सतीश कौशिक की 66 साल की ज़िंदगी और उनकी बेफ़िक्री के क़िस्से

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DMT : मुंबई : (09 मार्च 2023) : –

लोकप्रिय फ़िल्मकार और अभिनेता सतीश कौशिक का 66 साल की उम्र में निधन हो गया है.

सतीश कौशिक के भतीजे निशान कौशिक ने बीबीसी हिन्दी को बताया है कि सतीश कौशिक गुरुग्राम में अपने एक दोस्त के घर होली मनाने गए थे और वहीं उन्हें दिल का दौरा पड़ा.

इसके बाद उन्हें फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी.

सतीश कौशिक की बेफ़िक्री

बात 2005 की है. दो साल पहले सतीश कौशिक ने बतौर डायरेक्टर तब तक की अपनी सबसे बड़ी हिट फ़िल्म ‘तेरे नाम’ बनाई थी और अब बॉक्स ऑफ़िस पर उनकी नई फ़िल्म ‘वादा’ रिलीज़ होने वाली थी.

उन दिनों हम ‘स्टार न्यूज़’ चैनल के सबसे जूनियर रिपोर्टर हुआ करते थे और चंद महीनों के लिए तैनाती मुंबई में थी. सुबह एडिटोरियल मीटिंग में अगर आपके पास कोई स्टोरी-आइडिया नहीं होता था तो असाइनमेंट डेस्क आपको एक काम पकड़ा देती थी जिसे शाम तक करना होता था.

उस दिन का काम सतीश कौशिक का इंटरव्यू करना था. राजीव मसंद बॉलीवुड कवर करने वाली टीम के चीफ़ थे और उन्होंने हमारे लिए ये इंटरव्यू महज़ एक घंटे में फ़िक्स कर दिया.

मुंबई के जूहु इलाक़े में सतीश कौशिक से मिलना था और ‘मिस्टर इंडिया’ के ‘कैलेंडर’ से मुलाक़ात को लेकर एक अजीब सी ख़ुशी थी मन में.

दोपहर एक बजे के आसपास उनके ऑफ़िस में दाखिल होकर रिसेप्शन पर वेट कर ही रहे थे कि देखा चर्नी रोड की मशहूर ‘तिवारी स्वीट्स’ के दो बड़े लिफ़ाफ़े लिए हुए एक आदमी भीतर गया.

पांच मिनट बाद अंदर पहुँचने पर सतीश कौशिक ने नज़र ऊपर उठाकर कहा, “बेटा, कुछ खा-पी लो पहले, फिर बात करेंगे आराम से”.

टेबल पर सफ़ेद कांच की दो-तीन प्लेटों पर ख़स्ता और कचौरी रखी हुई थीं, जिसे सतीश कौशिक सूखे आलू की सब्ज़ी के साथ खा रहे थे.

हमें भी खिलाई और बातचीत ख़ुद ही शुरू करते हुए बोले, “यार हम ठहरे पंजाब-दिल्ली वाले. अब मुंबई में वहीं के खाने तलाशते रहते हैं. जब किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली में पढ़ते थे तब हर हफ़्ते करोलबाग वाली ‘रौशन दी क़ुल्फ़ी’ की दुकान बस पकड़ कर जाते थे. वहाँ चना-भटूरा खाता था. यार वो क्या टेस्टी बनाते हैं!”

उनके दफ़्तर में वैष्णो देवी की एक तस्वीर रखी हुई थी, पीछे तेरे नाम का एक पोस्टर था और ‘जाने भी दो यारों’ के लिए जीती गई एक ट्रॉफ़ी भी थी.

उन्होंने बताया था, “जाने भी दो यारो के लिए जब मैंने डायलॉग लिखे तब नहीं पता था कि उसे इतना क्लासिक दर्जा मिलेगा. हम वैसा ही कुछ कर रहे थे जो एनएसडी या एफ़टीआईआई में सीखा था”.

मुझे याद है, मैंने उनसे कहा था, “सर, मैंने मिस्टर इंडिया छह-सात दफ़ा देखी है क्योंकि उसमें आपका कैलेंडर वाला और अमरीश पुरी का मोगैम्बो वाला किरदार ज़बरदस्त था”.

सतीश कौशिक हँसने लगे और बताया, “यार, मैं तो बस वही एक्ट करने की कोशिश कर रहा था जो सलीम-जावेद साहब ने लिख दिया था. वैसे मैं मुंबई फ़िल्म इंडस्ट्री में कॉमेडियन बनने ही आया था

क्योंकि मुझे महमूद साहब और जॉनी वॉकर साहब बेहद पसंद थे. दिल में कहीं एक भरोसा भी था कि मैं भी लोगों को हँसा सकता हूँ. डायरेक्टर तो बाद में बना मैं. मेरा पहला प्यार कॉमेडी ही है दोस्त.”

सलीम-जावेद का साथ में यह आख़िरी काम था. कहा जाता है कि इसके बाद ही दोनों के बीच अनबन की शुरुआत हुई थी.

सतीश कौशिक को बेहद पसंद था दिल्ली का खाना

सतीश कौशिक में एक ख़ास बात ये भी थी कि वे थोड़ी-थोड़ी देर में दिल्ली में बिताए गए अपने कई सालों को बार-बार याद करते थे.

पता चलने पर कि मैंने भी पढ़ाई दिल्ली से की थी, उन्होंने पूछा, “खाने-पीने का शौक़ है?” मैंने कहा, “जी”.

फिर पूछा, “चलो अब दिल्ली के अपने पांच फ़ेवरिट रेस्टोरेंट बताओ”.

इसके पहले कि मैं गिनता, ख़ुद बोल बैठे, “अच्छा छोड़ो, मेरा सुनो. नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के दिनों में खाना या तो पुरानी दिल्ली से पैक करवाते थे हम लोग या फिर पहाड़गंज के होटलों से. क्या ख़ूब बनाते हैं यार. ऊपर से देसी घी डाल देते हैं, ओह हो! आज भी मौक़ा मिलता है तो दिल्ली में चुपके से मँगवा के खा लेता हूँ. यार, अब ये मत कहना कि मेरा बढ़ा हुआ वज़न उसी की वजह से है.”

सतीश कौशिक ये कहने के बाद खिलखिलाकर हँसे थे.

अजीब इत्तेफ़ाक है कि 18 साल पहले हुई उस मुलाक़ात के बाद उनसे तीन बार जब भी मिलना हुआ तो दिल्ली हवाई अड्डे पर ही हुआ.

पिछले साल मुझे असम की फ़्लाइट लेनी थी और वे मेंबर्स लाउंज के कोने में बैठे हुए अपने फ़ैन्स को सेल्फ़ी खींचने दे रहे थे.

दस मिनट इंतज़ार करने के बाद मैंने उन्हें ‘वादा’ के समय लिए हुए अपने इंटरव्यू की याद दिलाई.

सतीश कौशिक ने कहा, “अरे वो सब छोड़ो यार. सोच रहा हूँ तेरे नाम-2 बना दूँ. दिल्ली में भी शूट करेंगे तो और मज़ा आएगा.”

दिल्ली से उनकी मोहब्बत बेपनाह थी. इसी दिल्ली में सतीश कौशिक ने आख़िरी साँस भी ली.

बॉलीवुड में दौड़ी शोक की लहर

सतीश कौशिक के साथ एनएसडी में पढ़ चुके अनुपम खेर ने अपने दोस्त के निधन पर दुख जताते हुए ट्वीट कर लिखा है, “मृत्यु ही इस दुनिया का अंतिम सच है. पर ये बात मैं जीते जी कभी अपने जिगरी दोस्त सतीश कौशिक के बारे में लिखूँगा, सपने में भी नहीं सोचा था. 45 साल की दोस्ती पर ऐसे अचानक पूर्णविराम! तुम्हारे बिना कभी ज़िंदगी पहले की तरह नहीं होगी, ओम् शांति!”

सतीश कौशिक के असामयिक निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर है.

जाने-माने फ़िल्मकार मधुर भंडारकर ने दुख जताते हुए लिखा है, ”अभिनेता और निर्देशक सतीश कौशिक जी की मौत से मैं स्तब्ध हूँ. कौशिक एक ऊर्जावान व्यक्ति थे. उनके लाखों प्रशंसक और फ़िल्म इंडस्ट्री उन्हें बहुत याद करेंगे. मेरी तरफ़ से विनम्र श्रद्धांजलि.”

सतीश कौशिक दो दिन पहले ही जाने-माने गीतकार जावेद अख़्तर के घर पर होली खेलते दिखे थे. और उन्होंने होली खेलते हुए अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की थीं.

इन तस्वीरों में वह जावेद अख़्तर, रिचा चड्ढा, महिमा चौधरी और अली फ़ज़ल के साथ दिख रहे हैं.

सतीश कौशिक का जन्म 13 अप्रैल, 1956 को हुआ था. कौशिक अभिनेता, प्रोड्यूसर, कॉमेडियन और स्क्रीनराइटर थे.

उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रैजुएशन और बाद में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पढ़ाई की थी. कौशिक ने राम लखन, साजन चले ससुराल, जाने भी दो यारों और मिस्टर इंडिया जैसी नामी फ़िल्मों में अभिनय किया है.

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