चमोली में करंट से 16 लोगों की मौत, 9 घायल

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DMT : चमोली  : (19 जुलाई 2023) : –

उत्तराखंड के चमोली जिले में बुधवार सुबह नमामि गंगे परियोजना के पास एसटीपी प्लांट में बिजली का करंट फैल गया और उसकी चपेट में आने से 16 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में एक पुलिसकर्मी और 3 होमगार्ड भी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना की मजिस्ट्रेट से जांच कराने के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये मुआवज़ा देने का ऐलान किया है। हादसे में घायल हुए लोगों को एक-एक लाख रुपये दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस भयानक हादसे के लिए दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। पीएम ने हादसे पर शोक जताया है।

कैसे हुआ हादसा
चमोली पुलिस के अनुसार मंगलवार रात को करंट से परियोजना में केयर टेकर गणेश की मौत हो गई थी। सुबह उसके परिजन ढूंढते हुए पहुंचे तो उसकी लाश मिली। इस पर पुलिस को सूचना दी गई और इससे पहले कि पुलिस पहुंच पाती ग्रामीण वहां इकट्ठे हो गए। उत्तेजित ग्रामीण पंचनामा करने से पहले मुआवज़ा घोषित करने की मांग कर रहे थे। प्लांट से बाहर निकल रही दो-ढाई फ़ीट चौड़ी सीढ़ियों पर पुलिस के साथ ही ग्रामीण भी सटकर खड़े थे। इसी दौरान रेलिंगों में करंट दौड़ गया और लोग एक-एक कर वहीं गिर गए। इस हादसे में 16 लोगों की मौत की पुष्टि हो गई है। इनमें मंगलवार रात मारा गए गणेश का नाम भी शामिल है। गंभीर रूप से घायल 6 लोगों को हेलीकॉप्टर से लिफ़्ट कर हायर सेंटर, एम्स ऋषिकेश, भेजा गया है।

जांच के आदेश
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री चमोली हादसे में मारे गए लोगों के आश्रितों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को एक-एक लाख रुपये की राहत राशि देने का ऐलान करते हुए आदेश दिए कि यह सहायता तुरंत प्रदान की जाए। 

मुख्यमंत्री ने दुर्घटना की मजिस्टीरियल जांक के भी निर्देश दिए. इसके बाद चमोली के जिलाधिकारी …. ने अपर जिलाधिकारी चमोली को एक सप्ताह के अन्दर घटना की विस्तृत मजिस्ट्रियल जांच करने  के आदेश जारी कर दिए।

मौत खींच लाई एसआई प्रदीप रावत को
हादसे में मारे गए सब इंस्पेक्टर प्रदीप रावत को जैसे मौत वहां खींचकर ले गई थी। प्रदीप रावत चमोली की पीपलकोटी चौकी के इंचार्ज थे। चमोली थाने के इंचार्ज कुलदीप रावत एक केस की सुनवाई के लिए नैनीताल हाईकोर्ट गए हुए थे। इसके बाद प्रभारी एसएसआई को मिलना था, लेकिन वह भी किसी वजह से बुधवार को थाने में मौजूद नहीं थे। ऐसे में थाने का प्रभार एक दिन के लिए प्रदीप रावत को मिला था और वह मौके पर शव का पंचनामा करने गए थे। यह उनका आखिरी काम साबित हुआ।

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