चांद के बाद अब भारत का अगला लक्ष्य सूर्य, एक हफ्ते में लॉन्च होने वाला है मिशन

Hindi New Delhi
  • आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान को सोलर कोरोना का रिमोट ऑबजर्वेसन प्रदान करने और सोलर एटमोस्फेयर का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. अंतरिक्ष यान बड़े पैमाने पर सोलर विंड का अध्ययन करेगा, जो पृथ्वी पर अशांति पैदा कर सकती हैं और आमतौर पर “औरोरा” के रूप में देखी जाती हैं.

DMT : नई दिल्‍ली : (27 अगस्त 2023) : – मिशन चंद्रयान-3 की सफलता से देशभर में उत्सव का माहौल है. उधर, प्रज्ञान रोवर चंद्रमा पर प्रयोग कर रहा है, इधर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने अपनी नजरें अपने अगले लक्ष्य – सूर्य पर लगा दी हैं. सोलर रिसर्च के लिए भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला, आदित्य-L1, श्रीहरिकोटा में (देश के मुख्य स्पेसपोर्ट) पर लॉन्च के लिए तैयार हो रही है.

क्या करेगा आदित्य-एल1?

आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान को सोलर कोरोना का रिमोट ऑबजर्वेसन प्रदान करने और सोलर एटमोस्फेयर का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

अंतरिक्ष यान बड़े पैमाने पर सोलर विंड का अध्ययन करेगा, जो पृथ्वी पर अशांति पैदा कर सकती हैं और आमतौर पर “औरोरा” के रूप में देखी जाती हैं.

लंबी समय में, मिशन का डेटा पृथ्वी के जलवायु पैटर्न पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है.

कब लॉन्च होगा आदित्य-L1 मिशन?

सैटेलाइट तैयार हो चुका है और श्रीहरिकोटा पहुंच भी चुका है. लेकिन आदित्य-L1 के लॉन्च की फाइनल तारीख अगले दो दिनों में घोषित की जाएगी.  इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इस बात की जानकारी दी है.

उम्मीद की जा रही है कि सितंबर के पहले हफ्ते में मिशन को लॉन्च किया जाएगा. अंतरिक्ष एजेंसी ने 2 सितंबर को लॉन्च का लक्ष्य रखा है. 

स्पेसक्राफ्ट कितनी दूर करेगा सफर?

आदित्य-L1 भारत के हेवी-ड्यूटी लॉन्च वाहन, पीएसएलवी पर सवार होकर 1.5 मिलियन किलोमीटर की यात्रा करेगा.

सोमनाथ कहते हैं, “प्रक्षेपण के बाद, इसे पृथ्वी से लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे. हमें तब तक इंतजार करना होगा.”

यह अंतरिक्ष में एक प्रकार के पार्किंग स्थल की ओर जाएगा जहां ग्रैविटेश्नल फोर्स को संतुलित करने के कारण वस्तुएं रुकी रहती हैं, जिससे अंतरिक्ष यान के लिए ईंधन की खपत कम हो जाती है.

उन स्थितियों को लैग्रेंज पॉइंट्स कहा जाता है, जिनका नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है. 

मिशन की लागत कितनी होगी?

चंद्रयान-3 मिशन के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बन गया. इस मिशन की लागत 600 करोड़ थी, जो कुछ ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फिल्मों की लागत के बराबर थी.

आदित्य-L1 को चंद्रयान-3 की लगभग आधी लागत पर बनाया गया है. सरकार ने सूर्य के वातावरण का अध्ययन करने के मिशन के लिए 2019 में ₹ 378 करोड़ मंजूर किए थे. इसरो ने अभी तक लागत पर कोई आधिकारिक अपडेट नहीं दिया है.

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