DMT : नयी दिल्ली : (13 अगस्त 2023) : – राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने नये नियम जारी कर कहा है कि सभी चिकित्सक जेनेरिक दवाएं ही लिखें। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। आयोग के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई के तहत एक तय समय तक लाइसेंस भी निलंबित किया जा सकता है।
एनएमसी ने अपने ‘पंजीकृत चिकित्सकों के लिए पेशेवर आचार संबंधी नियमन’ में चिकित्सकों से कहा है कि वे ब्रांडेड जेनेरिक दवाएं भी लिखने से बचें। यह भी कहा गया है कि डॉक्टर साफ अक्षरों में पर्ची लिखें और गलती से बचने के लिए इसे बड़े अक्षरों में लिखने को प्राथमिकता दें। जहां तक संभव हो पर्ची मुद्रित होनी चाहिए ताकि गलतियों से बचा जा सके।
भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा 2002 में जारी किए गए नियमों के अनुरूप मौजूदा समय में भी चिकित्सकों के लिए जेनेरिक दवाएं लिखना आवश्यक है, हालांकि इसमें दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं था।
गैर ब्रांडेड मेडिसिन 30 से 80 प्रतिशत तक सस्ती
एनएमसी द्वारा 2 अगस्त को अधिसूचित नियमों में कहा गया कि भारत सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पर होने वाले व्यय का बड़ा हिस्सा दवाओं पर खर्च कर रहा है। इसमें में कहा, ‘जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले 30 से 80 प्रतिशत सस्ती हैं। इसलिए जेनेरिक दवाएं लिखने से स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में कमी आएगी और स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।’
गुणवत्ता में बराबर एनएमसी ने जेनेरिक दवा और प्रिसक्रिप्शन दिशानिर्देश नियमन में जेनेरिक दवाओं को परिभाषित करते हुए कहा है, ‘वे दवाएं जो ब्रांडेड/ संदर्भित सूचीबद्ध उत्पाद से खुराक, प्रभाव, खाने के तरीके, गुणवत्ता और प्रदर्शन में समतुल्य हैं।’ दूसरी ओर ब्रांडेड जेनेरिक दवाएं वे हैं, जिनकी पेटेंट अवधि समाप्त हो गई है और दवा कंपनियां उनका उत्पादन और विपणन दूसरे ब्रांड से करती हैं। ये दवाएं ब्रांडेड पेटेंट दवाओं के मुकाबले सस्ती हो सकती हैं, लेकिन जेनेरिक संस्करण के मुकाबले महंगी होती हैं। ब्रांडेड जेनेरिक दवाओं की कीमतों पर कम नियमन नियंत्रण होता है।