DMT : भोपाल : (08 अगस्त 2023) : –
मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा का एक धार्मिक आयोजन सुर्ख़ियों में है.
तीन दिवसीय राम कथा पाठ के आयोजन का मुख्य आकर्षण बाबा बागेश्वर धाम धीरेंद्र शास्त्री ही रहे, जिनकी आवभगत में कमलनाथ और उनका परिवार जुटा दिखा.
कमलनाथ के सांसद पुत्र नकुलनाथ ने ट्वीट कर वह वीडियो साझा किया है, जिसमें बाबा कमलनाथ के निजी विमान से छिंदवाड़ा पहुँचे.
इस वीडियो में नकुलनाथ उनसे आशीर्वाद लेते नज़र भी आ रहे हैं.
नकुलनाथ ने लिखा, “परम पूज्य पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी (श्री बागेश्वर धाम सरकार) का छिंदवाड़ा हवाई पट्टी पर स्वागत किया. हमारा सौभाग्य है छिंदवाड़ा की पावन भूमि पर आपके चरण स्पर्श हुए गुरुदेव.”तीन दिनों तक चलने वाली ‘राम कथा’ का आयोजन सिमरिया के हनुमान मंदिर में हुआ, जहाँ बागेश्वर धाम के बाबा का दरबार ‘वाटर प्रूफ’ पंडाल में लगा.
इस मौके पर कमलनाथ के परिवारजनों ने बाबा की आरती भी उतारी, जब वो शिकारपुर स्थित उनके घर पहुँचे थे.
दरअसल बाबा बागेश्वर धाम को भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व से जोड़कर देखा जाता रहा है, लेकिन छिंदवाड़ा में अपने भक्तों के सामने उन्होंने ‘स्पष्ट’ किया कि उनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है.
उन्होंने कहा, “मुझे राजनीति में मत खींचिए.”
उन्होंने ये भी कहा कि उनके लिए दरबार में आने वाला ‘हर व्यक्ति बराबर’ है.
अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने रहने वाले स्वामी धीरेंद्र शास्त्री ने ‘जातिवाद हटाकर सभी को एक’ करने का आह्वान भी किया और ये भी कहा कि “भारत में रहने वाले सभी लोग सनातनी हैं. और जो राम पर विश्वास रखते हैं वो भी सनातनी हैं.”
बागेश्वर धाम के बाबा स्वामी धीरेंद्र शास्त्री हमेशा से ‘हिन्दू राष्ट्र’ की वकालत करते आए हैं.
छिंदवाड़ा के उनके कार्यक्रम और वहाँ दिए गए उनके बयान को लेकर एक बार फिर राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई है.
धीरेंद्र शास्त्री की ‘मेहमान नवाज़ी’ को लेकर कमलनाथ भी पार्टी के अंदर और बाहर, दोनों जगहों पर निशाने पर हैं.
कांग्रेस नेता के सवाल
कांग्रेस के ही उत्तर प्रदेश के नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट कर कहा, ”मुसलमानों के ऊपर बुलडोज़र चढ़ाने और आरएसएस का एजेंडा हिंदू राष्ट्र की खुल्लमखुल्ला वकालत कर के ‘संविधान’ की धज्जियाँ उड़ाने वाले भाजपा के स्टार प्रचारक की आरती उतारना कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को शोभा नहीं देता.”
”आज रो रही होगी गांधी की “आत्मा” और तड़प रहे होंगे पंडित नेहरू और भगत सिंह, लेकिन सेक्यूलरिज्म के ध्वज वाहक जयराम रमेश और दिग्विजय सिंह जी और मल्लिकार्जुन खड़गे जी, सब ख़ामोश हैं.”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की ओर से इस आयोजन और कमलनाथ की भूमिका को लेकर कोई बयान सार्वजनिक तौर पर सामने नहीं आया है.
वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने कमलनाथ पर निशाना साधते हुए कहा है, “कांग्रेस और कमलनाथ को हिंदुओं की ताक़त समझ में आ गई है. वास्तव में ये सुविधा भोगी और इच्छाधारी हिंदू है. यह ख़ुद के लिए काम करते हैं समाज और देश के लिए नहीं.”
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि ‘धर्म आस्था का विषय है, प्रदर्शन का नहीं.’
उनके मुताबिक़ भाजपा एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी ने धर्म की आड़ में हिंदुत्व को रौंदने का काम किया है. उन्होंने हिंदुत्व की व्याख्या को ही तोड़ मरोड़ कर पेश किया है. सनातन धर्म के नाम पर वोट का कारोबार अब तक किसने किया, ये सबको मालूम है.”
बीबीसी ने छिंदवाड़ा में हुए आयोजन को लेकर कई वरिष्ठ कांग्रेस के नेताओं से संपर्क किया तो वो सवालों से बचते ही रहे.
एक ओर बागेश्वर धाम के बाबा स्वामी धीरेन्द्र शास्त्री मुसलमानों पर बुलडोज़र चलाने की बात का लगातार समर्थन करते आ रहे है वहीं राहुल गांधी बुलडोज़र के सामने खड़े होने की बात करते रहे हैं.
ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ की ओर से धीरेन्द्र शास्त्री के पाठ के आयोजन से किस तरह के संकेत जा रहे हैं?
इस सवाल के जवाब में पार्टी प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा, “ये कमलनाथ जी और उनके परिवार की आस्था का सवाल है इसलिए हम इसपर चर्चा नहीं कर रहे हैं. ये उनका व्यक्तिगत मामला है. व्यक्तिगत आयोजन है. पार्टी का नहीं.”
उन्होंने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि उनकी पार्टी हिंदुत्व और सनातन धर्म पर भाजपा के साथ किसी भी स्थान और समय पर बहस करने को तैयार है.
वहीं मध्य प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हितेश वाजपेयी कहते हैं कि कमलनाथ जिस तरह से लोगों के बीच जा रहे हैं “उससे ऐसा लगता है कि वो भाजपा के ही क़रीब आ रहे हैं.”
उनका कहना था कि कांग्रेस भी प्रदेश में चुनावों से पहले भाजपा की कार्यशैली को आत्मसात कर रही है.
हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कमलनाथ जिस तरह से काम कर रहे हैं उससे भाजपा को चुनौती ज़रूर मिल रही है.
दैनिक सांध्य प्रकाश के संपादक संजय सक्सेना कहते हैं कि छिंदवाड़ा जाकर बागेश्वर धाम के बाबा स्वामी धीरेन्द्र शास्त्री के बयान में भी फ़र्क साफ़ सुनने को मिला.
वो कहते हैं, “पहले बाबा हिन्दू राष्ट्र की बात करते थे जबकि कांग्रेस सनातन धर्म की बात करती रही है. छिंदवाड़ा के अपने कार्यक्रम में बाबा का ये कहना कि – ‘भारत में रहने वाला हर कोई सनातन है’ – बहुत कुछ संकेत देता है. छिंदवाड़ा की सभा में बाबा हिन्दू राष्ट्र की बजाय सनातन धर्म पर ही ज़ोर देते रहे.”
कांग्रेस का हिंदुत्व पर ज़ोर
पिछले कुछ सालों से कमलनाथ ने आम लोगों के बीच अपनी छवि ‘हनुमान भक्त’ के रूप में बनाने की कोशिश की है. 2015 में उन्होंने अपने चुनावी क्षेत्र में हनुमान की एक विशालकाय मूर्ति की स्थापना भी की है जहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं.
इसी साल दो अप्रैल को भोपाल के शिवाजी नगर स्थित मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ भगवा झंडों और बैनरों से पटा पड़ा था.
तब कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के ‘पुजारी प्रकोष्ठ’ का गठन करके, उसकी बैठक का आयोजन किया था, जिसमें प्रदेश भर के विभिन्न मंदिरों के पुजारियों को आमंत्रित किया गया था.
राज्य के राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कमलनाथ अपनी पार्टी की तय की गई रेखा या विचारधारा से थोडा हट कर भी चल रहे हैं और वो ऐसा डंके की चोट पर कर रहे हैं.
वो ऐसे प्रयोग भी कर रहे हैं जिनकी शायद किसी और नेता को पार्टी हाई कमान से सहमति भी नहीं मिल पाती.
उन्होंने बतौर प्रदेश अध्यक्ष 40 से 45 प्रकोष्ठों का गठन किया है जिनमे पुजारी प्रकोष्ठ के अलावा ‘मठ मंदिर प्रकोष्ठ’ और धार्मिक उत्सव प्रकोष्ठ भी शामिल हैं.
इन नए प्रकोष्ठों का ज़िम्मा कमलनाथ ने पार्टी के वरिष्ठ नेता जेपी धनोपिया को सौंपा है.
पिछले दिनों बीबीसी से बात करते हुए धनोपिया ने कहा था चाहे वो पुजारी हों, सिन्धी समाज के लोग हों, आदिवासी समाज या फिर अन्य समाज के लोग हों. संगठन में सबकी आवाज़ और मुद्दों के लिए इन प्रकोष्ठों का गठन किया गया है.
धनोपिया का ये भी कहना था कि मध्य प्रदेश के मंदिरों के पुजारियों की कई ऐसी मांगें हैं जिनकी ‘अनदेखी’ राज्य सरकार ने की है.
वो कहते हैं कि कांग्रेस पुजारियों के साथ इसलिए दे रही है क्योंकि ‘उनके साथ अन्याय’ हुआ है.