प्रशांत किशोर ने कहा, बीजेपी ये चाहती है कि लोग मान लें कि 2024 चुनाव के बाद कुछ नहीं

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DMT : नई दिल्ली : (02 मार्च 2024) : – राजनीतिक रणनीतिकार और जन सुराज अभियान के संयोजक प्रशांत किशोर ने कहा है कि बीजेपी ये चाहती है कि लोग ये मान लें कि 2024 के चुनाव के बाद आगे कुछ नहीं.

प्रशांत किशोर ने विपक्ष की रणनीति पर सवाल उठाए और कहा कि इस लोकसभा चुनाव को ‘डू ऑर डाई’ कहना विपक्ष की सबसे बड़ी राजनीतिक भूल है.

प्रशांत किशोर ने कहा, “विपक्ष दूसरी बड़ी ग़लती कर रहा है. ये बहुत बड़ी रणनीतिक ग़लती है जिसे विपक्ष कर रहा है. कोई अगर ये कह रहा है कि इसके बाद कुछ नहीं होगा. ये तो बीजेपी चाहती है कि आप और हम ये मान लें कि 2024 के चुनाव के बाद आगे कुछ भी नहीं. जैसे ये पहला और आख़िरी चुनाव हो और एक बार अगर जनता ने बीजेपी के पक्ष में जनादेश दे दिया, तो कोई सवाल मत करो.”

उन्होंने कहा कि 2024 में कोई जीते या कोई हारे. इसका मतलब ये नहीं कि देश में विपक्ष नहीं रहेगा, असहमति नहीं रहेगी. इस देश की समस्याएँ नहीं रहेंगी. देश में आंदोलन नहीं होने चाहिए या देश में प्रयास नहीं होने चाहिए, जो बीजेपी से इत्तेफ़ाक नहीं रखते.

उन्होंने कहा, “अगर विपक्ष ये कह रहा है. उनको लग रहा है कि वे लोगों को डरा रहे हैं ताकि हम कहेंगे कि 2024 के बाद कुछ नहीं बचेगा, इसलिए वोट दो हमें. मुझे लग रहा है कि वे बहुत बड़ा टेक्निकल ब्लंडर कर रहे हैं. उन्हें ये नहीं कहना चाहिए. ये सच्चाई भी नहीं है.”

प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर वे उनकी जगह होते, तो ये कहते कि 2024 में लड़ेंगे, पूरी ताक़त से लड़ेंगे, लेकिन अगर 2024 में जीत नहीं भी हुई, तो इसके बाद भी समय आएगा.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहकर एजेंडा सेट कर दिया है कि अबकी बार 400 पार. वो कहते हैं कि अब बात बीजेपी की हार-जीत की नहीं हो रही है, बल्कि इस बात की चर्चा है कि 400 सीटें आएँगी या नहीं. 

लोकसभा चुनाव और विपक्षी एकता की कोशिश

उन्होंने कहा कि इसी तरह से यह सबको पता है कि 2024 के अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होंगे. ऐसे में विपक्ष का ‘इंडिया’ गठबंधन जो चुनाव से कुछ महीने पहले बना है, क्या वह गठबंधन दो-तीन साल पहले नहीं बन सकता था.

वो कहते हैं कि विपक्षी दलों को गठबंधन करने से किसने रोका था.

प्रशांत किशोर ने कहा, “वो तीन साल पहले भी किसानों का मुद्दा उठा सकते थे, दो-तीन साल पहले ही वो सीट शेयरिंग कर सकते थे. तीन साल पहले ही गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रख दिया होता. अगर तीन साल पहले ही इंडिया गठबंधन बन गया होता तो उसको लेकर लोगों की समझ आज ज़्यादा होती.”

बाद में बीबीसी के साथ बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष जो एकता की कोशिशें करता दिख रहा है, वह दो-तीन साल पहले होनी चाहिए थी.

उन्होंने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन की भी उम्मीद जताई है.

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी.

बिहार के बारे में प्रशांत किशोर ने कहा कि अब वे बिहार में वो करना चाहते हैं, जिससे बिहार के लोगों की ज़िंदगी बदले, न कि केवल यहाँ की सत्ता बदले.

उन्होंने कहा कि आज तक मिले अनुभव के आधार पर उन्हें लगाता है कि महात्मा गांधी का रास्ता आज सबसे अधिक प्रासंगिक है.

उन्होंने कहा, “जब समाज में जाकर जन चेतना को नहीं बदला जाता है, तब तक किसी बड़े परिवर्तन की उम्मीद बेमानी है.”

प्रशांत किशोर ने कहा कि जब यात्रा की योजना बनाई गई तो उन्होंने तय किया कि वे लोगों को यह नहीं बताएंगे कि किसको वोट दें और किसको नहीं. वे लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वोट किस बात के लिए देना चाहिए.

प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी दूसरे कालखंड की तुलना में आज के समय में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता ज़्यादा है.

उन्होंने कहा कि आज शहरी भारत में यह धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है कि महात्मा गांधी की प्रासंगिकता नहीं रह गई है या उनको मानने वालों की संख्या कम हो गई है.

प्रशांत किशोर ने कहा, “2018-19 के दौरान मैंने देश के क़रीब 2,500 कॉलेजों में एक सर्वेक्षण करवाया था. सर्वे के परिणाम से पता चला कि महात्मा गांधी आज भी इस देश में सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले सामाजिक-राजनीतिक व्यक्तित्व हैं.”

अगले कुछ महीनों में होने वाले लोकसभा चुनाव में ‘जन सुराज’ की भूमिका के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि अभी वे जनता को जागरूक करने की भूमिका में बने रहेंगे.

उन्होंने कहा कि उन्होंने बिहार की जनता से वादा किया है कि पहले वे पूरे बिहार की पदयात्रा करेंगे, उसके बाद अधिवेशन-सम्मेलन कर उसमें चर्चा करेंगे कि वे लोग दल बना रहे हैं, तभी जाकर दल बनेगा.

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल बनाने के सवाल पर वो कहते हैं कि उन्होंने लोकसभा या विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर यात्रा नहीं शुरू की है.

लेकिन उन्होंने बिहार के अगले विधानसभा चुनाव से पहले ‘जन सुराज’ यात्रा पूरी होने और नया राजनीतिक दल बन जाने की उम्मीद जताई.

कौन दे रहा है ‘जन सुराज’ यात्रा का ख़र्चा?

‘जन सुराज’ यात्रा को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब में प्रशांत किशोर कहते हैं कि सवाल तो उठते रहेंगे, जिनका काम सवाल उठाना है, वे सवाल उठाते रहेंगे. उनका काम अपने काम को ईमानदारी और शुद्धता से करना है.

प्रशांत किशोर ने कहा, “यात्रा के दौरान मैं लोगों से कहता हूँ कि आप यह मत देखिए कि प्रशांत किशोर क्या कह रहे हैं, आप यह देखिए कि मैं कर क्या रहा हूं. आप मेरे काम को अपने अनुभव की कसौटी पर कसिए, ठीक लगे तो मुझसे जुड़िए.”

प्रशांत किशोर कहते हैं कि उनके पास केवल एक ही फ़ॉर्मूला है कि लोगों को संगठित कैसे किया जाए और लोगों को संगठित कर एक राजनीतिक दल कैसे बनाया जाए. अगर राजनीतिक दल बन जाए तो उसे चुनाव कैसे लड़ाया जाए और उसे जिताया कैसे जाए.

‘जन सुराज’ यात्रा के पैसे के स्रोत के सवाल पर प्रशांत किशोर कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में उन्होंने कई राज्यों में कई लोगों और कई राजनीतिक दलों को चुनाव जीताने में मदद की है. लेकिन उन्हें कोई राजनीतिक दल पैसा नहीं दे रहा है.

उन्होंने कहा, “जन सुराज यात्रा के लिए पैसा वे लोग दे रहे हैं जिनके चुनाव में मैंने मदद की है. ऐसे लोग साधन संपन्न हैं और वही लोग यात्रा के लिए पैसे दे रहे हैं. इन लोगों को मुझ पर भरोसा है कि अगर प्रशांत किशोर ये प्रयास कर रहे हैं तो इससे ज़रूर कुछ अच्छा निकल सकता है. इसलिए वो मेरी मदद कर रहे हैं.”

पश्चिम बंगाल में संदेशखाली के मुद्दे पर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी में मचे घमासान के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि इस तरह के मुद्दे सही हैं या ग़लत हैं, यह तो जाँच का विषय है, लेकिन जब यह मुद्दा जनता के बीच में आता है तो सत्ताधारी दल को उसका नुक़सान उठाना पड़ता है.

उन्होंने कहा, “यह कहना कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी कमज़ोर हो गई है, यह ठीक नहीं है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को तृणमूल ने बहुत मेहनत करके हराया था.”

“अगर उस तरह की मेहनत लोकसभा चुनाव में नहीं की गई तो बीजेपी के लिए चुनाव परिणाम क़रीब-क़रीब 2019 के जैसे या उससे बेहतर भी आ सकते हैं.”

उनका कहना है कि 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद से पश्चिम बंगाल में बीजेपी के समर्थन में बढोतरी हुई है. ऐसे में अगर तृणमूल को अपने आधार को बचाना है, तो उसे बहुत कड़ी मेहनत करनी होगी.

आम लोगों में कैसी है प्रशांत किशोर की छवि

बिहार में जन सुराज अभियान शुरू करने वाले प्रशांत किशोर पिछले करीब डेढ़ साल से राज्य में पदयात्रा पर हैं और वो अभी तक 14 ज़िलों की यात्रा कर चुके हैं.

बीबीसी के साथ बातचीत में प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव, बीजेपी, राम मंदिर, तेजस्वी यादव और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार को लेकर भी अपनी राय ज़ाहिर की.

जब बिहार के सहरसा ज़िले के गाँव देहद में बीबीसी की टीम उनसे मिलने पहुँची, तो रास्ते में जगह-जगह पर प्रशांत किशोर की तस्वीर लगे स्वागत द्वार बने थे.

सड़क के दोनों ओर की दुकानों, खंभों पर कई जगह जन सुराज के पीले झंडे और जय श्रीराम के झंडे साथ दिखे.

क्या आप प्रशांत किशोर को जानते हैं, नाम सुना है, या उन्हें देखा है? इस सवाल कुछ लोगों ने कहा कि वो प्रशांत किशोर के बारे में नहीं जानते और एक बार उन्हें सुनने के बाद उनके बारे में मन बनाएँगे. कुछ ने कहा कि उन्होंने प्रशांत किशोर के वीडियो देखे हैं.

प्रशांत किशोर ने गाँव वालों से क़रीब आधे घंटे बात की. वहीं खड़े ज़हूर आलम ने कहा कि वो प्रशांत किशोर को मोबाइल पर सुनते रहे हैं और प्रशांत किशोर ने कई अच्छी बातें कीं.

रंजीत कुमार सिंह ने कहा कि प्रशांत अच्छी बातें जनता तक पहुंचा रहे हैं.

बड़ी संख्या में महिलाएँ भी प्रशांत किशोर को सुनने आईं हुई थीं. प्रशांत लोगों से अपनी बात रखने को कहते, उनसे सवाल पूछते.

एक जगह उन्होंने कहा, “जनता का राज अगर चाहिए तो इसका एक ही रास्ता है. अगली बार वोट नेता का चेहरा देखकर नहीं, अपने बच्चों का चेहरा देखकर दीजिए.”

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