फ़्रांस में सड़कों पर ‘युद्ध’ जैसे हालात, पुलिस के ख़िलाफ़ क्यों नहीं थम रहा गुस्सा

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DMT : फ़्रांस  : (30 जून 2023) : –

  • मंगलवार को 17 साल के किशोर की हत्या के बाद भड़की हिंसा.
  • नाहेल एम नाम के किशोर को क़रीब से गोली मारी गई थी.
  • पेरिस के बाहरी इलाक़े में कर्फ़्यू, ट्राम और बस सेवा बंद.
  • गुरुवार को हज़ारों लोगों ने किया प्रदर्शन, गोली मारने वाले अफ़सर पर आरोप दर्ज.
  • लगातार तीसरी रात हिंसा, पूरे फ़्रांस में 150 लोगों को गिरफ़्तार किया गया.
  • गोली मारने वाला पुलिस अधिकारी गिरफ़्तार. जानबूझ कर हत्या करने का मामला दर्ज.
  • पुलिस का कहना है कि किशोर ने उन्हें मारने के मकसद से गाड़ी बढ़ाई थी.
  • वीडियो फ़ुटेज में दिखा कि पुलिस ने किशोर की गाड़ी रोक रखी थी.
  • जहां ये घटना घटी, वहां प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों में आग लगा दी है.
  • राष्ट्रपति मैक्रों ने घटना को अक्षम्य बताया, जबकि पुलिस यूनियनों ने बयान का विरोध किया.

फ़्रांस में एक युवक की पुलिस की गोली से हुई मौत के बाद पूरे देश में हिंसा भड़क गई है और गिरफ़्तारियों का दौर जारी है.

फ़्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डारमनिन ने एक ट्वीट में ये भी दावा किया है कि रात भर प्रदर्शनकारियों ने देशभर के स्कूलों, टाउन हॉल और पुलिस स्टेशनों को निशाना बनाया है.

पिछली दो रातों से फ़्रांस में अलग अलग शहरों में प्रदर्शनकारियों की ओर से भारी आगजनी, आतिशबाज़ी की घटनाएं हुई हैं, जिसमें कई कारें, सरकारी इमारतें नष्ट हो गई हैं.

पेरिस से बीबीसी संवाददाता सोफ़िया बेट्ज़ का कहना है कि ‘शहर पर सड़कों का हाल किसी युद्ध के मैदान जैसा हो गया है.’

पेरिस के बाहरी हिस्से में कर्फ्यू लगा दिया गया है और शहर में रात में ट्राम और बस सेवा को बंद कर दिया गया है.

मंगलवार को फ़्रांस में पुलिस ने एक 17 साल के युवक को ट्रैफ़िक चेक के लिए न रुकने पर गोली मार दी थी.

इस युवक का नाम नाहेल एम बताया जा रहा है. युवक गाड़ी चलाने के कुछ ही देर बाद दुर्घटना का शिकार हुआ था. कहा जा रहा है कि पुलिस ने उसे नज़दीक से गोली मारी.

गोली मारने वाले पुलिस अधिकारी पर हत्या का आरोप दर्ज कर लिया गया है.

गुरुवार को नाहेल की मां के आह्वान पर नानतेरे में 6000 से अधिक लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

फ़्रांस की मीडिया के अनुसार, पुलिस ने पहले ये कहा कि ये युवक चोट पहुँचाने के इरादे से पुलिसकर्मियों की ओर गाड़ी ला रहा था.

लेकिन इस हादसे के फुटेज में एक पुलिस अधिकारी को गाड़ी की खिड़की से युवक पर पिस्तौल तानते और फिर नज़दीक से गोली मारते देखा गया है.

समाचार एजेंसी एएफ़पी ने इस फुटेज की सत्यता की पुष्टि की है.

फ़्रांस के राष्ट्रपति ने कहा है कि ये शूटआउट ‘अक्षम्य’ है. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “कुछ भी एक युवा की मौत को सही नहीं ठहरा सकता.”

देश भर में विरोध प्रदर्शन

हालांकि पेरिस पुलिस ने कहा है कि उन्होंने ताज़ा हिंसा की ‘छिटपुट घटनाओं’ पर काबू पा लिया है.

टूलूज़ में प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी और इसे बुझाने में लगे दमकल कर्मियों पर पथराव किया.

फ़्रांस के उत्तरी शहर लिले में भी प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई.

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी शहर रेने में भी मारे गए युवक को श्रद्धांजलि देने के लिए करीब 300 लोग इकट्ठा हुए.

इनमें से कई लोगों ने आगजनी भी की. हालांकि, पुलिस ने इन्हें तितर-बितर कर दिया.

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि नाहेल को गोली मारने वाली घटना “अक्षम्य” है, लेकिन पुलिस यूनियनों ने राष्ट्रपति के इस बयान पर नाराज़गी ज़ाहिर की है.

पुलिस यूनियन क्यों कर रही हैं मैक्रों के बयान का विरोध?

पुलिस यूनियन का दावा है कि राष्ट्रपति पुलिसवालों के ख़िलाफ़ जल्दबाज़ी में राय बना रहे हैं.

इस बयान का पुलिस यूनियन ने विरोध करते हुए कहा है कि शूटिंग में शामिल पुलिस अफ़सरों के बारे में मैक्रों जल्द फैसले पर पहुंच गए हैं.

अलायंस पुलिस यूनियन ने कहा है कि जबतक कोई फैसला नहीं होता उन्हें निर्दोष माना जाना चाहिए, जबकि इसकी प्रतिद्वंद्वी यूनियन यूनाइट एसजीपी पुलिस ने भी कहा है कि राजनीतिक हस्तक्षेप पुलिस के प्रति नफ़रत को बढ़ाएगा.

उधर गृह मंत्री गेराल्ड डैरमानिन ने कहा है ‘फ़्रांस पुलिस’ पर कार्रवाई करेंगे क्योंकि उसने किशोर की हत्या को सही ठहराने की कोशिश की है.

यूनियन का ही एक अन्य ग्रुप है फ़्रांस पुलिस, जिसने एक ट्वीट में उन पुलिस अधिकारियों को ‘ब्रैवो’ कहा था जिन्होंने “एक युवा अपराधी को गोली मार दी.” हालांकि ये ट्वीट डिलीट कर दिया गया है लेकिन इसमें किशोर के परिजनों पर “अच्छी परवरिश न देने” का आरोप लगाया गया था.

नाहेल की मां ने क्या कहा?

नाहेल की मां मॉनिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट एक वीडियो में कहा है कि उनका बेटा मारा गया है और उसकी याद में आयोजित मार्च में लोग शामिल हों.

उन्होंने कहा, “वो अभी बच्चा था. उसे मां के साये की ज़रूरत थी. सुबह जाते समय उसने मुझे चूमा और कहा- आई लव यू मॉम. एक घंटे बाद मुझे बताया गया कि उसे गोली मार दी गई. अब मैं क्या करूं? वो मेरी ज़िंदगी था. वो मेरा सबकुछ था.”

साल 2017 में फ़्रांस में एक क़ानून बनाया गया था जिसमें पुलिस को गोली चलाने के अधिकार में ढील दी गई थी. मानवाधिकार संगठन इस क़ानून का विरोध करते रहे हैं.

ली मोंडे अख़बार के अनुसार, जबसे ये क़ानून बना है चलती कार पर पुलिस द्वारा गोली चलाने की घटनाएं बढ़ गई हैं.

मानवाधिकार कार्यकर्ता रोखाया डियालो का कहना है कि गोली चलाने का मतलब है कि गोली लगने का बड़ा ख़तरा, जोकि काले लोगों के संदर्भ में और अधिक है.

2005 जैसे हालात नहीं होने देना चाहती सरकार

ऐसा लगता है कि घटना के तुरंत बाद राष्ट्रपति के बयान से पुलिस यूनियनें नाख़ुश हैं.

एमानुएल मैक्रों ने पीड़ित के परिवार के प्रति सांत्वना के संदेश भेजे हैं.

पेरिस में बीबीसी संवाददाता ह्यू शोफ़ील्ड कहते हैं कि राष्ट्रपति मैक्रों जानते हैं कि शब्दों से शांति आ सकती है और शब्दों से हिंसा भी भड़क सकती है.

नवंबर 2005 में इसी तरह की एक घटना में दो युवकों की मौत के बाद हफ़्तों तक हिंसा और आगजनी होती रही. ये घटना प्रशासन के ज़हन में ज़रूर होगी.

ये दोनों किशोर पुलिस द्वारा पीछा किये जाने पर एक बिजली सब स्टेशन में छिप गए थे.

उस समय राष्ट्रपति निकोलस सरकोज़ी राष्ट्रपति थे, उन्होंने इन किशोरों को अपराधी क़रार दिया था और अपराधियों को साफ़ करने का वादा किया था.

सरकोज़ी ने उन्हें बुरे लोग बताया जिसके बाद दंगे भड़क गए और हफ़्तों तक ये चलते रहे जिसमें कारों और सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर दिया गया. लोगों की ओर से कहा गया कि प्रशासन ने सम्मान नहीं दिखाया.

मैक्रों अपने इस कार्यकाल में ये वेस्ट प्रोटेस्ट से लेकर पेंशन सुधारों के ख़िलाफ़ पहले ही सड़कों पर लोगों का गुस्सा देख चुके हैं.

इस समय सरकार की पहली चिंता है कि 2005 में जैसे हालात बिगड़े थे, उसे दोबारा न होने दिया जाए.

शब्द बड़ी अहमियत रखते हैं और राष्ट्रपति और मंत्रियों ने इस बार बहुत ध्यान पूर्वक उनका चुनाव किया है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने पाया है कि फ़्रांस की पुलिस की गोलीबारी में साल 2017 से लेकर अब तक जान गंवाने वालों में अधिकांश काले या अरब मूल के लोग हैं.

बीते साल ट्रैफ़िक नियमों का पालन न करने वाले 13 लोगों की जान गई थी.

रॉयटर्स ने मृतक के पड़ोसियों के हवाले से बताया कि नाहेल भी फ़्रांसीसी-अल्ज़ीरियाई मूल के परिवार से थे.

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