टाइटैनिक का मलबा दिखाने गई पनडुब्बी में मारे गए दाऊद परिवार का भारत कनेक्शन

Hindi New Delhi

DMT : नई दिल्ली : (26 जून 2023) : –

दाऊद फ़ैमिली के कारोबार की शुरुआत उस समय हुई, जब एक अनाथ युवा अहमद दाऊद ने एक ठिये पर कपड़े के थान लगाना शुरू किए और फिर मुंबई (तब बंबई) में यार्न (धागे) की दुकान खोली.

दाऊद फ़ैमिली का नाम पिछले कुछ दिनों से देश और विदेश के समाचार माध्यमों में चर्चित है और इसकी वजह यह है कि टाइटन पनडुब्बी के हादसे में जिन पाँच यात्रियों की मौत हुई, उनमें से दो का संबंध उसी परिवार से है.

शहज़ादा दाऊद और उनके बेटे सुलेमान उस पनडुब्बी में सवार थे, जो सैर-सपाटे के मक़सद से अटलांटिक महासागर में डूबे जहाज़ ‘टाइटैनिक’ का मलबा दिखाने के लिए समुद्र तल में गई थी.

मगर अधिकारियों के अनुसार, इस दौरे में पानी के दबाव की वजह से पनडुब्बी धमाके का शिकार हुई और उसमें सवार सभी पांच यात्री मारे गए.

दाऊद फ़ैमिली की गिनती पाकिस्तान के सबसे अमीर परिवारों में होती है. शहज़ादा दाऊद एंग्रो कॉर्पोरेशन के वाइस चेयरपर्सन थे. यह कंपनी खाद, खाने पीने के सामान और ऊर्जा के क्षेत्र में काम करती है.

मगर दाऊद फ़ैमिली का कारोबार देश के अंदर और बाहर व्यापक पैमाने पर फैला हुआ है. इसके अलावा यह परिवार स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सामाजिक कामों में भी हिस्सा लेता है.

दाऊद फ़ैमिली ने ठिये पर कपड़े बेचने से कारोबार शुरू किया

पाकिस्तान के सबसे बड़े उद्योगपतियों में शामिल दाऊद फ़ैमिली ने बीसवीं सदी की शुरुआत में एक छोटी सी जगह से कारोबार शुरू किया और कुछ ही दशकों में इस परिवार की गिनती क्षेत्र के सबसे अमीर घरानों में होने लगी.

आज इस परिवार के पास दर्जनों उद्योग और व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं. उनका कारोबार पाकिस्तान से ब्रिटेन तक फैला हुआ है.

दाऊद फ़ैमिली के प्रमुख अहमद दाऊद का जन्म 1905 में तत्कालीन काठियावाड़ राज्य के इलाक़े बाँटवा में हुआ था. यह शहर अभी भारत के गुजरात में सौराष्ट्र इलाक़े में है.

उनके पिता व्यापारी थे. उन्होंने केवल तीसरी क्लास तक पढ़ाई की थी. बचपन में ही उनके पिता गुज़र गए जिसके बाद उनका पालन-पोषण उनके दादा ने किया.

‘अहमद दाऊद एक पैकर-ए-औसाफ़’ (अहमद दाऊद: सर्वगुण संपन्न) नाम की किताब के लेखक उस्मान बाटलीवाला लिखते हैं कि अहमद दाऊद ने 16 साल की उम्र में ठिये पर कपड़े के थान लगाकर अपने कारोबार की शुरुआत की जबकि दाऊद इन्वेस्टमेंट की वेबसाइट के अनुसार अनाथ युवा अहमद दाऊद ने 1920 में मुंबई में यार्न की दुकान खोली थी.

अहमद दाऊद से कई बार मुलाक़ात कर चुके उस्मान बाटलीवाला कहते हैं कि सेठ अहमद बताते थे कि उनकी मां प्रतिभाशाली और समझदार महिला थीं. वह अपने बच्चों का हौसला बढ़ाती थीं, जिसकी वजह से उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत मिलती रही.

मेमन समुदाय पर किताब के लेखक उमर अब्दुल रहमान लिखते हैं कि उन्होंने कॉटन जिनिंग (रूई ओटना) प्रेसिंग फ़ैक्ट्री के अलावा तेल की मिल और वेजिटेबल ऑयल की फ़ैक्ट्री लगाई और देखते ही देखते दाऊद फ़ैमिली के दफ़्तर और उनकी शाखाएं कलकत्ता (कोलकाता), मद्रास (चेन्नई), कानपुर, मथुरा, लुधियाना और दिल्ली जैसी जगहों में फैल गईं.

उस्मान लिखते हैं कि जब उन्होंने खाद्य तेल का कारख़ाना लगाया तो उसके बाद उनका कारोबार ख़ूब फला-फूला और यह कामयाबी से चल पड़ा. इस कारोबार में उनके भाई सुलेमान दाऊद, अली मोहम्मद दाऊद, सिद्दीक़ दाऊद और सत्तार दाऊद भी शामिल रहे.

उपमहाद्वीप के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना के बाद वह ब्रिटेन चले गए, जहाँ वह कुछ समय तक रहे. बाद में वहां से पाकिस्तान चले गए. उन्होंने मैनचेस्टर और पाकिस्तान में दाऊद प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी बनाई.

पाकिस्तान में सैनिक शासकों के शुरुआती दौर और दाऊद परिवार

पाकिस्तान में सेना का शासन काल दाऊद परिवार के लिए अनुकूल रहा, चाहे वह ज़माना फ़ील्ड मार्शल अय्यूब ख़ान का रहा हो या जनरल ज़ियाउल हक़ का.

उस्मान बाटलीवाला लिखते हैं कि अहमद दाऊद ने पाकिस्तान में कॉटन की ब्रोकरी शुरू की.

अय्यूब ख़ान के शासनकाल में कराची में और बोरेवाला में टेक्सटाइल फ़ैक्ट्रियां बुरे हाल में थीं.

ये फ़ैक्ट्रियां सरकारी संस्थान पाकिस्तान इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (पीआईडीसी) के तहत थीं लेकिन वह उन्हें चला नहीं पा रहा था.

इसलिए अय्यूब ख़ान को राय दी गई कि अगर यह फ़ैक्ट्रियां अहमद दाऊद को दी जाएं तो अच्छा काम करेंगी. उन्हें यह पेशकश की गई तो उन्होंने और उनके भाइयों ने इसे क़बूल कर लिया.

किताब में लिखा है कि हाल के निजीकरण के तरीक़े के अनुसार, तब इस काम के लिए न तो कोई बोली लगी और न ही नीलामी हुई. फ़ैक्ट्रियां उन्हें सुपुर्द की गईं और उन्होंने रक़म अदा की.

इससे पहले उनके पास लांढी (कराची) में दाऊद कॉटन मिल्स थी जो 1952 से काम कर रही थी.

पश्चिमी पाकिस्तान के बाद वह पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में भी क़िस्मत आज़माने चले गए.

यह मौक़ा भी अय्यूब ख़ान की सरकार में हाथ लगा. वहां कर्णफूली पेपर मिल्स और कर्णफूली टेक्स्टाइल मिल्स मज़दूरों के विरोध प्रदर्शन और दूसरे मामलों की वजह से ख़राब हालत में थीं.

उस्मान बाटलीवाला के अनुसार, नवाब ऑफ़ कालाबाग़ ने सेठ अहमद को पेशकश की कि उनको ख़रीद लें. उन्होंने इसको क़बूल किया और मेहनत की तो ये चल पड़ीं. पेपर मिल्स उस समय पाकिस्तान की एकमात्र मिल थी जहां बांस से पेपर बनाया जाता था.

17 जनवरी 1969 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने अहमद दाऊद फ़ैमिली को पाकिस्तान का दूसरा सबसे अमीर परिवार बताया था जिसकी संपत्तियों का मूल्य उस समय 20 करोड़ डॉलर था.

उनके पास कॉटन, वुलेन, टेक्सटाइल, यार्न, केमिकल्स, माइनिंग, बैंकिंग, इंश्योरेंस, पेपर और फ़र्टिलाइज़र के कारख़ाने थे.

1971 में पूर्वी पाकिस्तान के अलग होने की वजह से कर्णफूली पेपर मिल्स, दाऊद माइनिंग और दाऊद शिपिंग समेत कई कारख़ाने और कारोबार प्रभावित हुए. उस्मान बाटलीवाला बताते हैं कि उन दिनों उनके नुक़सान का अंदाज़ा 30 से 35 करोड़ रुपये लगाया गया था.

‘पाकिस्तान के सबसे अमीर’ 22 परिवार और दाऊद फ़ैमिली

फील्ड मार्शल जनरल अय्यूब ख़ान के शासनकाल में डॉक्टर महबूबुल हक़ ने बजट भाषण के दौरान यह बात बताई थी कि पाकिस्तान की 60 से 80 प्रतिशत दौलत पर केवल 22 परिवारों का क़ब्ज़ा है लेकिन उन्होंने उन परिवारों के नाम नहीं बताए थे.

लेकिन इस राज़ के उजागर होने से एक प्रतिरोधी आवाज़ ने जन्म लिया और पाकिस्तान के अवामी शायर हबीब जालिब ने लिखा:

ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो समाजवाद के नारे के साथ जब सत्ता में आए तो उन्होंने उन परिवारों को चिह्नित किया और चेतावनी दी कि इस वक़्त पाकिस्तान को पूंजी की ज़रूरत है, इसलिए ये परिवार अपनी पूंजी वापस लाएं, वर्ना वह उन्हें गिरफ़्तार कर लेंगे.

बाद में उन्होंने दाऊद फ़ैमिली समेत कई परिवारों की संपत्ति को राष्ट्रीय अधिकार में ले लिया यानी उन्हें नेशनलाइज़ कर दिया.

उस्मान बाटलीवाला के अनुसार, उन 22 परिवारों में से 14 मेमन घराने थे और दाऊद फ़ैमिली दूसरे नंबर पर थी.

उस दौरान से दाऊद को नज़रबंद कर दिया गया और जब वह रिहा हुए तो अमेरिका चले गए. उस वक़्त उन्हें ‘दो अरब रुपए का नुक़सान’ हुआ था.

अहमद दाऊद ने अमेरिका में ऑयल एक्सप्लोरेशन कंपनी के साथ कारोबार की शुरुआत की और एक जगह ड्रिलिंग की तो वहां से पेट्रोल निकल आया.

जब पाकिस्तान में जनरल ज़ियाउल हक़ ने भुट्टो की सरकार को बेदख़ल करके सत्ता पर क़ब्ज़ा जमाया तो अहमद दाऊद के अच्छे दिन दोबारा आ गए.

जनरल ज़ियाउल हक़ के दौर में अहमद दाऊद वापस पाकिस्तान आ गए और उनके उद्योगों और पूंजी निवेश की दोबारा शुरुआत हो गई. जनरल ज़ियाउल हक़ के साथ अहमद दाऊद के अच्छे संबंध थे.

उस्मान बाटलीवाला के अनुसार, उनके 20 ऐसे प्रोजेक्ट्स थे जो उन्होंने अपने जीवन में ही अपने भाइयों सुलेमान दाऊद, अली मोहम्मद दाऊद, सिद्दीक़ दाऊद और सत्तार दाऊद में बांट दिए और हर एक के हिस्से में जो उद्योग आए उसे उन्होंने आगे बढ़ाया.

दाऊद फ़ैमिली के महत्वपूर्ण पदाधिकारी

दाऊद फ़ाउंडेशन के प्रमुख इस समय अहमद दाऊद के बेटे हुसैन दाऊद हैं.

पाकिस्तान में दाऊद परिवार का एक और प्रसिद्ध नाम रज़्ज़ाक़ दाऊद हैं जो पूर्व फ़ौजी राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के दौर में वाणिज्य सलाहकार रहे और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ की सरकार में भी वाणिज्य-व्यापार का मंत्रालय उनके पास था.

रज़्ज़ाक़ दाऊद, सुलेमान दाऊद के बेटे हैं जो अहमद दाऊद के भाई थे. रज़्ज़ाक़ दाऊद डिस्कॉन इंजीनियरिंग कंपनी के मालिक हैं.

दूसरी ओर शहज़ादा दाऊद के पिता हुसैन दाऊद और उनका परिवार एंग्रो कॉर्पोरेशन और दाऊद हरक्यूलिस कॉर्पोरेशन के मालिक हैं.

टाइटन हादसे में जान गंवाने वाले शहज़ादा दाऊद एंग्रो के वाइस चेयरमैन थे.

एंग्रो और दाऊद हरक्यूलिस कॉर्पोरेशन

कारोबारी संस्थाओं के प्रदर्शन और उनकी रेटिंग पर काम करने वाली संस्था पाकिस्तान क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (पाकरा) के अनुसार, एंग्रो कॉर्पोरेशन की स्थापना 1965 में हुई लेकिन उस समय उसका नाम ईसो पाकिस्तान फ़र्टिलाइज़र कंपनी था, जो माड़ी गैस फ़ील्ड की खोज के बाद स्थापित की गई थी.

विदेशी साझेदारों के निकलने के बाद उसका नाम एंग्रो केमिकल कर दिया गया जो फ़र्टिलाइज़र के क्षेत्र में काम कर रही थी और दूसरे क्षेत्रों में शामिल होने के बाद उसका नाम एंग्रो कॉर्पोरेशन रख दिया गया जिसके तहत दस से अधिक कंपनियां काम करती हैं.

एंग्रो कॉर्पोरेशन पाकिस्तान स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कंपनी है जिसके सबसे अधिक शेयर दाऊद फ़ैमिली की संस्थाओं और उसके लोगों के पास हैं. शहज़ादा दाऊद एंग्रो कॉर्पोरेशन के वाइस चेयरमैन थे जबकि उनके पिता हुसैन दाऊद इसके चेयरमैन हैं. शहज़ादा दाऊद के भाई समद दाऊद इसके डायरेक्टर हैं.

हुसैन दाऊद और उनके परिवार की दूसरी बड़ी कंपनी दाऊद हरक्यूलिस कॉर्पोरेशन है जिसके शेयर दाऊद कॉर्पोरेशन में भी हैं.

दाऊद हरक्यूलिस कॉर्पोरेशन के चेयरमैन हुसैन दाऊद हैं जबकि उनके बेटे समद दाऊद उसके वाइस चेयरमैन हैं और शहज़ादा दाऊद उसके डायरेक्टर थे.

हालांकि हुसैन दाऊद और उनके परिवार की संपत्ति एंग्रो कॉर्पोरेशन और दाऊद हरक्यूलिस कॉर्पोरेशन स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कंपनियां हैं जिसमें आम लोगों के अलावा संस्थाओं के भी शेयर हैं लेकिन उनके अधिकतर शेयर दाऊद फ़ैमिली के पास ही हैं.

‘पाकरा’ के अनुसार एंग्रो कॉर्पोरेशन के बोर्ड में स्पॉन्सरिंग फ़ैमिली यानी दाऊद परिवार के सदस्य सबसे अधिक हैं.

पाकिस्तान में दाऊद परिवार की कंपनियां और संपत्ति

हुसैन दाऊद और उनके बच्चे दाऊद हरक्यूलिस कॉर्पोरेशन और एंग्रो कॉर्पोरेशन में अधिकतम शेयर के मालिक हैं. ये दोनों कॉर्पोरेशन विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं.

दाऊद हरक्यूलिस ग्रुप की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार यह ग्रुप अपनी विभिन्न एसोसिएट कंपनियों और मातहत संस्थाओं के ज़रिए पूंजी निवेश करता है. जैसे, एंग्रो फ़र्टिलाइज़र में एंग्रो कॉर्पोरेशन के 56 प्रतिशत शेयर हैं.

रिपोर्ट के अनुसार 2022 से लेकर अब तक यह ग्रुप ऊर्जा, फ़ूड एंड एग्रीकल्चर, पेट्रो केमिकल, केमिकल स्टोरेज, रिन्यूएबल एनर्जी, इनफ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और डिजिटल क्षेत्रों में सात अरब डॉलर की पूंजी निवेश कर चुका है.

‘एंग्रो एग्ज़िम्प एग्री’ में कॉर्पोरेशन शत प्रतिशत शेयर की मालिक है. एंग्रो एनर्जी टर्मिनल में उसके 56 प्रतिशत शेयर हैं जबकि एंग्रो एनर्जी लिमिटेड में यह 100 प्रतिशत शेयर की मालिक है.

सिंध सरकार की एंग्रो कोल माइनिंग कंपनी में हुसैन दाऊद के परिवार की कंपनी एंग्रो कारपोरेशन 11 प्रतिशत शेयरों की मालिक है. कंपनी की सालाना रिपोर्ट के अनुसार इस तरह केमिकल के क्षेत्र में एंग्रो पॉलीमर एंड केमिकल में कॉर्पोरेशन 56 प्रतिशत शेयरों की मालिक है.

एंग्रो कॉर्पोरेशन की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के अनुसार यह कुल मिलाकर लगभग 750 अरब रुपए की संपत्ति की मालिक है.

एंग्रो कॉर्पोरेशन के 2022 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार इसने पूरे साल में 46 अरब का लाभ कमाया. दाऊद हरक्यूलिस कॉर्पोरेशन के सालाना वित्तीय नतीजों के अनुसार इसका 2022 में लाभ साढ़े तीन अरब रुपये से अधिक रहा.

सालाना रिपोर्ट के अनुसार दाऊद हरक्यूलिस कॉर्पोरेशन विभिन्न क्षेत्रों में दो हज़ार से अधिक लोगों को नौकरी दे रही है जबकि दूसरी ओर एंग्रो कॉर्पोरेशन की विभिन्न कंपनियों में काम करने वाले लोगों की संख्या साढ़े तीन हज़ार से अधिक है.

एंग्रो कॉर्पोरेशन के अनुसार इस ने सन 2022 में सामाजिक क्षेत्र में 84 करोड़ रुपये ख़र्च किए जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ़्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण की बेहतरी आदि शामिल हैं.

कॉर्पोरेशन के अनुसार उसने सरकार को टैक्स की मद में 2022 में 29.5 करोड़ डॉलर जमा कराए जबकि उसकी मातहत कंपनी एंग्रो एनर्जी ने पाकिस्तान के 90 हज़ार लोगों के घर में बिजली पहुंचाई.

पाकिस्तान क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के अनुसार दाऊद ग्रुप के स्वामित्व वाली एंग्रो कॉर्पोरेशन का प्रदर्शन लगातार बेहतर रहा है. उसका दीर्घकालिक प्रदर्शन प्लस ए ए है और उसका आउटलुक (समग्र स्थिति) सुदृढ़ है.

दाऊद परिवार की शिक्षा, विज्ञान और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवाएं

पाकिस्तान में 1961 में दाऊद फ़ाउंडेशन बनाई गई जिसका उद्घाटन जनरल अय्यूब ख़ान ने किया था. दाऊद फ़ैमिली ने शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया.

फ़ाउंडेशन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सेठ अहमद ख़ान ने बताया था कि पूर्वी पाकिस्तान के शहर मैसूर में उन्होंने स्कूल की इमारत बनाई है, उसके साथ बोरेवाला में गवर्नमेंट कॉलेज में साइंस बिल्डिंग का निर्माण कराया गया और कराची के देहाती क्षेत्र दरसानू छन्नू में स्कूल बनाया गया.

दाऊद फ़ाउंडेशन ने 1962 में कराची में दाऊद कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी स्थापित की जो पाकिस्तान के निजी क्षेत्र में इंजीनियरिंग की शिक्षा देने वाला पहला प्रोफ़ेशनल कॉलेज था. यहां केमिकल इंजीनियरिंग, मेटालर्जी और मटेरियल इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में शिक्षा दी जाती थी.

बाद में ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो सरकार में इसको नेशनलाइज़ कर दिया गया और इसका कंट्रोल केंद्र सरकार के पास आ गया.

कराची में 1983 के दौरान अहमद दाऊद गर्ल्स पब्लिक स्कूल की बुनियाद रखी गई जो इस समय भी फ़ाउंडेशन के मातहत है, जहां ढाई हज़ार से अधिक लड़कियों को शिक्षा दी जाती है. इसके अलावा ‘लम्स’ (लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैनेजमेंट साइंसेज़) और कराची यूनिवर्सिटी में भी दाऊद फ़ैमिली के नाम से बिज़नेस स्कूल हैं.

कराची में 1991 में स्थापित पाकिस्तान में गुर्दों के सबसे बड़े अस्पताल, इंस्टीट्यूट ऑफ़ यूरोलॉजी एंड ट्रांसप्लांट में भी दाऊद फ़ैमिली की बड़ी भूमिका है.

इस इंस्टीट्यूट के डॉक्टर गौहर के अनुसार बशीर दाऊद ने यहां अरबों रुपयों की सहायता की है जिनसे तीन बड़ी इमारतें बनाई गई हैं. यहां बच्चों और कैंसर के मरीज़ों का इलाज किया जाता है. इसके अलावा डायलिसिस और ट्रांसप्लांट की मशीनरी की ख़रीदारी में भी सहायता की जाती है.

दाऊद फ़ाउंडेशन ने कराची में पब्लिक स्पेस के लिए टीडीएफ़ (द दाऊद फ़ाउंडेशन) घर बनाया. 1930 में बनाए गए इस घर में कराची के इतिहास और पुरानी यादों से जुड़े फ़र्नीचर और ग्रामोफ़ोन समेत दूसरे सामान मौजूद हैं और यहां से पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के मज़ार का नज़ारा भी किया जा सकता है.

टीडीएफ़ घर कराची में मध्यवर्ग के लिए बनाई गई पहली कोऑपरेटिव सोसाइटी जमशेद क्वार्टर में स्थित है जो कराची के सांस्कृतिक इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है.

इस सोसाइटी की स्थापना 1920 में जमशेद नसरवांजी (टाटा) ने रखी थी और यहां मुसलमान, हिंदू, ईसाई, पारसी और यहूदी साथ-साथ रहते थे.

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