भारत-कनाडा विवाद: भारत की चेतावनी के बाद कनाडा ने वापस बुलाए 41 राजनयिक

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DMT : कनाडा  : (20 अक्टूबर 2023) : –

कनाडा में सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद उपजे तनाव के चलते कनाडा के 41 राजनयिकों को भारत छोड़ना पड़ा है.

भारत ने दो हफ़्ते पहले कनाडा से कहा था कि दिल्ली में अपने उच्चायोग से दर्जनों कर्मचारियों को वो वापस बुला ले वरना उन्हें मिलने वाली डिप्लोमैटिक इम्युनिटी यानी राजनयिक सुरक्षा वापस ले ली जाएगी.

विदेशी राजनयिकों को मिलने वाले विशेषाधिकारों को डिप्लोमैटिक इम्युनिटी कहा जाता है. इसमें स्थानीय क़ानूनों के दायरे से मिलने वाली छूट भी शामिल है.

कनाडा के अधिकारियों ने भारत की इस चेतावनी को ‘अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन’ बताया था.

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 जून को हुई हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारतीय एजेंसियों पर लगाया था. उसके बाद से ही दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था.

क्या होगा असर?

गुरुवार को कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि कनाडाई राजनयिकों और उनके परिजनों ने भारत छोड़ दिया है.

उन्होंने बताया कि भारत ने कहा था कि 21 राजनयिकों के अलावा बाक़ी सभी की राजनयिक सुरक्षा 20 अक्टूबर तक ख़त्म कर दी जाएगी.

इस विषय पर प्रतिक्रिया के लिए बीबीसी ने कनाडा में भारतीय उच्चायोग से संपर्क किया है जहां से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.

वहीं, जोली ने कहा कि 21 राजनयिक अभी भी भारत में हैं लेकिन बाक़ियों को वापस बुलाने के कारण स्टाफ़ की कमी हो गई है. इससे अब कनाडा को भारत में अपनी सेवाओं को सीमित करना पड़ेगा.

उन्होंने बताया कि इस कारण बेंगलुरु, मुंबई और चंडीगढ़ में कुछ कंसुलेट्स का कामकाज रोकना पड़ेगा.

कनाडा के अधिकारियों ने कहा कि अभी पक्के तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि ये सेवाएं कब तक बहाल होंगी.

हालांकि, दिल्ली में कनाडा के उच्चायोग और थर्ड पार्टी के माध्यम से चलाए जा रहे आवेदन केंद्रों में सेवाएं जारी रहेंगी.

कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर का कहना है कि स्टाफ़ कम हो जाने के कारण इमिग्रेशन के आवेदनों को निपटाने में लगने वाला समय बढ़ सकता है.

अधिकारियों का कहना है इसका सबसे ज़्यादा असर भारतीयों पर होगा जिनमें कनाडा में पढ़ना चाह रहे छात्र भी शामिल हैं.

साल 2022 में कनाडा में स्थायी और अस्थायी तौर पर रहने का आवेदन करने वाले विदेशियों में सबसे ज़्यादा संख्या भारतीयों की थी.

कनाडाई विदेश मंत्री ने क्या कहा?

भारत का कहना है कि कनाडा में भारत के जितने राजनयिक हैं, कनाडा ने भारत में उससे कहीं ज़्यादा राजनयिक तैनात किए थे.

दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ने के बाद भारत ने इस मामले में राजनयिकों की संख्या में बराबरी की मांग की थी.

ओटावा में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कनाडा की विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का कनाडाई राजनयिकों को मिलने वाली सुरक्षा हटाने की बात करना ‘अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन’ है.

उन्होंने कहा कि कनाडा इसके बदले में कोई कार्रवाई नहीं करेगा.

जोली ने कहा, “अगर हम राजनयिक सुरक्षा की परंपरा को तोड़ने दें तो दुनिया में कहीं पर भी कोई राजनयिक सुरक्षित नहीं रहेगा.”

अधिकारियों का कहना है कि घूमने या बसने के लिए आने वाले भारतीयों का अभी भी कनाडा में स्वागत करते है.

सबसे ख़राब दौर में रिश्ते

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर में देश की संसद में कहा था कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ होने के काफ़ी विश्वसनीय सबूत हैं.

ट्रूडो ने कहा था कि वह कनाडाई ख़ुफ़िया एजेंसियों से मिली जानकारी से लगता है कि इस हत्या के पीछे भारत सरकार के एजेंट्स हो सकते हैं. कनाडा ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया था.

इसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आना शुरु हो गया था. दोनों के आपसी रिश्ते बिगड़कर अब तक के अपने सबसे ख़राब स्तर पर पहुंच गए हैं.

भारत इन आरोपों से इनकार करता रहा है. भारत के विदेश मंत्रालय ने कई बार कहा कनाडा अगर अपने दावे के समर्थन में सबूत पेश करेगा तो भारत इस पर ज़रूर ग़ौर करेगा.

कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर दो नक़ाबपोश बंदूकधारियों ने गोली मारकर निज्जर ही हत्या कर दी थी. कनाडाई पुलिस ने इसे ‘टार्गेट अटैक’ बताया था. इस मामले में जांच अभी जारी है.

निज्जर भारत में सिखों के लिए अलग ‘ख़ालिस्तान’ बनाने की वकालत कर रहा थे. भारत इस अभियान को देश विरोधी मानता है और इसी के मद्देनज़र निज्जर को 2020 में आतंकवादी घोषित किया गया था.

सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाने के बावजूद ट्रूडो ने कई बार कहा है कि कनाडा नहीं चाहता कि भारत के साथ तकरार बढ़े.

उन्होंने भारतीय अधिकारियों से निज्जर की हत्या की जांच में सहयोग की अपील की है.

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