इमरान ख़ान को क्यों किया गिरफ़्तार और उनपर कितने मुकदमें दर्ज हैं

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DMT : इस्लामाबाद : (09 मई 2023) : –

इमरान ख़ान

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ के प्रमुख इमरान ख़ान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट के बाहर से हिरासत में लिया गया है.

पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ के अधिवक्ता फ़ैसल चौधरी ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की है.

पीटीआई ने अपने कार्यकर्ताओं से प्रदर्शन करने का आह्वान भी किया है.

एक वीडियो मैसेज में पीटीआई नेता मसर्रत चीमा ने कहा है, “वो ख़ान साहब के ऊपर हिंसा कर रहे हैं, ख़ान साहब को मार रहे हैं. हमें नहीं पता कि उन्होंने ख़ान साहब के साथ क्या किया है.”

वहीं इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी पर नैब ने बयान जारी करते हुए बताया है कि उन्हें नैब आर्डिनेंस और क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया है.

नैब ने अपने बयान में कहा है, “नैब हेडक्वार्टर रावलपिंडी ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को अल क़ादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट में कदाचार करने के जुर्म में हिरासत में लिया है.”

बयान के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को नैब ने नोटिस दिया था जिसका संतोषजनक जवाब इमरान ख़ान ने नहीं दिया.

पाकिस्तान में नैब भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करती है. पाकिस्तान की मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक़ हिरासत में लिए जाने के बाद इमरान ख़ान को नैब के दफ़्तर भेजा गया है.

अदालत के बाहर भारी पुलिस बल भी तैनात किए गए हैं. भारी तादाद में इमरान ख़ान के समर्थक अदालत के बाहर इकट्ठा हो रहे हैं. इस्लामाबाद पुलिस के मुताबिक धारा 144 लागू है और हालात सामान्य हैं.

इमरान ख़ान किसी और मामले में ज़मानत हासिल करने के लिए अदालत के समक्ष पेश हुए थे लेकिन उन्हों किसी और मामले में गिरफ़्तार कर लिया गया.

रिपोर्टों के मुताबिक इमरान ख़ान के अदालत पहुंचने से पहले ही नैब की टीम वहां मौजूद थी.

हाई कोर्ट ने पुलिस को किया तलब

इमरान खान को हिरासत में लिए जाने के बाद इस्लामाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक़ ने पाकिस्तान के आंतरिक सचिव, आईजी इस्लामाबाद और अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है.

वकीलों ने दलील दी कि इमरान ख़ान को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जिस पर न्यायमूर्ति आमिर फारूक़ ने टिप्पणी की कि पहले यह निर्धारित किया जाना चाहिए कि उन्हें किस मामले में हिरासत में लिया गया है. इस बीच रेंजर्स ने कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था अपने नियंत्रण में ले ली है.

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अल क़ादिर यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट के लिए 26 दिसंबर 2019 को अल क़ादिर ट्रस्ट पंजीकृत कराया था. इस ट्रस्ट के दो ही ट्रस्टी हैं. एक इमरान ख़ान और दूसरी उनकी पत्नी बुशरा बीबी.

पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट यानी पीडीएम के सत्ता में आने के बाद बीते साल जून में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी के ख़िलाफ़ आरोप लगाया गया था कि उन्होंने एक रियल एस्टेट कंपनी से 50 अरब रुपये की काले से सफ़ेद बनाकर लाई गई रकम को क़ानूनी हैसियत दी और इसके बदले में अपने ट्रस्ट के लिए अरबों रुपये की ज़मीन दान में हासिल की.

पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने आरोप लगाया था कि इमरान के कार्यकाल में ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी ने मनी लांडरिंग की एक जांच के बाद प्रॉपर्टी टाइकून मलिक रियाज़ की रक़म को वापस किया था. इमरान ख़ान ने इस रक़म को 3 दिसंबर 2019 को कैबिनेट की बैठक के बाद प्रॉपर्टी टाइकून को ब्रिटेन से आया पैसा वापस करने की मंज़ूरी दे दी.

इस बारे में सरकार की तरफ़ से ये आरोप भी लगाया गया था कि प्रापर्टी टाइकून ने अपने अपने कई ग़ैर क़ानूनी मामलों को ‘कवर’ देने के लिए अल क़ादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट की ज़मीन इमरान ख़ान और उनकी पत्नी को दी थी.

पाकिस्तान के नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरौ (नैब) ने इमरान ख़ान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी के ख़िलाफ़ अल क़ादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट के नाम पर प्रापर्टी टाइकून से सैकड़ों कनाल ज़मीन लेने से संबंधित पूछताछ को जांच में बदल दिया है.

नैब के अधिकारी इससे पहले अधिकारों के कथित दुरुपयोग और ब्रिटेन से प्राप्त हुई ‘अपराध से अर्जित रक़म’ की वसूली के आरोपों की जांच कर रहे थे.

नैब के अधिकारी के मुताबिक जब मामला जांच के स्तर पर आ जाता है तो अभियुक्त से पूछताछ की जाती है और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें गिरफ़्तार भी किया जा सकता है.

वहीं इमरान ख़ान के वकील बैरिस्टर ग़ौहर ने बीबीसी से कहा है कि जब उन्हें पता चला कि अल क़ादिर ट्रस्ट मामले में पूछताछ को जांच में बदल दिया गया है तो उन्होंने मंगलवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अर्ज़ी दी थी.

इस अर्जी में नैब को इमरान ख़ान को गिरफ़्तार करने पर रोक लगाने की मांग की गई थी. नैब अधिकारियों का कहना है कि इमरान ख़ान को नोटिस दिया गया था जिसका संतोषजनक जवाब उन्होंने नहीं दिया.

अक्तूबर 2022 में पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने तोशाखाना मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को अगले पांच साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य क़रार दिया था.

चुनाव आयोग ने कहा था कि इमरान ख़ान ने सत्ता में रहते हुए तोशाखाना से जो तोहफ़े लिए थे, उसके बारे में अधिकारियों को उन्होंने सही जानकारी नहीं दी. इमरान ख़ान आरोपों को ग़लत बताते हैं.इमरान ख़ान पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए क़ीमती तोहफ़े अपने फ़ायदे के लिए बेचे. इमरान ख़ान ने चुनाव आयोग को दी गई अपनी संपत्ति की घोषणा में उसका ब्योरा नहीं दिया था.चुनाव आयोग ने बाद में ज़िला अदालत में शिकायत दर्ज की थी कि प्रधानमंत्री रहते हुए इमरान ख़ान को जो गिफ़्ट मिले उसे उन्होंने बेच दिया और इस मामले में उन्हें आपराधिक क़ानूनों के ज़रिए सज़ा दी जाए.आरोप है कि इमरान ख़ान ने प्रधानमंत्री रहते हुए तोशाखाना के मंहगे गिफ़्ट, घड़िया अपने फ़ायदे के लिए बेची थीं.1974 में पाकिस्तान में तोशाखाना स्थापित किया गया. ये कैबिनेट डिवीजन के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक विभाग है जहां देश के प्रमुखों, मंत्रियों, नौकरशाहों, सासंदों को विदेशी सरकार या अधिकारियो की ओर से मिले मंहगे गिफ़्ट रखे जाते हैं.

तोशाखाना एक सरकारी विभाग होता है. यहां प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या दूसरे बड़े अधिकारियों को किसी यात्रा के दौरान मिलने वाले क़ीमती तोहफों को रखा जाता है.

किसी भी विदेश यात्रा के समय, विदेश मंत्रालय के अधिकारी इन तोहफ़ों का रिकॉर्ड रखते हैं और वतन वापसी पर उन्हें तोशाखाना में जमा कर दिया जाता है.

तोशाखाना में रखी गई चीज़ों को स्मृति चिन्ह की तरह देखा जाता है. यहां रखी हुई चीज़ों को कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद ही बेचा जा सकता है.

पाकिस्तान में अगर मिलने वाले उपहार की क़ीमत 30 हज़ार रुपये से कम है तो उसे व्यक्ति मुफ़्त में अपने पास रख सकता है.

वहीं अगर गिफ़्ट की क़ीमत 30 हजार रुपये से ज़्यादा है तो उस क़ीमत का 50 प्रतिशत जमा करके उसे ख़रीदा जा सकता है. साल 2020 से पहले सामान की असल क़ीमत का सिर्फ़ 20 प्रतिशत ही जमा करना पड़ता था.

इन तोहफों में आमतौर पर महंगी घड़ियां, सोना और हीरे के गहने, क़ीमती सजावट का सामान, स्मृति चिन्ह, हीरा जड़ी कलम, क्रॉकरी और कालीन शामिल होते हैं.

इमरान ख़ान पर एक महिला जज के अपमान का भी मामला है. अगस्त 2022 में इमरान ख़ान के क़रीबी सहयोगी शहबाज़ को देशद्रोह के मामले में गिरफ़्तार किया गया था. इमरान ख़ान ने शहबाज़ को प्रताड़ित किए जाने के आरोप लगाए थे.

इसके बाद एक सियासी रैली में इमरान ख़ान ने अपनी पार्टी के सहयोगी को हिरासत में लिए जाने और कथित तौर पर बदसलूकी किए जाने को लेकर इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख और एक महिला जज की निंदा की थी.

इमरान ने अपने भाषण में धमकी दी थी कि वो शीर्ष पुलिस अधिकारियों, एक महिला मजिस्ट्रेट, चुनाव आयोग और उनके राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ अपने सहयोगी शहबाज़ गिल के साथ कथित बदसलूकी करने के लिए मामले दायर करेंगे.

इमरान ख़ान ने ख़ास तौर पर अतिरिक्त जिला और सत्र जज ज़ेबा चौधरी को निशाना बनाया जिन्होंने इस्लामाबाद पुलिस के आग्रह पर शहबाज़ गिल की दो दिन की पुलिस रिमांड को मंज़ूरी दी थी.

इमरान ख़ान ने रैली में पुलिस प्रमुख और जज को निशाना बनाते हुए कहा, “शर्म करो, इस्लामाबाद आईजी, तुम्हें तो नहीं छोड़ना है, तुम्हारे ऊपर केस करना है हमने, और मजिस्ट्रेट साहिबा ज़ेबा, आप भी तैयार हो जाएँ, आपके ऊपर भी हम ऐक्शन लेंगे.”

महिला जज के कथित अपमान के आरोप में इमरान ख़ान पर मुक़दमा दर्ज कर लिया गया था. जाँचकर्ताओं का कहना था कि इमरान ख़ान ने कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों को धमकाने से उनके ख़िलाफ़ आतंकवाद-विरोधी क़ानून तोड़ा है.

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