राजस्थान में ‘लाल डायरी’ पर बवाल, अशोक गहलोत सरकार पर उठे सवाल

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DMT : जयपुर  : (26 जुलाई 2023) : –

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार से बर्ख़ास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के आरोपों ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है.

राजेंद्र गुढ़ा कुछ दिनों पहले राजस्थान विधानसभा में लाल डायरी लेकर पहुँचे थे और उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप लगाए थे.

राजस्थान में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

इस बीच राजेंद्र गुढ़ा के आरोपों ने कांग्रेस की चिंताएँ बढ़ा दी हैं. राज्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी मान रहे हैं कि इन आरोपों से सरकार की छवि को धक्का लगा है.

बीते दिनों मणिपुर की घटना को लेकर कांग्रेस आक्रामक थी और बीजेपी बैकफ़ुट पर नज़र आ रही थी.

लेकिन अब लाल डायरी विवाद से बीजेपी आक्रामक हो गई है.

बीजेपी ने स्पष्ट किया है कि वह लाल डायरी मामले को छोड़ने वाली नहीं है और इसे जानता के बीच ले जाएगी.

राजस्थान विधानसभा से लेकर संसद में भी बीजेपी लाल डायरी को लेकर कांग्रेस को घेर रही है.

ख़ुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर लगे गंभीर आरोप के बावजूद उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

अशोक गहलोत मंत्रिमंडल की ओर से भी ऐसी ख़ामोशी पहले नहीं देखी गई.

हालाँकि कुछ कांग्रेस नेताओं ने ज़रूर ये कहा है कि बीजेपी के इशारों पर राजेंद्र गुढ़ा बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं.

क्या है पूरा मामला

अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्ख़ियों में रहने वाले झुंझुनूं के उदयपुरवाटी से विधायक और अशोक गहलोत सरकार में राज्यमंत्री रहते हुए राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में एक बयान दिया. इसके बाद ही विवाद बढ़ा.

मणिपुर की घटना पर जब कांग्रेस बीजेपी को घेरने का काम कर रही थी. उस दौरान 21 जुलाई को राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में अपनी ही कांग्रेस सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा, “राजस्थान में जिस तरह से महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं. ऐसे में हमें मणिपुर पर बात करने की बजाय अपनी गिरेबान में झाँकना चाहिए.”

इस बयान पर बीजेपी मौक़ा देख गुढ़ा का समर्थन करते हुए आक्रामक हो गई. बयान के क़रीब तीन घंटे बाद ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सिफ़ारिश पर उन्हें मंत्री पद से बर्ख़ास्त कर दिया गया.

बर्ख़ास्त होने के बाद राजेंद्र गुढ़ा ने मीडिया के बीच लाल डायरी का ज़िक्र करते हुए सीधा सीएम अशोक गहलोत और उनकी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए.

राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि उन्हें सच बोलने की सज़ा मिली है.

मंत्री पद से बर्खास्त होने के ठीक तीन दिन बाद वो 24 जुलाई को विधानसभा में लाल रंग की एक डायरी लेकर पहुँचे.

उन्होंने डायरी विधानसभा स्पीकर के सामने लहराई, जिसके बाद सदन में विपक्ष ने हंगामा कर दिया.

आपस में जमकर धक्का-मुक्की हुई और स्पीकर के आदेश पर मार्शल ने राजेंद्र गुढ़ा को सदन से बाहर कर दिया.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पाँच बार के विधायक राम नारायण मीणा हंगामे के दौरान विधानसभा में मौजूद थे.

इस पूरे मामले पर राम नारायण मीणा बीबीसी हिंदी से बातचीत में कहते हैं, “गुढ़ा जो डायरी लाए थे, उसमें कुछ नहीं लिखा था. उनके पास क्या है उन्होंने नहीं बताया. वह कहते हैं कि डायरी में बहुत कुछ है, तो एक बात तो बता दें. यह महज़ पॉलिटिकल स्टंट है.”

विधायक मीणा कहते हैं, “बीजेपी विधायक पहले से ही लाल रंग के कार्ड्स लेकर बैठे थे. शुरुआत से सदन शांत बैठे हुए थे, लेकिन गुढ़ा के सदन में आते ही लाल रंग के कार्ड दिखाने लगे. यह पॉलिटिकल स्टंट है.”

राजेंद्र गुढ़ा के आरोप

विधानसभा से बाहर किए जाने के बाद राजेंद्र गुढ़ा मीडिया से मुख़ातिब हुए और उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम अशोक गहलोत के इशारे पर उनसे लाल डायरी छीनी गई. कांग्रेस विधायक रफ़ीक़ ख़ान ने उनसे डायरी छीन ली और उनके साथ विधानसभा में मारपीट की गई.

राजेंद्र गुढ़ा ने अशोक गहलोत और उनकी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए.

उनके दावा है कि लाल डायरी में राज्यसभा चुनावों के लिए विधायकों की ख़रीदारी का भी ज़िक्र है.

राजेंद्र गुढ़ा ने राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और दावा किया कि इससे संबंधित कई राज डायरी में हैं.

राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के अध्यक्ष अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत हैं.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद चौधरी ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि आरोपों से उठी शंका को अशोक गहलोत ही शांत कर सकते हैं.

गुढ़ा के आरोपों पर कांग्रेस विधायक रफ़ीक़ ख़ान ने बीबीसी से कहा, “नहीं. ग़लत आरोप है. मैं सदन में ही खड़ा हुआ था, कोई डायरी छीनता तो नोटिस होता. इनको चाहिए कि डायरी को खोलें और बताएँ. बिना वजह सनसनी फैलाने का काम कर रहे हैं.”

राजेंद्र गुढ़ा बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे लेकिन बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए.

उनके साथ कांग्रेस में शामिल हुए विधायक लखन सिंह ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “किसी भी डायरी के बारे में मुझे जानकारी नहीं है, उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया है.”

गहलोत की छवि पर असर?

राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का यह कार्यकाल विवादों से जूझते हुए ही बीता है. ये फ़िलहाल थमता हुआ नज़र नहीं आ रहा है.

अशोक गहलोत और सचिन पायलट की गुटबाज़ी के बाद सरकार पर आया संकट हो या बीते दिनों अपनी ही सरकार के खिलाफ़ सचिन पायलट का अनशन या पद यात्रा हो- ये सब सरकार और कांग्रेस दोनों के लिए बड़ा संकट साबित हुआ है.

दिल्ली के हस्तक्षेप के बाद सचिन पायलट ने ख़ुद बयान दिए कि उनकी मांगों पर विचार किया जा रहा है.

उन्होंने साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही. माना जा रहा है कि दोनों नेताओं की गुटबाज़ी पर विराम लग गया है.

लेकिन अब सचिन पायलट समर्थक और अशोक गहलोत सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र गुढ़ा ने सीधा राज्य सरकार के मुखिया अशोक गहलोत पर ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं.

कांग्रेस के पाँच बार विधायक रहे राम नारायण मीणा कहते हैं, “अशोक गहलोत और राजेंद्र गुढ़ा मंत्री यानी पॉलिसी मेकर रहे हैं. मतलब एक ही परिवार का हिस्सा रहे हैं. इन दोनों के बीच क्या था और एक दूसरे के बारे में क्या जानते हैं, ये तो क्या कहा जा सकता है.”

उन्होंने आगे कहा, “यह एक आरोप है जिसका खंडन अशोक गहलोत करेंगे. अशोक गहलोत की छवि को निश्चित रूप से धक्का लगेगा. इससे बड़ा धक्का यह है कि मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल का कोई भी सदस्य मुख्यमंत्री का बचाव नहीं कर पा रहा है, यह इससे बड़ा धक्का है.”

एक और कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने बीबीसी से फ़ोन पर बातचीत में कहा, “यह वे गुढ़ा हैं, जैसे थे वैसे ही हैं. जब अच्छा लग रहा था तो बेहद अच्छे लग रहे थे, अब बुरा लग रहा है तो बेहद बुरे लग रहे हैं. गुढ़ा जैसा पहले थे, वही अब हैं.”

अशोक गहलोत और सरकार की छवि पर इन आरोप से क्या प्रभाव पड़ रहा है या पड़ेगा, इस सवाल पर विधायक भरत सिंह कहते हैं, “विधानसभा में खड़े हो कर जब उन्होंने कहा था कि मायावती पैसे दे कर टिकट देती है. तब तो किसी को आपत्ति नहीं थी. छवि अपने कामों से बनती है और बिगड़ती है. इस बार जनता में नाराज़गी नहीं है. हार-जीत भविष्य की बात है.”

वरिष्ठ पत्रकार आनंद चौधरी मानते हैं कि अशोक गहलोत और उनकी सरकार पर इस मामले में नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.

वे कहते हैं, “कुछ दिनों पहले राज्य में कांग्रेस सरकार की वापसी का माहौल बन गया था. लेकिन, अब कांग्रेस को नुक़सान हो चुका है. अब देर हो चुकी है. लोगों के ज़ेहन में लाल डायरी बैठ गई है.”

वहीं, राज्य कांग्रेस में महासचिव और प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने बीबीसी से कहा, “इससे सीएम अशोक गहलोत और कांग्रेस को कोई नुक़सान नहीं है. यह बीजेपी के इशारे पर सब हो रहा है. बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है.”

विधायक रफ़ीक़ ख़ान मानते हैं कि बीजेपी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि को नुक़सान पहुँचाने का प्रयास ज़रूर कर रही है. लेकिन, वह इस प्रयास में सफ़ल नहीं होगी.

कौन हैं राजेंद्र गुढ़ा

झुंझुनूं ज़िले की उदयपुरवाटी सीट से विधायक हैं राजेंद्र गुढ़ा. वे बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीते और बीएसपी के ही अन्य पाँच विधायकों के साथ कांग्रेस में शमिल हुए. इसके बाद उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया.

साल 2008 में भी वे बीएसपी से जीते थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस को समर्थन दिया था. उस दौरान भी अशोक गहलोत सरकार में वे मंत्री बने थे.

राजेंद्र गुढ़ा राजपूत समाज से आते हैं. मंत्री पद से बर्ख़ास्त होने के बाद राजसमंद करणी सेना ने उनके समर्थन में प्रदर्शन किया है.

राजेंद्र गुढ़ा कई बार कह चुके हैं कि वे बीएसपी से टिकट लाते हैं और जीत कर कांग्रेस में मंत्री बन जाते हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि वे अपने चेहरे पर जीत कर आते हैं.

उदयपुरवाटी में 35-40 हज़ार जाट, 25 से 30 हज़ार गुर्जर, 18 हज़ार मुस्लिम, 30-45 हज़ार एससी, 25 हज़ार माली और 30 हज़ार राजपूत वोट हैं.

राजेंद्र गुढ़ा को एससी, राजपूत, मुस्लिम, कुछ जाट वोट भी मिलते रहे हैं. राजेंद्र गुढ़ा को पहले गुर्जर वोट नहीं देते थे. लेकिन अब सचिन पायलट के साथ जाने के कारण गुर्जर वोट भी उन्हें मिले हैं.

बीजेपी पर सवाल

कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि बीजेपी राजेंद्र गुढ़ा के कंधे पर बंदूक रख कर चला रही है और कांग्रेस के ख़िलाफ़ गुढ़ा का राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है.

राज्य कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी कहते हैं, “बीजेपी की मिलीभगत से ही हो रहा है. बीजेपी लाल किताब चिल्ला रही है, तो बीजेपी बता दे कि लाल किताब में क्या है?”

विधायक रफ़ीक़ ख़ान आरोप लगाते हैं, “बीजेपी क़ानून व्यवस्था की बात करना चाहती है. गुढ़ा ने एक मुद्दा दे दिया इनको. बीजेपी जानती है कि योजनाओं पर उनके पास बोलने के लिए कुछ नहीं है.”

कांग्रेस के इन आरोप पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ कहते हैं, “कल तक तो मंत्रिपरिषद में साथ बैठते थे. वो ही लोग हमसे मिले हैं तो कांग्रेस को सावधान हो जाना चाहिए. अगर वही लोग हमसे मिले हुए हैं, तो यह कांग्रेस की कमज़ोरी है.”

वरिष्ठ पत्रकार आनंद चौधरी कहते हैं, “चुनावों से पहले इस तरह की बातें उठती हैं तो बीजेपी की सारी नाकारात्मकता दब जाएगी. राजेंद्र गुढा बीजेपी में नहीं जाएँगे और न ही बीजेपी इनको शामिल करेगी.”

उनका कहना है कि अगर बीजेपी राजेंद्र गुढ़ा को पार्टी में शामिल करती है, तो विरोधी ये दावे के साथ कहेंगे कि राजेंद्र गुढ़ा का मामला उसके इशारे पर ही कराया गया है और

बीजेपी नहीं चाहेगी कि इतना बड़ा मुद्दा उनके हाथ से छिन जाए.

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