उत्तर प्रदेश में पुलिस ने घर में नमाज़ पढ़े जाने पर क्यों की कार्रवाई?

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DMT : मुरादाबाद  : (29 मार्च 2023) : –

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में लाजपत नगर के उस घर के बाहर अब ताला लटका हुआ है, जहाँ शनिवार, 25 मार्च को नमाज़ पढ़ने को लेकर विवाद हुआ.

घर के बाहर लोहे के गेट पर दो निशान बने हुए हैं, जिस पर कुछ दिन पहले तक पोस्टर लगे हुए थे.

इन पोस्टरों पर लिखा हुआ था, “रमज़ान मुबारक- तरावीह, यहाँ पर तीन पारे सुनाए जाएँगे, ईशा की नमाज़ 8.15 पर होगी, इंशा अल्लाह.”

ये मकान पास में ही रह रहे ज़ाकिर हुसैन का है जो उन्होंने कुछ साल पहले ख़रीदा था.

इस घर का इस्तेमाल ज़ाकिर हुसैन गोदाम की तरह करते हैं. ज़ाकिर की पास में ही एक बड़ी लोहा बेचने की दुकान है.

घर के दोनों तरफ हिंदू परिवार हैं और मोहल्ले में भी हिंदुओं की संख्या अच्छी-ख़ासी है.

इन्हीं पोस्टरों और तरावीह की नमाज़ को लेकर स्थानीय हिंदूवादी संगठन राष्ट्रीय बजरंग दल से जुड़े लोगों ने शनिवार को हंगामा किया था.

बता दें कि राष्ट्रीय बजरंग दल संगठन, विश्व हिंदू परिषद के बजरंग दल संगठन से अलग है.

इस घर में तरावीह की नमाज़ नौ दिनों तक सुनाई जानी थी, लेकिन तीसरे दिन ही हंगामे के बाद इसे रोक दिया गया.

न सिर्फ नमाज़, बल्कि प्रशासन ने मुस्लिम पक्ष के 10 लोगों को चेतावनी भी दी है कि अगर इलाक़े में शांति भंग हुई, तो उन पर पाँच-पाँच लाख का जुर्माना लगाया जाएगा.

नमाज़ को लेकर विवाद में बजरंग दल वालों के ख़िलाफ़ भी मुचलका पाबंद की कार्रवाई की गई है.

इसका मतलब है कि अगर शांति भंग करने की कोशिश की गई तो उन्हें जुर्माने के तौर पर मुचलके में लिखे पैसे भरने होंगे.

तरावीह की नमाज़ पर क्यों हुई तक़रार?

मुरादाबाद के लाजपत नगर में तरावीह की नमाज़ पर हुए विवाद को समझने के लिए ये जानना ज़रूरी है कि ये नमाज़ आख़िर है क्या?

हिंदू समाज में जिस तरह रामायण का पाठ होता है, वैसे ही मुस्लिम समाज में रमज़ान के महीने में तरावीह की नमाज़ पढ़ी जाती है.

मुरादाबाद के नाइब शहरी इमाम मुफ़्ती सैयद फ़हद अली के मुताबिक़, “पवित्र किताब क़ुरान शरीफ़ को बीस रकात तराबियों के अंदर पढ़ा जाता है. इसके तीस पारे होते हैं. आप चाहें तो एक-एक पारा कर इसे 30 दिनों के अंदर पढ़ सकते हैं या फिर तीन-तीन पारा करके 10 दिनों के अंदर.”

वे कहते हैं कि लोग घरों या मस्जिद में बैठ कर तरावीह के दौरान क़ुरान पढ़ते हैं. इसमें एक जानकार व्यक्ति जिसे हाफ़िज़ कहते हैं, वो क़ुरान पढ़ कर सुनाता है.

इसमें कई लोग शामिल होते हैं.

ज़ाकिर हुसैन ने भी अपने यहाँ तरावीह की नमाज़ रखी थी जिसमें हिस्सा लेने के लिए कई लोग आए थे.

ज़ाकिर कहते हैं, “हमारे यहाँ नौ दिन तरावीह चलनी थी, इसे 31 मार्च को पूरा होना था. लेकिन इसे तीसरे ही दिन, 25 मार्च को रोकना पड़ा. बजरंग दल के लोगों के विवाद की वजह से तरावीह की नमाज़ पूरी नहीं हो पाई.”

वे कहते हैं, “तरावीह की नमाज़ तब से पढ़ी जाती है, जब से इस्लाम धर्म बना है. हर मुसलमान तरावीह पढ़ता है. इसमें क़ुरान सुनी जाती है.”

क्या है पूरा मामला

ज़ाकिर हुसैन के मुताबिक़, उन्होंने अपने घर में (जिसका इस्तेमाल वे गोदाम की तरह करते हैं), 23 मार्च से तरावीह की नमाज़ रखी थी.

25 मार्च को यानी तीसरे दिन, रात क़रीब आठ बजे के बाद परिवार और आसपास के 30-40 लोग घर के अंदर बने हॉल में तरावीह की नमाज़ पढ़ने के लिए जमा हुए थे.

तीन पारे की नमाज़ को एक दिन में पूरा होने के लिए क़रीब दो घंटे का समय लगता है.

अभी नमाज़ चल ही रही थी कि रात क़रीब 10 बजे 60-70 लोग घर के बाहर इकट्ठा होकर इसका विरोध करने लगे.

इनमें ज़्यादातर लोग कथित तौर पर राष्ट्रीय बजरंग दल नाम के एक हिंदूवादी संगठन से जुड़े थे.

मौक़े पर पहुँचा पुलिस प्रशासन

ज़ाकिर हुसैन के मुताबिक़, हंगामे के बीच पुलिस प्रशासन से उन्होंने कहा कि अभी नमाज़ पूरी होने में आधे घंटे का वक़्त और लगेगा. ऐसे में पुलिस ने सबसे पहले नमाज़ को पूरा होने दिया.

पुलिस के मुताबिक़, माहौल काफ़ी उग्र था, ऐसे में काफ़ी मुश्किल से लोगों को शांत किया गया.

मौक़े पर ही ज़ाकिर हुसैन ने पुलिस प्रशासन को आश्वासन दिया कि वे अब इस मकान में तरावीह की नमाज़ को जारी नहीं रखेंगे, जिसके बाद मामला शांत हुआ.

प्रशासन ने 26 मार्च को दोनों पक्षों के ख़िलाफ़ शांति भंग करने के आरोप में कार्रवाई की और दोनों तरफ़ से लोगों को छह महीने के लिए मुचलका पाबंद किया गया.

पुलिस के मुताबिक़, शांति स्थापित करने के लिए प्रिवेंटिव एक्शन के तहत इस तरह की कार्रवाई की जाती है.

इस मामले में प्रशासन ने मौके पर मौजूद मुस्लिम समुदाय के 10 लोगों के ख़िलाफ़ सीआरपीसी 107/116 (शांति भंग करने से रोकने के लिए एक निवारक उपाय) के तहत नोटिस जारी किया है.

नोटिस में मुस्लिम समुदाय के लोगों से यह पूछा गया है कि क्षेत्र में ‘शांति भंग करने के लिए’ उन्हें पाँच-पाँच लाख रुपए का जुर्माना क्यों नहीं देना चाहिए.

ये नोटिस ज़ाकिर हुसैन को भी मिला है, जिन्होंने अपने घर में तरावीह की नमाज़ रखी थी.

लाजपतनगर के कटघर थाने की सर्किल ऑफ़िसर (सीओ) शैलजा मिश्रा ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “दोनों पक्षों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है. एक पक्ष को मुचलका पाबंदी के नोटिस मिल गए हैं, वहीं दूसरे पक्ष को मिलने की प्रक्रिया जारी है.”

तरावीह की नमाज़ पर राष्ट्रीय बजरंग दल को एतराज़ क्यों?

मुरादाबाद के लाजपतनगर में तरावीह की नमाज़ को लेकर राष्ट्रीय बजरंग दल की आपत्ति क्या है और इस संगठन पर लगे आरोपों की सच्चाई क्या है?

इस सवाल पर राष्ट्रीय बजरंग दल के प्रदेश अध्यक्ष रोहन सक्सेना ने शनिवार रात मीडिया से बात करते हुए कहा, “ज़ाकिर हुसैन, मुस्लिम समाज के लोगों को बुलाकर, नई परंपरा डाल कर यहाँ नमाज़ अदा करवा रहे हैं. हमें स्थानीय लोगों से जानकारी मिली. उन्होंने फ़ोटो खींच कर भेजे हैं. नमाज़ करने के फ़ोटो तक हैं.”

उन्होंने कहा, “हम कोई भी नई परंपरा शुरू नहीं होने देंगे. इस शहर के अंदर अशांति फैलाने वालों के ख़िलाफ़ मुक़दमा किया जाए, अगर ऐसा नहीं हुआ तो राष्ट्रीय बजरंग दल आंदोलन करेगा.”

” ‘नई परंपरा’ पर बात करते हुए स्थानीय लोग कहते हैं कि इस घर में पहले कभी तरावीह की नमाज़ नहीं पढ़ी गई. ये पहली बार है जब यहाँ ऐसा हो रहा था.”

बीबीसी से बात करते हुए रोहन सक्सेना ने कहा, “जो मांग हमने शनिवार को की थी, हम उसी पर क़ायम हैं.”

तरावीह की नमाज़ में अशांति की बात कहाँ से आई? घर के अंदर नमाज़ पढ़ने की परंपरा नई हो या पुरानी, इस पर राष्ट्रीय बजरंग दल को क्या आपत्ति है?

इन सवालों पर रोहन सक्सेना ने बात करने से ही मना कर दिया.

प्रशासन से शिकायत

तरावीह की नमाज़ को लेकर हुए विवाद पर ज़ाकिर हुसैन कहते हैं कि ”देश-विदेश से मीडिया के फ़ोन आ रहे हैं, लेकिन हम किसी से कुछ बात नहीं करना चाहते. हमने अपनी बात प्रशासन से कह दी है.”

लेकिन ज़ाकिर हुसैन की पत्नी के भाई मोहम्मद सैफ़ी इस बात से काफ़ी नाराज़ हैं कि कथित हिंदूवादी संगठन के लोगों के चलते उन्हें तरावीह की नमाज़ रोकनी पड़ी.

मोहम्मद सैफ़ी कहते हैं, “हम लोग हर साल रमज़ान के महीने में अपने घरों और मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ करते हैं. अब इसे अधूरा छोड़ दिया गया है. प्रशासन को चाहिए था कि वो इसे पूरा करवाता.”

मुरादाबाद के एसएसपी हेमराज मीणा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “अगर कोई व्यक्ति अपने घर के अंदर पूजा-पाठ करता है, या नमाज़ पढ़ता है या तरावीह पढ़ता है तो किसी दूसरे पक्ष को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. अगर कोई आपत्ति करेगा तो उस पक्ष के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.”

भारतीय संविधान भारत में रहने वाले हर शख़्स को अपने धर्म और आस्था से जुड़े रीति-रिवाजों का पालन करने की स्वतंत्रता देता है.

पुलिस प्रशासन का भी कहना है कि घर में तरावीह पर कोई पाबंदी नहीं है. बावजूद इसके पुलिस प्रशासन ने शांति भंग करने के आरोप में मुस्लिम पक्ष के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की, जिसके आधार पर मुस्लिम पक्ष के 10 लोगों के ख़िलाफ़ पाँच-पाँच लाख का मुचलका पाबंद किया गया.

मुरादाबाद के एसएसपी हेमराज मीणा ने बीबीसी से बातचीत में यहाँ तक कह दिया कि नमाज़ को लेकर कोई विवाद ही नहीं है.

उन्होंने कहा, “दोनों पक्षों पर पाबंदी की कार्रवाई हुई है. वहाँ पर एक मकान को लेकर विवाद था.”

क्या घर में तरावीह की नमाज़ नहीं हो सकती है?

इस सवाल के जवाब में एसएसपी ने कहा, “वो मस्जिद थोड़े न है? वो तो घर है. घर में बाक़ी लोगों के लिए थोड़ी ना इजाज़त होती है. घर में पूरे मोहल्ले को लेकर नमाज़ पढवाएँगे क्या?

अगर हिंदू परिवार घर में कोई जगराता करवाता है तो इस तरह की कार्रवाई आप वहाँ पर भी करेंगे?

इस सवाल के जवाब में एसएसपी मीणा ने कहा, “जगराता करना अलग होता है, पूजा-पाठ करना अलग होता है. हिंदू-मुस्लिम परंपरा को एक बना देंगे आप?”

अब कैसा माहौल है?

तरावीह की नमाज़ को लेकर उठे विवाद के बीच मुरादाबाद के लाजपत नगर में फ़िलहाल ख़ामोशी पसरी हुई है.

मुरादाबाद ज़िले के लाजपत नगर की आबादी क़रीब 25 हज़ार है. यहाँ क़रीब 70 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है, जबकि क़रीब 30 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है.

तरावीह की नमाज़ पर विवाद से पहले यहाँ हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच मकान ख़रीद-बिक्री को लेकर तनाव की नौबत आ चुकी है.

ऐसे में ताज़ा विवाद को कई लोग तूल नहीं देना चाहते ताकि इलाक़े में शांति क़ायम रह सके.

ज़ाकिर हुसैन, जिनके घर तवारीह की नमाज़ रोकी गई, वे ख़ुद भी इस मसले पर चुप रहना चाहते हैं.

ज़ाकिर हुसैन कहते हैं, “सब ठीक है, प्रशासन ने हमें जो कहा हमने मान लिया. हम किसी से कोई लड़ाई नहीं चाहते और न किसी से कुछ बात करना चाहते हैं.”

जिस घर में तरावीह की नमाज़ हो रही थी, उसके सामने दुकान चलाने वाले व्यक्ति ने कहा, “मैं हिंदू हूँ, बावजूद इसके ये ग़लत बात है कि बाहर के लोग आकर यहाँ लोगों को घर में नमाज़ न पढ़ने दें. कोई व्यक्ति अपने ईश्वर को घर में बैठा कर उसकी पूजा करता है, तो ये कैसे ग़लत हो सकता है? इस तरह से रोक नहीं लगाई जानी चाहिए”

“अगर कोई हमें पूजा करने से रोकेगा, तो हमें कैसा लगेगा”

पास ही पान दुकान पर आए एक मुस्लिम ग्राहक ने कहा, “रमज़ान और नवरात्र चल रहे हैं. कुछ लोग बिना बात के माहौल ख़राब करना चाहते हैं. जो लोग यहाँ हंगामा करने आए थे वे यहाँ के हैं भी नहीं”

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