रूस की सेना में नेपाली युवाओं के भर्ती होने के सबूत

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DMT : रूस  : (27 जून 2023) : –

रमेश (बदला हुआ नाम ) नेपाल से रूस स्टूडेंट वीज़ा पर आए थे. उन्हें एक बेहतर ज़िंदगी की तलाश थी.

नेपाल में बेहद ग़रीबी में जी रहे रमेश किसी भी तरह इससे निजात पाना चाहते थे.या तो वो नेपाल लौट जाते और कोई मामूली नौकरी में लग जाते या रूस में कोई बेहतर काम तलाशते. लेकिन ये इतना आसान नहीं था.

टिकटॉक वीडियो में बता रहे हैं रूसी सेना में भर्ती होने का तरीक़ा

इधर, रमेश और नेपाल से रूस आए उनके कई दोस्त इस दुविधा से जूझ रहे थे, उधर रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ जंग का एलान कर दिया.

यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना को भी खासा नुक़सान हुआ है. शुरुआती युद्ध में हज़ारों रूसी सैनिकों की मौत हुई. इसे देखते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नियमों में बदलाव किए ताकि विदेशियों के लिए रूसी सेना में शामिल होना आसान और आकर्षक हो जाए.

अच्छा-ख़ासा वेतन से लेकर रूसी नागरिक बनने की प्रक्रिया आसान बनाने तक, कई नए नियम लाए गए, जिससे विदेशियों का सेना में शामिल होना आसान हो जाएगा.

अपनी सेना को मज़बूत करने के लिए रूस बाहरी लोगों को दिल खोल कर स्वागत कर रहा है.

रमेश कहते हैं कि उन्होंने रूसी सेना में शामिल होने की ये शानदार पेशकश मंज़ूर कर ली.

उन्होंने कहा वो लिखित परीक्षा और मेडिकल परीक्षण के बाद रूसी सेना में चयनित हो गए. वो बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने एक लाख नेपाली रुपये खर्च किए. हालांकि उन्होंंने ये नहीं बताया कि ये पैसे उन्होंने किसे दिए.

उन्होंने कहा कि भर्ती का काम भरोसे पर होता है. रमेश अपने टिकटॉक अकाउंट पर रूसी सेना में भर्ती होने की इस ख़बर को फैला दिया.

अपने कई वीडियो में उन्होंने बताया ये उनके लिए कितना मुश्किल फ़ैसला था.

एक वीडियो में उन्होंने मैसेज लिखा, ‘’एक सैनिक का काम है, करो या मरो. अगर आप ये करना चाहते हैं तो सेना में भर्ती हो जाइए.’’

‘जानकारियों’ से लैस बताए गए एक वीडियो में उन्होंने कहा, ’’यहां कई चुनौतियां हैं. चीज़ें जैसी होनी चाहिए वैसी नहीं हैं. मेरा मानना है कि ये ज़िंदगी का एक मुश्किल दौर है. क्योंकि ये देश फ़िलहाल यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ रहा है.’’

रूसी सेना में भर्ती होने के लिए ‘काउंसिलिंग सर्विस’

आख़िरी बार जब बीबीसी ने रमेश से संपर्क किया था तो उनके पास बिल्कुल भी वक़्त नहीं था.

उन्होंने बताया कि उन्हें ट्रेनिंग के लिए बेलारूस ले जाया जा रहा है. इसके बाद बीबीसी उनसे संपर्क करने में कामयाब नहीं हो सका.

इसके बाद बीबीसी ने अपने हफ़्तों की पड़ताल में पाया कि सिर्फ़ रमेश ही एक मात्र नेपाली शख्स नहीं हैं, जो रूस की सेना में शामिल हुए हैं.

राज भी एक छात्र हैं, जो उच्च शिक्षा के लिए रूस पहुँचे थे. लेकिन जब रूस ने अप्रैल 2022 में अपनी सेना में विदेशियों की भर्ती का एलान किया है, तो बहुत कम रूसी जानने वाले नेपालियों ने उन्हें मदद के लिए फ़ोन करना शुरू किया. वो उनसे रूसी भाषा में मिल रहे फॉर्म भरने के लिए मदद मांग रहे थे.

राज ने बीबीसी नेपाली को बताया, ‘’मैंने अपने कई परिचित नेपालियों को आवेदन पत्र भरने में मदद की. यही लोग अब उन लोगों का मेरा नंबर दे रहे हैं जो रूसी सेना में भर्ती होना चाहते हैं.’’

राज नेपाल में पढ़ाई के लिए रूस जाने की इच्छा रखने वाले छात्रों की काउसिंलिंग किया करते थे. अब नेपाल के कई पूर्व सैनिक और छात्र उनसे रूसी सेना में भर्ती होने के लिए मदद मांग रहे हैं.

राज को दिन में एक बार 40-50 फोन कॉल आ जाते हैं. उनसे लोग यही पूछते हैं कि रूसी सेना में कैसे भर्ती हुआ जा सकता है. रूसी सेना में भर्ती होने का वीडियो पोस्ट करने वाले कुछ नेपाली युवकों ने ही बीबीसी को राज का पता दिया था.

राज कहते हैं कि उन्हें ये पता नहीं है कि नेपालियों के लिए रूसी सेना में भर्ती होना ग़ैर-क़ानूनी है या नहीं. वो कहते हैं कि अपनी सलाह के लिए कोई पैसा नहीं लेते. लेकिन उनकी सेवा लेने वाले कुछ नेपालियों ने दावा किया उन्होंने राज को दस हजार नेपाली रुपये दिए.

नेपाल सरकार के नियम क्या कहते हैं?

नेपाल सरकार ने पश्चिमी देशों की तरह यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की है. लेकिन उसका कहना है कि उसे इस बात का पता नहीं है कि उसके नागरिक रूसी सेना में भर्ती हो रहे हैं.

नेपाल के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता सेवा लामसाल ने बीबीसी नेपाली से कहा, ‘’ये हमारी नीतियों से मेल नहीं खाता.‘’

नेपाल, भारत और ब्रिटेन के बीच 1947 में एक त्रिपक्षीय संधि हुई थी. इसके तहत नेपाली नागरिक विदेशी सेना में भर्ती हो सकते थे. इस संधि में ये साफ़ लिखा था कि नेपाली नागरिक भारत और ब्रिटेन की सेना में भर्ती किए जाएंगे.

इसमें साफ़ लिखा है कि इन सेनाओं में शामिल होने वाले नेपाली ‘भाड़े के सैनिक’ नहीं माने जाएंगे.

ये संधि सिर्फ़ भारत और ब्रिटेन के साथ हुई थी. किसी और देश की सेना में नेपालियों को भर्ती को लेकर ऐसी कोई नीति नहीं है.

बीबीसी ने नेपाली ने इस मामले पर बात करने के लिए रूस में नेपाल के राजदूत मिलनराज तुलाधार से संपर्क किया.

तुलाधर ने बताया, ’’जो नेपाली नागरिक रूस में पढ़ने या घूमने आते हैं, वो कोई दूसरा काम नहीं कर सकते. नेपाल के नागरिक सिर्फ़ भारत और ब्रिटेन की सेना में भर्ती हो सकते हैं. ये तीनों देशों के संधियों की वजह से है. रूस के साथ नेपाल की ऐसी कोई संधि नहीं है.’’

उन्होंने कहा कि रूस की सेना में भर्ती होने वाले नेपाली लोग टिकटॉक पर जो वीडियो अपलोड कर रहे हैं उनकी असलियत का पता नहीं लगाया जा सकता.

कुछ अकाउंट्स से पोस्ट किए गए दस्तावेजों को बीबीसी की रूसी सर्विस ने वेरिफाई किया है. बीबीसी रूसी सेवा के पत्रकार आंद्रे कोज़ेन्को ने कम से कम ऐसे दो अकाउंट को चेक किया है, जिससे रूसी सेना के दस्तावेजों की तस्वीरें पोस्ट की गई हैं.

कोज़ेन्को कहते हैं, ‘’हमारे पास मौजूद दोनों दस्तावेज बताते हैं कि जिन दो लोगों ने ये दस्तावेज पोस्ट किए हैं वो रूसी सेना में काम कर रहे हैं.’’

इनमें इन लोगों की मिलिट्री रैंक, पूरा नाम और अभिभावकों के नाम दर्ज हैं. इनमें उन मिलिट्री यूनिटों का भी ज़िक्र है, जहां वो काम कर रहे हैं.

इस मामले पर बात करने के लिए बीबीसी रूस के रक्षा और विदेश मंत्रालय से ई-मेल के ज़रिये संपर्क किया.

इसके साथ ही नेपाल में रूसी दूतावास से भी संपर्क किया गया. हालांकि ये स्टोरी प्रकाशित होने के समय तक उनका कोई जवाब नहीं आया था.

नेपाली युवक रूसी सेना में क्यों भर्ती हो रहे हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल में अच्छे अवसरों की कमी है. यही वजह है कि नेपाल के युवा विदेशी सेनाओं में भर्ती होने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

त्रिभुवन यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्री टीकाराम गौतम कहते हैं, ”नेपाल के लोग भले ही काम करने या घूमने के लिए विदेश जाएं लेकिन उनका असली मक़सद वहाँ जाकर काम करना और पैसे कमाना है. हो सकता है कि नेपाली युवाओं ने इसलिए रूसी सेना की ओर आकर्षित हुए हैं जो पैसा उन्हें वहां कुछ महीनों में मिलेगा उसे कमाने में यहां वर्षों लग जाएंगे.’’

नेपाल सरकार के आँकड़े बताते हैं कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से अलग-अलग मक़सद के लिए 1729 नेपाली नागरिक रूस गए हैं.

नेपाल सरकार के आव्रजन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक़ पढ़ाई के लिए 749 नेपाली रूस गए हैं जबकि रोज़गार के लिए 356 लोग गए हैं.

राज की मदद से जो नेपाली सेना में भर्ती हुए थे, उनसे हमने बात की. उन्होंने वही बात बताई जो राज ने बताई थी.

रूसी सेना में काम करने का दावा करते हुए टिकटॉक वीडियो पोस्ट करने वाले एक शख्स ने बीबीसी नेपाली सेवा से कहा,’’ हम यहां पैसों के लिए आए हैं, जो कमाई हम यहां करते हैं वो नेपाल में नहीं कर पाते. दूसरे देशों में इतनी कमाई नहीं होगी. कोई भी ऐसा शख्स जिसे दिल की बीमारी न हो यहां आ सकता है.’’

एक और युवक ने कहा, ”अगर हम अपनी जान की परवाह करते नेपाल लौट जाएं तो वहां हमें क्या काम मिलेगा.’’

नेपालियों को रूस में कितना वेतन मिल रहा है?

रूस की सरकार उन लोगों को ज़्यादा वेतन देने का वादा करती है जो यूक्रेन में उनकी ओर लड़ेंगे. राज ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान नेपालियों को 60 हज़ार नेपाली रुपये के बराबर वेतन मिलता है.

रूसी मिलिट्री कैंप में ट्रेनिंग ले रहे एक शख़्स ने बताया कि उनके कॉन्ट्रैक्ट में लिखा गया गया है कि ट्रेनिंग के बाद उन्हें हर महीने 1,95,000 रूबल मिलेंगे’’

राज ने बताया, ‘’ये वेतन तीन लाख नेपाली रुपये के बराबर है. कॉन्ट्रैक्ट में ये भी कहा गया है कि एक साल पूरा होने पर पर सैनिकों को रूसी पासपोर्ट मिलेगा और इसके बाद वो अपने परिवार के सदस्यों को रूस भी ला सकेंगे.

इस स्टोरी में रूस गए नेपाली लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनकी तस्वीरें और पहचान छुपाई गई है.

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