उमरा के बहाने पाकिस्तान से आने वाले भिखारियों के गिरोह से परेशान है सऊदी अरब

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DMT : पाकिस्तान  : (12 अक्टूबर 2023) : –

इस महीने पाँच अक्टूबर को, दो पुरुष और दो महिलाओं का एक गिरोह भीख मांगने के मक़सद से उमरा के बहाने, सऊदी अरब जाने के लिए लाहौर के अल्लामा इक़बाल हवाई अड्डे पर पहुँचा.

पंजाब के क़सूर ज़िले के भिखारियों के इस ‘संगठित गिरोह’ में नसरीन बीबी, उनके चाचा असलम, चाची परवीन और भाई आरिफ़ शामिल थे.

ये चारों क़रीबी रिश्तेदार हसीन सपने लेकर एयरपोर्ट पर स्थित एफआईए इमिग्रेशन काउंटर पहुंचे.

इससे पहले नसरीन बीबी 16 बार जबकि परवीन नौ बार उमरा करने या ज़ियारतों पर जाने के बहाने भीख मांगने के लिए, सऊदी अरब, ईरान और इराक़ जा चुकी हैं.

एफआईए इमिग्रेशन पर तैनात अधिकारियों ने चारों लोगों से पूछताछ के बाद, उन्हें विमान में चढ़ने से रोक दिया और ‘ट्रैफ़िकिंग इन प्रसन एक्ट 2018’, के तहत मुक़दमा दर्ज कर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया.

एफ़आईआर के मुताबिक़, पूछताछ के दौरान चारों ने क़बूल किया कि वो उमरा के नाम पर सऊदी अरब जा रहे थे, लेकिन उनका असली मक़सद वहाँ जाकर भीख मांगना था.

बीबीसी के पास उपलब्ध एफ़आईआर की कॉपी के अनुसार, ये चारों पहले भी सऊदी अरब, ईरान और इराक़ भीख मांगने के लिए जा चुके हैं.

एफ़आईआर के मुताबिक़, अभियुक्तों और उनके एजेंट जहांज़ेब के बीच मोबाइल पर मैसेज के ज़रिये हुई बातचीत से भी इस गिरोह के विदेश में भीख मांगने के सबूत हैं. उनके मोबाइल को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है.

नसरीन बीबी और परवीन को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया जबकि बाक़ी दोनों अभियुक्त मोहम्मद असलम और आरिफ़ पूछताछ के लिए हवालात में बंद हैं.

जब बीबीसी ने नसरीन बीबी से 9 अक्टूबर को स्थानीय अदालत में पेशी के मौक़े पर अदालत के बाहर बात की तो उन्होंने कहा, “क्या हमें इस तरह गिरफ़्तार करने से यह समस्या हल हो जाएगी? क्या इस देश में लोग भूख से नहीं मर रहे हैं, क्या रोज़ी कमाने का हक़ नहीं होना चाहिए.

नसरीन बीबी के मुताबिक़ ये काम इस तरह की गिरफ़्तारियों से रुकने वाला नहीं है. “हम ग़रीबों को तो आसानी से पकड़ लिया, क्या कभी किसी ताक़तवर को भी पकड़ा है यहाँ.”

जब उनसे सवाल किया गया कि क्या देश से बाहर जाकर भीख मांगने के लिए जाने से पाकिस्तान की बदनामी नहीं होती, तो उन्होंने जवाब दिया, कि ”पहले कौन से झंडे लगे हैं.”

ध्यान रहे कि हाल ही में ओवरसीज़ पाकिस्तानी मंत्रालय के सेक्रेटरी ज़ुल्फ़िक़ार हैदर ने सीनेट की स्थायी समिति को बताया था कि विदेशों में गिरफ़्तार किए गए 90 फ़ीसदी भिखारी पाकिस्तान के हैं.

इस दावे के सामने आने के बाद बीबीसी की पड़ताल में इस बात का पता चला कि एक योजनाबद्ध तरीक़े से पाकिस्तान में मौजूद एजेंट भिखारियों या ज़रूरतमंद लोगों को भी मांगने के लिए मध्य-पूर्व के देशों, ख़ासकर सऊदी अरब, ईरान और इराक़ भेजते हैं. भीख मांगने से जमा हुई रक़म में इन एजेंट्स का भी हिस्सा होता है.

हालांकि, हाल ही में, सऊदी सरकार की तरफ़ से इस मामले पर पाकिस्तानी सरकार से औपचारिक शिकायत की गई और संघीय गृह मंत्रालय को इस मुद्दे का हल निकालने के लिए निर्देश भी जारी किए. इसी का नतीजा है कि नसरीन बीबी और उनके परिवार की गिरफ़्तारी हुई.

पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के अनुसार, पिछले दिनों में मुल्तान और सियालकोट से भी कुछ ऐसे गिरोह गिरफ़्तार हुए हैं जो लोगों को उमरा के बहाने सऊदी अरब लेकर जाते हैं.

अब तक ऑफ़ लोड होकर गिरफ़्तार होने वालों की संख्या 37 है.

पहली बार जा रहे थे सऊदी अरब

नसरीन बीबी के चाचा असलम और भाई आरिफ़ ने बीबीसी को बताया कि वे उमरा करने के बहाने भीख मांगने पहली बार सऊदी अरब जा रहे थे. माजिद अली का कहना है कि उनका पूरा परिवार भीख मांगता है और यह पीढ़ियों से चल रहा है.

हमने वीज़ा और टिकट की व्यवस्था के लिए एजेंट को प्रति व्यक्ति दो लाख 30 हज़ार रुपये एजेंट को दिए थे. उनके मुताबिक़, इन सभी लोगों को सऊदी अरब में क़रीब 20 दिन तक रहना था.

“मैं पहले बंदर बनकर गलियों और मोहल्लों में मांगता था, लेकिन फिर भीख मांगने के लिए ईरान और इराक़ भी गए .”

आरिफ़ के मुताबिक़, ईरान और इराक़ में ख़र्च निकाल कर एक ट्रिप पर 20 से 30 हज़ार रुपये प्रति व्यक्ति कमाते थे.

आरिफ़ का कहना था कि “ईरान, इराक़ और सऊदी अरब जाकर कभी गूंगा बनकर तो कभी हाथ से रोटी खाने का इशारा करके भीख मांगते थे.

आरिफ़ कहते हैं कि ‘इस तरह ज़ियारतों का भी सफ़र हो जाता था और पैसे भी बन जाते थे.’

जिन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है वो उन लोगों के बारे में कुछ नहीं बता रहे हैं जो उन्हें सऊदी अरब में मदद मुहैया कराते हैं.

लेकिन एफ़आईए जांच अधिकारियों के अनुसार, एफआईए के डिप्टी डॉयरेक्टर एंटी ह्यूमन सर्कल मुहम्मद रियाज़ ख़ान की निगरानी में उन लोगों के ख़िलाफ़ जांच चल रही है, जो सऊदी अरब में ऐसे लोगों को रहने के अलावा और दूसरी सुविधाएं मुहैया कराते हैं,.

विदेशों में भीख मांगना संगठित अपराध का हिस्सा

एफआईए के डिप्टी डायरेक्टर के मुताबिक़, ‘इस केस में भी चारों आरोपी और एजेंट के बीच यह तय हुआ था कि कमाई का आधा हिस्सा एजेंट को मिलेगा, जिसने न केवल उनके यात्रा दस्तावेजों का इंतज़ाम किया बल्कि सऊदी अरब में उनके रहने और अन्य ज़रूरतों का भी बंदोबस्त किया.

यहाँ रुपये मिलते हैं, सऊदी अरब में रियाल में भीख मिलती है

सोशल मीडिया पर फ़ेसबुक पेज चलाने वाले एक एजेंट ने नाम न छापने की शर्त पर उमरा के नाम पर सऊदी अरब ले जाने के बारे में बीबीसी से बात करते हुए कहा, कि “यहां रुपये मिलते हैं. सऊदी अरब में रियाल में भीख दी जाती है. ज़मीन-आसमान का फ़र्क़ होता है.”

उन्होंने बताया कि मैं यहाँ से लोगों को मजदूरी और उमरा के नाम पर सऊदी अरब लेकर जाता रहा हूं. कभी 16 कभी 25 लोग होते हैं. तक़रीबन पांच महीने तक ऐसा करता हूं.

यह शख्स भी पाकिस्तान में काम करने वाले बहुत से दूसरे एजेंटों की तरह फ़ेसबुक और व्हाट्सएप के ज़रिए अपना काम कर रहा है और लोगों को व्हाट्सएप पर सारी जानकारी मुहैया कराता है.

इनका तरीक़ा ऐसा होता है कि पाकिस्तान के बहुत से लोग मज़दूरी के काम के मक़सद से इन एजेंटों से संपर्क करते हैं और जो लोग किसी काम के लिए नहीं जाते, उन्हें एजेंट भीख मांगने की पेशकश करते हैं.

एजेंट ने बताया कि पाकिस्तान से हर कोई मज़दूरी के लिए नहीं जाता. इसलिए उन्हें कुछ अलग पेशकाश करनी पड़ती है.’

“इस समूह का महिलाओं और बच्चों को भी हिस्सा बनना पड़ता है, ताकि उमरा या ज़ियारत के लिए आसानी से वीज़ा हासिल किया जा सके और फिर उन्हें मक्का और मस्जिद-ए-नबवी के सामने बैठाया जा सके.”

ओवरसीज़ पाकिस्तानी मंत्रालय के सेक्रेटरी ज़ुल्फ़िक़ार हैदर ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि उन्हें सऊदी अरब, ईरान और इराक़ की तरफ़ से जानकारी दी गई थी, जिसके बाद इस जानकारी को रिपोर्ट के तौर पर पेश की गई.

उन्होंने कहा कि इसके बाद एफआईए को सक्रिय करना पड़ा. जैसा कि आप सभी को पता हैं, इस समय एफआईए मानव तस्करी को रोकने के लिए सक्रिय है और उनके बारे में जो भी जानकारी है, वो आप सब के सामने ला रहे हैं.

सामान में भीख मांगने वाले कटोरे भी मिले

एफआईए के डिप्टी डायरेक्टर ख़्वाजा हम्माद-उल-रहमान ने बीबीसी को बताया कि सीनेट की स्थायी समिति में ओवरसीज़ पाकिस्तानी मंत्रालय के सेक्रेटरी के खुलासे के बाद यात्रियों की प्रोफाइलिंग शुरू की गई.

ख़्वाजा हम्माद-उल-रहमान ने बीबीसी को बताया कि ‘प्रोफाइलिंग का मतलब यात्रियों के ज़रूरी नियमों को चेक करना और उनकी यात्रा के मक़सद की जांच करना है, अगर कोई यात्री उमरा के लिए सऊदी अरब जाना चाहता है, तो क्या उनके आर्थिक हालात इस लायक़ हैं कि वो यह यात्रा कर सकें.

प्रोफाइलिंग की प्रक्रिया के दौरान, होटल बुकिंग, वापसी के टिकट की मौजूदगी और यात्रियों के पास मौजूद कैश से भी इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यात्री उमरा के मक़सद से ही यात्रा कर रहे हैं या इनका वहां जाने का कोई और मक़सद है.

एक सवाल के जवाब में ख़्वाजा हम्माद-उल-रहमान ने बताया कि मानव तस्करी की रोकथाम के लिए कुछ साल पहले तक यूरोप और दूसरे देशों की यात्रा करने वाले यात्रियों की प्रोफाइलिंग की जाती थी, लेकिन फिर शिकायतों की वजह से हवाई अड्डों पर प्रोफाइलिंग की इस प्रक्रिया को रोक दिया गया था.

लेकिन अब सऊदी अरब जाने वाले भिखारियों से संबंधित शिकायतों के बाद इसे फिर से शुरू कर दिया गया है.

प्रोफाइलिंग की मदद से एफआईए को पहली बड़ी कामयाबी उस समय मिली जब 29 सितंबर 2023 को महिलाओं सहित 16 लोगों का एक गिरोह सऊदी अरब जाने के इरादे से मुल्तान हवाई अड्डे पर पहुंचा.

नए दिशानिर्देशों के तहत उन लोगों को संदिग्ध समझते हुए इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें बाक़ी यात्रियों से अलग कर उनसे पूछताछ शुरू कर दी. ख़्वाजा हम्माद-उल-रहमान के मुताबिक़, शुरुआती जांच में जब उनकी प्रोफाइलिंग की गई तो ‘वे सब के सब भिखारी निकले.’

न उनके पास होटल बुकिंग थी, न पैसे और न उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि ये उमरा के मक़सद से सऊदी अरब जाते. जब उनके सामान की तलाशी ली गई तो उनके बैग में से भीख मांगने के कटोरे भी बरामद हुए.

ख़्वाजा हम्माद-उल-रहमान के मुताबिक़, “जांच के दौरान पता चला कि नूरू नाम के एजेंट को इन सभी भीख मांगने के मक़सद से सऊदी अरब जा रहे लोगों को मदद मुहैया करानी थी.”

एफआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक़, “डील के तहत, रोज़ भीख का हिसाब होना था और कमाई का आधा हिस्से का बँटवारा भी रोज़ किया जाना था.

मुल्तान एयरपोर्ट से गिरफ़्तार होने वाले लोगों का क्या कहना है?

मुल्तान हवाई अड्डे पर गिरफ़्तार होने वालों में लोधरान के रहने वाले शकील भी शामिल थे जो अपनी दो पत्नियों के साथ सऊदी अरब जा रहे थे.

मुल्तान की एक स्थानीय अदालत के बाहर बीबीसी से बात करते हुए शकील ने बताया कि वह मोटर साइकिल पर फेरी लगाकर बेडशीट बेचते हैं.

उनके अनुसार, उन्हें उमरा के लिए सऊदी अरब जाने का ख्याल उनके दोस्त से आया जो उनके साथ ही फेरी लगाते थे.

मोहम्मद इमरान के मुताबिक़ तीन लाख रुपये में तीनों लोगों की डील हो गई थी, वीज़ा और टिकट वगैरह के लिए एजेंट से भी दोस्त ने ही मिलवाया था.

मुल्तान हवाई अड्डे से शुरूआती तौर पर लाहौर कैंट के इस्माइल टाउन इलाक़े की चार महिलाओं को भी हिरासत में लिया गया था, लेकिन उनके ख़िलाफ़ आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई और उन्हें रिहा कर दिया गया.

इनमें शकीला बीबी, उनकी भांजी और एक बेटी शामिल हैं. इस गिरोह में लाहौर से कुल सात क़रीबी रिश्तेदार भी शामिल थे. ये सातों लोग लाहौर 27 सितंबर को लाहौर लॉरी अड्डे से बस में सवार होकर मुल्तान पहुंचे थे.

उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट पर ‘बोर्डिंग पास जारी हो चुका था और सामान भी जा चुका था’ लेकिन अचानक उन्हें एफआईए वालों ने रोक लिया.

“जब हम इमिग्रेशन करा रहे थे, तब एफआईए ने कुछ लोगों को रोका और फिर उसके बाद हमारी बारी भी आ गई.”

जब उनसे पूछा गया कि उनके पति या बेटे साथ में उमरा करने क्यों नहीं जा रहे थे, तो परवीन बीबी का कहना था कि उनके पति और बेटों की इच्छा थी कि वे (महिलाएं) उमरा पर जाएं.

दूसरी तरफ़ इस्माइल टाउन के एक स्थानीय दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी को बताया कि इस बस्ती में रहने वाले पुरुष और महिलाएं लाहौर के विभिन्न इलाकों में जाकर भीख मांगते हैं.

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