हजरत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहीवसल्लम ने भेद-भाव खत्म कर इंसानियत को बराबरी का दर्जा दिया

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  • मुसलमान जान से भी अधिक पैगंबर-ए-इस्लाम के साथ प्यार करते हैं : शाही इमाम पंजाब

DMT : लुधियाना : (28 सितंबर 2023) : – दिलों से नफरतें निकाल कर आपसी भाईचारे को मजबूत कीजिए, सच्चा मुसलमान वही है, जो हजरत मुहम्मद साहिब सल्ललाहु अलैहीवसल्लम के बताए हुए रास्ते पर चले। यह बात आज यहां जामा मस्जिद में 12 वफात के ऐतिहासिक दिन के मौके पर मुसलमानों को संबोधित करते हुए पंजाब के शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी लुधियानवी ने कही। उन्होंने कहा कि हजरत मुहम्मद साहिब सल्ललाहु अलैहीवसल्लम का 12 रबी-उल-अव्वल के दिन मक्का शरीफ में जन्म हुआ और आज के दिन ही आप मदीना शरीफ में 63 साल तक संसार में इंसानियत को प्यार-मुहब्बत, आपसी भाईचारे का पाठ पढ़ा कर अल्लाह ताआला के पास वापिस चले गये। इसीलिए आज के दिन को 12 वफात कहा जाता है। शाही इमाम ने कहा कि आज के दिन मुसलमान अपने प्यारे नबी हजरत मुहम्मद साहिब सल्ललाहु अलैहीवसल्लम को याद करते हुए उनकी दी हुई शिक्षाओं के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करने का संकल्प दोहरातेे हैं। शाही इमाम ने कहा कि 14 सौ वर्ष बीत जाने के बाद भी हजरत मुहम्मद साहिब सल्ललाहु अलैहीवसल्लम की शिक्षाएं किसी परिवर्तन के बिना मूल रूप में मौजूद हैं और मानव जाति के मार्ग दर्शन के लिए आशा की किरण हैं। उन्होंने कहा कि अल्लाह ताआला ने कुरान शरीफ में यह बात स्पष्ट कर दी कि हजरत मुहम्मद साहिब सल्ललाहु अलैहीवसल्लम आखरी नबी हैं, अब कोई और व्यक्ति कयामत तक नबी बनकर नहीं आ सकता। शाही इमाम ने कहा कि हजरत मुहम्मद साहिब सल्ललाहु अलैहीवसल्लम के दुनिया में आने से पहले लोग बेटियों को जिंदा जमीन में दफन कर दिया करते थे। हजरत मुहम्मद साहिब सल्ललाहु अलैहीवसल्लम ने दुनिया में आकर इस जुल्म को रोका और बेटी को अल्लाह की रहमत बताया। शाही इमाम ने कहा कि इस्लाम धर्म आपसी भाईचारे और शांति का संदेश देता है, सांप्रदायिक ताकतों की ओर से इस्लाम धर्म को आतंकवाद से जोडऩा गलत है, बल्कि निंदनीय है। उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म के खिलाफ अपमानजनक बातें इंसानियत के लिए शर्म की बात है। शाही इमाम ने कहा कि मुसलमान हजरत मुहम्मद साहिब सल्ललाहु अलैहीवसल्लम से अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहिब सल्ललाहु अलैहीवसल्लम की शान के लिए हमारी जान भी हाजिर है। इस मौके पर मौलाना मुहम्मद इब्राहिम, कारी मोहतरम, कारी अबदुर रहमान, हाफिज जैनुल आबदीन, गुलाम हसन कैसर व मुहम्मद मुस्तकीम विशेष रूप से उपस्थित थे।

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