हमास के इसराइल पर इतने बड़े पैमाने पर हमले के बाद अब आगे क्या होगा?

Crime Hindi International

DMT : हमास  : (08 अक्टूबर 2023) : –

1973 में इसराइल पर मिस्र और सीरिया के अचानक हुए हमले के क़रीब पांच दशक बाद शनिवार को फ़लस्तीनी लड़ाकों ने इसराइल पर बड़ा हमला कर दिया.

शबात यानी यहूदियों के छुट्टी के दिन, फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट हमास का ये हमला भी ऐसे वक्त हुआ जब किसी को इसकी उम्मीद नहीं थी.

1973 को हुई इस लड़ाई को अक्तूबर युद्ध, पहला अरब-इसराइली युद्ध या फिर योम किप्पुर युद्ध के नाम से जाना जाता है.

इस लड़ाई में सीरिया ने गोलान हाइट्स की तरफ से और मिस्र ने सुएज़ नहर की तरफ से इसराइल पर हमला कर दिया और तेज़ी से इसराइल के भीतर दाखिल होने लगे.

इसराइल ने अमेरिका की मदद मांगी तो सोवियत संघ मिस्र और सीरिया के पक्ष में आकर खड़ा हो गया और ये युद्ध और तीव्र हो गया.

कई दिनों तक चले इस संघर्ष के बाद इसराइल को सिनाई प्रांत से अपनी सेना पूरी तरह हटानी पड़ी थी.

शनिवार को हमास ने इसराइल के ख़िलाफ़ ‘अल-अक़्सा स्टॉर्म’ अभियान छेड़ दिया. एक तरफ हमास ने इसराइल पर ताबड़-तोड़ हज़ारों रॉकेट बरसाए, तो दूसरी तरफ़ ज़मीन के रास्ते उसके लड़ाके कई जगहों से सीमा पार कर इसराइल के भीतर घुस आए.

अब तक मिल रही ख़बरों के अनुसार हमले के कारण इसराइल में अब तक 250 लोगों की मौत हुई है और माना जा रहा है कि हमास ने कई इसराइलियों को बंधक बना लिया है.

वहीं ग़ज़ा में अधिकारियों के अनुसार इसराइल की जवाबी कार्रवाई में अब तक 250 लोगों की जान गई है.

हाल के दिनों में ग़ज़ा पट्टी पर तनाव बढ़ने लगा था, लेकिन लोगों का ये मानना था कि न तो फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट हमास, न ही ग़ज़ा का प्रशासन देख रहे इस्लामी गुट और न ही इसराइल इसे बढ़ाना चाहता है.

लेकिन हमास इसे लेकर एक बेहद जटिल और सुनियोजित अभियान तैयार करने में व्यस्त था. शनिवार सवेरे उसने इसे अंजाम दिया और इसराइल पर ताबड़तोड़ रॉकेटों की बारिश कर दी.

उसने इसराइल पर 7 हज़ार से ज़्यादा रॉकेट दागने का दावा किया है. कुछ रॉकेट येरुशलम और तेल अवीव तक पहुंचे. दूसरी तरफ फ़लस्तीनी लड़ाके ज़मीन और समंदर के रास्ते दक्षिण इसराइल में दाखिल हुए.

कई घंटों तक इन लड़ाकों ने इसराइली शहरों और आर्मी पोस्ट्स को अपने कब्ज़े में रखा. इसराइल में उन्होंने कई लोगों की हत्या की और कई आम इसराइलियों और सैनिकों को बंधक बनाकर अपने साथ ग़ज़ा ले गए.

शनिवार को पूरे दिन हमास के हमले की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर जा रही थीं और इस ख़बर को मुख्यधारा की मीडिया लाइव कवर कर रही थी.

रात को ग़ज़ा से सटी सीमा के पास पार्टी के लिए एकत्र हुए हज़ारों इसराइली नागरिक उस वक्त चौंक गए जब वो अचानक हमले की ज़द में आ गए.

सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में देखा गया कि खुले मैदान में सैंकड़ों लोग जान बचाने के लिए इधर उधर भाग रहे हैं.

गिली योस्कोविच ने बीबीसी को बताया कि वो हथियारबंद लड़ाकों से जान बचाने के लिए पेड़ों की आड़ में छिप गई थीं और उनके साथी उनकी तलाश में आए थे.

उन्होंने कहा, “वो लोग एक पेड़ से दूसरे पेड़ की तरफ जा रहे थे और गोलियां चला रहे थे. वो दोनों तरफ से गोलियां चला रहे थे, मैंने देखा कि हर तरफ लोगों की लाशें पड़ी हैं.”

“मैंने खुद से कहा ‘कोई बात नहीं, मैं मरने वाली हूं. बस सांस लो और अपनी आंखें बंद करो.’ वो लोग हर तरफ गोलियां चला रहे थे. वो मेरे बेहद नज़दीक थे.”

वो कहती हैं, “उन्होंने मुझे संदेश भेजा कि शेल्टर में आतकंवादी घुस आए हैं. मैंने टेलीग्राम पर उनकी तस्वीरें देखीं जो ग़ज़ा के भीतर ली गई थीं. मैं अभी भी गोलियां चलने की आवाज़ सुन रही थी.”

ग़ज़ा में क्या रही शुरुआती प्रतिक्रिया?

कई इसराइलियों ने आश्चर्य जताया है कि घटना को देखते हुए इसराइली डिफेन्स फोर्सेस ने उतनी तेज़ी से प्रतिक्रिया नहीं दी जितनी उनसे अपेक्षित थी. उनका कहना है कि वो लोगों की मदद के लिए जल्दी नहीं आई.

इस बीच हमास के चैनल में पोस्ट किए जा रहे फुटेज में देखा जा सकता है कि इसराइली आर्मी के पोस्ट और टैंकों पर फ़लस्तीनी लड़ाकों ने कब्ज़ा किया है और वो इसराइली सैनिकों को मार रहे हैं.

ग़ज़ा से मिल रही शुरुआती तस्वीरों में हमले के बाद लोग जश्न मना रहे हैं, फ़लस्तीनी लड़ाके इसराइली सेना की गाड़ियां लूटकर उनमें घूम रहे हैं.

ग़ज़ा सिटी के एक युवा ने बीबीसी से कहा, “हमास ने जो किया मैं उससे खुश हूं, अल-अक़्सा में इसराइल ने जो कुछ किया है हमास ने उसका बदला लिया है.”

इन युवा का इशारा इसराइल के कब्ज़े वाले पूर्वी येरूशलम से सटे अल-अक़्सा मस्जिद के परिसर से है जहां बीते दिनों यहूदी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई है.

अल-अक़्सा मस्जिद को इस्लाम में तीसरी सबसे पवित्र जगह माना जाता है, वहीं यहूदी भी इसे अपनी सबसे पवित्र जगह मानते हैं, वो इसे टेम्पल माउन्ट कहते हैं.

ग़ज़ा में प्रशासन ने चेतावनी जारी की है कि इसराइल पास के इलाक़े पर हमला कर सकता है लेकिन ये युवा अपने घर से बाहर निकलना चाहते हैं.

उनका कहना है, “हमें अपने भविष्य की चिंता है, 2021 में इसराइल में शोरुक टावर पर हमला किया था, उस वक्त मेरे परिवार की दुकान तबाह हो गई थी. इस बार हमास ने जो हमला किया है वो पहले के मुक़ाबले कहीं बड़ी कार्रवाई है, इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं कि इसराइल की जवाबी कार्रवाई भी उतनी ही बड़ी होगी.”

इसराइली हवाई हमलों ने फ़लस्तीनी इलाक़ों में भारी नुक़सान पहुंचाया है. इन हमलों का नतीजा ये हुआ है कि फ़लस्तीन में अस्पतालों में घायलों की बहुत अधिक संख्या बढ़ गई है.

क़रीब 23 लाख फ़लस्तीनी नागरिकों की रिहाइश का ठिकाना बनी ग़ज़ा पट्टी पर हमास ने साल 2007 में कब्ज़ा कर लिया था. इसके एक साल पहले उसने यहां के संसदीय चुनावों में जीत हासिल की थी.

इस वक्त इसराइल और मिस्र ने इस इलाक़े के साथ सटी सीमा पर नाकेबंदी और सख्त कर दी थी. इस इलाक़े में बेरोज़गारी की दर क़रीब 50 फ़ीसदी है.

2021 में इसराइल और हमास के बीच तनाव बढ़ गया था जिसके बाद मिस्र, क़तर और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में दोनों के बीच समझौता हुआ था. दोनों में इस बात पर सहमति बनी कि ग़ज़ा में रह रहे लोगों को इसराइल में काम करने का परमिट मिलेगा और कुछ पाबंदियों को हटाया जाएगा, बदले में हमास को सीमा पर शांति कायम रखनी होगी.

आगे क्या होगा?

बीते महीने जब सैंकड़ों की संख्या में फ़लस्तीनी लोग पांच साल पहले की तरह सीमा पर लगी बाड़ के पास इकट्ठा होना शुरू होने लगे तो ये माना गया कि इसमें हमास की सहमति होगी. ये माना गया कि ऐसा कर हमास इसराइल से अधिक रियायतें चाहता था और चाहता था कि क़तर भी उसकी मदद राशि में बढ़ोतरी करे.

लेकिन ये छोड़ी-छोटी रैलियां अब ख़तरे की घंटी की तरह जान पड़ती हैं. कुछ लोगों का कहना है कि कहीं ये बाड़ का सर्वे तो नहीं था ताकि ये पता लगाया जा सके कि कहां से बाड़ में सेंध लगाना संभव हो सकता है.

ऐसा लग रहा है कि हमास अपने ताज़ा अभियान के साथ अपनी उस छवि को एक बार फिर साफ करना चाहता है कि वो एक विद्रोही गुट है और उसका मूल उद्देश्य इसराइल का ख़त्मा करना है.

शनिवार को अल-अक़्सा स्टॉर्म अभियान की शुरुआत में हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद दईफ़ ने फ़लस्तीनियों और अन्य अरब समुदायों से अपील की कि “इसराइली कब्ज़े को हटाने की इस मुहिम में वो भी अपना योगदान करें.”

लेकिन एक बड़ा सवाल ये है कि क्या वेस्ट बैंक के कब्ज़े वाले इलाक़ों, पूर्वी येरुशलम या फिर किसी और इलाक़े में रह रहे फ़लस्तीनी हमास की इस अपील को सुनेंगे.

इसमें कोई शक नहीं कि इसराइल इस घटना में एक ऐसे युद्ध की संभावना देख रहा है जिसे कई मोर्चों पर लड़ा जा सकता है.

इसमें एक संभावना ये भी है कि इस तनाव में लेबनान के ताकतवर चरमपंथी गुट हिज़बुल्लाह की एन्ट्री हो सकती है, ऐसा हुआ तो स्थिति बेकाबू हो सकती है.

रविवार को इसराइल ने कहा है कि हिज़बुल्लाह हमास के साथ लड़ाई के दौरान बीच में न पड़े. हिज़बुल्लाह शिया इस्लामी राजनीतिक, सैन्य और सामाजिक संगठन है. इसका लेबनान पर काफी असर है और हमास की तरह इसे भी ईरान का समर्थन हासिल है.

इस बीच इसराइल ने बड़े पैमाने पर सेना की लामबंदी शुरू कर दी है. इसराइल ने ग़ज़ा पर जवाबी हमले शुरू कर दिए हैं और इशारा किया है कि वो यहां ज़मीनी स्तर पर भी अभियान की योजना बना रहा है.

लेकिन हमास ने हमले के दौरान बड़ी संख्या में इसराइली सैनिकों और नागरिकों को बंधक बनाया है, जिनका इस्तेमाल वो मानव ढाल के रूप में या फिर सौदेबाज़ी के लिए कर सकते हैं. ये समस्या अपने आप हालात को और जटिल बना रहे हैं.

इसराइली डिफेन्स फोर्सेस ने प्रवक्ता रीयर एडमिरल डेनियल हगारी ने कहा, “हम फिलहाल इलाक़े पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश में हैं, हम व्यापक तौर पर हमले कर रहे हैं और विशेष रूप से ग़ज़ा पट्टी के आसपास के इलाक़ों को संभालने में व्यस्त हैं. हम इसकी गहन समीक्षा करेंगे.”

इस घटना की पूरी समीक्षा होने में अभी कुछ देर लग सकती है लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि इसराइली ख़ुफ़िया एजेंसी और सुरक्षा संगठन खुद से ये सवाल कर रहे होंगे कि उनकी नज़रों से बचकर इतनी बड़ी कार्रवाई को हमास ने कैसे अंजाम दिया और क्यों वो इतनी बड़ी तबाही को रोक पाने में नाकाम रही.

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