वागनर ग्रुप की बग़ावत: पुतिन क्या अपना अंदाज़ बदल रहे हैं, प्रिगोज़िन से समझौते के क्या मायने

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DMT : रूस  : (26 जून 2023) : –

इस सप्ताह के आख़िर में अफ़रा-तफ़री के बाद अब मैं यह समझने लगा हूं कि रूस का राष्ट्रीय प्रतीक दो सिरों वाली चील क्यों है, जो विपरीत दिशाओं में देखती है.

सबसे पहले येवगेनी प्रिगोज़िन ने घोषणा की कि वो रूसी सेना के ख़िलाफ़ विद्रोह का रास्ता लेने जा रहे हैं. उसके बाद उन्होंने तुरंत यू-टर्न मारा और अपने वागनर लड़ाकों को बेस कैंप में जाने का हुक्म दिया.

टीवी पर अपने भाषण में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की थी कि विद्रोह ‘एक आपराधिक काम, एक गंभीर अपराध, देशद्रोह, ब्लैकमेल और आतंकवाद है.’

इसके कुछ ही घंटों के बाद प्रिगोज़िन के साथ एक समझौते के तहत ये एलान किया गया कि वागनर नेता के ऊपर से सभी आपराधिक मुक़दमों को वापस ले लिया गया है. ‘गंभीर अपराध’ के लिए ये सबकुछ किया गया.

क्रेमलिन के नेता के मिलेजुले संदेश सवाल खड़े कर रहे हैं और ये राष्ट्रपति पुतिन के बदलते नज़रिए को दिखा रहा है.

पुतिन क्या कमज़ोर हुए हैं?

नेज़ाविसिमाया गैज़ेटा के एडिटर-इन-चीफ़ और मालिक कोंस्टेंटिन रेमचुकोफ़ कहते हैं, “वाक़ई में वो अब कमज़ोर लग रहे हैं.”

“आप सार्वजनिक रूप से भाषण देकर लोगों को अपराधी घोषित नहीं कर सकते हैं और फिर तुरंत उसी दिन के आख़िर में आपका प्रेस सेक्रेट्री आप से असहमत होते हुए इसे ख़ारिज कर दे और कहे कि ‘किसी ने भी आपराधिक क़ानून नहीं तोड़ा है’.”

रूस के आर्थिक विकास के पूर्व मंत्री आंद्रेई नेचिएव का भी यही तर्क है.

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में नेचिएव ने कहा, “क़ानून अब अपनी सारी ताक़त खो चुका है. राजनीतिक मुनाफ़े की वजह से अब गंभीर अपराधों के लिए भी दंड नहीं दिया जाएगा. सुबह में आपको देशद्रोही घोषित किया जा सकता है. वहीं शाम होते-होते आपको माफ़ी दी जा सकती है और आपके ख़िलाफ़ सभी अपराध के मामले ख़त्म किए जा सकते हैं.”

“ये बिलकुल साफ़ है कि देश एक बड़े बदलाव की दहलीज़ पर खड़ा है.”

‘बड़ा बदलाव’ कहना एक बड़ा अनुमान लगाना है, लेकिन अगर बदलाव आ रहा है तो क्या वागनर के विद्रोही इसका कारण हैं?

एक सौदा हो चुका है और बग़ावत फ़िलहाल टाल दी गई है. लेकिन ये भी तथ्य है कि बग़ावत पुतिन की नाक के नीचे हुई और ये राष्ट्रपति के लिए बेहद शर्मिंदगी भरा है जो कि रूसी सैन्य बलों के कमांडर-इन-चीफ़ हैं.

और ये बात भी ध्यान रखने वाली है कि पुतिन का वर्तमान राष्ट्रपति कार्यकाल अगले साल ख़त्म हो रहा है.

क्या क्रेमलिन में बदलाव होगा?

रेमचुकोफ़ अनुमान लगाते हुए कहते हैं, “सभी एलीट ग्रुप अब 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के बारे में सोचना शुरू करेंगे. वे ख़ुद से पूछेंगे कि व्लादिमीर पुतिन पर उन्हें भरोसा करना चाहिए जैसे वो इस सैन्य तख़्तापलट की कोशिश के समय तक करते रहे थे.”

“या फिर उन्हें किसी नए नेता के बारे में सोचना चाहिए जो समसामयिक ढंग से समस्याओं से निपटने में ज़्यादा सक्षम हो.”

राष्ट्रपति के लिए ‘कोई नया’ चुना जाए ऐसी चर्चा रूसी एलीट समूह में होना आम बात नहीं है.

इसका ये भी मतलब नहीं है कि क्रेमलिन में बदलाव होने जा रहा है. 23 साल तक सत्ता में रहने के बाद व्लादिमीर पुतिन जो कर पाए हैं वो ये है कि वो राजनीतिक रूप से ज़िंदा रहने की कला सीख गए हैं.

लेकिन बीते साल यूक्रेन के ख़िलाफ़ हमले के बाद उनके ही देश में अस्थिरता तेज़ी से फैली है. इसमें कई चीज़ें हुई हैं जिनमें आर्थिक दिक़्क़तों से लेकर रूसी क्षेत्रों पर ड्रोन हमले शामिल हैं. यूक्रेन से सटी रूसी सीमाओं पर हमले भी हुए हैं और अब वागनर समूह का हथियारबंद विद्रोह भी देश ने देख लिया है.

इस तरह के उतार-चढ़ाव ने क्रेमलिन नेता के ऊपर ज़बरदस्त दबाव डाला है.

हालांकि, यह उम्मीद न करें कि राष्ट्रपति पुतिन यह मान लेंगे कि उनसे ग़लती हुई है. ग़लतियों और ग़लत अनुमान को स्वीकार करना उनका स्टाइल नहीं है.

तो अब रूसी राष्ट्रपति का अगला क़दम क्या होगा?

रूस के सरकारी टीवी चैनल के रात के ख़ास न्यूज़ शो संडे में इस सवाल का जवाब मिला है. वागनर ग्रुप के विद्रोह की रिपोर्टिंग के दौरान प्रेज़ेंटर ने पुतिन के पुराने इंटरव्यू की एक क्लिप चलाई जिसमें उनसे पूछा जा रहा है:

“क्या आप माफ़ कर देते हैं?”

“हां, लेकिन सबकुछ नहीं.”

“तो आप क्या माफ़ नहीं कर सकते हैं?”

“विश्वासघात.”

मुझे हैरत होगी अगर येवगेनी प्रिगोज़िन इसे देख रहे होंगे.

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