गुजरात के क़रीब समुद्र में कैसे पकड़ी गई 33 टन ड्रग्स, जिसे बताया जा रहा है सबसे बड़ी खेप

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DMT : गुजरात  : (28 फ़रवरी 2024) : –

भारतीय नौसेना और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने मंगलवार को एक साझा अभियान में पोरबंदर के तट के क़रीब लगभग 3300 किलोग्राम ड्रग्स ज़ब्त किया है.

भारतीय नौसेना ने सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स पर इस ऑपरेशन से जुड़ी जानकारी साझा की है.

नौसेना ने बताया है कि इस ऑपरेशन में 3089 किलोग्राम चरस, 158 किलोग्राम मेथम्फेटामाइन और 25 किलोग्राम मॉर्फीन ज़ब्त की गयी है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एनसीबी, नौसेना और गुजरात पुलिस को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है.

भारतीय नौसेना के मुताबिक़, सर्विलांस मिशन पर लगे पी8आई एलआरएमआर एयरक्राफ़्ट से मिले इनपुट्स और नारकोटिक्स ब्यूरो की ओर से की गयी पुष्टि के आधार पर भारतीय नौसेना के युद्धपोत को संदिग्ध नाव की ओर भेजा गया.

इसके कुछ समय बाद भारतीय युद्धपोत ने संदिग्ध जहाज़ को पकड़कर इतनी भारी मात्रा में ड्रग्स ज़ब्त किया.

नौसेना ने बताया है कि मात्रा की दृष्टि से यह ड्रग्स की सबसे बड़ी बरामदगी है. संदिग्ध नाव को गुजरात के तट के पास समुद्री सीमा रेखा के क़रीब रोका गया था.

इसके बाद 27 फरवरी को ही नशीली दवाओं के साथ ज़ब्त की गयी नाव और उसके चालक दल को भारतीय बंदरगाह के क़रीब क़ानून व्यवस्था संभालने में लगी एजेंसियों को सौंप दिया गया है.

गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने एक्स पर लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में यह ऑपरेशन नशा मुक्त भारत की प्रतिबद्धता को मज़बूत करेगा.”

एनसीबी के उप महानिदेशक (ऑपरेशंस) ज्ञानेश्वर सिंह ने इस बारे में जानकारी दी है.

उन्होंने कहा, ”भारतीय नौसेना, एनसीबी और गुजरात पुलिस की एटीएस शाखा के इस संयुक्त अभियान में लगभग 3300 किलोग्राम ड्रग्स बरामद किया गया है. मात्रा और रिकॉर्ड के आधार पर ये देश का सबसे बड़ा ऑफ़शोर सीज़र है. इसमें चरस और हशीश की सबसे अधिक मात्रा ज़ब्त की गयी है.”

“इस प्रकरण में पांच संदिग्ध विदेशी नागरिकों को हिरासत में लिया गया है. इनका संबंध पाकिस्तान से होना संदेह के घेरे में पाया जा रहा है. आज सुबह ही केंद्रीय मंत्री अमित शाह जी ने एनसीबी, नेवी और एटीएस गुजरात को इस अभूतपूर्व सफलता पर बधाई दी है.”

पिछले कुछ सालों में राष्ट्रीय और राज्य स्तर की विभिन्न एजेंसियों ने गुजरात में भारी मात्रा में नशीली दवाएं ज़ब्त की हैं.

इनमें से ज़्यादातर कार्रवाइयां गुजरात के तटीय इलाकों में की गई हैं. इसमें कच्छ, जामनगर, सौराष्ट्र के कुछ अन्य स्थान और दक्षिण गुजरात के स्थान शामिल हैं.

साल 2023 में स्थानीय पुलिस ने कच्छ के गांधीधाम से 30 कि.मी. दूर मीठी रोहर गांव के समुद्र तट से 80 किलो कोकीन बरामद की थी.

इससे पहले साल 2021 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मुंद्रा बंदरगाह से क़रीब 21 हज़ार करोड़ रुपये की तीन हज़ार किलोग्राम ड्रग्स ज़ब्त की थी. यह सिलसिला इसके पहले और बाद भी जारी रहा.

गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी नशीली दवाओं की बरामदगी की घटनाओं को गुजरात में सुरक्षाबलों की सफलता और नशीली दवाओं के ख़िलाफ़ सरकार की सख़्त नीति बताते हैं.

लेकिन सवाल उठता है कि इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स की खेप गुजरात के तट तक पहुंचती कैसे है और इसका ऑर्डर कौन करता है?

सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया है कि हाल के दिनों में गुजरात में जो भी ड्रग्स बरामद हुए हैं, उनकी उत्पत्ति पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान या ईरान में हुई है.

डीआरआई सूत्रों के मुताबिक़ जांच में अफ़ग़ानी नागरिकों के नाम भी सामने आ रहे हैं और उनके बारे में भी पूछताछ की गई है.

सुरक्षा एजेंसी से जुड़े लोग इस बात पर क़रीब से नज़र रख रहे हैं कि क्या अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के कारण मादक पदार्थों की तस्करी में वृद्धि हुई है.

अफ़ीम किसानों से जबरन वसूली और तस्करों से जबरन वसूली तालिबान की आय का एक प्रमुख स्रोत है.

ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में कुल अफ़ीम उत्पादन का 80 प्रतिशत अफ़ग़ानिस्तान में होता है. इसमें शुद्धिकरण के ज़रिए हेरोइन समेत नशीले पदार्थ बनाए जा सकते हैं.

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो अगर किसी व्यक्ति को पांच ग्राम तक हेरोइन के साथ पकड़ता है तो इसे ‘छोटी मात्रा’ माना जाता है.

वहीं, 250 ग्राम या उससे अधिक की मात्रा को बड़ी मात्रा माना जाता है. इसको ख़रीद-फ़रोख़्त से जोड़कर देखा जाता है.

कुछ साल पहले तक गुजरात के सलाया, ओखा, मांडवी और सौराष्ट्र जैसे बंदरगाहों से सोना, घड़ियां या इलेक्ट्रॉनिक सामान की तस्करी की जाती थी. इसके लिए ‘धव’ नामक छोटे देशी जहाज़ का प्रयोग किया जाता था.

साल 1993 में पोरबंदर के गोसाबारा बंदरगाह पर आरडीएक्स और हथियारों की एक खेप उतरी थी.

इसका इस्तेमाल तत्कालीन बॉम्बे में विस्फोट करने के लिए किया गया था. पिछले कुछ वर्षों से गुजरात का उपयोग ट्रांसिट रूट के रूप में किया जा रहा है.

कुछ वक़्त पहले नशीले पदार्थ कच्छ, पंजाब और राजस्थान की सीमाओं के पार सुरंगों या पाइपों के माध्यम से भारत में प्रवेश करते थे.

गुजरात में लगभग 1600 किलोमीटर लंबी तटरेखा है, जो देश में सबसे लंबी है.

गुजरात में 30 हज़ार से अधिक नावें और छोटे जहाज़ पंजीकृत हैं. इसलिए खुले समुद्र में अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में उनकी गतिविधियों की निगरानी करना मुश्किल हो जाता है.

केंद्रीय ख़ुफिया एजेंसियों की ओर से मिले इनपुट्स के साथ ही मछुआरों के बीच मौजूद मुखबिरों के जाल और सुरक्षा एजेंसियों, नौसेना और कोस्ट गार्ड्स की ओर से समुद्र में इस्तेमाल की जाने वाली रेडियो फ्रिक्वेंसीज़ की मदद से भारत आते जहाज़ों पर नज़र रखी जाती है.

गुजरात एटीएस के डिप्टी एसपी भावेश रोजिया ने कुछ वक़्त पहले बीबीसी को बताया था कि गुजरात से ज़ब्त की गई दवाएं मुख्य रूप से उत्तर भारत के लिए हैं.

उन्होंने कहा था, “ड्रग्स के गुजरात पहुंचने के बाद वे अलग-अलग लोगों के ज़रिए ज़्यादातर दिल्ली और पंजाब पहुंचाई जाती है..”

ड्रग्स को गुजरात से बाहर भेजे जाने के तरीकों के बारे में उन्होंने बताया था कि ड्रग्स के एक बार गुजरात पहुंचने के बाद उन्हें ट्रेन, बस या कार के ज़रिए गुजरात से बाहर ले जाया जाता है.

उन्होंने बताया था, “ज़ब्त की गई दवाएं गुजरात में किसी एक व्यक्ति की ओर से नहीं मंगवाई जाती हैं. हर बार उन्हें अलग-अलग लोगों की ओर से भेजा जाता है और अलग-अलग लोग उन्हें गुजरात से बाहर ले जाने की कोशिश करते हैं. ज़्यादातर लोग उससे पहले ही पकड़े जाते हैं.”

हाल ही में गुजरात एटीएस और कोस्ट गार्ड ने संयुक्त अभियान चलाकर भारतीय समुद्री सीमा से क़रीब 280 करोड़ रुपये की हेरोइन ज़ब्त की थी.

गुजरात एटीएस के मुताबिक़, पाकिस्तान के ड्रग माफ़िया मुस्तफ़ा ने ‘अल हज’ नाम की नाव से करोड़ों रुपये की ड्रग्स पाकिस्तान से भेजी थी.

ये ड्रग्स गुजरात के रास्ते उत्तर भारत पहुंचाई जानी थी. गुजरात एटीएस को इसकी जानकारी पहले ही मिल गई थी. उन्होंने कोस्ट गार्ड के साथ मिलकर इस नाव को बीच रास्ते में ही पकड़ लिया था.

जब तटरक्षक बल ने नाव को घेर लिया तो नाव के चालक ने भागने की कोशिश की. लेकिन उसे पकड़ लिया गया.

इस नाव में मौजूद नौ पाकिस्तानी नागरिकों को हेरोइन के साथ हिरासत में लेने के बाद एटीएस और एनसीबी ने अलग-अलग टीमें बनाकर उत्तर भारत के कई राज्यों में जांच शुरू कर दी है.

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