रूस में मजबूरी में उतरा एयर इंडिया का विमान, रूसी हवाई क्षेत्र को लेकर क्यों छिड़ा विवाद

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DMT : रूस  : (08 जून 2023) : –

एयर इंडिया ने एलान किया है कि दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को जा रहे विमान के उन सभी यात्रियों के पैसे वापस कर दिए जाएंगे जो रूस में फंस गए थे.

दो दिन रूस में ही फंसे रहने के बाद गुरुवार को आख़िरकार ये विमान सैन फ़्रांसिस्को पहुंचा.

मंगलवार को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को जा रहे एयर इंडिया के एक विमान को इंजन में ख़राबी की वजह से रूस के सुदूर पूर्वी मगदान इलाक़े में आपात स्थिति में उतारना पड़ा था.

अचानक रूस में लैंड करने के बाद रूसी हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल को लेकर चर्चा छिड़ गई थी.

विमान में 216 यात्रियों समेत चालक दल के 16 लोग भी शामिल थे.

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अधिकतर पश्चिमी देशों ने रूसी हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल करने पर रोक लगाई है.

ऐसे में एक बहस ये छिड़ गई है कि क्या अमेरिकी विमानों के उन विमान सेवाओं पर रोक लगानी चाहिए जो अमेरिका तक उड़ान के लिए रूसी हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करते हैं.

इस दौरान सोशल मीडिया पर विमान के यात्रियों की भी तस्वीरें वायरल हुईं.

इन तस्वीरों में देखा जा सकता था कि यात्रियों को अस्थायी तौर पर जिस जगह ठहराया गया वो कोई होटल नहीं था और न ही यात्रियों के लिए अलग कमरों की कोई व्यवस्था की गई थी.

इसे लेकर सोशल मीडिया पर एक और बहस ये छिड़ गई कि क्या एयर इंडिया को अपने यात्रियों के लिए ज़रूरी सुविधाएं मुहैया नहीं करानी चाहिए थीं.

रूसी हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल पर उठे रहे सवाल

विमान के रूस में लैंड करने से एक दिन पहले अमेरिका की एक जानी मानी विमान कंपनी ने रूसी हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई थी, जबकि भारत की कंपनी ने इसके विरोध में अपनी राय रखी थी.

वैश्विक हवाई रास्तों को लेकर मंगलवार को ख़त्म हुई एक बैठक में रूसी हवाई क्षेत्र को लेकर चर्चा हुई थी.

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद कुछ पश्चिमी मुल्कों ने रूस की विमानन कंपनियों पर अपने हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल को लेकर रोक लगा दी. बदले में रूस ने कुछ विदेशी कंपनियों पर अपने हवाई क्षेत्र इस्तेमाल को लेकर पाबंदी लगाई.

इस कारण कई कंपनियों को भौगोलिक तौर पर दुनिया के सबसे बड़े मुल्क की सीमाओं के बाहर से घूम कर अपने ठिकानों पर जाना होता है.

अमेरिका, यूरोपीय और जापानी विमानन कंपनियों ने अपनी उड़ानें रूस के ऊपर से ले जानी बंद कर दी हैं लेकिन भारत की एयर इंडिया, खाड़ी क्षेत्र के कई देश और चीनी विमानन कंपनियों ने रूसी हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करना जारी रखा है.

इसका फ़ायदा ये होता है कि ये उड़ानें अधिक वक़्त नहीं लेतीं और उनकी क़ीमतें भी कम होती हैं.

अमेरिकी कंपनी यूनाइटेड एयरलाइन्स के सीईओ स्कॉट किर्बी ने हाल में कहा था कि विमानों को अब पहले की तुलना में अधिक रास्ता घूमकर भारत तक जाना होता है, इसलिए आर्थिक और विमानों की रेंज जैसे कारणों से भारत तक चला रही कई उड़ानों को उन्हें रोकना पड़ा रहा है.

सोमवार को उन्होंने सवाल किया था, “अहम अमेरिकी नागरिक जिस विमान में हों और वो विमान रूस में लैंड कर जाए तब क्या होगा? एक तरह का नया संकट पैदा कर सकता है.”

ट्रैवल ब्लॉगर मैथ्यू क्लिंट ने कहा, “मुझे लगता है कि मौजूदा हालात में एयर इंडिया जो कर सकता था कर रहा है, लेकिन इस घटना ने एक दूसरी चिंता को जन्म दिया है. अगर एयर इंडिया ने रूसी हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल जारी रखा तो क्या अमेरिका को उस पर बैन नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि ये अमेरिकी विमानन कंपनियों के लिए नुक़सानदेह है.”

एक और यूज़र ने लिखा कि “इस दलील के हिसाब से भारत को चीन और पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करने को लेकर अमेरिकी उड़ानों पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए.”

  • रूसी हवाई क्षेत्र को लेकर एयर इंडिया का रुख़
  • इसी सप्ताह हुई इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट असोसिएशन (आईएएटीए) की सालाना बैठक में संगठन के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने कहा था, “एयर इंडिया में हम उस दायरे में रहकर कम करते हैं जो हमें हमारा देश देता है, हो सकता है कि इस पर सभी देशों की राय न बने. ऐसे में इसके परिणाम अलग हो सकते हैं.”
  • आईएएटीए के महानिदेशक विली वॉल्श ने तो रूसी हवाई क्षेत्र को सभी के लिए खोलने की अपील तक कर दी थी.
  • समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि हर कोई रूसी हवाई क्षेत्र का खुलकर इस्तेमाल कर सके. मैं उस बात को लेकर स्पष्ट हूं कि ये सुरक्षा का मामला नहीं है.”
  • हाल में एयर इंडिया को टाटा ग्रुप ने ख़रीदा था. अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए कंपनी यूरोप और अमेरिका तक नॉन-स्टॉप उड़ाने चला रही हैं. इस मामले में रूसी हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल उसके लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहा है

इमरजेंसी लैंडिंग और यात्रियों के लिए सुविधाओं पर चर्चा

मंगलवार 06 जून को दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को जा रहे एयर इंडिया के A-173 विमान को इंजन में ख़राबी के कारण रूस के मगदान में उतारा गया था.

इस विमान में भारत के साथ-साथ अमेरिका के 40 और कनाडा के कई नागरिक सवार थे.

एयर इंडिया ने बयान जारी कर रहा कि विमान के एक इंजन में तकनीकी ख़राबी आ गई थी, जिस कारण उसे आपातस्थिति में उतारना पड़ा.

बयान में कहा गया है, “स्थानीय प्रशासन की मदद से यात्रियों के लिए होटल की व्यवस्था करने की कोशिश की गई लेकिन रूस के इस सुदूर जगह में ढांचागत सुविधाओं में कमी के कारण यात्रियों के लिए अस्थायी व्यवस्था की गई है.”

कंपनी ने कहा, “मगदान में हमारे कर्मचारी नहीं हैं, लेकिन व्लादिवोस्तोक में मौजूद कंसुलेट जनरल से मदद लेकर और स्थानीय प्रशासन की मदद से यात्रियों के लिए सभी तरह की व्यवस्था की जा रही है.”

ओकोत्स्क सागर के उत्तर में मौजूद मगदान एक बंदरगाह शहर है. ये शहर मॉस्को से 10 हज़ार किलोमीटर दूर बसा है.

“सभी के लिए खाने की व्यवस्था की गई है और उन्हें गर्म कंबल भी दिए गए हैं. हालांकि यात्री परिसर से बाहर नहीं जा पाएंगे क्योंकि उनके साथ रूस सीमा सुरक्षाबल के कर्मी मौजूद रहेंगे.”

लेकिन भारत में सोशल मीडिया पर इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई. कई यूज़र्स ने यात्रियों के वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए और कहा कि कंपनी ने यात्रियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है.

तरुण शुक्ला नाम के एक यूज़र ने बुधवार को एक पोस्ट में लिखा, “सैन फ्रांसिस्को जा रही उड़ान को ग्रामीण इलाक़े में लैंड कराना पड़ा. छह घंटे के सफ़र के बाद यहां पहुंच कर 18 घंटे हो चुके हैं. अब तक एयर इंडिया ने कुछ नहीं कहा.”

उन्होंने जो वीडियो पोस्ट किया उसमें देखा जा सकता है कि कई यात्रियों को एक साथ स्कूल के एक कमरे में ठहराया गया है. वहां उनके सोने के लिए नीचे गद्दे बिछाए गए हैं और गिनती के बेड की व्यवस्था की गई है.

बोर्डिंग एरिया नाम के एक ट्विटर हैंडल ने लिखा, “क्रू मेम्बर के लिए होटल में व्यवस्था की गई जबकि 36 घंटों बाद भी यात्री ज़मीन पर सोने को बाध्य हैं.”

इसके उत्तर में वेदांत पटेल ने कहा, “उस विमान में 50 से भी कम अमेरिकी नागरिक सवार थे. हमें इस बात का पता है कि फंसे यात्रियों की मदद के लिए एक विमान वहां पहुंचने वाला है. इस बारे में आगे क्या होगा और इस बारे में और जानने के लिए हमें एयर इंडिया से जानकारी मिलने का इंतज़ार करना होगा.”

“किसी अमेरिकी नागरिक रूस में हमारे दूतावास और काउंसलर सेवा के अधिकारियों से संपर्क नहीं किया है. इसलिए हमें इस बारे में अधिक कुछ नहीं पता.”

उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार स्थिति पर नज़र है.

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