आदिपुरुष ही नहीं नेपाल में धर्मेंद्र से लेकर ऋतिक तक को लेकर हो चुका है विवाद

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DMT : नेपाल  : (27 जून 2023) : –

बॉलीवुड फ़िल्म आदिपुरुष के एक विवादित डायलॉग ने पिछले हफ़्ते नेपाल में हलचल मचा दी.

इस फ़िल्म को दुनियाभर में बड़े धूमधाम से रिलीज़ किया गया था और कहा गया कि इसे बहुत अधिक लागत पर बनाया गया था, लेकिन इसके रिलीज़ होते ही भारत ही क्या नेपाल में भी विवाद हो गया.

मशहूर भारतीय अभिनेता धर्मेंद्र, अक्षय कुमार, माधुरी दीक्षित जैसे अभिनेताओं की फ़िल्मों को लेकर नेपाल में पहले भी ऐसी विवादित घटनाएं हो चुकी हैं और इनकी आलोचनाएं भी ख़ूब हो चुकी हैं.

साल 2000 में बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन से जुड़े मामले ने एक बड़े ‘आंदोलन’ का रूप ले लिया था.

काठमांडू शहर के मेयर बालेंद्र शाह ‘बालेन’ ने घोषणा की है कि वह तब तक काठमांडू के सिनेमाघरों में किसी भी हिंदी फ़िल्म की स्क्रीनिंग नहीं होने देंगे, जब तक कि फ़िल्म आदिपुरुष से एक विवादित डायलॉग को हटा नहीं दिया जाता है.

इसके तुरंत बाद, नेपाल के दूसरे सबसे बड़े शहर पोखरा की नगर पालिका ने भी इसी तरह के प्रतिबंध की घोषणा कर दी.

धरान उप-महानगर पालिका के प्रमुख हरक संपंग राय ने भी घोषणा की है कि उनके क्षेत्र में आदिपुरुष की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

हालाँकि फ़िल्म को देश के कुछ प्रमुख शहरों में प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन इसका असर पूरे देश में महसूस किया गया.

विभिन्न छात्र संगठनों के सिनेमाघरों में पहुंचने और फ़िल्म को न दिखाने की चेतावनी दी. इसके बाद सुरक्षा चुनौतियों के कारण सिनेमाघरों ने फ़िल्म का प्रदर्शन बंद कर दिया.

काठमांडू में चल रही एक फ़िल्म को बंद करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है.

अलग-अलग महानगरों के मेयर ने फ़िल्म से ‘जानकी एक भारतीय बेटी है’ वाले ‘आपत्तिजनक डायलॉग’ को हटाने की मांग की है और डायलॉग दुरुस्त करने के लिए तीन दिन का समय दिया था.

आदिपुरुष में बताए गए डायलॉग को लेकर नेपाल में अलग-अलग राय है.

जिस फ़िल्म में सीधे तौर पर ऐसे डायलॉग नहीं हैं, उसका विवरण भी सार्वजनिक कर दिया गया है.

विवादों के बीच सिनेमाघरों में सभी भारतीय फ़िल्मों की स्क्रीनिंग पर रोक लगने के बाद हितधारकों ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया.

पिछले सप्ताह दायर एक मामले की सुनवाई करते हुए, पाटन उच्च न्यायालय ने भारतीय फ़िल्मों की स्क्रीनिंग जारी रखने के लिए एक अल्पकालिक अंतरिम आदेश दिया.

इसके बाद से विक्की कौशल और सारा अली खान अभिनीत बॉलीवुड फ़िल्म ‘ज़रा हटके ज़रा बचके’ सिनेमाघरों में दोबारा रिलीज़ हो गई है.

लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी आदिपुरुष को लेकर बनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.

फ़िल्म के वितरक मनोज राठी के अनुसार, आदिपुरुष फ़िल्म ने अतीत में हुए ऋतिक रोशन विवाद की कड़वी यादें ताज़ा कर दी हैं.

उनका कहना है कि जब ऋतिक रोशन कांड हुआ था तो कुछ महीनों तक लोग थिएटर नहीं आए थे.

नेपाल में भारतीय फ़िल्मों को लेकर कई बार विवाद खड़े हो चुके हैं, कुछ मामलों में तो अभी तक ठोस वजह सामने नहीं आई है.

इनमें से कुछ विवादों को सामान्य रूप से सुलझा लिया गया, जबकि कुछ विवादों के कारण आम लोगों की जान तक चली गई.

नेपाली लेखक और फ़िल्म निर्माता प्रकाश सायमी कहते हैं कि भले ही नेपाल में भारतीय फ़िल्मों को लेकर राजनीतिक स्तर पर हलचल हो, लेकिन नेपाल में तुलनात्मक रूप से अन्य देशों की तुलना में हिंदी फ़िल्में दिखाने का चलन देर से शुरू हुआ था.

उनके अनुसार, उस समय अंग्रेज़ी फ़िल्में लोकप्रिय थीं, ख़ासकर काठमांडू के सिनेमाघरों में.

सायमी कहते हैं, ”भारतीयों ने अच्छा प्रदर्शन किया तो धीरे-धीरे हिंदी फ़िल्मों का बाज़ार बढ़ता चला गया. बाद में जब एक हिंदी फ़िल्म रिलीज़ हुई तो एक प्रसिद्ध पत्रिका के विज्ञापन में ‘रिलीज़िंग ऑल ओवर इंडिया एंड नेपाल’ (भारत और नेपाल के सभी शहरों में प्रदर्शित होने के लिए) लिखा गया था.”

उनके मुताबिक़, 1970 के दशक से काठमांडू, पूर्वी नेपाल और तराई में हिंदी फ़िल्मों का बाज़ार फलने-फूलने लगा.

सायमी कहते हैं, ”चूंकि उस समय नेपाल का बाज़ार भारतीय निर्माताओं के लिए ‘बहुत महत्वपूर्ण’ था, इसलिए नेपाल और भारत दोनों के फ़िल्म निर्माता अक्सर एक योजना तैयार करने पर सहमत होते थे ताकि उनके पड़ोसियों को नुकसान न हो.”

उस समय, नेपाली फ़िल्म निर्माताओं ने काफी हद तक इसका पालन किया, लेकिन ऐसे उदाहरण भी हैं जहां भारत में बनी फ़िल्मों में नेपाली लोगों को चौकीदार जैसी भूमिकाओं में दिखाया गया.

नेपाल में धर्मेंद्र को लेकर विवाद

नेपाल में भारतीय फ़िल्मों या अभिनेताओं को लेकर कई विवाद खड़े हो चुके हैं. 70 के दशक में भारत में ख़ूब नाम कमाने वाले अभिनेता धर्मेंद्र भी ऐसे ही विवादों में फंस गए थे.

जानकारों के मुताबिक़ विवाद इतना बड़ा हो गया कि फ़िल्म ‘चिराग’ के बाद काफी समय तक अभिनेता धर्मेंद्र की सभी फ़िल्में नेपाल में नहीं दिखाई गई थीं.

यह भी कहा जाता है कि निर्माताओं ने धर्मेंद्र को अपना वेतन कम करने के लिए मजबूर किया था क्योंकि उनकी फ़िल्म नेपाल में प्रदर्शित नहीं की जाएगी, जो भारतीय फ़िल्मों के लिए एक अच्छा बाज़ार है.

ऐसा क्या हुआ जिसके कारण धर्मेंद्र को नेपाल से बाहर कर दिया गया?

सायमी के मुताबिक़, विवाद की शुरुआत उन नेपाली छात्रों से जुड़ी है जो 1970 के दशक में भारतीय शहर उदयपुर में पढ़ने गए थे. बताया जाता है कि एक हिंदी फ़िल्म की शूटिंग के दौरान टीम और नेपाली छात्रों के बीच विवाद हो गया था.

विवाद बढ़ने पर दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए. इस दौरान जो नेपाली छात्र इस घटना में शामिल नहीं थे, उन पर भी फ़िल्म की टीम द्वारा हमला किया गया.

सायमी का कहना है कि जवाब में, नेपाली छात्रों ने उस होटल पर हमला किया जहां फ़िल्म में शामिल कलाकार ठहरे हुए थे.

यह राज खोसला द्वारा निर्मित फ़िल्म ‘मेरा गांव मेरा देश’ का किस्सा है. फ़िल्म में धर्मेंद्र, विनोद खन्ना और आशा पारेख जैसे कलाकार थे.

सायमी बताते हैं, “नेपाली छात्रों ने होटल (जहां भारतीय अभिनेता ठहरे हुए थे) पर हमला किया और उसे जलाने की धमकी दी. इसके बाद धर्मेंद्र, विनोद खन्ना और कबीर बेदी, उस होटल में आए जहां छात्र ठहरे हुए थे और माफी मांगी. और यहीं से यह सब शुरू हुआ.”

सायमी का कहना है कि जब उस समय भारत में पढ़ रहे छात्रों के एक संगठन नेपाल स्टूडेंट यूनियन ने अपने देश में एक पत्र भेजकर धर्मेंद्र द्वारा नेपाली छात्रों के साथ किए गए दुर्व्यवहार के बारे में सूचित किया, तो नेपाल में धर्मेंद्र की फ़िल्म का अघोषित रूप से बहिष्कार किया जाने लगा.

इस घटना से पहले धर्मेंद्र की कुछ फ़िल्में नेपाल में रिलीज़ हुई थीं. लेकिन उसके बाद काफी समय तक उनकी फ़िल्में नेपाल में रिलीज़ नहीं हो सकीं.

यही वजह थी कि शोले, धर्मवीर जैसी बेहद मशहूर फ़िल्में नेपाल में रिलीज नहीं हो पाईं.

सायमी कहते हैं, “धर्मेंद्र की फ़िल्म को लेकर उत्साह के बावजूद, उस समय की स्क्रीनिंग कमेटी और अधिकारी धर्मेंद्र की फ़िल्मों को मंजूरी नहीं दे सके.”

नेपाल में भारतीय फ़िल्मों के जानकार विकास रौनियार के अनुसार, नेपाली दर्शक शो देखने के लिए रक्सौल सहित नेपाल-भारत सीमा के पास वाले शहरों तक बस से यात्रा करते थे.

उन्हें याद है कि वीडियो पार्लर खुलने के बाद ही नेपाली लोग फ़िल्में देख पाए थे.

अफ़वाहें यह भी हैं कि धर्मेंद्र की फ़िल्म नेपाल में इसलिए रिलीज़ नहीं की गई क्योंकि उन्होंने तत्कालीन राजकुमार धीरेंद्र वीर विक्रम शाह का अपमान किया था.

जब नेपाल ने हेमा मालिनी को अनसुना कर दिया

नेपाल में विवाद में धर्मेंद्र से जुड़ा एक और मामला है.

कहा जाता है कि अभिनेत्री नंदा ने एक फ़िल्म की शूटिंग के दौरान एक स्थानीय महिला के साथ दुर्व्यवहार किया था, जिसके बाद दार्जिलिंग में उनकी फ़िल्म का बहिष्कार कर दिया गया था.

सायमी का कहना है कि दार्जिलिंग में पढ़ने वाले नेपाली छात्रों ने भी नंदा की फ़िल्म का बहिष्कार करने का फैसला किया और इसका असर नेपाल में भी दिखने लगा था.

उस समय नंदा अभिनीत फ़िल्म शोर रिलीज़ होने वाली थी.

लेकिन विवाद के चलते फ़िल्म को नेपाल में रिलीज़ नहीं किया गया.

सायमी ने कहा, “इसके बाद, अनजाने में धर्मेंद्र और नंदा दोनों की फ़िल्मों को नेपाल में प्रतिबंधित कर दिया गया.”

यह कहा जाता है कि इस घटना के काफी समय बाद जब धर्मेंद्र की पत्नी एक्ट्रेस हेमा मालिनी नेपाल आईं तो उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘धर्मेंद्र ने कोई गलती नहीं की.’ कथित तौर पर उन्होंने कार्यक्रम में नेपाली लोगों से माफ़ी भी मांगी थी.

लेकिन समय के साथ धर्मेंद्र को लेकर विवाद कम होते गए.

अघोषित रूप से उनकी फ़िल्में सिनेमाघरों में चलने लगीं जिस तरह से अघोषित रूप से फ़िल्म प्रतिबंध हुई थी वैसे ही प्रतिबंध हटा लिया गया था.

इसकी शुरुआत 1981 में रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘खु़दा कसम’ में उनके छोटे से रोल से हुई और फिर ‘नसीब’ नेपाल में रिलीज़ हुई.

धीरे-धीरे काठमांडू समेत कई शहरों में सिनेमा देखने का तरीका भी बदलने लगा. वीडियो पार्लर खुले और कैसेट चलन में आ गई थी.

सायमी को याद है कि उन पार्लरों में धर्मेंद्र की फ़िल्में भी दिखाई जाती थीं.

जानकारों का कहना है कि 70 के दशक में ‘क्रांति’ नाम की एक भारतीय फ़िल्म के प्रदर्शन पर भी नेपाल में प्रतिबंध लगा दिया गया था.

ऐसा कहा जाता है कि दिलीप कुमार, मनोज कुमार, शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना, हेमा मालिनी और परवीन बाबी अभिनीत यह फ़िल्म अदालत के हस्तक्षेप के कारण उस समय रिलीज़ नहीं हो पाई थी.

सायमी की जानकारी यह है कि नेपाल में क्रांति फ़िल्म रिलीज़ होने की ख़बर जैसे ही फैली राजमहल ने फ़िल्म की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था.

ऋतिक रोशन कांड जिसमें कुछ लोगों की जान चली गई

साल 2000 में भारतीय सिनेमा में अभिनेता ऋतिक रोशन ने दस्तक दी.

पहली फ़िल्म ‘कहो ना प्यार है’ की सफलता उस समय के भारतीय अख़बारों में साफ देखी जा सकती है.

जाने-माने अखबारों ने लिखा कि ऋतिक रोशन ने उस समय के सबसे सफल अभिनेता शाहरुख खान के ‘स्टारडम’ को भी पीछे छोड़ दिया.

ऋतिक नेपाल के साथ-साथ अन्य भारतीय फ़िल्म बाजारों में रातों-रात एक स्थापित नाम बन गए.

‘कहो ना प्यार है’ नेपाल में सबसे सफल भारतीय फ़िल्मों में से एक है.

जनवरी 2000 में अचानक उभरे ऋतिक के लिए साल का अंत इतना सुखद नहीं हो सका.

वो एक ऐसे विवाद में फंस गए जो संभवतः नेपाल में किसी भी फ़िल्म अभिनेता से जुड़ा सबसे ख़राब मामला साबित हुआ.

साल 2000 के दिसंबर महीने में घटी ये घटना आज भी कई लोगों के ज़ेहन में ताज़ा है.

24 दिसंबर को चितवन से प्रकाशित होने वाले एक अखबार ने ऋतिक के बारे में एक खबर छापी.

चितवन पोस्ट की ख़बर में दावा किया गया कि ऋतिक ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि उन्हें नेपाल और नेपाली लोग पसंद नहीं हैं.

सायमी बताते हैं, “उस ख़बर से लोगों में उतना ग़ुस्सा पैदा नहीं हुआ था बल्कि लोगों ने ख़बर की फोटोकॉपी की और उसे काठमांडू भेज दिया. फिर यहां के एक एफएम स्टेशन ने इस ख़बर को दिउसोको न्यूज़ पर प्रसारित किया.”

इसके बाद सड़कों पर प्रतिक्रिया देखने को मिली.

सबसे पहले काठमांडू के भोटाहिती में एक पोस्टर की दुकान में आग लगाई गई.

भारतीय फ़िल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया, भारतीय चैनलों का प्रसारण बंद कर दिया गया और भारतीय संगीत रेडियो पर बजना बंद हो गया था.

मामले की ख़बर काफ़ी तेजी से फैलने लगी.

मल्लिका शाक्य ने ‘पॉलिटिकल चेंज एंड पब्लिक कल्चर इन पोस्ट नाइनटीन नाइनटी नेपाल’ किताब में एक लेख लिखते हुए इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की है.

किताब में उनके लिखे चैप्टर में इस बात का ज़िक्र है कि ऋतिक रोशन केस से जुड़ी घटनाओं में पांच लोगों की मौत हो गई और एक हज़ार से ज़्यादा लोग घायल हो गए.

विरोध तब और अधिक हिंसक हो गया जब काठमांडू के लाज़िम्पाट में भारतीय दूतावास को एक ज्ञापन सौंपने जा रहे एक जुलूस पर पुलिस द्वारा गोलीबारी की गई.

इस गोलीबारी में घर पर खेल रही एक लड़की की मौत हो गई.

इस घटना से मामला ऋतिक रोशन की अभिव्यक्ति के बजाय नेपाल-भारत संबंधों के विभिन्न आयामों पर केंद्रित होने लगा.

नेपाल-भारत सीमा पर मधेशियों के साथ भारतीय नागरिक के रूप में दुर्व्यवहार किये जाने का मामला सामने आया.

काठमांडू की सड़कों पर तराई के निवासियों को असुरक्षित महसूस करने के कई मामले सामने आए हैं.

रौनियार कहते हैं, ”ओटू में मेरे रिश्तेदार की दुकान पर भी पत्थर फेंके गए. मधेशी चेहरे और गहरे रंग वाले लोगों पर हमला किया गया.”

स्थिति इतनी ख़राब हो गई कि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री को भारत के नागरिकों की सुरक्षा के प्रति अपनी चिंता व्यक्त करते हुए अपने नेपाली समकक्ष से टेलीफोन पर बातचीत भी करनी पड़ी.

देश के प्रमुख शहरों खासकर काठमांडू में हिंसक प्रदर्शन की वजह क्या थी?

एक भारतीय चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान ऋतिक ने कहा कि उन्हें ‘नेपाल और नेपाली लोग पसंद नहीं हैं.’

क्या ऋतिक ने वाक़ई में ऐसा कहा था?

जवाब अभी तक स्पष्ट नहीं है. ऋतिक ने बाद में स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा था और उनका कहना था कि वो नेपाल और नेपालियों से उतना ही प्यार करते हैं जितना भारत और भारतीयों से.

नेपाल में इस मामले को ग़लत सूचना के एक उदाहरण के रूप में देखा गया.

नेपाल-भारत मामलों के विशेषज्ञ पत्रकार युवराज घिमिरे ने कुछ हफ्ते पहले एक भारतीय मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा था कि इस घटना को तब और बढ़ावा मिला जब काठमांडू और भारतीय अख़बारों ने भी स्थानीय अख़बार की लिखी खबरों को बिना सबूत के छाप दिया.

सायमी के मुताबिक़, एपिसोड की शुरुआत ‘रेंडेवु विद सिमी ग्रेवाल’ नाम के एक इंटरव्यू से होती है.

सायमी कहते हैं, ”ऋतिक ने अपनी शादी के कुछ समय बाद एक इंटरव्यू दिया था. जिसमें उनसे सवाल पूछा गया कि आप हनीमून के लिए किस देश में जाएंगे? उत्तर के लिए तीन विकल्प भी दिये गए. जिसके अनुसार, ऋतिक को स्विट्जरलैंड, नेपाल और ऑस्ट्रेलिया या ऑस्ट्रिया में से किसी एक देश को चुनना था.”

उन्होंने (ऋतिक) कहा, “मैं नीचे दिए गए दोनों देशों को जानने के लिए स्विट्ज़रलैंड जाऊंगा.”

इसके बाद ऐसी ख़बरें छपीं कि ऋतिक को नेपाल पसंद नहीं है और धीरे-धीरे इसने गंभीर रूप ले लिया.

दिल्ली में साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर शाक्य ने कहा कि ‘पॉलिटिकल चेंज एंड पब्लिक कल्चर इन पोस्ट नाइनटीन नाइनटी नेपाल’ किताब में साफ तौर पर बताया है कि कोई नहीं जानता कि ऋतिक ने नेपाल के खिलाफ क्या कहा, किससे कहा, किस संदर्भ में कहा.

जानकारों की मानें तो नेपाल टेलीविजन पर ऋतिक रोशन का एक बयान प्रसारित किया गया जिसके बाद ही मामला सुलझना शुरू हुआ.

ऋतिक की कहानी को नेपाली जनता के सामने लाने में अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

जब अनिल कपूर विवादों में आ गए

डेविड धवन द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘घरवाली बाहरवाली’ भी नेपाल की विवादास्पद फ़िल्मों में से एक है. नेपाल के बारे में ग़लत मैसेज देने के विवाद के बाद फ़िल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

फ़िल्म का कुछ हिस्सा नेपाल में शूट किया गया था. लगभग उसी समय एक और भारतीय फ़िल्म की भी शूटिंग हुई – ‘बनारसी बाबू’.

बनारसी बाबू में गोविंदा और राम्या कृष्णन ने अभिनय किया था जबकि ‘घरवाली बाहरवाली’ में अनिल कपूर, रवीना टंडन और रंभा ने अभिनय किया था.

सायमी के अनुसार, घरवाली बाहरवाली में “नेपालियों को बदनाम करने वाले” कुछ “अजीब” दृश्य थे.

रौनियार का भी कहना है कि फ़िल्म में नेपालियों के चित्रण को लेकर भी विवाद हुआ था.

ऐसे दृश्य जैसे कि अगर आप किसी नेपाली महिला से संबंध बनाने के बाद उससे शादी नहीं करेंगे तो आपको ग़ुस्साए सांड के आगे बांध दिया जाएगा.

भक्तपुर दरबार स्क्वायर पर फ़िल्माए गए इस दृश्य में, अनिल कपूर और सतीश कौशिक के किरदार एक भीड़ को इकट्ठा होते देखते हैं. वे भीड़ के सामने जाकर पूछते हैं कि वहां क्या हो रहा है.

सीन में अनिल कपूर का किरदार पूछता है- मेरे मैनेजर को क्यों बांध रखा है?

जवाब में दूसरा किरदार कहता है- उस शख्स ने एक नेपाली लड़की को शादी का वादा करके उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी. और अब उसे नेपाली रीति-रिवाज के मुताबिक़ सजा दी जा रही है.

तभी सतीश कौशिक का किरदार कहता है, ”ये तो बहुत अजीबो गरीब रिवाज है इनका.”

अगले सीन में बंधे हुए आदमी के माथे पर लिखा होता है, मैं महापापी हूं.

इसके बाद उसकी हालत बेहद ख़राब दिखाई जाती है और वह हाथ में कटोरा लेकर भीख मांगता है.

जब घरवाली बाहरवाली को लेकर विवाद हुआ तब यह फ़िल्म नेपाल के सिनेमाघरों में प्रदर्शित नहीं हुई थी.

उस समय नेपाल में भारतीय फ़िल्मों के वीडियो कैसेट भी आते थे.

सायमी के अनुसार, रवि लामिछाने, जो वर्तमान में नेशनल इंडिपेंडेंट पार्टी के अध्यक्ष हैं, उस समय ‘कॉमन पूल’ नामक एक क्लब चलाते थे.

सायमी कहते हैं, ”मुझे लामिछाने का फोन आया और उन्होंने बताया कि अभी पीपल बोट में एक कैसेट जलाने का कार्यक्रम है.”

रौनियार एक फोटो जर्नलिस्ट भी हैं और उन्होंने पीपल बोट में लामिछाने के साथ प्रकाश सायमी और अशोक शर्मा की वीडियो कैसेट जलाते हुए तस्वीर ली थी.

पीपल बोट में घरवाली बाहरवाली के साथ बनारसी बाबू का वीडियो कैसेट जला दिया गया.

सायमी का कहना है कि भारतीय दूतावास को एक बयान भेजा गया और नेपाल में फ़िल्म की स्क्रीनिंग रोक दी गई.

रौनियार के मुताबिक़, मामला जनता तक नहीं पहुंचा, विरोध सिर्फ़ सिने प्रेमियों तक ही सीमित था.

माधुरी दीक्षित और अक्षय कुमार भी विवादों में रहे

1990 के दशक के अंत में, भारतीय अभिनेताओं की एक टीम एक फ़िल्म की शूटिंग के लिए नेपाल पहुंची. टीम में एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित भी थीं.

कहा जाता है कि नेपाल प्रवास के दौरान दीक्षित ने यह कहा था कि नेपाल भी भारत का एक प्रांत है.

इस बयान के दो-तीन दिन बाद नेपाल में विवाद खड़ा हो गया.

सायमी के मुताबिक़, जब से माधुरी दीक्षित वापस गईं तो अमरीश पुरी को कहना पड़ा कि माधुरी को भूगोल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.

रौनियार कहते हैं, ”शायद फ़िल्म निर्माताओं के माफ़ी मांगने के बाद मामला सुलझ गया.”

2009 में अक्षय की फ़िल्म ‘चांदनी चौक टू चाइना’ नेपाल में विवादित हो गई.

अक्षय कुमार और दीपिका पादुकोण अभिनीत इस फ़िल्म में दावा किया गया था कि गौतम बुद्ध का जन्म भारत में हुआ था.

शुक्रवार को फ़िल्म की रिलीज के कुछ दिन बाद ही विवादित दावे किए गए और फ़िल्म की रिलीज़ पर रोक लगा दी गई.

सायमी का कहना है कि उस समय अक्षय कुमार ने भी नेपाल को संदेश भेजकर माफी मांगी थी.

कहा जाता है कि गोरखालैंड आंदोलन के दौरान मिथुन द्वारा इसके खिलाफ बोलने के बाद नेपाल में उनकी फ़िल्मों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध भी लगा दिया गया था. सायमी के मुताबिक़, मिथुन ने कोलकाता में एक इवेंट के दौरान ऐसा कमेंट किया था.

एक और मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार ने 1986 में रिलीज हुई फिल्म ‘कर्मा’ में तब विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने गोलियों के साथ भारत का नक्शा बनाया और उसमें नेपाल को भी शामिल कर दिया.

नेपाल में ऐसी घटनाएं क्यों होती रही हैं?

नेपाल और भारत के बीच एक लंबी खुली सीमा है. लोग दोनों देशों के बीच आसानी से आ-जा सकते हैं. सीमा क्षेत्र में विवाह के माध्यम से भी दोनों देशों के परिवार जुड़े हुए हैं.

सायमी को लगता है कि कभी-कभी फ़िल्मों की वजह से नेपाल-भारत के रिश्तों में समस्याएं पैदा हो जाती हैं.

वो कहते हैं, “हमारे बीच बहुत भावनात्मक रिश्ता है. हमारा रिश्ता बहुत संवेदनशील, प्रगाढ़ और समृद्ध है. अगर मनीषा कोइराला को मोनिशा या मोनिका लिखा जाए तो हम परेशान हो जाएंगे. लेकिन दूसरों के मामले में ऐसा नहीं है.”

उनका कहना है कि आदिपुरुष में भी सोने का देश कहे जाने वाले श्रीलंका को काले देश के रूप में दिखाया गया है, लेकिन वहां नेपाल जैसा कोई विरोध नहीं है.

कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि ऐसी घटनाएं इसलिए होती हैं क्योंकि नेपाल में हिंदी फ़िल्मों का बाजार बहुत बड़ा है और भारतीय कलाकार बहुत लोकप्रिय हैं.

इस समय भारतीय फ़िल्में विश्व बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं.

न्यूयॉर्क से लंदन तक और दुबई से सिडनी तक हिंदी फिल्म का कारोबार बहुत बड़ा है.

लेकिन सिक्किम के भारत में विलय से पहले फिल्म के पोस्टर पर लिखा होता था कि फिल्म भारत और नेपाल के कुछ इलाकों में रिलीज हो रही है.

जो ऐतिहासिक रूप से भारतीय फ़िल्मों के लिए नेपाल के बाजार के महत्व को दर्शाता है.

जानकारों के मुताबिक़, नेपाल में काफ़ी चर्चा में रहने वाली आदिपुरुष जैसी फ़िल्मों की कुल कमाई 16-17 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है.

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