केरल: 11 महिला सफ़ाईकर्मी जिन्होंने जीती 10 करोड़ की लॉटरी

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DMT : केरल : (01 अगस्त 2023) : –

जून में केरल की 11 महिलाओं ने पैसे जमाकर एक लॉटरी टिकट ख़रीदा. पिछले हफ़्ते उस टिकट पर दस करोड़ का जैकपॉट निकल आया.

ये सभी महिलाएं केरल के मलप्पुरम ज़िले के परप्पनांगड़ी क़स्बे में कूड़ा बिनने का काम करती हैं. ये महिलाएं रोज़ करीब 250 रुपये कमाती हैं. हर घर से कूड़ा लेने पर उन्हें एक फ़िक्स रक़म मिलती है. उसी रक़म को महीने के अंत में वे आपस में बाँट लेती हैं.

कभी – कभी अलग किए गए कूड़े को बेचकर स्थानीय नगर पालिका को जो आमदनी होती है उसमें से भी कुछ पैसे उन्हें मिलते हैं.

ये महिलाएं कहती हैं कि इस कमाई से उनका काम बस चल भर जाता था. इनमें से अधिकतर ने अपने बच्चों की पढ़ाई वगैहरा के लिए पैसे उधार लिए हुए हैं.भारत के अधिकतर राज्यों में लॉटरी पर प्रतिबंध है पर केरल में राज्य सरकार स्वयं एक बहुत लोकप्रिय लॉटरी का संचालन करती है. लेकिन केरल में भी प्राइवेट लॉटरी पर पाबंदी है.

राधा कहती हैं, “एक बार हमने हज़ार रुपए जीते थे. वो हमने बराबर-बराबर आपस में बाँट लिए थे.”

पिछले महीने इस समूह ने राज्य सरकार के मॉनसून बंपर लॉटरी का 250 रुपए का टिकट ख़रीदा. बंपर लॉटरियां अक्सर किसी बड़े अवसर या त्योहार पर आयोजित की जाती हैं और इनका प्राइज़ मनी भी आम लॉटरियों से कहीं अधिक होता है.

72 साल की कुट्टिमालू ने बताया कि जब राधा टिकट खरीदने के लिए वो पैसे जमा कर रही थीं तो वो बहुत दुखी हुई थीं क्योंकि उनके पास तो उतने पैसे भी नहीं थे कि वे 250 रुपए की टिकट के लिए अपना हिस्सा दे पाएं.

कुट्टिमालू ने बीबीसी को बताया, “हमारी साथी चेरुमन्नाली बेबी ने कहा कि उसके पास 25 रुपए हैं और वे मुझे इसमें आधे पैसे उधार दे सकती हैं.”

तो दोनों महिलाओं ने मिल कर साढ़े बारह रुपये 250 के टिकट ख़रीदने के लिए बतौर हिस्सा राधा को दे दिए. बाकी नौ महिलाएं ने 25-25 रुपए बतौर अपने हिस्से के जमा करवाए.

कुट्टिमालू कहती हैं, “हमने सब ने पहले ही तय कर लिया था कि जीतने पर हम सब आपस में सारे पैसे बराबर-बराबर बाँट लेंगे. हमें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि हम इतनी बड़ी रक़म जीत जाएंगे.”

लॉटरी जीतने का कैसे पता चला

इन महिलाओं को अपनी जीत के बारे में ड्रॉ आने के एक दिन बाद पता चला है. दरअसल इनमें से एक महिला ने अपने पति से कहा कि वो लॉटरी के रिज़ल्ट का पता करे.

राधा ने बताया, “बंपर प्राइज़ वाला टिकट हमने चौथी बार ख़रीदा था. और चौथी बार हमारी किस्मत के दरवाज़े खुल गए.”

62 वर्षीय बेबी को तो अब भी यक़ीन नहीं हो रहा कि उन्होंने इतनी बड़ लॉटरी जीती है.

उन्होंने बीबीसी को बताया, “किस्मत ने कभी हमारा साथ नहीं दिया है.”

साल 2018 में केरल में आई भयंकर बाढ़ में उनका घर बह गया था. अब वो जीत के पैसों से घर बनाना चाहती हैं और उधार लिए हुए पैसे लौटाना चाहती हैं.

ग्रुप की बाक़ी महिलाएं की भी कुछ ऐसी ही योजनाएं हैं.

50 साल की के. बिंदू के पति का पिछले साल किडनी फ़ेल होने के कारण देहांत हो गया था. उनके परिवार के पास किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पैसे नहीं थे और वे उन्हें नहीं बचा पाए.

के. बिंदू कहती हैं, “हम जो पैसे डायलासिस के बचाकर रखते थे उनमें से ही मेरे पति लॉटरी टिकट खरीद लेते थे. हम घर बना रहे थे और वे उसे पूरा नहीं कर पाए. अब में उसे पूरा करूंगी.”

बिंदू अपनी 15 साल की बेटी को बढ़िया शिक्षा देना चाहती हैं ताकि उसे नौकरी मिल सके.

49 साल की लक्ष्मी बताती हैं कि बंपर लॉटरी लगने से एक रात पहले तक वे अपने परिवार के भविष्य को लेकर ख़ासी चिंतित थीं.

उनके पति कंस्ट्रक्शन वर्कर हैं लेकिन केरल में भारी बारिश की वजह से राज्य में कंस्ट्रक्शन का काम ठप है और उन्हें कई दिन से कोई काम नहीं मिला है.

अब इस दंपति को अपनी बिटिया की पढ़ाई की कोई चिंता नहीं है.

56 वर्षीय लीला को तो ये फ़िक्र सता रही थी कि वो अपनी बेटी की सर्जरी के लिए कैसे पैसे जुटा पाएंगी.

वे कहती हैं, “मैंने पहले ही उसकी शादी के लिए अपने घर को गिरवी रख कर्ज ले लिया था.”

सरकार को कर देने के बाद ग्रुप को 6 करोड़ 30 लाख रुपए मिलेंगे. बेबी और कुट्टिमालु अपने हिस्से के 63 लाख को आधा-आधा कर लेंगी.

बाक़ी नौ महिलाओं को 63-63 लाख मिलेंगे.

सुचितवा मिशन के निदेशक केटी बलाभास्करन बताते हैं कि कूड़ा बिनने के अलावा ये महिलाएं सार्वजनिक शौचालय के निर्माण के दौरान मज़दूरी का काम भी करती हैं.

ये एजेंसी केरल में पब्लिक टॉयलेट बनाने की कोशिशों को कॉ-ओर्डिनेट करती है.

लॉटरी जीतने के अगले दिन यानी शुक्रवार को ये सारी महिलाएं सुचितवा के दफ़्तर पहुँची थीं.

लीला कहती हैं, “हमने तय किया कि हम ये काम बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे क्योंकि इसी काम के कारण हमें ये संपन्नता मिली है.”

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