DMT : ग़ज़ा : (17 अक्टूबर 2023) : –
- ग़ज़ा शहर के एक अस्पताल में भीषण धमाका. फ़लस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार-कम से कम 500 लोगों की मौत. हमास ने कहा- इसराइल के हवाई हमले का नतीजा.
- इसराइल ने लगाया फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद पर आरोप. कहा- रॉकेट मिसफ़ायर होने से हुआ धमाका.
- अमेरिकी राष्ट्रपति आज पहुंचेंगे इसराइल. अरब नेताओं से जॉर्डन में होने वाले पहले से तय बैठक रद्द.
- इसराइली सेना की चेतावनी के बाद अब तक क़रीब छह लाख फ़लस्तीनियों ने उत्तरी ग़ज़ा छोड़ा.
- सात अक्तूबर को हुए हमास के हमले के बाद इसराइल ने ग़ज़ा को होने वाली ज़रूरी चीज़ों की सप्लाई रोकी. हमले में उसके 1,300 नागरिकों की मौत हुई थी.
ग़ज़ा शहर के एक अस्पताल में हुए भीषण धमाके के लिए इसराइली सरकार और फ़लस्तीनियों ने एक-दूसरे पर आरोप लगयाा है. इस धमाके में कम से कम 500 लोगों की मौत हो गई है.
फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट हमास से जुड़े स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि मंगलवार सवेरे देर शाम (इसराइली समयानुसार) हुए एक हवाई हमले में ग़ज़ा शहर में मौजूद भीड़भाड़ वाले अल-अहली अरब बैप्टिस्ट अस्पताल को निशाना बनाया गया है.
हालांकि इसराइली सेना ने हमले में हाथ होने से इनकार किया है और कहा है कि इस हमले को फ़लस्तीनी सशस्त्र विद्रोही गुट फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीजेआई) ने अंजाम दिया है. सेना का कहना है कि उनकी तरफ छोड़ा जा रहा रॉकेट मिसफ़ायर होकर अस्पताल पर गिरा.
फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद ने इस आरोप को “पूरी तरह से ग़लत” कहकर खारिज कर दिया है.
जहां अस्पताल के एक डॉक्टर ने इस घटना को “नरसंहार” कहा है वहीं एक और डॉक्टर का कहना है कि हमले के कारण अस्पताल में भारी तबाही हुई है.
सात अक्तूबर को हुए हमास के अभूतपूर्व हमले के बाद से इसराइल की जवाबी कार्रवाई में उसके युद्धक विमान ग़ज़ा पर लगातार बम बरसा रहे हैं. इसराइल ने ग़ज़ा को होने वाली ज़रूरी चीज़ों की सप्लाई भी रोक दी है. हमले में उसके 1,300 नागरिकों की मौत हुई थी.
इधर ग़ज़ा पर हो रहे इसराइली हमलों में अब तक 3 हज़ार से अधिक लोगों के मारे जाने की ख़बर है.
अस्पताल पर हुए इस हमले के बाद इलाक़े में शांति बहाल करने को हो रही पहल को बड़ा धक्का लगा है.
जॉर्डन में बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह, फ़लस्तीनी और मिस्र के नेताओं की अहम बैठक होनी थी. ये बैठक अब रद्द कर दी गई है.
हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति बुधवार को इसराइल के प्रति “अपना समर्थन दिखाने” के लिए वहां पहुंचेंगे.
मंगलवार रात को अल-अहली अरब बैप्टिस्ट अस्पताल से मिल रही तस्वीरों में तबाही और चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल साफ़ देखा जा सकता है.
अंधेरे में डूबे अस्पताल से राहतकर्मी घायलों को स्ट्रेचर पर निकालने की कोशिश कर रहे हैं. इंसानों के शव और हमले में तबाह हुई चीज़ें सड़कों पर बिखरी दिख रही हैं.
इससे जुड़ा एक वीडियो भी शेयर किया जा रहा है. इसमें धमाके के तुरंत बाद कोई बम या मिसाइल इस इलाक़े में गिरती दिख रही है.
मेडिसां साँ फ्रंतिए से जुड़े प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर ग़स्सन अबू-सित्ता युद्ध के कारण घायल हुए लोगों का इलाज कर रहे हैं. उनका कहना है, “हम अस्पताल में थे और एक ऑपरेशन कर रहे थे. एक भीषण तेज़ धमाके की आवाज़ सुनाई दी. ऑपरेटिंग रूम की छत गिर गई. जो हो रहा है वो जनसंहार है.”
एक और डॉक्टर ने बीबीसी को बताया कि अस्पतात के 80 फीसदी हिस्से में कामकाज ठप पड़ गया है और एक आकलन के अनुसार इस धमाके में 1000 लोग हताहत हैं.
अल-अहली अरब बैप्टिस्ट अस्पताल, एंजेलिकन चर्च का अस्पताल है और इसका पूरा आर्थिक खर्च वही चर्च उठाता है. चर्च का कहना है कि इस अस्पताल की मान्यता ग़ज़ा के किसी भी राजनीतिक गुट से नहीं है.
घायलों और बीमारों से पटा पड़ा था अस्पताल
इस अस्पताल में केवल घायल और बीमार ही नहीं थे बल्कि ऐसे सैकड़ों लोग भी थे जिन्होंने इसराइल की बमबारी से बचने के लिए अस्पताल में पनाह ली थी.
येरुशलम के सेंट जॉर्ज कॉलेड के डीन और शहर के चर्च के शीर्ष अधिकारियों में से एक रेवरेन्ड रिचर्ड सेवेल ने कहा कि अस्पताल में जो हुआ उसके पीछे किसका हाथ था पुख्ता तौर पर ये जान पाना मुश्किल है. हालांकि उन्होंने अस्पताल में हमले की पुष्टि की और कहा कि इसमें “बड़ी संख्या में लोग घायल हुए” हैं.
उन्होंने कहा कि अस्पताल के परिसर में कम से कम 6,000 ऐसे लोग थे जिन्होंने युद्ध के कारण अस्पताल में पनाह ली थी.
उन्होंने कहा कि शनिवार को ये अस्पताल इसराइली हवाई हमले का शिकार हुआ था. उस वक्त इसके इंफ्रास्ट्रक्चर को नुक़सान पहुंचा था और चार लोग घायल हुए थे. इस हमले के बाद क़रीब 5,000 लोग यहां से चले गए और अस्पताल परिसर में पनाह लेने वाले 1,000 लोग रह गए थे. इनमें अधिकतर अपाहिज, घायल और बड़े बूढ़े थे जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए साधन की ज़रूरत थी.
रेवरेन्ड रिचर्ड सेवेल कहते हैं कि सोमवार को जिस वक्त धमाका हुआ उस वक्त अस्पताल के भीतर 600 मरीज़ के अलावा उनके इलाज में लगे स्वास्थ्य कर्मचारी थे. उनका कहना है कि धमाके में मारे जाने वाले लोग हैं जो अस्पताल परिसर में पनाह लिए हुए थे.
उन्होंने कहा, “एक्सीडेंट कहें या जानबूझ कर किया हमला कहें, आप इसे किसी तरह जायज़ नहीं ठहरा सकते. जो हो रहा है वो बेहद डरावना है.”
‘जो देखा वो कल्पना से परे था’
ब्रितानी मूल के फ़लस्तीनी ज़ाहिर कुहैल पेशे से सिविल इंजिनियर कंस्लटेन्ट हैं, वो यूनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर भी हैं. जिस वक्त धमाका हुआ वो अस्पताल के नज़दीक थे. उन्होंने बीबीसी को बताया कि उन्होंने जो देखा वो “कल्पना से परे था.”
उन्होंने कहा, “मैंने देखा कि एक विमान से दो रॉकेट नीचे गिर रहे हैं. ये एफ़-16 या एफ़35 फ़ाइटर विमान था. उन्होंने बेगुनाहों पर हमला किया, उन्होंने कोई दया नहीं दिखाई और बर्बर तरीके से लोगों को मारा है.”
उन्होंने कहा कि इस धमाके के बाद आग लगने की घटनाएं हुई जिसमें कई लोगों की मौत हुई. उनका कहना है कि हमले के बाद सबसे पहले मदद के लिए पहुंच रहे लोगों के पास उनकी मदद के लिए कोई ज़रूरी सामान नहीं था.
डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस एडहोनम गीब्रिएसुस ने हमले की कड़ी निंदा की है. उन्होंने आम लोगों के जानो-माल की सुरक्षा की अपील की और कहा कि इसराइल को लोगों से इलाक़ा खाली करने को लेकर दिया आदेश वापस लेना चाहिए.
किसी का नाम लिए बग़ैर हमले की कड़ी आलोचना की है. संगठन ने कहा कि ये अस्पताल उत्तरी ग़ज़ा में मौजूद उन 20 अस्पतालों में से एक था जिसके इसराइली सेना के आदेश के बाद खाली किया जाना चाहिए था.
इससे पहले इसराइली डिफेन्स फोर्सेस ने उत्तरी ग़ज़ा में रहने वालों को वादी ग़ज़ा के उत्तर का पूरा इलाक़ा खाली कर दक्षिण में जाने के लिए कहा था. इसके लिए उसने 24 घटों का वक्त दिया था दिया जिसे उसने बाद में कुछ और घंटों के लिए बढ़ाया था. उसका कहना था कि वो हमास के ख़िलाफ़ ज़मीनी संघर्ष करने के लिए तैयार है.
लेकिन इसराइल के लगातार हमले के कारण उत्तरी ग़ज़ा को पूरी तरह खाली नहीं किया जा सका है. इसराइली हमलों के कारण बड़ी संख्या में घायल यहां के अस्पलातों में भर्ती हैं. इसराइल ने ग़ज़ा को मिलने वाली राहत सामग्री रोक दी है जिससे यहां खोने के सामान और पीने के पानी की भारी किल्लत हो गई है.
इंटरनेशनल रेड क्रॉस की प्रतिक्रिया?
इंटरनेशनल रेड क्रॉस ने कहा है कि वो हमले की इस घटना से सदमे में है.
संगठन ने एक बयान जारी कर कहा, “अस्पताल सुरक्षित पनाहगाह होती है जहां इंसानी ज़िंदगी को बचाया जाता है. ये तबाही और मौत के मंज़र नहीं हो सकते. अस्पताल के बेड पर किसी घायल की हत्या नहीं होनी चाहिए. घायलों और पीड़ितों को बचाने में लगे डॉक्टरों, सुरक्षाकर्मियों की जान नहीं जानी चाहिए.”
संगठन ने अपील की कि अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के तहत अस्पतालों को ज़रूरी सुरक्षा दी जानी चाहिए.
हमास ने क्या कहा?
वेस्ट बैंक में मौजूद फ़लस्तीनी प्रशासन के प्रमुख महमूद अब्बास के प्रवक्ता ने “वीभत्स हमले” के लिए इसराइल को ज़िम्मेदार ठहराया.
अस्पताल पर धमाके के बाद आम लोग वेस्ट बैंक की सड़कों पर उतर आए और उन्होंने इसराइल के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की झड़प फ़लस्तीनी सुरक्षाबलों से हुई, जिन्होंने भीड़ को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े.
हमास के पॉलिटिकल ब्यूरो का प्रमुख माने जाने वाले इस्माइल हानिया ने हमले के लिए अमेरिका को ज़िम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने ही “इसराइल की आक्रामकता को शह दी है.”
टीवी पर प्रसारित एक संदेश में हानिया ने कहा, “अस्पताल में हुआ जनसंहार बताता है कि दुश्मन कितना बर्बर है और वो हार से किस कदर डर रहा है.”
उन्होंने फ़लस्तीन से सभी लोगों से अपील की कि “सभी लोग सामने आएं और अपने इलाक़े पर कब्ज़ा करने वालों से लड़ें.” उन्होंने अरबी और मुसलमानों से इसराइल के ख़िलाफ़ विरोध कर की अपील भी की.
फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद ने क्या कहा?
फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीजेआई) ने इसराइल के इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है कि अल अहली अस्पताल में हमले का ज़िम्मेदार वो है.
इस्लामिक जिहाद के प्रवक्ता दाउद शहाब ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कहा है, “ये झूठ है और पूरी तरह से मनगढ़ंत आरोप है. ये पूरी तरह से ग़लत है. यहां पर कब्ज़ा करने वाले आम नागरिकों के ख़िलाफ़ किए अपने घिनौने काम को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.”
अमेरिका, हमास और फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद को आतंकवादी समूह मानता है.
इसराइल ने क्या कहा?
इसराइली डिफेन्स फोर्सेस ने अस्पताल में हमले के आरोप से इनकार किया है और “अपुष्ट ख़बरों” से बचने की अपील की है.
कुछ देर बाद सेना के मुख्य प्रवक्ता रीयर एडमिरल डेनियल हगारी ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा, “मामले की अतिरिकत जांच करने के बाद और कार्यकारी और खु़फ़िया सिस्टम की जंच पड़ताल के बाद ये स्पष्ट है कि ग़ज़ा के अस्पताल पर हुए हमले में इसराइली सेना का हाथ नहीं है.
उन्होंने हमले के किए फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीजेआई) को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा, “इस्लामिक जिहाद ने जो रॉकेट छोड़ा था वो ठिकाने पर गिरने में नाकाम हुआ और अस्पताल पर गिरा.”
उन्होंने कहा अब तक इसराइल पर कम से कम एक हज़ार रॉकेट दाग़े गए हैं जिनमें से 450 के आसपास इसराइल तक नहीं पहुंच सके बल्कि ग़ज़ा में ही गिर गए. उन्होंने इन्हें आम नागरिकों के लिए ख़तरा बताया.
यूके के लिए इसराइल के पूर्व राजदूत और इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के सलाहकार मार्क रेगेव ने कहा है कि वो सीएनएन से कहा कि अस्पताल में हुए धमाके से जुड़ी ख़ुफ़िया जानकारी अमेरिका के साथ साझा कर रहा है.
इससे पहले बीबीसी रेडियो 4 वर्ल्ड से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं आपसे सचेत रहने की अपील करता हूं. इसके गंभीर संकेत हैं कि इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है. हमास जीतने के लिए प्रोपोगैंडा का इस्तेमाल करना चाहता है इसलिए वो मासूम लोगों की मौत के लिए इसराइल को ज़िम्मेदार ठहरा रहा है. ऐसे कोई सबूत नहीं हैं जो उसके इस दावे की पुष्टि करें.”
उन्होंने बीबीसी से कहा कि इसराइली की ख़ुफ़िया एजेंसियों के अनुसार अल-अहली अस्पताल पर एक रॉकेट गिरने से बड़ा धमाका हुआ था. उन्होंने कहा कि फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद नाम के गुट ने उसकी तरफ रॉकेट दाग़ा था जो ठिकाने से पहले गिर गया.
इस समूह को उन्होंने “हमास का छोटा भाई” करार दिया है. हालांकि फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद ने हमले में हाथ होने से इनकार किया है.
मार्क रेगेव ने कहा “इसराइल का मानना है कि ये एक एक्सीडेंट था. वो अपने लोगों को मारना नहीं चाहते होंगे लेकिन सच्चाई ये है कि ये पहला वाकया नहीं है. उनकी तरफ से बड़ी संख्या में छोड़े जा रहे मिसाइलों में से कई ठिकाने से पहले उनके ही इलाक़ों में गिर रहे हैं.”
“आप उन्हें लापरवाह चरमपंथी कह सकते हैं. हमें पता है कि ये ग़ज़ा के लिए त्रासदी का वक्त है. वहां से वो इसराइल के केंद्रीय हिस्से को निशाना बनाना चाहते हैं. यहां तेल अवीव तक में हमें सायरन सुनने को मिल रहा है.”
“हमें पता है कि उसी वक्त उन्होंने रॉकेट दाग़ा था. हमास ने एक बयान जारी कर के कहा था कि वो उत्तरी इसराइल में मौजूद हाइफ़ा बंदरगाह तक लंबी दूरी के रॉकेट दाग़ रहे हैं. लेकिन कोई रॉकेट हाइफ़ा तक नहीं पहुंचा. तो ये रॉकेट गया कहां? कहां पर गिरा?”