2000 रुपये के नोट बंद होने का नेपाल पर क्या होगा असर?

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DMT : नई दिल्ली : (24 मई 2023) : –

भारतीय रिज़र्व बैंक के पिछले सप्ताह दो हज़ार रुपये के नोट को चलन से बाहर करने के बाद भारत के साथ लंबी खुली सीमा वाले पड़ोसी देश नेपाल में इस निर्णय के असर को लेकर चर्चा हो रही है.

बीते शुक्रवार को जारी एक बयान में आरबीआई ने कहा था कि 2000 रुपये के नोट वैध रहेंगे और उन्हें 23 मई से 30 सितंबर के बीच बैंकों में जाकर बदला जा सकेगा.

याद रहे कि नवंबर 2016 में भारत के प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक पांच सौ रुपये और एक हज़ार रुपये के नोट बंद करने की घोषणा की थी. इसे नोटबंदी कहा गया था जिसका व्यापक असर हुआ था.

भारत के इस क़दम के छह साल बाद भी नेपाल से प्रतिबंधित नोटों को वापस लेने को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन सकी है.

ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि भारत के 2000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने का नेपाल पर क्या असर हो सकता है.

भारत की पहली नोटबंदी का क्या असर हुआ था?

2016 में जब भारत ने अचानक पांच सौ और एक हज़ार रुपये के नोटों को प्रतिबंधित किया था तब नेपाल के बैंकों के पास 8.11 करोड़ रुपये मूल्य के ऐसे नोट थे.

नेपाल राष्ट्र बैंक (केंद्रीय बैंक) के मुताबिक़, देश के विभिन्न बैंकों में 500 के 68,147 नोट और 1000 के 16,552 के नोट अभी भी सुरक्षित हैं.

इसके अलावा नेपाल में आम लोगों के पास भी ये नोट थे, हालांकि इनकी मात्रा कितनी है इसका कोई ठोस आंकड़ा नहीं है.

2016 की नोटबंदी के बाद नेपाल में 100 रुपये के नोट से अधिक मूल्य के भारतीय नोट प्रचलन में नहीं हैं. नेपाल के केंद्रीय बैंक ने इस बारे में नोटिस भी जारी किया था.

नेपाल राष्ट्र बैंक के प्रवक्ता नारायण प्रसाद पोखरेल के मुताबिक़, “एक सार्वजनिक नोटिस जारी करके लोगों को बताया गया था कि सौ रुपये से अधिक मूल्य के भारतीय नोट नेपाल में वैध नहीं हैं.”

इसका मतलब ये है कि मौजूदा समय में नेपाल की बैंकिंग प्रणाली में सौ रुपये से अधिक मूल्य के भारतीय नोट नहीं हैं.

नेपाल के केंद्रीय बैंक ने सौ रुपये से अधिक के नोटों को लाने या ले जाने को भी प्रतिबंधित किया हुआ है.

इसी आधार पर पोखरेल कहते हैं, “ज़ाहिर तौर पर ये कहा जा सकता है कि नेपाल पर भारत में 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने का असर शून्य होगा.”

हालांकि नेपाल में आम लोगों के पास ज़रूर ऐसे नोट होंगे और उन्हें परेशानी हो सकती है.

पोखरेल कहते हैं, “नेपाल के भारतीय सीमा से लगे इलाक़ों में निश्चित रूप से लोगों के पास भारतीय मुद्रा होगी. ये लोग सुविधा के लिए बड़े मूल्य के नोट लाते-ले जाते हैं. उन्हें असुविधा हो सकती है.”

जिन नेपालियों के पास नोट, उनका क्या होगा?

भारत और नेपाल के बीच एक लंबी खुली सीमा है और इसके इधर-उधर जाने पर कोई रोकटोक नहीं हैं.

सीमावर्ती इलाक़ों में लोग आसानी से भारत और नेपाल के बीच यात्रा कर लेते हैं.

भारत के लोग भी नेपाल बहुत आसानी से पहुंचते हैं और वहां के बाज़ारों में ख़रीदारी करते हैं.

भारत और नेपाल के सीमावर्ती ज़िलों में दोनों देशों के मुद्राओं में लेन-देन भी होता है.

अधिकारिक तौर पर भले ही नेपाल के पास दो हज़ार रुपये के नोट ना हों, लेकिन ये माना जा सकता है कि नेपाल में लोगों के पास ये नोट हो सकते हैं.

भारतीय रिज़र्व बैंक की नोटिस के मुताबिक़, 23 मई के बाद बैंकों से नोट बदलवाये जा सकते हैं या इन्हें खातों में जमा किया जा सकता है.

वहीं नेपाल राष्ट्र बैंक के प्रवक्ता नारायण प्रसाद पोखरेल का कहना है कि नेपाल में जिन लोगों के पास दो हज़ार रुपये के नोट हैं उन्हें अपने स्तर पर ही इन्हें बदलवाना होगा.

पोखरेल कहते हैं, “व्यक्तिगत प्रयासों के माध्यम से ही लोगों को नोट बदलने होंगे. ये भारत और नेपाल के बीच बैंकिंग चैनल के माध्यम से नहीं किया जा सकता है क्योंकि नेपाल में दो हज़ार रुपये का नोट अवैध है. लोगों को समय सीमा के भीतर ही इन नोटों को बदलवाना होगा. अगर लोग अपने नोटों को नहीं बदलवाते हैं तो ये सिर्फ़ क़ाग़ज़ के टुकड़ों के बराबर रह जाएंगे.”

अधिकारियों के मुताबिक़, पहले भी नेपाल भारत के अधिक मूल्य के नोटों का इस्तेमाल नहीं करता था.

2016 की नोटबंदी से पहले, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था और भारत के पांच सौ और हज़ार रुपये के नोट नेपाल में चलने लगे थे.

नेपाल के प्रधानमंत्री के भारत दौरे में क्या हुआ?

6 साल पहले भारत में हुई नोटबंदी के बाद नेपाल के बैंकिंग सिस्टम में मौजूद पांच सौ और एक हज़ार रुपये के नोटों को लेकर भारत और नेपाल के अधिकारियों के बीच कई बार वार्ता हो चुकी है.

पूर्व नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की भारत की यात्रा के दौरान नेपाल ने भारत से 8.1 करोड़ रुपये बदलने का प्रस्ताव दिया था.

इसके बाद दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों के बीच बातचीत हुई. लेकिन भारत के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने नेपाल को संकेत दिया कि इस समस्या का समाधान केवल सरकारी स्तर पर ही हो सकता है.

हालांकि, बीते 28 अप्रैल को दोनों देशों की केंद्रीय बैंकों की तकनीकी समिति की बैठक हुई थी, लेकिन ये विषय एजेंडे में नहीं था.

नेपाल के अधिकारी अब इस मुद्दे के समाधान को लेकर बहुत आशान्वित नहीं हैं क्योंकि भारतीय अधिकारियों के साथ कई बार की वार्ता के बाद भी इसका कोई हल नहीं निकल सका है.

पोखरेल कहते हैं, “ये एक तरह से नेपाल के हार मानने जैसा है क्योंकि कई बार प्रयास के बाद भी कहीं सुनवाई नहीं हुई.”

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ भारत की यात्रा करने वाले हैं, लेकिन नेपाल के अधिकारियों का कहना है कि नोटबंदी का मुद्दा उठाने की संभावना बहुत अधिक नहीं है.

पिछले कुछ महीनों से ये चर्चाएं हो रही हैं कि नेपाल में फ़िक्स्ड रेड के नोट चलन से बाहर हो सकते हैं.

लेकिन अधिकारियों का कहना है कि अभी ऐसी कोई संभावना नहीं है.

नेपाल अपने नोट बाहर छपवाता है. इस पर काफ़ी ख़र्च होता है. नोटबंदी इस ख़र्च को बर्बाद कर देगी.

पोखरेल कहते हैं, “…1000 रुपये के नोट बंद करने के बजाए हम शून्य पर पहुंच जाएंगे और हमारे पास कुछ नहीं रहेगा. हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेंडर देना होता है, प्रिंटिंग होती है, फिर नोट नेपाल लाये जाते हैं और तब उनका वितरण होता है. इस सबमें समय लगता है. अगर नेपाल में नोटबंदी की कोई संभावना बनती भी है तो इसके लिए पहले से बहुत लंबी तैयारी करनी होगी.”

एक और संभावना ये बन सकती है कि रातों-रात नेपाल में ही नोट छापे जाएं और उन्हें बाज़ार में उतार दिया जाए.

ऐसे में अधिकारियों का कहना है कि नेपाल में मज़बूत सरकार होने पर ही फ़िक्स रेट के नोटों के चलन को रोकना संभव हो पाएगा.

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