जलवायु परिवर्तन के ख़तरों से क्या अब भी बचा जा सकता है?

Hindi New Delhi

DMT : नई दिल्ली : (03 जून 2023) : –

इंसानी गतिविधियों के कारण दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन अब इंसानी जीवन के हर पहलू को ख़तरे में डाल रहा है.

अगर इस मुद्दे को इस तरह ही अनियंत्रित छोड़ दिया गया तो इंसान और प्रकृति सूखा, समुद्र के बढ़ते जलस्तर और प्रजातियों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के साथ ही विनाशकारी गर्मी का अनुभव करेंगे.

दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इसके संभावित समाधान भी हैं.

जलवायु परिवर्तन क्या है?

जलवायु कई सालों में किसी क्षेत्र के औसत मौसम को कहते हैं. और जब उन परिस्थितियों में औसत बदलाव आता है तो उसे जलवायु परिवर्तन कहते हैं.

आज हम जलवायु परिवर्तन में जो तेज़ बदलाव देख रहे हैं, वह इंसानों द्वारा अपने घरों, कारखानों और परिवहन के लिए तेल, गैस और कोयले का उपयोग करने की वजह से होता है.

जब ये जीवाश्म ईंधन जलते हैं, तो वे ग्रीनहाउस गैसें छोड़ते हैं जिनमें ज़्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड गैस होती है. ये गैसें धरती के सुरक्षा कवच का काम करने वाली ओज़ोन परत को नुक़सान पहुंचाती हैं.ओज़ोन परत में छेद होने की वजह से सूर्य की गर्मी धरती पर ज़रूरत से ज़्यादा पहुंचती है और इससे धरती का तापमान बढ़ जाता है.

इस बढ़े हुए तापमान का असर ये होता है कि ग्लेशियर की बर्फ़ तेज़ी से पिघलने लगती है और समंदर का स्तर बढ़ जाता है.

जलवायु वैज्ञानिकों के मुताबिक़, यदि हम जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे परिणामों से बचना चाहते हैं तो तापमान वृद्धि को धीमा करना होगा.

तेज़ी से गर्म होती धरती पर जीवधारियों के लिए ज़रूरी भोजन और पानी खोजना भी मुश्किल हो जाएगा.

उदाहरण के लिए पोलर बियर (भालू) मर सकते हैं क्योंकि आदतन वो बर्फ में रहने के आदी होते हैं, और हाथियों को एक दिन में 150-300 लीटर पानी खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा.

जलवायु परिवर्तन दुनिया को कैसे प्रभावित करेगा?

दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के अलग-अलग प्रभाव होंगे. संयुक्त राष्ट्र के जलवायु निकाय IPCC के मुताबिक़ अगर वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5C के भीतर नहीं रखा गया:

सरकारें क्या कर रही हैं?

कई देश सहमत हैं कि जलवायु परिवर्तन से केवल एक साथ काम करके ही निपटा जा सकता है, और 2015 में पेरिस में एक ऐतिहासिक समझौते में, ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने की कोशिश करने का संकल्प लिया था.

नवंबर 2022 में मिस्र ने कॉप-27 नाम की एक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की. जहां दुनिया भर के नेता जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नई प्रतिबद्धताएँ बनाने के लिए एक साथ आए.

कई देशों ने 2050 तक “नेट ज़ीरो” लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प किया है. इसका अर्थ है ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को जितना संभव हो उतना कम करना, और बाकी उत्सर्जन को वातावरण से बराबर मात्रा में सोंखकर कर संतुलित करना.

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