हज की सीटें पाकिस्तान ने सऊदी अरब को क्यों लौटाईं

Hindi International

DMT : पाकिस्तान  : (09 मई 2023) : –

पाकिस्तान में महंगाई की मार से आम लोग इस कदर परेशान हैं कि हज पर जाने का कोटा भी पूरा नहीं हो पाया.

पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि सऊदी अरब की ओर से पाकिस्तान को हज के लिए आबंटित कोटा भी पूरा नहीं हो पाया है.

पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता उमर बट ने बीबीसी से कहा कि सऊदी अरब की ओर पाकिस्तान को हज के लिए एक लाख 80 हज़ार का कोटा था, लेकिन आठ हज़ार कम आवेदन आए, इसलिए इसे भर पाना मुश्किल था.

ऐसे में ये आठ हज़ार सीटें सऊदी अरब को वापस कर दी गई हैं. इस साल 26 जून से हज शुरू हो रहा है और एक जुलाई तक चलेगा.

पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है और यहाँ का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार ख़ाली हो रहा है.

हज पर जाने के लिए पाकिस्तानियों को अपनी मुद्रा रुपए के बदले डॉलर लेना पड़ता है और डॉलर काफ़ी महंगा हो गया है.

एक डॉलर ख़रीदने के लिए 283 पाकिस्तानी रुपए देने पड़ रहे हैं.

विदेशों में बसे पाकिस्तानियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई, लेकिन उनके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट होना चाहिए था. अगर पाकिस्तान ये सीटें वापस नहीं करता, तो सऊदी अरब को पैसे देने होते.

पाकिस्तान लंबे समय से सऊदी अरब से हज का कोटा बढ़ाने की मांग करता रहा है, लेकिन इस बार जो आबंटित कोटा था, उसे ही पूरा नहीं कर पाया.

इससे पहले पिछले हफ़्ते ही पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री सीनेटर ताल्हा महमूद ने कहा था कि सरकार नेताओं और प्रभावी परिवार के लोगों को हज सुविधा मुहैया नहीं कराएगी.

पहले पाकिस्तान में कई सांसदों, अधिकारियों और पत्रकारों को हज के लिए सरकारी ख़र्च मिलता था.

गल्फ़ न्यूज़ के अनुसार, इस साल सऊदी अरब कुल छह एयरपोर्ट से हाजियों के स्वागत की तैयारी कर रहा है.

ये एयरपोर्ट हैं- जेद्दाह, मदीना, रियाद, दम्माम, तइफ़ और यांबु. सऊदी अरब की राष्ट्रीय एयरलाइंस साऊदिया दुनिया भर से हज यात्रियों को लाएगा.

मदीना स्थित प्रिंस मोहम्मद बिन अब्दुल अज़ीज़ इंटरनेशल एयरपोर्ट पर हाजियों का पहला विमान 21 मई को आएगा.

कोविड महामारी के कारण सऊदी अरब ने 2020 से हाजियों की संख्या सीमित कर दी थी.

लेकिन अब हाजियों की संख्या कोविड महामारी से पहले वाली होगी.

2019 में दुनिया भर से 26 लाख मुसलमान हज के लिए सऊदी अरब आए थे.

कोविड के साल में सऊदी अरब ने हजियों की सुविधा के लिए इंफ़्रास्ट्रक्चर पर अरबों डॉलर ख़र्च किया था.

हज क्या है?

इस्लाम के 5 फर्ज़ में से एक फर्ज़ हज है. बाकी के चार फर्ज़ हैं- कलमा, रोज़ा, नमाज़ और ज़कात.

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़, शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हर मुसलमान को अपनी ज़िंदगी में कम से कम एक बार इस फर्ज़ को निभाने का दायित्व है.

इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक़, पैग़ंबर इब्राहिम को अल्लाह ने एक तीर्थस्थान बनाकर समर्पित करने के लिए कहा था.

इब्राहिम और उनके बेटे इस्माइल ने पत्थर का एक छोटा-सा घनाकार इमारत बनाई थी. इसी को क़ाबा कहा जाता है.

मुसलमानों का ऐसा मानना है कि इस्लाम के आख़िरी पैग़ंबर हज़रत मोहम्मद (570-632 ई.) को अल्लाह ने कहा कि वो क़ाबा को पहले जैसी स्थिति में लाएँ और वहाँ केवल अल्लाह की इबादत होने दें.

साल 628 में पैग़ंबर मोहम्मद ने अपने 1400 अनुयायियों के साथ एक यात्रा शुरू की थी. ये इस्लाम की पहली तीर्थयात्रा बनी और इसी यात्रा में पैग़ंबर इब्राहिम की धार्मिक परंपरा को फिर से स्थापित किया गया. इसी को हज कहा जाता है.

हर साल दुनियाभर के मुस्लिम सऊदी अरब के मक्का में हज के लिए पहुँचते हैं. हज में पाँच दिन लगते हैं और ये ईद उल अज़हा या बकरीद के साथ पूरी होती है.

सऊदी अरब हर देश के हिसाब से हज का कोटा तैयार करता है.

इंडोनेशिया का कोटा सबसे ज़्यादा है. इसके बाद पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, नाइजीरिया का नंबर आता है.

इसके अलावा ईरान, तुर्की, मिस्त्र, इथियोपिया समेत कई देशों से हज यात्री आते हैं.

हज से सऊदी अरब को कितनी कमाई

दुनिया भर में मुसलमानों की जितनी आबादी है, उसके महज दो फ़ीसदी ही सऊदी अरब में रहते हैं.

लेकिन पिछले दस साल से हाजी मुसलमानों का एक तिहाई इस मुल्क में रहता है.

इसकी वजहें भी हैं, यहाँ से मक्का क़रीब है, लोग अपनी धार्मिक ज़िम्मेदारी समझते हैं और यहाँ के लोगों के लिए हज करना सस्ता पड़ता है.

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड महामारी के पहले सऊदी अरब को हज से हर साल 30 अरब डॉलर का राजस्व हासिल होता था.

2022 में हज से सऊदी अरब में एक लाख नई नौकरियाँ पैदा हुई थीं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *