खालसा कॉलेज फॉर वुमेन, लुधियाना में बबली एस सिंह की पेंटिंग्स की एकल प्रदर्शनी आयोजित की गई

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DMT : लुधियाना : (07 सितंबर 2023)(ग्रोवर) : – 7 सितंबर को खालसा कॉलेज फॉर वुमेन, लुधियाना में बबली एस सिंह की पेंटिंग्स की एकल प्रदर्शनी आयोजित की गई थी।
प्रदर्शनी का उद्घाटन पद्मश्री…डॉ. सुरजीत पातर ने किया।
भावुक चित्रकार बबली को सर्वशक्तिमान ईश्वर ने कला का आशीर्वाद दिया है…उन्होंने ने कला को एक तपस्या माना है।
बबली प्रकृति पर चित्रकारी करती हैं, उनकी पेंटिंग प्रकृति से उनकी निकटता को दर्शाती हैं। वह अपने दिल की गहराइयों से विषयों के साथ परिदृश्यों को चित्रित करती है। वह पौधों..पत्तियों.. में शांत संगीत सुन सकती है,
उन्हें
फूलों..और प्राकृतिक झरनों से बहता पानी अपनी और रवींचता है।।

उनके परिदृश्य लोगों को एक संदेश देते हैं। उनके फूलों से खुशबू आती है..और उन फूलों को तोड़ने का मन करता है। उनकी कई पेंटिंग्स तस्वीरों जैसी दिखती हैं. वह अंग्रेजी, पंजाबी और हिंदी में कविताएं भी लिखती हैं। जो कि भावनाओं से भरपूर होती हैं।
डॉ. सुरजीत पातर ने पेंटिंग्स की सराहना करते हुये लिरवा कि “बबली एक भावनायों से भरी हुई कलाकारा है, जो प्रकृति की पवित्रता को महसूस कर सकती है।
और मनुष्य की मानसिक स्थिति. ..और जीवन की सच्चाई पर चित्रकारी करती हैऔर लिखती भी है। उन्होंने कहा कि वह कल्पना और अपने मन की गहराई से चित्रकारी करती हैं…
उनकी एक पेंटिंग “अमलतास” है।जो कि दरसाता है कि कुदरत में अमलतास फूलों की सभी शाखाएँ नीचे की ओर झुकी होती हैं, जो हमें विनम्र होना सिखाती हैं।
और …
” डीसायरज़” पक्षी हरे पेड़ों पर खुशी से आराम करते हैं, जो पूरी हुई इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। जबकि आकाश में उड़ते पक्षी अधूरी इच्छाएँ हैं। हम जीवन भर अपनी इच्छाओं के पीछे भागते रहते हैं।
“.. मैमोरीज”…..एक खूबसूरत पेंटिंग हमें अतीत के कुछ सुनहरे दिनों की याद दिलाती हैं। जो अब एक टूटे हुए स्मारक में बदल चुकी है।
15 अगस्त 2006 को बबली को राज्य पधरी कलाकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वह ललित कला अकादमी की सदस्य रही हैं ।और पंजाब ललित कला, चंडीगढ़ के लिए लुधियाना में समन्वयक रही हैं।
यह उनकी पेंटिंग्स की 12वीं एकल प्रदर्शनी है।
उनका मानना ​​है कि कला ही उनका जीवन है। वह कहती हैं कि पेंटिंग सिर्फ सजावट के लिये नहीं होती । .. पेंटिंग्स मूक कविताएँ होती हैं…ये कहानियाँ होती हैं..जिनको बहुत कम लोग ही गहराई से पढ़ सकते हैं।

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