छत्तीसगढ़ः बच्चों के झगड़े में एक की मौत के बाद सांप्रदायिक तनाव, क्या है मामला

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DMT : रायपुर  : (13 अप्रैल 2023) : –

छत्तीसगढ़ के बीरनपुर गांव के रहने वाले ईश्वर साहू, एक ही बात दोहराते-दोहराते लगभग थक चुके हैं. दुख, शोक और आक्रोश में उनके शब्द लड़खड़ाने लगते हैं.

बेमेतरा ज़िले के इसी बीरनपुर में शनिवार को सांप्रदायिक हिंसा में ईश्वर साहू के 22 साल के बेटे भुनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई थी.

इसके बाद मंगलवार को इसी गांव की सीमा से लगे कोरवाय में 55 साल के मोहम्मद रहीम और 35 साल के उनके बेटे ईदुल का रक्तरंजित शव मिला.

ईश्वर साहू कहते हैं, “उस दिन दो बच्चों के बीच साइकिल से कट मारने को लेकर झगड़ा हुआ और फिर इसमें बड़े लोग कूद गए.”

“गांव में हम सब लोग बैठकर बातचीत कर ही रहे थे कि मुसलमान पारा के लोगों ने हमला कर दिया. लोग इधर-उधर भागे. थोड़ी देर बाद किसी ने मुझे बताया कि मेरा बेटा गली में पड़ा हुआ है.”

रुंधे हुए गले से ईश्वर बताते हैं कि वे अपने बेटे को लेने के लिए जाने लगे तो गांव के दूसरे लोगों ने रोक दिया.

उन्होंने अपनी पत्नी सती को कहा कि वह देख कर आए, लेकिन माहौल को देखते हुए कुछ लोगों ने गांव के कोटवार को जा कर देखने के लिए कहा.

ईश्वर कहते हैं, “गांव के कोटवार ने जा कर देखा तो मेरा बेटा मरणासन्न पड़ा हुआ था. हम पति-पत्नी और दूसरे लोग दौड़ते हुए पहुंचे.”

“बेटे के शरीर पर चाकू के निशान थे और खून बह रहा था. हमने एंबुलेंस को ख़बर की, लेकिन एंबुलेंस देर से पहुंची और मेरे बेटे की मौत हो गई.”

ईश्वर साहू का दावा है कि गांव में दो महीने पहले धर्म सभा हुई थी, उसके बाद से ही तनाव फैला हुआ था. दूसरे समुदाय के लोगों ने गांव के तेली-साहुओं को चेतावनी दी थी कि सबको मारेंगे.

बीरनपुर की गलियों की तस्वीर देखें तो हर तरफ़ सन्नाटा पसरा हुआ है. गांव में जगह-जगह पुलिस नज़र आती है और सड़कों के किनारे दूर-दूर तक सरकारी गाड़ियां.

बीरनपुर जिस बेमेतरा ज़िले में है, वह राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का गृह ज़िला है. यह राज्य के दूसरे कद्दावर मंत्री व सरकार के प्रवक्ता रवींद्र चौबे का विधानसभा क्षेत्र भी है.

बेमेतरा के पड़ोसी ज़िले कबीरधाम में, धार्मिक झंडे के अपमान के बाद अक्टूबर 2021 में कर्फ्यू लगाने की नौबत आ गई थी. उसके बाद से ही आसपास के इलाकों में धार्मिक आयोजनों की बाढ़ आ गई है.

हिंदू संगठनों और भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि इस इलाके में तेज़ी से धर्मांतरण के मामले बढ़े हैं और हिंदू लड़कियों को बहला-फुसला कर इस्लाम क़बूल करवाया जा रहा है, उनसे शादी की जा रही है.

लगभग 1200 की आबादी वाले बीरनपुर में भी पिछले कुछ सालों में प्रेम विवाह के ऐसे आठ मामले सामने आए हैं.

लेकिन ईश्वर साहू के परिवार में ऐसे ही प्रेम विवाह के बाद गांव में तनाव बढ़ा और पूरे बेमेतरा ज़िले से लोगों को बीरनपुर में आयोजित ‘सामाजिक एवं धर्म जनजागरण सभा’ में शामिल होने का आह्वान किया गया.

दो महीने पहले, 7 फरवरी को बीरनपुर गांव में आयोजित इस ‘सामाजिक एवं धर्म जनजागरण सभा’ में हिंदू संगठनों से जुड़े नेताओं ने संघर्ष की शुरुआत बीरनपुर से करने की बात कही.

पिछले विधानसभा चुनाव में पड़ोस की गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी रहे दीपक साहू ने इस सभा में कथित ‘लव ज़िहाद’ के ख़िलाफ़ विरोध तेज़ करने का आह्वान किया.

उन्होंने कहा, “साहू समाज की खासियत है कि साहू समाज प्रतिकार करना जानता है, उत्तर देना जानता है, विरोध करना जानता है. यादव समाज की लड़की ले गए, वर्मा समाज की लड़की ले गए, नाई समाज की लड़की ले गए, मरार समाज की, केवट समाज की लड़की ले गए.”

“लेकिन जैसे ही साहू समाज को पता चला कि हमारे समाज की बेटी को कोई मुस्लिम उठा कर ले गए हैं, आज साहू समाज अन्य समाज के सहयोग से एक आंदोलन की शुरुआत कर रहा है.”

सभा में गूंजे नफरती नारे

दीपक साहू ने इस सभा में नारा दिया, “मुल्लों का न काजी का, ये देश है वीर शिवाजी का. ये श्रीराम की धरती है, हनुमान की धरती है. यहां मुल्लों, काजियों के लिए कोई जगह नहीं है.”

इस सभा के बाद ज़िले के अधिकारियों को गांव की स्थिति की जानकारी देते हुए उनसे हस्तक्षेप की मांग की गई.

गांव के लोगों का कहना है कि अगर अधिकारियों ने उसी समय हस्तक्षेप किया होता तो ऐसी नौबत शायद नहीं आती.

ईश्वर साहू की तरह बीरनपुर के एक बुजुर्ग ने बातचीत में कहा कि इस सभा के बाद से ही गांव में तनाव बढ़ता गया. गांव में लोग छोटी-छोटी बात पर मरने-मारने के लिए अवसर तलाशने लगे.

गांव के फ़रजान का कहना है कि गांव में पहले लोग एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे नफरत फ़ैलती चली गई.

राज्य सरकार की विफलता

छत्तीसगढ़ सांप्रदायिक तनाव जैसी घटनाओं से आमतौर पर दूर रहा है. पड़ोस के राज्य जब दंगों की आग में जलते रहे हैं, तब भी छत्तीसगढ़ में ऐसी घटनाएं उंगलियों पर गिनी जा सकती हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में तेज़ी से वृद्धि हुई है.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, बेमेतरा की पूरी घटना को राज्य सरकार की विफलता करार दे रहे हैं.

रमन सिंह कहते हैं, “सरकार समाज को सुरक्षा देने में असफल रही है और असामाजिक लोगों का सीना चौड़ा होता जा रहा है.”

रमन सिंह का आरोप है कि राज्य में क़ानून व्यवस्था ख़त्म हो चुकी है और सरकार कहीं नज़र नहीं आ रही है, लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी तेज़ी से बढ़ी है.

विश्व हिंदू परिषद ने सोमवार को जब छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया तो उसे राज्य में अभूतपूर्व सफलता मिली. भाजपा के समर्थन से आयोजित इस बंद के दौरान भी कई इलाकों में हिंसा हुई.

यहां तक कि बीरनपुर गांव में सैकड़ों पुलिसकर्मियों की तैनाती के बाद भी, आईजी की उपस्थिति में एक घर को आग के हवाले कर दिया गया. पड़ोस के चचानमेटा गांव में दो घरों और वेल्डिंग की दुकान में आग लगा दी गई.

पुलिस की मौजूदगी में हिंसा

बंद के अगले दिन सुबह बीरनपुर गांव की सरहद पर दो लोगों, रहीम और उनके बेटे ईदुल का रक्तरंजित शव बरामद हुआ.

हालांकि अभी यह कहना मुश्किल है कि यह दोनों हत्याएं भुनेश्वर साहू की हत्या से जुड़ी हुईं हैं या किसी भी तरह सांप्रदायिक हिंसा का मामला है. पुलिस के अनुसार दोनों मृतक बकरी चराने का काम करते थे.

ज़िले के एसपी इंदिरा कल्याण एलेसेला ने बीबीसी से कहा, “अभी जाँच चल रही है. दोनों की विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही ठीक-ठीक कह पाना संभव होगा कि ताज़ा सांप्रदायिक हिंसा से इसका संबंध है या नहीं.”

आम आदमी पार्टी की प्रियंका शुक्ला कहती हैं, “सैकड़ों पुलिसकर्मियों की उपस्थिति के बाद भी दो लोग मारे जाते हैं, यह विफलता नहीं तो क्या है?”

वे कहती हैं, “भुनेश्वर साहू के परिजनों का भी आरोप है भुनेश्वर को जिस समय मारा गया, उस समय भी पुलिस उपस्थित थी. राज्य में अफ़वाहों का बाज़ार गरम है और इस पर रोक लगाने की कोई कोशिश राज्य सरकार की ओर से नज़र नहीं आ रही है.”

पुलिस की मौजूदगी में हिंसा

बंद के अगले दिन सुबह बीरनपुर गांव की सरहद पर दो लोगों, रहीम और उनके बेटे ईदुल का रक्तरंजित शव बरामद हुआ.

हालांकि अभी यह कहना मुश्किल है कि यह दोनों हत्याएं भुनेश्वर साहू की हत्या से जुड़ी हुईं हैं या किसी भी तरह सांप्रदायिक हिंसा का मामला है. पुलिस के अनुसार दोनों मृतक बकरी चराने का काम करते थे.

ज़िले के एसपी इंदिरा कल्याण एलेसेला ने बीबीसी से कहा, “अभी जाँच चल रही है. दोनों की विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही ठीक-ठीक कह पाना संभव होगा कि ताज़ा सांप्रदायिक हिंसा से इसका संबंध है या नहीं.”

आम आदमी पार्टी की प्रियंका शुक्ला कहती हैं, “सैकड़ों पुलिसकर्मियों की उपस्थिति के बाद भी दो लोग मारे जाते हैं, यह विफलता नहीं तो क्या है?”

वे कहती हैं, “भुनेश्वर साहू के परिजनों का भी आरोप है भुनेश्वर को जिस समय मारा गया, उस समय भी पुलिस उपस्थित थी. राज्य में अफ़वाहों का बाज़ार गरम है और इस पर रोक लगाने की कोई कोशिश राज्य सरकार की ओर से नज़र नहीं आ रही है.”

हालांकि रहीम और उनके बेटे ईदुल के लिए अभी किसी मुआवजे की घोषणा नहीं की गई है.

राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमारी कोशिश तो यही है कि शांत हो, जितना जल्दी शांत हो. लेकिन कुछ लोग शांति नहीं चाहते, भड़काना चाहते हैं.”

उन्होंने कहा, “एक घटना को पूरे प्रदेश भर में फैलाना चाहते हैं. ये उनकी कोशिश है लेकिन मैं समझता हूं कि छत्तीसगढ़ की जनता ऐसे कृत्यों को पसंद नहीं करती.”

ज़िले के पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलेसेला ने मीडिया से बातचीत में दावा किया है कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है.

एलेसेला का कहना है कि दूसरे मामले में भी जांच और अन्य आरोपियों की तलाश चल रही है. बीरनपुर और बेमेतरा में अड़ोस-पड़ोस के ज़िलों से अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. अफ़वाहबाजी पर रोक लगाने के लिए भी पुलिस ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

लेकिन बस्तर के इलाके में धर्मांतरण को लेकर हुई कई हिंसक घटनाओं के कुछ महीने के भीतर ही, अब बेमेतरा की ताज़ा हिंसा को देखते हुए राजनीतिक गलियारे में सवाल उठने लगा है कि अगले 6 महीने बाद छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या धर्म और सांप्रदायिकता के सवाल, चुनाव के केंद्र में रहने वाले हैं?

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