DMT : पंजाब : (08 अप्रैल 2023) : –
जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह दिखने के लिए ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंन ने भारत में क़दम रखने से पहले अपनी प्लास्टिक सर्जरी कराई थी. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ये ख़बर छापी है.
80 के दशक में जरनैल सिंह भिंडरावाले ने खालिस्तान आंदोलन की प्रमुख शख़्सियत थे जिन्होंने सिख चरमपमंथ का नेतृत्व किया था. सन् 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान उनकी मौत हो गई थी.
सूत्रों का कहना है कि असम में डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद अमृतपाल के एक क़रीबी सहयोगी ने जांच के दौरान ये बात कही है.
अख़बार लिखता है कि एक अधिकारी ने बताया है कि गिरफ्तार लोगों ने ख़ुफ़िया अधिकारियों को बताया है कि अमृतपाल सिंह ने भिंडरावाले की तरह दिखने के लिए कथित तौर पर अपने चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी कराई थी. इसके लिए वो भारत आने से पहले जॉर्जिया गए थे और वहां तक़रीबन दो महीने रहे थे.
हालांकि अधिकारी का कहना है कि वो अभी इस मामले में पूरी जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.
पुलिस 18 मार्च से अमृतपाल को तलाश कर रही है. उनके चाचा हरजीत सिंह और दलजीत सिंह कलसी समेत उसके कई साथियों को पुलिस ने गिरफ़्तार कर डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया है. ख़ुफ़िया अधिकारी हाल ही में उनसे पूछताछ करने असम गए थे.
अधिकारियों का कहना है कि किसान आंदोलन के दौरान अमृतपाल सिंह ने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट डाली थी और कुछ लोगों के साथ संपर्क में भी थे.
अख़बार लिखता है कि ख़ुफ़िया अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि अमृतपाल सिंह बीते साल अगस्त में अचनाक क्यों सामने आए और पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू की मौत के बाद उन्होंने ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख के तौर पर ज़िम्मेदारी क्यों ली.
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मॉनिटरी पॉलिसी समिति ने गुरुवार को फ़ैसला किया कि पॉलिसी रेपो रेट को नहीं बढ़ाया जाएगा और ये मौजूदा दर यानी 6.50 फ़ीसदी पर ही बना रहेगा.
बीते 11 महीनों में आरबीआई ने कई बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है. ये बढ़ोतरी कुल 250 बेसिस प्वाइंट की है. इसके बाद फ़िलहाल रेपो रेट को 6.50 फ़ीसदी की मौजूदा दर पर ही रखने का फ़ैसला किया गया है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि निवेशक इस बात से भ्रमित न हों कि स्थिति पर फ़ुलस्टॉप लग गया है.
अख़बार ने लिखा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रेपो रेट न बढ़ाने के आरबीआई के फ़ैसले का स्वागत किया है और इसे एक “अच्छा फ़ैसला” बताया है.
अख़बार लिखता है कि जानकारों का मानना है कि बीते महीनों में रेपो रेट बढ़ने का असर डिमांड पर पड़ा है, जो कम हुई है.
अख़बार लिखता है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी की चिंताओं के बीच कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने साल 2023-24 के लिए भारत के विकास दर के अनुमान में कटौती की है, ऐसे में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आरबीआई ने ये अहम फ़ैसला लिया है.
फ़ेक न्यूज़ की पड़ताल करेगी पीआईबी
सरकार ने इंन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी क़ानून में बड़ा बदलाव किया है जिसके बाद यूज़र्स की पोस्ट की गई भ्रामक जानकारी के लिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को भी ज़िम्मेदर ठहराया जा सकेगा और उन्हें कटघरे में घसीटा जा सकेगा.
सरकार के बारे में प्रेस इंफ़ॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) को ये ताक़त दी गई है कि वो ये पता करे कि इंटरनेट पर पोस्ट की गई सरकार से संबंधित कोई जानकारी फ़ेक न्यूज़ है या नहीं. जिस ख़बर की पहचान न्यूज़ के तौर पर की जाएगी उसे सोशल मीडिया कंपनियों और दूसरे इंटरमीडियरी को इंटरनेट से हटाना होगा.
अख़बार लिखता है कि इंन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल्स 2021 में हुए इन बदलावों को 6 अप्रैल को नोटिफ़ाई कर दिया गया है.
इसके बाद अब बीआईबी की फ़ैक्ट चेक टीम सरकारी दफ़्तरों से संपर्क करेगी और उनसे इस बारे में पूरी जानकारी लेगी कि केंद्र सरकार से जुड़ी कोई ख़बर कितनी सच है, इसी आधार पर ख़बर को इंटरनेट से हटाने का फ़ैसला किया जाएगा. अगर गुज़ारिश पर ख़बर न हटाई गई तो उन्हें इसके लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है.
उन्होंने कहा है कि ऐसा नहीं है कि प्लेटफ़ॉर्म को ख़बर को इंटरनेट से हटाना ही होगा, हालांकि वो ये कहते हुए ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते कि किसी यूज़र की पोस्ट की गई जानकारी के लिए वो ज़िम्मेदार नहीं हैं.
उनका कहना है कि इस बदलाव के बाद अब कोर्ट में सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स और इंटरमीडियरी की जवाबदेही भी तय की जा सकेगी.
मदुरै के पुलिस अधीक्षक शिव प्रसाद के हवाले से अख़बार लिखता है कि अपराध शाखा पुलिस ने मनीष कश्यप के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है. साथ ही पुलिस की एक टीम में उन्हें बिहार से गिरफ़्तार कर लिया है.
बुधवार को मनीष कश्यप को मदुरै की ज़िला अदालत में पेश किया गया जहां कोर्ट ने उन्हें 15 दिन के न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है.
मनीष पर इस साल मार्च के पहले सप्ताह में तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मज़दूरों पर हमलों और उन्हें प्रताड़ित करने का वीडियो इंटरनेट पर डालने का आरोप लगाया गया है. ये वीडियो वायरल हो गए थे जिसके तमिलनाडु में काम कर रहे उत्तर भारत के मज़दूरों के बीच दहशत फैल गई थी.