राजस्थान: बाड़मेर में दलित चार दिनों से मोर्चरी के बाहर क्यों कर रहे थे प्रदर्शन

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DMT : बाड़मेर  : (15 अप्रैल 2023) : –

राजस्थान के बाड़मेर में एक दलित शख़्स का शव चार दिन से मोर्चरी में रखा हुआ था. मोर्चरी के बाहर दलित समुदाय के लोग अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे.

शनिवार को मोर्चरी के बाहर धरना दे रहे एससी एसटी एकता मंच के पदाधिकारी, भीम आर्मी, स्थानीय विधायक समेत जनप्रतिनिधियों की प्रशासन से हुई शनिवार शाम वार्ता सफल रही है.

मृत व्यक्ति के परिजन और दलित समुयाद के लोग बाड़मेर अस्पताल की मोर्चरी से शव लेकर असाड़ी गांव के लिए रवाना हो गए हैं. आज ही अंतिम संस्कार किया जाएगा.

एससी एसटी एकता मंच के अध्यक्ष उदाराम मेघवाल ने बीबीसी से कहा, “हमारा लिखित में कोई समझौता नहीं हुआ है. लेकिन, सभी मांगों पर सहमति बन गई है, वो सभी निश्चित ही पूरी की जाएंगी.”

किन मांगों पर सहमति बनी है, इस सवाल पर बाड़मेर कलेक्टर लोक बंधु ने बीबीसी से कहा है, “जो भी नियमानुसार होगी वही.”

सहमति के लिए हुई बैठक में शामिल रहे एससी एसटी एकता मंच के महामंत्री भूरा भील ने बैठक के बाद बीबीसी से कहा, “हमारे मांग पत्र पर सहमति बनी है.”

उन्होंने कहा, “एक सदस्य को संविदा पर नौकरी देने, पीड़ित परिवार को पचास लाख रुपए मुआवज़ा, डिप्टी एसपी धर्मेंद्र दूकिया को एपीओ करने के लिए अनुशंसा की जाएगी. गिरबा थानाध्यक्ष नींबा सिंह को निलंबित करने के आदेश जारी होंगे. इसके साथ ही बाक़ी सभी मांगों पर सहमति बन गई है.”

मोर्चरी के बाहर ही सैकड़ों की संख्या में दलित समाज के लोग चार दिन से धरने पर बैठे थे. दलित समुदाय के एक शख़्स की बेरहमी से पीट-पीट कर हत्या का आरोप, 16 नामज़द सोढ़ा राजपूत अभियुक्तों पर है.

ग़रीबी रेखा से नीचे गुज़र बसर करने वाले कोजा राम की पत्नी धूड़ी देवी, चार बेटियों समेत पांच नाबालिग़ बच्चों को अभी मालूम तक नहीं है कि उनके सिर से पिता का साया छिन गया है.

आरोप है कि कोजा राम को इतना पीटा गया कि उनके कई फ्रैक्चर, ब्रेन हेमरेज और पेट में ख़ून भर गया. शरीर के कई हिस्से में सरियों के गहरे घाव हो गए और यहां तक की हिप्स की हड्डी तक टूट गई.

गंभीर हालत में करीब सौ किलोमीटर दूर बाड़मेर अस्पताल ले जाते समय निजी वाहन में उनकी मौत हो गई.

क्या है पूरा मामला

बाड़मेर ज़िले की गड़रा रोड़ तहसील के असाड़ी गांव में कोजा राम और अभियुक्त का परिवार रहता है.

बाड़मेर के ज़िला अस्पताल की मोर्चरी के बाहर सैकड़ों लोगों के साथ धरने पर इंद्र मेघवाल बैठे हैं. कोजा राम के छह बच्चों में सबसे बड़े बेटे इंद्र मेघवाल 19 साल के हैं.

इंद्र बीबीसी से फ़ोन पर कहते हैं, “12 अप्रैल की सुबह पिता दो छोटी बहनों के साथ बकरियां चराने जा रहे थे. हमारे सामने रहने वाले सोढ़ा राजपूत परिवार के कई लोगों ने लाठियों, डंडों और हथियारों से पीटना शुरू कर दिया.”

वे कहते हैं, “पिटाई कर फिर घर आए और अपशब्द कहते हुए हमारे परिवार को धमकाया. कहा कि हमने कोजा राम को मार दिया है. कोई भी उसको बचाने गया तो वही हाल तुम्हारा करेंगे.”

घटना का वीडियो सामने आया

घटना के दौरान का एक वीडियो भी सामने आया है. इसमें कोजा राम लहूलुहान हालत में ज़मीन पर पड़े हुए हैं. उनकी बेटियां अभियुक्तों के नाम लेकर बिलख रही हैं.

इंद्र मेघवाल ने पुलिस को बताया, “घटना के बाद मौक़े पर पहुंची पुलिस को देख अभियुक्त फ़रार हो गए. मौक़े पर पहुंचे तो वह होश में थे और उन्होंने अभियुक्तों के नाम भी बताए.”

पुलिस की गाड़ी से कोजा राम को गंभीर स्थिति में दस किलोमीटर दूर गिराब इलाक़े के पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) लाया गया. यहां से उन्हें सौ किलोमीटर दूर बाड़मेर के लिए रेफर किया गया.

निजी वाहन से कोजा राम को बाड़मेर के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां डॉक्टर्स ने उनको मृत घोषित कर दिया.

इंद्र मेघवाल ने बीबीसी से फ़ोन पर कहा, “पिता ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.”

कोजा राम की मौत के बाद 12 अप्रैल से ही मोर्चरी के बाहर बड़ी संख्या में दलित समाज के लोग धरने पर बैठे हुए थे. मांगें पूरी नहीं होने तक परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया था.

दोनों में पहले से विवाद था

गिरबा थाने से दस किलोमीटर दूर मृतक कोजा राम मेघवाल और अभियुक्तों का गांव असाड़ी है.

असाड़ी गांव में घटना स्थल पर गए बाड़मेर के एक पत्रकार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, “अभियुक्तों और कोजा राम का घर आमने सामने है.”

“घटना के बाद से अभियुक्तों के घर कोई भी नहीं है, सभी फ़रार हैं. हमने स्थानीय ग्रामीणों से बात की तो मालूम हुआ कि कुछ ज़मीन के लिए दोनों परिवारों में कई साल से विवाद चल रहा था.”

“ग्रामीणों ने कई बार दोनों को समझाने का प्रयास किया लेकिन समाधान नहीं हुआ. कोजा राम ने अभियुक्तों पर कई बार मामले भी दर्ज कराए थे.”

मृतक कोजा राम के बेटे इंद्र मेघवाल ने बीबीसी से कहा, “हमारी ज़मीन को लेकर कई साल से विवाद चल रहा था. हमें बहुत परेशान करते थे और धमकी देते थे.”

कोजा राम के बेटे इंद्र मेघवाल ने 16 लोगों के ख़िलाफ़ नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई है. इसमें सभी एक ही सोढ़ा राजपूत परिवार के सदस्य है.

इंद्र मेघवाल की शिकायत पर गिरबा थाना अध्यक्ष नींबा सिंह ने आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 341, 323, 302, 504, 506 और एससी एसटी एक्ट की धाराओं में एफ़आईआर दर्ज की है.

इंद्र मेघवाल ने पुलिस को बताया है, “घर से कुछ दूर पहुंचते ही सोलह नामज़द लोगों ने धारदार हथियार, लाठी और सरियों से पीटना शुरू कर दिया. साथ गई बहनों ने बचाने का प्रयास किया तो उनको भी बालों से पकड़ कर पीटा गया.”

इस मामले की जांच चौहट्टन डिप्टी एसपी धर्मेंद्र दूकिया को सौंपी गई है. घटना के बाद एफएसएल की टीम ने मौक़े पर पहुंच कर सबूत जुटाए हैं. पुलिस ने भी बयान दर्ज किए हैं.

कोजा राम मेघवाल की पिटाई के बाद वायरल हुए वीडियो में उनका पूरा शरीर लहूलुहान दिखाई पड़ा रहा है.

कोजा राम को आई चोट के सवाल पर बाड़मेर पुलिस अधीक्षक दिगंत आनंद बीबीसी से कहते हैं, “बीते दिन कुछ मांगों पर पोस्टमार्टम कराने को लेकर सहमति बनी. शाम को पोस्टमार्टम किया गया है, रिपोर्ट आने पर ही स्पष्ट हो पाएगा कि कितनी गंभीर चोटें थीं.”

मोर्चरी के बाहर धरने का नेतृत्व कर रहे एससी एसटी एकता मंच के बाड़मेर संयोजक लक्ष्मण बडेरा बीबीसी से कहते हैं, “पोस्टमार्टम के बाद हमें डॉक्टर्स से जानकारी मिली कि शरीर का कोई भी ऐसा हिस्सा नहीं था जहां गंभीर चोट नहीं हो.”

उन्होंने कहा, “हेड इंजरी, ब्रेन इंजरी, ब्रेन हेमरेज, स्पेन फ्रैक्चर और हिप्स फ्रैक्चर हैं. पूरे पेट में ख़ून भरा हुआ था.”

“एक हाथ तीन जगह से फ्रैक्चर है, दूसरा हाथ फ्रैक्चर है, पैरों के अंदर सरिया डाल कर मसल्स को छेद दिया गया है.”

बाड़मेर ज़िला अस्पताल के प्रिंसिपल मेडिकल ऑफ़िसर बीएल मंसूरिया ने बीबीसी से कहा, “हमने तीन डॉक्टर्स का बोर्ड बना दिया था. बोर्ड में फोरेंसिक मेडिसीन के हेड डॉ हरीश कुमार, डॉ ओपी सिंह और एक सर्जन डॉ भरत कुमावत थे. बीते दिन शाम को पोस्टमॉर्टम किया गया है.”

पोस्टमार्टम करने वाले बोर्ड के सदस्य डॉ हरीश कुमार ने बीबीसी से कहा, “अभी हम रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. हमें कम से कम 24 से 48 घंटे लगेंगे रिपोर्ट तैयार करने में.”

पुलिस कार्रवाई करती तो नहीं होती घटना

इंद्र मेघवाल बीबीसी से कहते हैं, “हमें कई बार जान से मारने की धमकी दे चुके हैं. पिता ने पुलिस से भी गुहार लगाई थी. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई.”

ठीक एक महीने पहले कोजा राम ने गिरबा थाने में कई बार ख़ुद की जान का ख़तरा बताते हुए शिकायत की. लेकिन, थाने स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.

कोजा राम ने 15 मार्च को बाड़मेर पहुंच कर पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाई थी.

बाड़मेर पुलिस अधीक्षक दिगंत आनंद ने बीबीसी से कहा, “कोजा राम मेरे पास आए थे, उनकी शिकायत पर मैंने मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे. मामला दर्ज हुआ और अभी उस पर जांच जारी है.”

एससी एसटी मंच के बाड़मेर संयोजक लक्ष्मण बडेरा बीबीसी से कहते हैं, “रोते हुए कोजा राम ने एसपी से कहा कि मेरी जान को ख़तरा है. मैं गिराब थाने जाता हूं तो थानेदार मेरा मजाक उड़ाता है. इसलिए मैं बाड़मेर आया हूं.”

उन्होंने कहा, “जांच अधिकारी डिप्टी एसपी और गिराब थाने ने कोजा राम की कोई सुनवाई नहीं की. ठीक एक महीने बाद कोजा राम को मार दिया गया.”

मांगों को लेकर चार दिन से धरना

मोर्चरी के भीतर चार दिन से कोजा राम का शव रखा हुआ था. बाहर सैकड़ों की संख्या में लोग कोजा राम को न्याय दिलाने की मांग को लेकर लगातार चौथे दिन धरने पर थे.

15 अप्रैल को मांगों के लिए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया था. मौन जुलूस भी निकाला गया था.

डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती पर 14 अप्रैल को कम से कम पांच हज़ार की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे. मौन जुलूस निकाल कर घटना का विरोध किया.

परिजनों ने मांग पूरी नहीं होने तक शव लेने से इंकार कर दिया था.

भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष ने बीबीसी से कहा था, “पुलिस प्रशासन कोजा राम की मौत के लिए ज़िम्मेदार है. इनके ऊपर हत्या का मुक़दमा दर्ज होना चाहिए. राज्य में दलित आदिवासियों के ऊपर हो रहे अत्याचार के लिए प्रशासन ज़िम्मेदार है.”

लक्ष्मण बडेरा बीबीसी से कहते हैं, “हमारी मांग है कि षड्यंत्र करके मारने की धारा लगाई जाए.”

अन्य मांगों के बारे में बताते हुए वो कहते हैं, “एक करोड़ रुपए परिजनों को सहायता राशि दी जाए. षड्यंत्र करने वाले और हत्या करने वालों को गिरफ्तार करना. एक सरकारी नौकरी दी जाए, गिरबा थानाध्यक्ष और डिप्टी एसपी सस्पेंड किया जाए. इस मामले में पहले से दर्ज केस फिर से खोले जाएं.”

पुलिस अधीक्षक दिगंत आनंद ने बीबीसी से कहा, “धरना दे रहे लोगों से बातचीत जारी है. एक करोड़ रुपए और एक सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं. हम प्रयास कर रहे हैं समाधान निकाल लिया जाएगा.”

दलितों पर सर्वाधिक अपराध बाड़मेर में

राजस्थान में एक के बाद एक दलितों पर अत्याचार के मामले सामने आते रहे हैं. मूंछ रखने, घोड़ी चढ़ने, मंदिर में प्रवेश करने, डॉ भीमराव आंबेडकर का पोस्टर लगाने, चोरी के शक समेत कई तरह के मामलों में दलित अत्याचार के मामले सामने आए हैं.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) 2020 के आंकड़ों के अनुसार दलितों पर अत्याचार के मामलों में उत्तर प्रदेश और बिहार के बाद राजस्थान का नंबर आता है.

राजस्थान पुलिस के आंकड़ों के अनुसार साल 2020 के मुक़ाबले साल 2021 में दलितों पर अत्याचार के मामलों में 7.23 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई.

राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा बीबीसी से कहते हैं, “इतने दिनों तक शव मोर्चरी में है, यह ठीक नहीं है. मुख्यमंत्री को इस बारे में कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस मामले में हस्तक्षेप करें.”

उन्होंने कहा, “राज्य के कुछ ज़िलों में दलित आदिवासियों पर कुछ ज़्यादा ही अत्याचार होते हैं. उन ज़िलों को हमने आइडेंटिफाई किया है.”

अध्यक्ष बैरवा ने कहा, “बाड़मेर, जालौर, पाली और सिरोही में सबसे ज़्यादा अत्याचार होते हैं.”

इन ज़िलों में ज़्यादा अत्याचार के कारणों का ज़िक्र करते हुए बैरवा कहते हैं, “शिक्षा का स्तर कम होना और पुराने ख़्यालात के लोग हैं. उन्हें बुरा लगता है कि उनके बराबर कोई बैठ गया.”

उन्होंने कहा, “हमारी बाड़मेर कलेक्टर और एसपी से बात हुई है. मांगों पर सहमति बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.”

कोजा राम के भांजे सूरज मेघवाल बीबीसी से फ़ोन पर कहते हैं, “मामा मज़दूरी करते और बकरियां चरा कर परिवार की देखरेख करते थे. परिवार में सबसे बड़ा बेटा इंद्र 19 साल और सबसे छोटा चार साल का है. चार नाबालिग़ बेटियां हैं.”

सूरज कहते हैं, “उनकी पत्नी धूड़ी देवी भी मज़दूरी करती हैं. कोजा राम की मौत की ख़बर अभी तक असाड़ी गांव में मौजूद उनकी पत्नी और बेटियों को नहीं दी गई है. उन्हें कहा गया है कि इलाज चल रहा है और तबियत में सुधार है.”

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