बेबी सीरियल किलर नर्स जो सालों बाद बच्चों को मारने के मामले में पकड़ी गई

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DMT : ब्रिटेन  : (20 अगस्त 2023) : –

एक अस्पताल के नवजात शिशु यूनिट में काम करने वाली नर्स लूसी लेटबाय पर बच्चों की मौत में संलिप्तता का संदेह हुआ तो विभाग के मुख्य डॉक्टर ने इसकी शिकायत की.

लेकिन अस्पताल के प्रबंधन ने लूसी के ख़िलाफ़ लगे आरोपों की जांच करने की बजाय डॉक्टरों को चुप कराने की कोशिश की और जब तक पुलिस तक मामला पहुंचता सात बच्चों की मौत हो गई.

गिरफ़्तार होने से पहले नर्स लूसी तीन साल तक उसी अस्पताल में काम करती रहीं.

नवजात शिशु विभाग के मुख्य डॉक्टर डॉ. स्टीफेन ब्रेयरे ने अक्टूबर 2015 में चेतावनी दी थी कि ‘नर्स ही शायद बच्चों की हत्या कर रही थी.’

लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और इसके बाद उसने पांच अन्य नवजातों को मारने की कोशिश की, जिनमें दो की मौत हो गई.

चेशायर में काउंटेस ऑफ़ चेस्टर हॉस्पिटल में सात नवजातों की हत्या और सात हत्या की कोशिश का लेटबाय को दोषी पाया गया है.

पहले पांच नवजातों की मौत जून से अक्टूबर 2015 के बीच हुई, जबकि अंतिम दो बच्चों की मौत जून 2016 में हुई.

जांचकर्ताओं को इस बात पर हैरानी हुई कि जब नवजातों की मौत हुई, नर्स लूसी लेटबाय ड्यूटी पर थीं.

जून 2015 से पहले इस विभाग में साल में दो या तीन नवजातों की मौत होती थी. लेकिन जून में कुछ अजीब घटनाएं घटीं.

दो हफ़्ते के अंदर तीन नवजात शिशुओं की मौत हो गई. डॉ. ब्रेयरे ने यूनिट मैनेजर इरियन पॉवेल और अस्पताल के डायरेक्टर एलिसन केली के साथ मीटिंग बुलाई.

ब्रेयरे ने बीबीसी को बताया, “हर बारीक़ पहलुओं पर हमने ग़ौर किया. हमें पता चला कि तीनों मौतों के दौरान लूसी लेटबाय ड्यूटी पर थीं. मुझे याद है कि किसी ने कहा कि नहीं.. लूसी नहीं हो सकती, वो अच्छी इंसान हैं.”

हालांकि तीनों मौतों में कुछ भी कॉमन नहीं था और डॉ. ब्रेयरे समेत किसी को भी किसी गड़बड़ी का संदेह नहीं हुआ.

लेकिन अक्टूबर 2015 में फिर दो शिशुओं की मौत हुई और उस दौरान भी लूसी ही ड्यूटी पर थीं.

पहली बार डॉ. ब्रेयरे को लूसी पर शक हुआ कि हो न हो वही बच्चों को नुक़सान पहुंचा रही हों.

उन्होंने यूनिट मैनेजर इरियन पावेल से शंका ज़ाहिर की लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थीं. अक्टूबर 2015 के एक ईमेल में उन्होंने मौतों को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ कहा लेकिन साथ ही लेटबाय के साथ इनके संबंधों को संयोग बताया.

डॉ. ब्रेयर ने डायरेक्टर एलिसन केली से भी बात की लेकिन वहां भी उनकी नहीं सुनी गई. डॉ. ब्रेयर के साथी डॉक्टर भी चिंतित थे क्योंकि इन मौतों के अलावा वार्ड में नवजात शिशु बिना कारण गंभीर रूप से बीमार हो रहे थे.

शिशुओं को अचानक क्रिटिकल केयर या ऑक्सीजन देने की ज़रूरत पड़ रही थी और हर बार ड्यूटी पर लेटबाय होती थीं.

एक अन्य डॉक्टर रवि जयराम ने बताया कि फ़रवरी 2016 में उन्होंने लूसी लेटबाय को एक बच्चे जिसे ‘बेबी के’ नाम दिया गया था, के सामने खड़े देखा, जिसने सांस लेना बंद कर दिया था.

डॉक्टर ब्रेयरे ने तत्काल अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर इयान हार्वे और एलिसन केली से संपर्क किया. मार्च में उन्होंने इरियन पॉवेल से मीटिंग करने की बात कही.

शक जब यक़ीन में बदला

लेकिन तीन महीने गुज़र गए और मई में दो शिशु लगभग मरते मरते बचे. इसके बाद वरिष्ठ मैनेजरों के साथ डॉ. ब्रेयरे की मीटिंग हुई.

वो कहते हैं, “मीटिंग में मुझे अपने विचार पर बिल्कुल शक नहीं था.” उनकी बात सुनी गई लेकिन नर्स को काम जारी रखने की इजाज़त दे दी गई.

जून 2016 तक एक और नवजात शिशु की मौत हो गई और इसी महीने के अंत में समय से पहले पैदा हुए ट्रिपलेट में से अचानक दो नवजातों की मौत 24 घंटे के अंतराल पर हो गई. दोनों ही मौतों के दौरान ड्यूटी पर लेटबाय थीं.

सदमे और हताशा से भरे पूरे स्टाफ़ की मीटिंग बुलाई गई. डॉ. ब्रेयरे ने बताया कि “जब लेटबाय से कहा गया कि वो छुट्टी ले लें, उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया और दूसरे दिन ड्यूटी पर आने को कहा. वो काफ़ी खुश थीं और दूसरे दिन काम पर आने के लिए आत्मविश्वास से भरी थीं.”

यही वो पल था जब डॉ. ब्रेयरी और उनके साथी डॉक्टरों का शक यक़ीन में बदला.

उन्होंने ड्यूटी एक्जीक्युटिव कारेन रीस से लेटबाय को ड्यूटी से हटाने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया.

दूसरे दिन एक और शिशु, ‘बेबी क्यू’ इतना बीमार पड़ा कि उसे मुश्किल से बचाया जा सका. उस समय ड्यूटी पर लेटबाय ही थीं.

इस घटना के बाद लूसी ने तीन और ड्यूटी की, तब जाकर उन्हें उस वार्ड से हटाया गया.

इसके बाद वार्ड में आश्चर्यजनक रूप से ये रहस्यमयी मौतें रुक गईं.

लेकिन लूसी लेटबाय को निलंबित करने की बजाय अस्पताल के रिस्क एंड पेशेंट सेफ़्टी ऑफ़िस में ट्रांसफर कर दिया गया. यहां नवजात वार्ड के संवेदनशील काग़ज़ों तक उनकी पहुंच थी और साथ में कुछ सीनियर मैनेजरों तक भी, जो उनकी जांच कर रहे थे.

मामले को दबाने की कोशिश

29 जून 2016 को नवजात शिशु युनिट के एक डॉक्टर ने मेल भेजकर जांच में पुलिस की मदद लेने की बात कही.

लेकिन अस्पताल के मैनेजर राज़ी नहीं थे. मेडिकल डायरेक्टर इयान हार्वे ने जवाब दिया कि ‘कार्यवाही की जा रही है, अब आगे इस बारे में कोई मेल नहीं.’

इसके दो दिन बाद डॉक्टरों की मैनेजमेंट के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक हुई जिसमें उन्हें पुलिस बुलाने के ख़िलाफ़ चेतावनी दी गई और कहा गया कि अस्पताल की छवि खराब होगी. लेकिन इस मीटिंग में रॉयल कॉलेज ऑफ़ पीडियाट्रिक्स एंड टाइल्ड केयर (आरसीपीएसीएच) से नवजात वार्ड का रिव्यू कराने को कहा.

आरसीपीएसीएच ने नवंबर 2016 में अपनी रिपोर्ट पूरी की जिसमें हर अनपेक्षित मौतों की विस्तृत जांच का सुझाव दिया गया.

इस बीच इयान हार्वे ने एक अन्य चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. जडेन डाउडॉन से मामले को देखने का आग्रह किया, जिन्होंने चार मौतों की फ़ारेंसिक जांच कराने का सुझाव दिया था. लेकिन ये नहीं हुआ.

जनवरी 2017 में अस्पताल बोर्ड की मीटिंग हुई जिसमें उलटे वार्ड के नेतृत्वकारी डॉक्टर के साथ समस्या और समय से हस्तक्षेप न करने का नतीजा निकाला गया.

इसके कुछ ही हफ़्ते बाद वार्ड के सभी सात डॉक्टरों को बुलाया गया जिसमें सीईओ टोनी चैंबर्स भी थे. चैंबर्स ने लूसी लेटबाय से इन लोगों को माफ़ी मांगने को कहा और मामले को यहीं ख़त्म करने की चेतावनी दी.

पुलिस जांच में पता चला हत्या का तरीका

मैनेजरों के फ़रमान के सामने डॉक्टर झुके नहीं और आख़िरकार पुलिस को जांच करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई. पुलिस ने काउंटेस ऑफ़ चेस्टर हॉस्पिटल में नवजातों के रहस्यमयी मौतों की आपराधिक जांच शुरू कर दी और इसका नाम रखा ‘ऑपरेशन हमिंगबर्ड.’

सीईओ टोनी चैंबर्स ने बीबीसी पैनोरमा को बताया कि मीटिंग में हुई उनकी बातों को बिना संदर्भ के निकाला गया और जब जून 2016 में उन्हें मामले का पता चला तभी तत्काल कार्यवाही की गई और रिव्यू के आदेश दिए गए.

पुलिस को डॉ. ब्रेयरे पूरी मदद कर रहे थे तभी उन्हें एक मृतक शिशु के खून की जांच रिपोर्ट मिली जिसमें इंसुलिन की मात्रा बहुत अधिक दिख रही थी.

शरीर में अगर अधिक इंसुलिन बनता है तो साथ में सी-पेप्टाइड भी बनता है. लेकिन रिपोर्ट में सी-पेप्टाइड की रीडिंग शून्य थी.

डॉ. ब्रेयरे याद करते हुए कहते हैं, “ये देख कर मुझे धक्का लगा. ये बिल्कुल साफ़ था कि शिशु को इंसुलिन देकर मारने की कोशिश की गई थी.”

इसके कुछ महीने बाद नर्स लूसी लेटबाय को गिरफ़्तार कर लिया गया और अस्पताल से निलंबित कर दिया गया. लेकिन ये सब होने में तीन साल गुज़र गए.

जनवरी 2018 में सीईओ चैंबर्स को इस्तीफ़ा देना पड़ा और चीफ़ एक्जीक्युटिव के रूप में डॉ. सुसान गिल्बी को नियुक्त किया गया.

गिल्बी ने बीबीसी को बताया कि जब उन्हें ज़िम्मेदारी मिली तो हार्वे ने उनसे नवजात वार्ड के डॉक्टरों पर कार्रवाई करने का इशारा किया था. हालांकि हार्वे ने इससे इनकार किया है.

नर्स लूसी लेटबाय पर जून 2015 से जून 2016 के बीच सात हत्याओं और 15 हत्या की कोशिशों के आरोप तय हुए.

उन पर सात हत्याओं और सात हत्या की कोशिशों के दोष सिद्ध हुए.

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