पाकिस्तान: कॉलेजों में होली से दूर रहने की एडवाइज़री पर यू-टर्न क्यों?

Hindi International

DMT : इस्लामाबाद : (23 जून 2023) : –

पाकिस्तान के हायर एजुकेशन कमिशन (एचईसी) ने देश के सभी विश्वविद्यालयों को होली मनाने से रोकने की सलाह को वापस ले लिया है.

आयोग ने कहा है कि उनके संदेश की ग़लत व्याख्या की गई.

इससे पहले आयोग ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की क़ायद-ए-आज़म यूनिवर्सिटी में छात्रों की ओर से होली मनाने को ‘देश की साख़’ और इस्लामी पहचान के लिए हानिकारक बताया था.

इस सलाह पर पाकिस्तान की पर्यावरण मंत्री शेरी रहमान ने कहा था कि एचईसी की ओर से ऐसी कोई एडवाज़री जारी नहीं होनी चाहिए थी.

अब नई एडवाइज़री में एचईसी की कार्यकारी निदेशिका डॉक्टर शाइस्ता सोहैल ने कहा है, “एचईसी सभी धर्मों का सम्मान करती है और इस संदर्भ में पहले जारी होने वाली एडवाइज़री से यह समझना कि होली के त्योहार पर पाबंदी लग चुकी है, ग़लत है.”

एचईसी का यू टर्न क्यों?

बात तब शुरू हुई जब हाल ही में इस्लामाबाद की क़ायद-ए-आज़म यूनिवर्सिटी में कुछ छात्रों ने होली का मनाई.

इस जश्न में अलग-अलग धर्मों से संबंध रखने वाले छात्र भी मौजूद थे. इसके वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए गए.

लेकिन फिर इस मामले में पाकिस्तान के हायर एजुकेशन कमिशन की ओर से एक एडवाइज़री जारी हुई.

इसमें संस्था की कार्यकारी निदेशिका शाइस्ता सोहैल की ओर से पाकिस्तान के सभी विश्वविद्यालयों को इस तरह के त्योहारों में शामिल नहीं होने की ताकीद की गई थी.

साथ ही इस एडवाइज़री में लिखा गया कि यह त्योहार पाकिस्तान की पहचान और संस्कृति के अनुरूप नहीं है. शिक्षण संस्थान ऐसी गतिविधियों से दूर रहे हैं जो देश की पहचान और सामाजिक मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं और विद्यार्थी ऐसे तत्वों से होशियार रहें जो उन्हें अपने व्यक्तिगत हित के लिए इस्तेमाल करते हैं.

एडवाइज़री में कहा गया था कि इससे देश की ग़लत छवि सामने आई है.

एडवाइज़री में कहा गया कि शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक और भाषाई प्रतिनिधित्व एक अच्छा संदेश देता है लेकिन इसे एक सीमा के अंदर रहते हुए ही किया जाना चाहिए.

उनके मोबाइल नंबर पर कई संदेश भी भेजे गए लेकिन रिपोर्ट लिखे जाने तक उन संदेशों का कोई जवाब नहीं मिल सका.

एचईसी के मीडिया विंग की प्रवक्ता आयशा इकराम ने बताया कि विवादास्पद एडवाइज़री अब वापस ली जा रही है.

शाइस्ता सोहैल की इस एडवाइज़री की लगभग हर वर्ग से संबंध रखने वाले व्यक्ति ने आलोचना की.

सिंध के शिक्षा मंत्री सरदार शाह ने कहा कि पाकिस्तान का क़ानून किसी भी व्यक्ति या संस्था को यह अधिकार नहीं देता कि वह दूसरी आस्था के नागरिकों को उनके धार्मिक व सांस्कृतिक त्योहार मनाने से रोके. सिंध में पाकिस्तान के सबसे अधिक हिंदू समुदाय के लोग रहते हैं.

पर्यावरण मंत्री शेरी रहमान ने एक ट्विटर यूज़र की बात का जवाब देते हुए कहा कि यह एडवाइज़री अब वापस ली जा रही है.

छात्रों का क्या कहना है?

विद्यार्थियों ने भी एचईसी की इस विवादास्पद एडवाइज़री को नकार दिया है. क़ायद-ए-आज़म यूनिवर्सिटी की एक छात्रा आमना क़ुरैशी ने बीबीसी को बताया, “इस तरह की एडवाइज़री की पाकिस्तान के शैक्षणिक संस्थानों में कोई जगह नहीं होनी चाहिए. शैक्षणिक संस्थान धार्मिक अंतर और पंथ को बिल्कुल महत्व नहीं देते.”

एक और छात्र शाह मीर ख़ान ने कहा, “इस एडवाइज़री को जारी ही नहीं करना चाहिए था क्योंकि पाकिस्तान के संविधान और क़ानून में इस बात की कोई मनाही नहीं कि आप किसके साथ होली मना सकते हैं या नहीं.”

वहीं सिदरा आलम ने कहा, “अगर आपको एक एडवाइज़री जारी करके फिर इसका मतलब समझाना पड़ जाए तो इसका मतलब यह है कि आप जिस पद पर हैं, उसके योग्य नहीं.”

“ऐसी बात बहुत सोच समझकर करनी चाहिए. पहले ही पाकिस्तान दूसरे देशों से धार्मिक उदारता के इंडेक्स में बहुत पीछे है और फिर इतने बड़े संस्थान की ओर से ऐसी एडवाइज़री हमारी संकीर्ण मानसिकता को और स्पष्ट करता है.”

अहसन कमाल नाम के छात्र ने सवाल किया, “एचईसी के अधिकार क्षेत्र में क्या ऐसी एडवाइज़री जारी करना और संस्थाओं को इसके लिए मजबूर करना शामिल भी है?”

दूसरी ओर प्रधानमंत्री के विशेष सहायक सलमान सूफ़ी ने कहा कि देश में धार्मिक उदारता को बढ़ावा देना चाहिए, न कि इसे रोकने की ज़रूरत है.

उन्होंने कहा, “हमें इस वक़्त एकता लाने की ज़रूरत है, न कि लोगों के बीच और विभाजन पैदा करने की.”

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