यहां तक ​​कि उनके बक्से भी डिजाइनरों द्वारा तैयार किए जाते हैं. यह फिलहाल पाकिस्तानी निर्यात के लिए उपयुक्त नहीं है. दूसरी ओर, स्थानीय बाज़ार बहुत सस्ता है,लेकिन चीनी सुपरमार्केट पाकिस्तानी निर्यातकों के लिए सबसे सही है. वहां भारी मांग है और चीन ने भी हाल में प्रतिबंधों में ढील दी है, इसलिए भविष्य को लेकर अच्छी उम्मीदें हैं.

पड़ोसी देशों से फल और सब्जियों का व्यापार कीमतों पर निर्भर करता है.

इब्राहिम वाहला ने हाल ही में अपने परिवार के आम के व्यापार में कदम रखा है.

आम की गुणवत्ता पहले ही सुनिश्चित करना बहुत ज़रूरी है. कटाई के बाद इसमें बहुत अधिक सुधार नहीं किया जा सकता.

आम किसानों की चुनौती

वो कहते हैं, “अभी केवल ऊपर के एक प्रतिशत निर्यातक ही इस पर आगे बढ़ रहे हैं. उत्पादन करने वालों को शायद ही कभी इस बात की जानकारी होती है कि उस बाज़ार का लाभ कैसे उठाया जाए. यदि आम की खेती चीनी आवश्यकताओं के अनुसार ठीक से नहीं की जाती है तो पाकिस्तान निर्यात का फ़ायदा उठाने में कामयाब नहीं होगा.

चीन पाकिस्तानी उत्पादकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों और उर्वरकों की अनुमति नहीं देता है.

इब्राहिम कहते हैं, “हर देश की मिट्टी, मौसम की स्थिति, कीट और फलों की किस्में अलग-अलग होती हैं. इसलिए, इस तरह के प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है.”

इब्राहिम कहते हैं कि फिलहाल छोटे किसानों की इस व्यापार में कोई हिस्सेदारी या रुचि नहीं है.

सवाल ये है कि आम के उत्पादक क्या हासिल करना चाहते हैं, बिना अच्छे पैसों की गारंटी के किसान नए कीटनाशक और उर्वरकों में निवेश नहीं करना चाहेंगे. इब्राहिम के अनुसार, चीनी बाजार में निर्यातक, उत्पादक और आयातक एक गलत चक्र में फंस गए हैं.

लेकिन हॉर्टिकल्चर के डायरेक्टर अब्दुल गफ़्फार मानते हैं कि कुछ ही समय में हालात बदल जाएंगे.

‘भारत के मुक़ाबले पाकिस्तान को बढ़त’

वो कहते हैं, “एक बार ये सड़क परियोजना पूरी हो जाए, तो उत्पादन को रेफ्रिजरेटर में लोड कर दिया जाएगा जो सीधे चीन में उतरेगा. प्रोसेसिंग और पैकेज़िंग के बाद पाकिस्तान के आम तीन हफ़्ते तक ख़राब नहीं होते. एक बार मार्केट खुल जाए, एक्सपोर्ट आर्थिक रूप से बेहतर हो जाए, तो उत्पादक और एक्सपोर्टर दोनों ही इसमें आ जाएंगे.”

भारत भी चीन को आम निर्यात करना है लेकिन पाकिस्तान से उसका मुक़ाबला नहीं है. गफ़्फार कहते हैं कि ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों देशों में सीज़न अलग हैं, पाकिस्तान में पीक सीज़न भारत से छोड़ा लेट आता है.

सड़क मार्ग होने से पाकिस्तान को सीधी बढ़त है. चीन-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर मुलतान, रहीम यार ख़ान और सिंध जैसे इलाकों को सीधे चीनी मार्केट से जोड़ेगा.

लेकिन इस प्रोजेक्ट में देरी से कई लोग परेशोन हैं. अब्दुल गफ़्फार की उम्मीदों के बावजूद, ऐसा लगता है पाकिस्तान और चीन के बीच आम के क्षेत्र में तेज़ी आने में अभी समय लगेगा.

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