कर्नाटक: इदरीस पाशा के मर्डर पर राजनीति, क्या है पूरी कहानी

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DMT : दक्षिण कर्नाटक : (20 अप्रैल 2023) : –

पूरे कर्नाटक में चुनाव का शोर सुनाई दिया, लेकिन जब इदरीस पाशा के घर पहुंचे तो गहरा सन्नाटा था.

दो साल की बच्ची बार-बार मां से पूछती है, ‘अब्बा कब आएंगे’, जिन्हें उसने आख़िरी बार दो हफ़्ते पहले देखा था. 37 वर्षीय इदरीस पाशा रोज़ा खोलने के बाद अगले दिन की सहरी टिफिन में पैक करके घर से निकले थे. लेकिन कभी नहीं लौटे.

अगली सुबह थाने से महज़ 100 मीटर की दूरी पर झाड़ियों के बीच उनकी लाश ज़ख़्मी हालत में मिली.

परिवार ने आरोप लगाया कि ट्रक में मवेशी भरकर निकले इदरीस और उनके दो साथियों का कथित गौरक्षक पुनीत केरेहल्ली और उनके समूह ने पीछा किया, मवेशियों की ख़रीद के पुख़्ता बिल होने के बावजूद भी उन्हें रोका, फिर पीटा और जब वो लोग बचकर भागे तो उनमें से एक यानी इदरीस पाशा की पीट-पीटकर बेरहमी से हत्या कर डाली.

लेकिन पुनीत केरेहल्ली ने ख़ुद को बेगुनाह और राजनीति का शिकार बताया. पुनीत का कहना है कि भागने पर उन्होंने ज़हीर को पकड़ लिया था और फिर थाने ले गए, लेकिन इरफ़ान और इदरीस पाशा भागकर कहां गए, वो नहीं जानते.

उठते गंभीर सवाल

पुनीत को कस्टडी में लेकर पुलिस जांच कर रही है. रामनगर के एसपी कार्तिक रेड्डी ने बीबीसी से बातचीत में बताया कि पुलिस ने एक अप्रैल को तीन एफ़आईआर दर्ज की थीं.

उन्होंने बताया इसमें एक इदरीस पाशा के भाई ने, एक ड्राइवर ज़हीर ने और एक एफ़आईआर पुनीत केरेहल्ली ने इदरीस, इरफ़ान और ज़हीर के ख़िलाफ़ गौहत्या से जुड़े क़ानून के तहत दर्ज कराई थी.

एसपी रेड्डी के मुताबिक़, “अभी मामले की जांच चल रही है और हम पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं.”

वहीं पुनीत केरेहल्ली के वकील उमाशंकर मेगुंडी ने बताया कि चार अभियुक्तों के मामले में जांच पूरी हो गई है, उन्हें कोर्ट में पेश करके जेल भेज दिया गया है.

उन्होंने बताया कि पुनीत केरेहल्ली अभी पुलिस कस्टडी में ही हैं और उनके मामले में जांच अभी पूरी नहीं हुई है.

वकील उमाशंकर मेगुंडी पुनीत के बचाव में कहते हैं कि वो ट्रक में मौजूद गायों को गौशाला छोड़ने के बाद दोबारा थाने में आ गए थे और सुबह साढ़े पांच बजे तक थाने में ही रहे.

उनका कहना है कि ‘अगर ख़ून उसी ने किया होता तो वो लौटकर थाने क्यों आते?’

पुनीत केरेहल्ली ने आरोप लगाए कि एफ़आईआर में बदलाव कर मार-पीट की बात बाद में जोड़ी गई. लेकिन एसपी रेड्डी ने कहा कि एक बार एफ़आईआर दर्ज होने के बाद उसे बदला नहीं जा सकता है.

मामले में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस का नाम आने पर चुनावी राजनीति भी गरमा गई है. इस पूरी घटना ने कथित गौरक्षकों, पुलिस और राजनेताओं की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

कब क्या हुआ?

इदरीस पाशा के परिवार के मुताबिक 31 मार्च की रात ट्रक मालिक इरफ़ान 16 मवेशियों को ट्रक में भरकर दो ड्राइवर – ज़हीर और इदरीस के साथ कर्नाटक के मंड्या ज़िले से निकले थे.

परिवार का कहना है कि ख़ुद को गौरक्षक कहने वाले पुनीत केरेहल्ली और उनके साथियों ने 55 किलोमीटर दूर रामनगर ज़िले के साथनुर गाँव में उनके ट्रक को रोका.

उसके बाद इदरीस और उनके साथियों का पुनीत केरेहल्ली और उनके समूह से टकराव हुआ. ये सब साथनूर थाने से बहुत क़रीब हो रहा था.

थाने में मौजूद एक महिला पुलिसकर्मी ने बीबीसी को बताया कि रात के वक़्त सिर्फ दो-तीन पुलिस वालों की ड्यूटी होती है.

थाने के सामने एफ़बी लाइव

रात क़रीब 12 बजे पुनीत केरेहल्ली ने अपने फ़ेसबुक पेज पर एक लाइव भी किया था. जिसमें वो मवेशियों से भरे ट्रक के साथ थाने के बाहर खड़े हैं.

फेसबुक लाइव में ट्रक का नंबर भी वही है जो ज़हीर ने अपनी एफ़आईआर में बताया है. इस लाइव में पुलिस वाले भी नज़र आ रहे हैं.

लाइव के शुरू में ही पुनीत एक पुलिस वाले से कहते हैं, ‘बच्चा लोग भागा है, हम पकड़ लेंगे.’

परिवार का कहना है कि अगर पुलिस वक्त रहते मामला अपने हाथ में ले लेती तो इदरीस पाशा की जान बचाई जा सकती थी.

थाने के बिल्कुल सामने रहने वाली एक महिला ने बताया कि रात में जब वो बाथरूम जाने के लिए उठी, तो तेज़ शोर सुनाई दिया.

उन्होंने बताया, “अंधेरा था तो देख नहीं पाई, पर सुनकर लगा कोई भाग रहा है और कुछ लोग उसके पीछे भाग रहे हैं और रुको-रुको कह रहे हैं.”

रामनगर ज़िले के एसपी कार्तिक रेड्डी से हमने सवाल किया कि क्या पुलिसकर्मियों को पुनीत केरेहल्ली और उनके साथियों को उसी वक़्त रोककर मामला को ख़ुद हैंडल नहीं करना चाहिए था? और क्या अब उन पुलिस वालों की कोई ज़िम्मेदारी तय होगी?

जवाब में एसपी रेड्डी ने बताया, “वो फ़ेसबुक लाइव असल घटना के आधे घंटे बाद का है. जब गाड़ी रोकी गई, तो तीनों ड्राइवर भागे. एक ड्राइवर जो पकड़ा गया, वो वहां मिला.”

“100 मीटर की दूरी पर मौजूद एक पुलिस कॉन्सटेबल ने ये हो-हल्ला सुना. वो वहां गया और उन्हें पुलिस स्टेशन ले आया. ये लाइव तब किया गया जब ड्राइवर को पुलिस स्टेशन ले जाया जा चुका था.’

मामले के तूल पकड़ने के बाद पुनीत केरेहल्ली ने अपना फ़ेसबुक अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया है. हालांकि कर्नाटक सिद्धी नाम के एक फ़ेसबुक पेज पर अब भी यह लाइव देखा सकता है, जिसे उन्होंने पुनीत के पेज से डाउनलोड कर अपने पेज अपलोड किया था.

एसपी रेड्डी ने कहा कि घटना स्थल के नज़दीक की दुकानों के सीसीटीवी फुटेज ले लिए गए हैं और कुछ चश्मदीद भी मिले हैं, जिनके बयान दर्ज किए गए हैं.

पुलिस ने सबसे ज़रूरी इदरीस पाशा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को बताया, जिससे मौत के कारणों का पता चलेगा. एसपी रेड्डी के मुताबिक़, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने में अभी कुछ हफ़्ते लग सकते हैं.

करंट वाली स्टन गन के इस्तेमाल का आरोप

एक अप्रैल को सुबह छह बजे इदरीस पाशा की लाश नज़दीक ही रहने वाले एक शख़्स ने देखी थी और पुलिस को जानकारी दी थी.

घटना साथनूर के संतेमाला सर्किल पर मार्केट वाले इलाक़े में हुई, जहां आम तौर पर दुकानें रात 10 बजे तक बंद हो जाती है. यहां गिने चुने घर हैं.

सुबह लाश देखकर कई लोग जमा हो गए. जिनमें से एक अनसर भी थे, जो एक पास की दुकान पर काम करते हैं.

उन्होंने सुबह साढ़े नौ बजे लाश देखी और बीबीसी से बातचीत में बताया, “इदरीस पाशा के शरीर पर मार के गहरे निशान थे. उनके चेहरे को बुरी तरह से मारा गया था और शरीर काला पड़ गया था, जैसे किसी ने करंट लगाया हो.’इदरीस के परिवार का आरोप है कि पुनीत केरेहल्ली के समूह ने इदरीस के शरीर पर जगह-जगह करंट शॉक देने वाली स्टन गन का इस्तेमाल किया था.

पुलिस ने तब ‘गोवंश को ग़ैर-क़ानूनी’ तरीक़े से ले जाने के लिए अलीमुल्ला बेग़ को तो गिरफ़्तार किया, लेकिन स्टन गन से उन्हें टॉर्चर करने वाले पुनीत पर कोई कार्रवाई नहीं की.

ज़मानत पर रिहा होने के बाद अब बेग़ ने पुनीत केरेहल्ली के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है.

भारत में इंडियन आर्म्स एक्ट के सेक्शन 25 (1A) के तहत स्टन गन और टेसर्स का इस्तेमाल प्रतिबंधित है.

हालांकि इससे जुड़े सवाल के जवाब में पुनीत केरेहल्ली के संगठन राष्ट्र रक्षणा पाड़े के एक सदस्य अनंत राव ने बीबीसी से बात करते हुए दावा किया कि पुनीत ने उस घटना के बाद स्टन गन का इस्तेमाल कभी नहीं किया था.

पुनीत केरेहल्ली ने तीन साल पहले राष्ट्र रक्षणा पाड़े नाम का एक संगठन बनाया था. इसका शाब्दिक अर्थ है ‘राष्ट्र सुरक्षा सेना’. अनंत राव के मुताबिक़, पूरे कर्नाटक में इस संगठन के क़रीब आठ हज़ार और सिर्फ बेंगलुरू में पांच सौ से एक हज़ार कार्यकर्ता हैं.

उन्होंने कहा, “जो कुछ भी हुआ, राष्ट्र रक्षणा पाड़े उसकी निंदा करता है. ये नहीं होना चाहता था. हम किसी की भी जान जाना सही नहीं मानते.”

“इदरीस को हमारे लोगों ने नहीं मारा है. हमारे लोग लड़ सकते हैं, थोड़ा गुस्सा हो सकते हैं, लेकिन वो किसी को मार नहीं सकते. सरकार से गुज़ारिश है कि इसकी ठीक से जांच हो.”

उन्होंने सवाल किया कि पुलिस थाने के सामने कोई किसी को कैसे मार सकता है, उन्होंने कहा कि अगर इदरीस और उनके साथियों के पास सही कागज़ थे तो वो भागे क्यों?

इदरीस के परिवार ने ये भी आरोप लगाया है कि कथित गोरक्षकों ने उनसे पैसे भी मांगे थे. जिसपर अनंत ने कहा कि अगर पैसे मांगे थे तो वो प्रूफ दें.

अनंत राव ने कहा, “गौहत्या के ख़िलाफ़ बने क़ानून के तहत पुलिस लोगों को पकड़कर अंदर भेज देती है, लेकिन लोगों में अब भी डर नहीं है. बहुत लोग अब भी वही काम कर रहे हैं.”

“अगर आप मवेशियों को क़ानूनन लेकर जाते हो तो हमें कोई दिक़्क़त नहीं है. लेकिन ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से जाओगे तो क़ानून हाथ में लेने में कोई ग़लती नहीं है.”

उन्होंने कहा, “स्टन गन से करंट लगता है, लेकिन उससे इंसान मरता नहीं है. इतना करंट लगता है, कि बस उनको उनकी ग़लती पता चले. इसलिए हम ये करते हैं. जब पुलिस ने हमें स्टन गन इस्तेमाल करने से मना किया तो हमने छोड़ दिया.”

कर्नाटक उन 20 राज्यों में से एक है जिन्होंने गोहत्या को रोकने के लिए एक क़ानून बनाया है.

कर्नाटक में ये क़ानून 2021 में लागू किया गया था. क़ानून तोड़ने वाले को सात साल तक की जेल और पांच लाख तक का जुर्माना हो सकता है.

इस साल की शुरुआत में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने राज्य के मौजूदा गौरक्षा क़ानून को रद्द करने की मांग की थी.

उन्होंने कहा था कि इसके पीछे एक ‘सांप्रदायिक एजेंडा’ है और ये किसानों के हित के ख़िलाफ़ काम करता है.

हत्या पर राजनीति

अनंत ने कहा कि पुनीत केरेहल्ली या राष्ट्र रक्षणा पाड़े का किसी राजनीतिक पार्टी से कोई संबंध नहीं है.

उनके मुताबिक, ‘जहां तक बीजेपी नेताओं के साथ पुनीत की तस्वीरें होने की बात है तो बीजेपी भी हिंदुत्व के लिए काम करती है, किसी आयोजन में जाते हैं तो मिल जाते हैं, तो फ़ोटो निकलवा लेते हैं. पुनीत ने कभी नहीं कहा कि वो बीजेपी के लिए काम करते हैं.’

पुनती केरेहल्ली ने आरोप लगाया था कि बीजेपी को हराने और मुस्लिम वोट के लिए जेडीएस और कांग्रेस ने ही ये साज़िश रची है और इदरीस पाशा को मारा है.

जहां घटना हुई वो इलाक़ा रामनगर ज़िले के कनकपुरा में आता है, जहां के विधायक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार हैं.

लेकिन डीके शिव कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके घटना के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई को ज़िम्मेदार बताया.

उन्होंने कुछ महीने पहले दिए मुख्यमंत्री के उस विवादित बयान का ज़िक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘समाज में कई भावनाएं होती हैं. जब वो भावनाएं आहत होती हैं तो एक्शन और रिएक्शन होने की संभावना होती है.

क्या चुनाव पर हो सकता है असर?

दक्षिण कर्नाटक में गाय के नाम पर हत्या का ये पहला मामला बताया जा रहा है.

मंड्या और रामनगर ज़िला पूराने मैसूर के 13 ज़िलों में शामिल हैं.

मंड्या के कन्नड़ कार्यकर्ता एमवी नागन्ना गौड़ा सांप्रदायिक सौहर्द और दूसरे सामाजिक मुद्दों पर काम करते हैं.

एमवी नागन्ना गौड़ा कहते हैं, “यहां मुस्लिम समुदाय कृषि के काम से जुड़ा है. मवेशियों के खुर बनाने के काम से लेकर बैलगाड़ियों के पंचर टायर ठीक करने का काम मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय करते हैं.”

“1973 की घटना के अलावा यहां कभी सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए. वो इस माहौल में गौहत्या की बात कर रहे हैं. उन्हें समझना चाहिए कि हम मवेशियों को उनसे ज़्यादा प्यार करते हैं.’

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