DMT : अमेरिका : (08 जुलाई 2023) : –
- अमेरिका यूक्रेन को क्लस्टर हथियार भेज सकता है
- क्लस्टर हथियार बेहद खतनाक होते हैं
- क्लस्टर बम लंबे समय तक बिना फटे पड़े रहते हैं
- ये बम कभी भी फट सकते हैं, नागरिकों के लिए बेहद खतरनाक
- दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में इस पर प्रतिबंध
- अमेरिका के क्लस्टर हथियारों के नाकाम होने की आशंका बेहद कम
- यूक्रेन और रूस दोनों युद्ध की शुरुआत से क्लस्टर बम का कर रहे इस्तेमाल
- अमेरिका के क्लस्टर बम भेजने के फैसले से सहयोगी देश हो सकते हैं नाराज
अमेरिका ने यूक्रेन को क्लस्टर हथियार देने का फैसला किया है. इन हथियारों से यूक्रेन को रूस के ख़िलाफ़ अपने जवाबी हमले और तेज़ करने में मदद मिलेगी.
व्हाइट हाउस ने कहा है कि उसने क्लस्टर हथियारों से नागरिकों को होने वाले घातक नुकसान के जोखिम को देखते हुए अभी तक इनकी सप्लाई रोक रखी थी. जबकि यूक्रेन लगातार हथियारों की मांग कर रहा था.
क्लस्टर हथियार बेहद ख़तरनाक होते हैं. एक बड़े इलाके में छोटे-छोटे सैकड़ों-हजारों बम फैला देने वाले इन हथियारों की भयावहता को देखते हुए दुनिया भर में 100 से ज्यादा देशों ने इन पर प्रतिबंध लगा रखा है.
ये ऐसे हथियार हैं, जिनमें एक साथ कई बम होते हैं. ये बम रॉकेट, मिसाइल या तोपों से दागे जाते हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक टीवी इंटरव्यू में इस फैसले का ज़िक्र करते हुए कहा, “मेरे लिए ये बेहद कठिन फैसला है. हमने अपने सहयोगी देशों से इस पर बात की. इस पर हमने कैपिटल हिल में अपने साथियों से भी बात की.’’
बाइडन ने कहा कि यूक्रेनियों के पास हथियार खत्म हो रहे हैं और इसलिए उन्होंंने क्लस्टर हथियार भेजने का फैसला किया है.
हालांकि अगले सप्ताह लिथुआनिया में हो रही नेटो की बैठक में उन्हें इस मामले में सहयोगी देशों के सवालों का सामना करना पड़ सकता है.
‘सिर्फ़ अपनी रक्षा के लिए यूक्रेन इस्तेमाल करेगा’
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस की नियमित ब्रीफिंग में इस योजना पर पूछे गए सवालों के जवाब में कहा, “हमें पता है कि इस तरह के हथियार नागरिकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ये बम कभी भी फट सकते हैं. ये इसका बड़ा ख़तरा है.’’
“यही वजह है कि हमने जब तक संभव हो सका इस फैसले को टाला.’’
उन्होंंने कहा, “यूक्रेन इन बमों को किसी विदेशी धरती पर इस्तेमाल नहीं करेगा. इनका इस्तेमाल वो सिर्फ अपनी सुरक्षा के लिए करेगा.’’
उन्होंने कहा कि यूक्रेन के पास हथियार खत्म हो रहे थे. इस कमी की भरपाई की जरूरत है. अमेरिका इसलिए हथियारों का उत्पादन भी बढ़ा रहा है.
उन्होंने कहा, “हम संघर्ष के दौरान किसी भी वक्त यूक्रेन को निहत्था नहीं छोड़ सकते.’’
क्लस्टर हथियार काफी विवादास्पद रहे हैं. इन हथियारों से गिराए जाने वाले बम ऐन वक्त पर फटते नहीं हैं. गिराए जाने के बाद ये वर्षों पड़े रहते हैं और बाद में फटते हैं.
सुलिवन का कहना है कि अमेरिका जो क्लस्टर हथियार यूक्रेन को भेजेगा उनके नाकाम होने की आशंका 2.5 फीसदी है.
वहीं रूस के क्लस्टर हथियार के नाकाम होने (ऐन वक्त पर न फटने) की आशंका 30 से 40 फीसदी तक होती है.
इस मामले पर एक दूसरी न्यूज़ ब्रीफिंग में पेंटागन ने ये नहीं बताया कि वह यूक्रेन को कितने क्लस्टर हथियार भेज रहा है. हालांकि ये ज़रूर कहा गया है कि हज़ारों हथियार तैयार हैं.
अमेरिकी कानून के मुताबिक़ वो उस तरह के हथियार नहीं भेज सकता है, जिनमें बमों के न फटने की आशंका एक फीसदी से ज्यादा है.
लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति इस कानून को नज़रअंदाज कर सकते हैं.
हालांकि संयुक्त राष्ट्र की पड़ताल से पता चला है कि इस लड़ाई में यूक्रेन ने शायद क्लस्टर बमों का इस्तेमाल किया है. हालांकि यूक्रेन ने इससे इनकार किया है.
इससे पहले व्हाइट से पूछा गया था कि क्या रूस क्लस्टर बमों का इस्तेमाल कर सकता है. इस पर तत्कालीन प्रेस सेक्रेट्री जेन साकी ने कहा था अगर ये सच है तो यह ‘युद्ध अपराध’ है.
अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सेना के अधिकारी यूक्रेन को तोप से दागे जाने वाले हथियार भेजने की तैयारी कर रहे हैं.
हर बम के अंदर अलग-अलग 88 छोटे बम होते हैं. ये बम पहले से ही यूक्रेन में तैनात होवित्जर तोपों से दागे जाएंगे.
अमेरिका ने हाल में यूक्रेन को 80 करोड़ डॉलर के हथियार भेजे हैं. इनमें ब्रेडली, स्ट्राइकर फाइटर व्हिकल, एयर डिफेंस मिसाइलें और बारूदी सुरंगों को नष्ट करने वाले औजार शामिल हैं.
इस बीच, मानवाधिकार संगठनों ने रूस और यूक्रेन दोनों से क्लस्टर हथियारों का इस्तेमाल न करने की अपील की है.
संयुक्त राष्ट्र के ह्यूमन राइट्स कमिश्नर ने शुक्रवार को इन देशों से कहा कि ये बेहद ख़तरनाक हथियार हैं, इनका इस्तेमाल न करें.
क्लस्टर हथियारों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय समझौते में 120 से अधिक देशों ने इनका इस्तेमाल, उत्पादन, भंडारण न करने की प्रतिबद्धता जताई है. इन देशों ने कहा है कि वे किसी दूसरे देशों को भी इन्हें नहीं देंगे.
क्या हैं क्लस्टर हथियार?
क्लस्टर हथियार एक ऐसा सिस्टम हैं, जिसमें रॉकेट, मिसाइल या तोपों के ज़रिये किसी क्षेत्र में बड़ी तादाद में छोटे-छोटे बम फैला दिए जाते हैं. ये बीच आसमान में फैलाए जाते हैं.
ये बम बड़े विस्फोट करने के इरादे से दागे जाते हैं लेकिन इनका एक बड़ा हिस्सा तुरंत नहीं फटता है. खासकर ऐसा तब होता है जब ये नम या नरम ज़मीन पर गिरते हैं.
ये बम हटाए जाने के दौरान फट सकते हैं. इससे इन्हें हटाने वाले मारे जा सकते हैं या विकलांग हो सकते हैं.
ये तब और घातक हो जाते हैं जब ये एक जगह डेरा डाले पैदल सेना के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होते हैं.
खासकर बंकरों में पोजीशन लिए हुए या फिर कवर लिए हुए सैनिकों के लिए ये काफी घातक साबित होते हैं. क्लस्टर बमों की वजह से इनका आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है क्योंकि इनके फटने का ख़तरा बना रहता है.
इन पर प्रतिबंध क्यों है?
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी समेत 100 से ज्यादा देशों ने एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
नागरिकों पर इसके घातक नतीजों को देखते हुए इस समझौते के तहत इनका इस्तेमाल और भंडारण प्रतिबंधित है.
खासकर बच्चों को इनसे काफी ख़तरा रहता है क्योंकि किसी खेत या मैदान में पड़े ये बम छोटे खिलौने की तरह दिखते हैं.
मानवाधिकार संगठनों ने ऐसे बमों को ‘वीभत्स’ करार दिया है. उन्होंने क्लस्टर बम से हमलों को युद्ध अपराध कहा है.
इतने ख़तरनाक होने के बावजूद कौन इस्तेमाल कर रहा है?
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद ही दोनों पक्ष इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. दोनों में किसी ने क्लस्टर हथियार पर पाबंदी से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया है.
अमेरिका ने भी इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. लेकिन इसने रूस की ओर से इसके इस्तेमाल की निंदा की है. माना जाता है कि रूसी क्लस्टर बमों के न फटने की आशंका 40 फीसदी तक होती है.
यूक्रेन क्यों मांग रहा है क्लस्टर हथियार?
यूक्रेनी सेना के पास मौजूद गोले लगातार कम होते जा रहे हैं. क्योंकि रूसी सेना की तरह यूक्रेन की भी सेना भी इसका अंधाधुंध इस्तेमाल कर रही है.
जिस तेज़ी से ये गोले इस्तेमाल हो रहे हैं उस तेज़ी से यूक्रेन के सहयोगी देश इसकी सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं.
यूक्रेनी सेना के लिए अब 1000 किलोमीटर में फैले युद्ध क्षेत्र में जमे रूसी सैनिकों को पीछे धकेलना बेहद ज़रूरी हो गया है.
यूक्रेन ने गोलों की कमी को देखते हुए अमेरिका से क्लस्टर हथियारों की सप्लाई तेज़ करने की मांग की है.
अमेरिकी फ़ैसले का क्या असर होगा?
इसका फौरी असर तो ये होगा कि अमेरिका का नैतिक असर कम होगा. क्योंकि इस लड़ाई में वो अब तक क्लस्टर बमों के इस्तेमाल का विरोध करता रहा है.
रूस के कई युद्ध अपराधों के सुबूत मिल चुके हैं. लेकिन अब अमेरिका पर दोमुंहेपन का आरोप लग सकता है.
दरअसल क्लस्टर हथियार छिपे और जहां-तहां फैलाए जाने वाले बम होते हैं. ज्यादातर देशों में ये प्रतिबंधित हैं.
इन बमों के इस्तेमाल के फैसले को लेकर अमेरिका के सहयोगी पश्चिमी देश दो फाड़ हो सकते हैं. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए ये अच्छा मौका हो सकता है. यह पश्चिमी देशों में मतभेद पैदा करने के उनके मकसद को सफल बनाएगा.