DMT : नयी दिल्ली : (13 अक्टूबर 2023) : – सुप्रीम कोर्ट ने दो बच्चों की मां को 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने वाले आदेश को वापस लेने की केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उसे एक अजन्मे बच्चे के अधिकारों तथा स्वास्थ्य के आधार पर उसकी मां के स्वायत्त निर्णय लेने के अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करना होगा। दो बच्चों वाली एक विवाहित महिला को 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जाए या नहीं, इस पर असमंजस का सामना करते हुए, प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने महिला के वकील से पूछा कि क्या वह (याचिकाकर्ता) चाहती है कि शीर्ष अदालत एम्स के डॉक्टरों को न्यायिक आदेश के तहत ‘जीवित और सामान्य रूप से विकसित भ्रूण’ की धड़कन रोकने के लिए कहे। पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने केंद्र और महिला के वकील को उससे (याचिकाकर्ता से) गर्भावस्था को कुछ और हफ्तों तक बरकरार रखने की संभावना पर बात करने को कहा।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘हम बच्चे को नहीं मार सकते।’ अदालत इस नैतिक दुविधा से जूझ रही थी कि बच्चे के जन्म का आदेश दिया जाए या मां की पसंद का सम्मान किया जाए।’
इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील ने गर्भ समाप्त करने के पक्ष में जोरदार दलील दी। पीठ ने कहा, ‘यह किसी नाबालिग पीड़िता का मामला नहीं है और न ही यौन हिंसा की शिकार का मामला। याचिकाकर्ता विवाहिता है। उसके दो बच्चे हैं। वह 26 सप्ताह तक क्या कर रही थी?’