ऐसे तो 77 साल में पिघल जाएंगे 80% ग्लेशियर

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DMT : नयी दिल्ली : (21 जून 2023) : –

अगर उत्सर्जन में तेजी से और तत्काल कमी नहीं की गई तो हिंदूकुश हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियरों का 80 प्रतिशत हिस्सा वर्ष 2100 तक नष्ट होने का अनुमान है। एक नये अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। हिंदूकुश हिमालय क्षेत्र में दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत शृंखलाएं शामिल हैं और ध्रुवीय क्षेत्रों से इतर पृथ्वी पर बर्फ की सबसे अधिक मात्रा है।

काठमांडू स्थित ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट’ के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि ग्लेशियर 2000-2009 की तुलना में 2010-2019 की अवधि में 65 प्रतिशत तेजी से पिघले। हिंदूकुश हिमालय (एचकेएच) क्षेत्र के ग्लेशियर और बर्फ से ढके पहाड़ 12 नदियों के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं जो इस क्षेत्र में रहने वाले करीब 24 करोड़ लोगों को स्वच्छ जल प्रदान करते हैं। शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने की चेतावनी दी, जिससे भीषण बाढ़ और हिमस्खलन होगा। बता दें कि अंतर-सरकारी संगठन, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, भारत, म्यांमार और पाकिस्तान इसके सदस्य हैं, ने कहा, ‘अनुमान है कि यदि ग्लोबल वार्मिंग दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रहती है, तो एचकेएच ग्लेशियरों के वर्ष 2100 तक 30-50 प्रतिशत कम होने जबकि उच्च ग्लोबल वार्मिंग के स्तर की सूरत में ग्लेशियर के पिघलने की मात्रा 55 से 80 प्रतिशत तक होगी।’

दो अरब लोगों की आजीविका होगी प्रभावित

अध्ययन कर्ताओं ने कहा कि ग्लेशियरों के पिघलने से लगभग दो अरब लोगों के जीवन और आजीविका पर असर पड़ेगा। साथ ही पारंपरिक सिंचाई प्रणाली और फसलों को नुकसान के साथ ही मवेशियों का जीवन भी प्रभावित होगा। यानी व्यापक नुकसान की आशंका जताई गयी है।

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