DMT : नई दिल्ली : (24 मई 2023) : –
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे. नए संसद भवन में ‘सेंगोल’ को स्थापित किया जाएगा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए इसकी जानकारी दी.
अमित शाह ने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन एक नई परंपरा भी शुरू होने जा रही है.
अमित शाह ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 को तमिल पुजारियों के हाथों सेंगोल स्वीकार किया था.
अमित शाह के अनुसार नेहरू ने इसे अंग्रेज़ों से भारत को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर स्वीकार किया था. बाद में इसे नेहरू ने एक म्यूज़ियम में रख दिया था और तब से सेंगोल म्यूज़ियम में ही रखा है.अमित शाह ने इस बारे में और जानकारी देते हुए कहा कि सेंगोल तमिल भाषा का शब्द है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है.
उनके अनुसार सेंगोल चोल साम्राज्य से संबंध रखता है और इस पर नंदी भी बने हुए हैं.
अमित शाह ने दावा किया कि अंग्रेज़, भारत को सत्ता का हस्तांतरण कैसे करें, इसकी प्रक्रिया क्या होगी, इस पर चर्चा हो रही थी.
उनके अनुसार लॉर्ड माउंटबेटन को भारतीय परंपरा की जानकारी नहीं थी तो उन्होंने नेहरूजी से पूछा, लेकिन नेहरू असमंजस में थे. तब नेहरू ने सी राजगोपालचारी से इस बारे में चर्चा की.
अमित शाह ने आगे कहा, “राजगोपालचारी ने कई ग्रंथों का अध्ययन किया. उन्होंने सेंगोल की प्रक्रिया को चिन्हित किया. हमारे यहां सेंगोल के माध्यम से सत्ता के हस्तांतरण को चिन्हित किया गया है. भारत के लोगों के पास शासन एक आध्यात्मिक परंपरा से आया. सेंगोल शब्द का अर्थ और भाव नीति पालन से है. ये पवित्र है, और इस पर नंदी विराजमान हैं. ये आठवीं शताब्दी से चली आ रही सभ्यतागत प्रथा है. चोल साम्राज्य से चली आ रही है.”
अमित शाह के मुताबिक़ देश के ज़्यादातर लोगों को इसके बारे में कुछ जानकारी ही नहीं है.
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री को जैसे ही संगोल के बारे में पता चला, उन्होंने इसकी जांच करवाई. फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए.
इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया.”
अमित शाह ने कहा, “सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और पवित्र स्थान कोई और हो ही नहीं सकता. इसलिए जिस दिन नए संसद भवन को देश को समर्पित किया जाएगा उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के अधीनम (मठ) से सेंगोल स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित करेंगे.”
इस बीच प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस समेत 19 पार्टियों ने संयुक्त बयान जारी कर नई संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है.
इन 19 पार्टियों में बीएसपी, बीजेडी, टीडीपी, वाईएसआरसीपी, एआईएडीएमके, पीडीपी, बीआरएस शामिल नहीं हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार वाईएसआरसीपी ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का फ़ैसला किया है.
19 पार्टियों ने बयान जारी कर कहा है, “राष्ट्रपति मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए, नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है.”
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि संघ के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे जिन्हें क्रमश राज्यों की परिषद और लोगों की सभा के रूप में जाना जाएगा.
अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति न केवल भारत में राज्य का प्रमुख होता है, बल्कि संसद का एक अभिन्न अंग भी होता है.
विपक्ष के अनुसार राष्ट्रपति मुर्मू के बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय एक अशोभनीय कृत्य है जो राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है.
उनके अनुसार ऐसा करना संविधान के पाठ और भावना का भी उल्लंघन है.
विपक्ष का आगे कहना है, “जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है, तो हमें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता.”