कोलंबिया: अमेज़न के जंगलों में 40 दिन से लापता बच्चों को कैसे खोजा गया?

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DMT : कोलंबिया : (11 जून 2023) : –

कोलंबिया के जंगल में लापता हुए चार बच्चे 40 दिन बाद जीवित मिल गए हैं. ये बच्चे उस विमान में सवार थे जो अमेज़न के जंगल में क्रैश हो गया था.

बहुत से लोगों के लिए ये मामला किसी चमत्कार से कम नहीं है, जबकि कुछ इसे जंगल की ज़िंदगी का हिस्सा मान रहे हैं.

दक्षिण-पूर्वी कोलंबिया के चार आदिवासी बच्चों ने दुनिया के सबसे दूरस्थ, घने और कम पहुंच वाले जंगल में विमान दुर्घटना के बाद चालीस दिन बिताए.

एक मई 2023 को ये बच्चे अपनी मां और दो अन्य वयस्क लोगों के साथ एक छोटे विमान में यात्रा कर रहे थे. ये विमान जंगल में क्रैश हो गया और इसमें सवार सभी वयस्कों की मौत हो गई.

हादसे में 14, नौ, चार और एक साल की उम्र के चार बच्चे बच गए और ये घने जंगल में अकेले रह गए.

शुक्रवार को एक लंबे खोज अभियान के बाद सेना ने इन्हें जंगल के भीतर से खोज निकाला है. शनिवार को इन्हें राजधानी बोगोटा लाया गया जहां एक सैन्य अस्पताल में इनका इलाज चल रहा है.

कोलंबिया की मीडिया में इस ‘चमत्कार’, ‘बचाव अभियान’ और इन बच्चों की बहादुरी के क़िस्से सुनाये जा रहे हैं.

20 हज़ार किलोमीटर में फैले इस इलाक़े में अंजाम दिए गए खोज अभियान के लिए सरकार, अदिवासी समुदाय के लोग और सेना ने मिलकर काम किया. इसके अलावा इस इलाक़े के 150 वर्दीधारी कर्मचारी और आदिवासी समुदाय के 100 लोग भी खोज दल का हिस्सा बने.

कैसे की गई बच्चों की तलाश

खोजी दल में बच्चों की तलाश के लिए उनकी दादी फातिमा का एक संदेश रिकॉर्ड किया जिसे इलाक़े के खोज के दौरान इलाक़े के ऊपर से गुज़रने वाले हेलिकॉप्टरों से चलाया गया. छोटे लाउडस्पीकर के ज़रिए भी जंगल में इस संदेश को सुनाया गया.

ये संदेश स्पैनिश और आदिवासी भाषा में रिकॉर्ड किया गया था.

संदेश में बच्चों की दादी ने कहा, “मेरी मदद करो, मैं तुम्हारी दादी बोल रही हूं. तुम मेरी बात समझ रहे हो ना. तुम जहां हो वहीं पर रुक जाओ. लोग तुम्हारी तलाश में जुटे हैं. मेरी आवाज़ सुनो और जहां हो वहीं पर ठहर जाओ ताकि ये लोग तुम्हें खोज पाएं. “

फातिमा ने फ्रांस 24 न्यूज़ वेबसाइट को बताया कि, “मेरी बेटी मुझसे जुदा हो गई, अब मुझे कोई मां नहीं कहेगा. इसलिए मैं अपने पोते-पोती को खोजना चाहती हूं.”

खोज के दौरान एक झोपड़ी के पास एक दूध की बोलत मिली. अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि ये झोपड़ी बच्चों ने बनाई होगी.

बीते शुक्रवार एक जगह पर एक पैर का निशान मिला था. माना जा रहा है कि ये किसी बच्चे का ही था.

पुतुमायो में जिरीजिरी आदिवासी समुदाय के मिगुएल रोमारियो और बच्चों के परिवार के कई सदस्यों का मानना है कि उन्हें यकीन है कि बच्चों को जंगल में जीना आता है, उन्हें कुछ नहीं होगा.

खोज के दौरान मिगुएल रोमारियो कहते हैं, “हम मान रहे हैं कि बच्चे ठीक है, प्रकृति मां अपने भीतर अपने लोगों की सुरक्षा करती है. हमें लगता है कि वो उनकी रक्षा करेगी और उन्हें ज़िंदा रहने के लिए ज़रूरी चीज़ें भी दे रही है.”

आदिवासी समाज के जानकार एलेक्स रूफ़िनो का मानना है कि मीडिया रिपोर्टों में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है उससे पता चलता है कि मुख्यधारा का समाज आदिवासी समाज के बारे में कितना कम जानता है.

एलेक्स कहते हैं, “बच्चे जंगल में खोए नहीं थे बल्कि वो अपने प्राकृतिक वातावरण में थे. जंगल ही उनकी देखभाल कर रहा था और उनके पास प्राकृति के साथ सदियों से रहते आए आदिवासी समाज की सालों पुरानी बुद्धिमत्ता थी.”

नेशनल यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर और फ़ोटोग्राफ़र एलेक्स रूफ़िनो ये स्वीकार करते हैं कि इन चालीस दिनों के दौरान बच्चों की जान को गंभीर ख़तरा था. उनके पास न केवल खाने की कमी थी बल्कि और जंगल के जानवर भी उनके लिए घातक साबित हो सकते थे.

लेकिन वो ये भी कहते हैं कि वो जंगल के साथ एक तरह के संबंध में थे और “उनकी सुरक्षा जंगल ही कर रहा था.”

अमेज़न के जंगलों के बारे में छात्रों को पढ़ाने के बाद एलेक्स रूफ़िनो ने बीबीसी मुंडो से इस घटना के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि वो इस घटना की मीडिया कवरेज को दिलचस्पी से फॉलो कर रहे थे. हमने उनसे कुछ सवालों के जवाब जाने.

बच्चे जंगल में कैसे रह पाये?

बच्चे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप मेंं अपने परिजनों से बहुत कुछ सीखते हैं. जब वो शिकार करने जाते हैं या जंगल में खाना लेने जाते हैं, तो उन्हें ध्यान से देखना ज़रूरी हो जाता है. इस दौरान बच्चे ये सीख रहे होते हैं कि उनके लिए क्या चीज़ें काम कर सकती हैं और क्या नहीं.

कई बार वो ऐसी चीज़ें खाने से बीमार पड़ जाते हैं जिन्हें उन्हें नहीं खाना चाहिए. लेकिन परिवार के बड़े उन्हें बताते हैं कि उन्हें क्या खाना है और क्या नहीं.

जंगल का हर पेड़, हर कीड़ा, हर जानवर ये जानकारी देता है कि हम किस जगह पर हैं. यहां क्या उपलब्ध है और यहां क्या ख़तरे हैं. आदिवासी समाज के बच्चे ये जानते हैं कि उन्हें इन संकेतों को कैसे पढ़ना है और उनसे क्या मतलब निकालना है.

अपनी ख़ुद की शिक्षा के अलावा उन्हें जानवरों से भी मदद मिलती है. उदाहरण के तौर पर, बंदरों के खान-पान की आदतें मनुष्यों जैसी होती हैं. बंदर किन फलों को खा रहे हैं, उन्हें देखकर सीखा जा सकता है कि कौन से फल खाने लायक हैं. हमारे और बंदरों के बीच एक सह-अस्तित्व है. बंदर कई बार पेड़ से नीचे फल फेंकते हैं जिन्हें आप खा सकते हैं. चुनौती होती है जंगल में बंदर की उछल-कूद को फॉलो कर पाना क्योंकि कई बार वो बहुत तेज़ होते हैं.

बंदर की नकल नहीं करनी होती है बल्कि खाना खोजने में उनका अनुसरण करना होता है. बंदरों को पता होता है कि जंगल में खाना कहां हैं. बंदर अगर कोई टहनी तोड़ रहे हैं तो वो किसी ख़तरे का संकेत भी हो सकता है. उदाहरण के तौर पर जंगल में जैगुआर या अजगर हो सकता है.

जंगल में बंदरों के साथ एक रिश्ता बनाकर हम अपने आप को सुरक्षित कर सकते हैं.

जंगल में कोई एक जगह नहीं रह सकता है. आप इस तरह से सोचते हैं कि अपने आप चलने लगते हैं. क्योंकि जंगल में हम ऐसी चीज़ों की तलाश में होते हैं जिनसे हम रात बेहतर तरीक़े से गुज़ार सकें.

जिस जंगल में बच्चे फंसे थे उसके बारे में एलेक्स बताते हैं कि ये बहुत अंधेरे वाला और बहुत ही घना जंगल है. यहां क्षेत्र के सबसे बड़े पेड़ भी हैं. ये एक ऐसा इलाक़ा है जहां अभी तक इंसान की पहुंच बहुत सीमित है और जिसे पूरी तरह से देखा नहीं गया है. इसके भीतर क़स्बे छोटे-छोटे हैं और वो जंगल के भीतर नहीं है बल्कि नदी के किनारे-किनारे हैं.

ये बहुत ठंडा है, उमस भरा इलाक़ा है और मच्छरों से भरा है. ये ख़तरनाक़ इसलिए है क्योंकि ये जैगुआर, अनाकोंडा और अमेरिका में पाये जाने वाले सबसे ज़हरीले सांपों का इलाक़ा है.

लेकिन आपको इन्हें डर की नज़र से नहीं बल्कि सम्मान की नज़र से देखना है. जंगल में हर इंच ज़मीन पर कुछ ना कुछ आध्यात्मिकता है जिससे आप नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते है. आप हर पल इस जगह के साथ एक संवाद में होते हैं. अगर आप ऐसा नहीं कर रहे हैं तो आपकी सेहत और जान को ख़तरा हो सकता है.

हर चीज़, हर पेड़ का अपना एक अस्तित्व है जिससे कुछ ना कुछ सीखा जा सकता है. ये एक ऐसा संबंध है जिससे बदले में दवाएं और खाना पानी मिल सकता है. उदाहरण के तौर पर जब रात में आप सो रहे होते हैं तो पेड़ आपके रक्षक की भूमिका निभा रहा होता है. वो आपके शरण देते हैं, गले लगाते हैं.

जंगल में ज़िंदा रहने के लिए बच्चों ने क्या किया होगा?

एलेक्स के मुताबिक़, बच्चों को बहुत-सी गीली पत्तियां और पानी के छोटे झरने मिले होंगे, लेकिन बहुत संभव है इनका पानी पीने लायक न रहा हो.

लेकिन ऐसी पत्तियां भी हैं जो पानी को साफ़ करती हैं और कुछ ऐसी भी जो ज़हरीली होती हैं. आपको उन्हें एक खास तरीक़े से लेना होता है, ख़ास तरीक़े से धोना होता है और उनका इस्तेमाल पानी इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

उन्होंने अपने बदन को साफ़ करने के लिए ख़ास पत्तियां इस्तेमाल करने की तकनीक अपनाई होगी. ऐसा करने से मच्छर और कीड़े मकौड़ों का घातक हमला रोका जा सकता है.

हो सकता है उन्होंने पेट भरने के लिए कीड़े-मकौड़े खाये हों. जंगल में एक कीड़े से लेकर चिड़िया तक सब कुछ भोजन है. जैगुआर शिकार के बाद जो पीछे छोड़ जाता है वो भी अच्छा विकल्प है.

मुझे ऐसा लगता है कि उन्होंने फल खाये होंगे. कुछ लाल रंग के मीठे बीज भी बड़ी मात्रा में यहां उपलब्ध होते हैं. इनसे शरीर में पानी की कमी नहीं होती और ऊर्जा भी मिलती है.

जंगल में आपको ये भी पता नहीं चलता है कि आपका वज़न घट रहा है. आपको हमेशा यही लग रहा होता है कि आप ठीक हैं. आप जब बाहरी लोगों से मिलते हैं तब ही आपको लगता है कि आप ख़तरे में थे. आपको कभी नहीं लगता कि आप मरने वाले हैं, आप आगे बढ़ने पर ध्यान दे रहे होते हैं.

एलेक्स मानते हैं कि ये बहुत सामान्य है. औसतन हर दस दिन में ऐसा मामला सामने आता है जब जंगल में लोगों का एक समूह नदी पर तैरता रहता है. क्योंकि वो खाना खोजने या शिकार करने निकलते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं.

ऐसा नहीं होता है कि वो खो गए हों, क्योंकि वो अपने ही वातावरण में होते हैं. लेकिन वो आगे बढ़ रहे होते हैं और उन्हें ये पता नहीं होता कि वो अपने घर लौट पाएंगे या नहीं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें रास्ता नहीं पता होता है.

बहुत से लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं लेकिन एलेक्स का नज़रिया अलग है. वो कहते हैं कि ये ऐसी दुनिया है जहां सबकुछ बेचा जा रहा है. वो कहते हैं कि जिस मां ने जंगल में इन बच्चों का ख्याल रखा और वो जंगल ही है. आज के समाज के लिए इसे समझना मुश्किल है लेकिन इस घटना के बहाने इसे समझना ज़रूरी भी हो गया है.

एलेक्स कहते हैं जंगल में समय बिताने वाले बच्चे अपनी ज़िंदगी भर इन चालीस दिनों में सीखा सबक नहीं भूल पाएंगे. विमान क्रैश हुआ तो जंगल में बच्चों की खोज हुई.

लेकिन जंगल में तो बच्चे सदियों से रहते हैं आए हैं, रह रहे हैं, वो कैसे रहते हैं उन्हें देखने कोई नहीं आता. एलेक्स मानते हैं कि जंगल इन बच्चों के लिए ख़तरा नहीं था बल्कि जंगल ने ही इन्हें ज़िंदा रखा.

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