सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पीएम मोदी के साथ राजघाट नहीं पहुंचे, क्या ये थी वजह?

Hindi International

DMT : सऊदी अरब : (11 सितंबर 2023) : –

जी 20 देशों के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आए कई नेता महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि देने के लिए रविवार को राजघाट पहुंचे.

रविवार की सुबह रुक-रुक बारिश हो रही थी. इसके बाद भी संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना और कई अन्य नेता राजघाट पर नज़र आए.

इन नेताओं में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रितानी पीएम ऋषि सुनक के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन शामिल थे.

इनके साथ-साथ तमाम दूसरे देशों के नेता भी दिल्ली पहुंचे हैं.

हालांकि, इन नेताओं में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान शामिल नहीं थे. जबकि वह सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शनिवार को ही दिल्ली पहुँच चुके थे.

कई लोग ये जानना चाहते हैं कि सऊदी प्रिंस के राजघाट पर न होने की कोई ख़ास वजह थी?

जानकारों का कहना है कि राजघाट पर प्रिंस मोहम्मद के न होने का कारण महात्मा गांधी के प्रति किसी तरह का अनादर नहीं बल्कि उनकी ‘सलफ़ी’ विचारधारा हो सकती है.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के ज़ाकिर हुसैन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इस्लामिक स्टडीज़ के पूर्व निदेशक प्रोफ़ेसर अख़्तरुल वासे कहते हैं, “सलफ़ी या जिन्हें अहले हदीस कहते हैं वो किसी तरह की समाधि या मज़ार पर नहीं जाते हैं.”

इस्लामिक स्कॉलर ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान बताते हैं कि उनके (सलफ़ी विचारधारा को मानने वाले) यहाँ तो “क़ब्र को पक्का बनाना तक ग़लत” है.

इस्लामी न्यायशास्त्र यानि फ़िक़्ह (ज्यूरिशप्रूडेंस) के पांच प्रमुख सिद्धांत हैं: हनफ़ी, शफ़ई, मालिकी, हम्बली और जाफ़री.

जाफ़री या फ़िक़्ह जाफ़िरी शिया समुदाय से संबंधित है. बाक़ी चारों सुन्नी समुदाय से जुड़े हैं.

भारत में अधिकतर मुसलमान हनफ़ी सिद्धांत को मानते हैं.

सलफ़ी या अहले हदीस ख़ुद को इन सबसे अलग मानते हैं.

उनका मानना है कि ये सभी विचारधाराएँ इस्लाम के आख़िरी पैग़ंबर मोहम्मद की मौत के सदियों बाद वजूद में आई हैं और ये इस्लाम को लेकर अलग-अलग इमामों की व्याख्याएँ हैं.

इसलिए इनमें बहुत सी वैसी बातें शामिल हो गई होंगी, जो पैग़ंबर मोहम्मद के जीवन से अलग होंगी.

अहले हदीस सिर्फ़ इस्लाम के पवित्र ग्रंथ क़ुरान और हदीस के अनुसार इस्लाम को मानते हैं.

हदीस से आशय पैगंबर मोहम्मद की कही गई बातें और अलग-अलग समय में रसूल ने जिन कामों को अंजाम दिया, उन पर आधारित संग्रह हैं.

ज़फ़रुल इस्लाम कहते हैं कि उन्नीसवीं सदी में जब भारत में वहाबियत (अहले हदीस या सलफ़ी विचारधारा) का प्रसार होने लगा तो ब्रितानियों ने उसे ग़ैर-मुकल्लिद भी बुलाया, यानी वो जो किसी का अनुसरण नहीं करते हैं.

प्रोफ़ेसर अख़्तरुल वासे कहते हैं, “किसी तरह की घटनाओं से जुड़ी तीन जगहों पर जाना ही वो मुनासिब समझते हैं. मस्जिदुल हराम यानी काबा, मस्जिदुल नबवी और मस्जिदुल अक्सा.”

सऊदी अरब के मक्का में स्थित काबा का निर्माण इस्लाम के पैगंबर इब्राहिम से जोड़कर देखा जाता है.

जबकि मदीना में मौजूद मस्जिदुल नबवी में पैग़ंबर मोहम्मद की क़ब्र है.

मस्जिद अक्सा येरुशलम में है और मुसलमान ये मानते हैं कि पैग़ंबर यहीं से अपने जीवनकाल में जन्नत को गए थे.

मदीना में मौजूद पैग़ंबर मोहम्मद की क़ब्र को भी पक्का नहीं किया गया है और चारों तरफ़ से घेर दिया गया.

मक्का और मदीना में रसूल के परिवार के लोगों और साथियों की क़ब्रों तक को मिटा दिया गया है. क्योंकि सलफ़ी विचारधारा में इस पर सख़्ती से मनाही है.

प्रोफ़ेसर वासे कहते हैं कि आपने ग़ौर किया होगा तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन राजघाट गए थे. वो हनफ़ी विचारधारा से ताल्लुक़ रखते हैं.

अरब मुल्कों और इस्लामिक देशों के बीच तनाव और प्रतिस्पर्धा की बड़ी वजहों में एक वजह अलग-अलग देशों में इस्लाम की अलग-अलग विचारधारों के अपनाने की वजह भी रही हैं.

जैसे सऊदी अरब और ईरान के बीच दशकों तक चला तनाव जो अब जाकर कम हुआ है और दोनों के बीच फिर से राजनयिक संबंध स्थापित हुए हैं.

इस्लामिक जानकारों का कहना है कि मुसलमान होने के लिए ज़रूरी है ऐकेश्वरवाद, रसूल के इस्लाम के आख़िरी पैगंबर होने पर यक़ीन, और मृत्यु के बाद जीवन.

इन तीनों में किसी तरह का मतभेद नहीं है. फिर रसूल और उनके साथियों की मौत के बाद एक समय आया, जब अलग-अलग इमामों ने धार्मिक पुस्तकों और घटनाओं की व्याख्या अपने-अपने ढंग से की.

इन व्याख्याओं में भौगोलिक स्थितियाँ और दूसरी तरह के कारण शामिल थे. इन्हीं से मतभेदों की शुरुआत भी हुई.

हालाँकि, इस मामले में भी शियाओं और सुन्नियों के मतभेद की एक लंबी कहानी है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *