पाकिस्तान में रूस का तेल क्या रास्ता बदलकर भारत से पहुँच रहा है?

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DMT : पाकिस्तान  : (19 जून 2023) : –

एक लाख मीट्रिक टन तेल की ख़रीद के सौदे के बाद पाकिस्तान को रूस से तेल मिलना शुरू हो गया है.

पाकिस्तान ने इस तेल के लिए चीन की मुद्रा में भुगतान किया है.

पिछले महीने पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्री ख़ुरम दस्तगीर ख़ान ने एक बयान में कहा था कि पाकिस्तान को रूस से सस्ते दाम पर तेल मिल रहा है.

जब रूस का तेल पाकिस्तान पहुँचा था तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इसे बदलाव का दिन कहा था.

शहबाज़ शरीफ़ ने कहा था, “मैंने देश से अपना एक और वादा पूरा कर दिया है. डिस्काउंट पर मिला रूस का क्रूड ऑयल कराची पहुंच गया है. आज का दिन बदलाव का दिन है. हम स्मृद्धि, आर्थिक प्रगति और ऊर्जा सुरक्षा की तरफ़ एक और क़दम बढ़ा रहे हैं.”

कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान को रूस का जो तेल मिला है, उसे भारत में रिफ़ाइन किया गया है और संयुक्त अरब अमीरात के रास्ते पाकिस्तान पहुंचाया गया है.

पाकिस्तान में एक रूसी कार्गो शिप के ज़रिए 11 जून को तेल आया था. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से पाकिस्तान कोशिश कर रहा था कि उसे भी सस्ते दाम पर रूसी तेल मिले.

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान रूसी तेल लेने के मामले में भारत की मिसाल देते रहते थे. यूक्रेन और रूस में जारी जंग के बाद से भारत का रूस से तेल आयात ऐतिहासिक रूप से बढ़ा है.

पाकिस्तान ने इसी साल अप्रैल में रूस से एक लाख मीट्रिक टन तेल के लिए समझौता किया था. इस समझौते के बाद तेल की पहली खेप 11 जून को पहुँची थी.

‘दोस्ती ज़िंदाबाद’

रूस से पाकिस्तान तेल आने को कई नज़रिए से देखा जा रहा है. कहा जा रहा है कि यूक्रेन में जारी जंग के बाद से रूस और भारत के संबंधों में कई चुनौतियां आई हैं और इस बीच रूस का पाकिस्तान से सहयोग बढ़ा है.

इसके साथ इसे इस रूप में भी देखा जा रहा है कि ग्लोबल साउथ के देश पश्चिम और रूस से संबंधों में संतुलन बनाकर चलने की कोशिश कर रहे हैं.

रूस और पाकिस्तान के बीच संबंध शीत युद्ध के दौर से ही अच्छे नहीं रहे हैं. शीत युद्ध में पाकिस्तान अमेरिकी गुट में शामिल था.

पिछले साल फ़रवरी में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जब यूक्रेन पर हमले की घोषणा की थी तभी पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान मॉस्को पहुँचे थे.

पाकिस्तान की वर्तमान सरकार भी रूस के साथ ऊर्जा समझौते की कोशिश करती रही.

पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि उनका देश अपनी ज़रूरत का एक तिहाई तेल रूस से लेना चाहता है. पाकिस्तान अब तक सऊदी अरब और यूएई से तेल आयात करता रहा है.

पिछले हफ़्ते सोमवार को रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोफ़ ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंध के 75 साल पूरे होने पर उर्दू में कहा था- दोस्ती ज़िंदाबाद.

यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद रूस का संबंध चीन से भी गहरा हुआ है. रूस और चीन के बीच रक्षा सहयोग भी बढ़ रहा है. कहा जा रहा है कि रूस की चीन पर बढ़ती निर्भरता का असर भारत और रूस के संबंधों पर भी पड़ रहा है.

पाकिस्तान से रूस के बढ़ते सहयोग भी इस आईने में देखा जा रहा है. हालांकि पाकिस्तान के बारे में कहा जा रहा है कि वह रूस से लंबे समय तक तेल नहीं ख़रीद सकता है क्योंकि उसके पास रिफाइन करने की व्यवस्था नहीं है. पाकिस्तान ख़ुद ही आर्थिक संकट में फँसा हुआ है.

रूस को लेकर पाकिस्तान इस हद तक भी नहीं जाना चाहता है कि वह अमेरिका को नाराज़ कर दे. वैश्विक वित्तीय संस्थानों पर अमेरिका का दबदबा है और पाकिस्तान को क़र्ज़ लेने के लिए अमेरिका की मदद चाहिए.

पाकिस्तान जी-7 के प्राइस कैप के ख़िलाफ़ जाकर रूस से तेल ख़रीदने का फ़ैसला शायद ही करेगा. पाकिस्तान ख़ुद को यूक्रेन-रूस जंग में तटस्थ दिखाने की कोशिश कर रहा है लेकिन ऐसी कई रिपोर्ट्स आईं जिनमें बताया गया कि पाकिस्तान ने यूक्रेन को हथियार भेजे हैं.

‘रूस ने कहा कोई डिस्काउंट नहीं’

पाकिस्तानी मीडिया में रूस के ऊर्जा मंत्री निकोलय शुलगिनोव का बयान सुर्खियां बटोर रहा है.

पाकिस्तान के चर्चित अंग्रेज़ी अख़बार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है कि पाकिस्तान ने रूस को तेल के बदले युआन में भुगतान किया है.

रूस के ऊर्जा मंत्री निकोले शुलगिनोव ने पुष्टि की है कि एक दोस्ताना देश की मुद्रा में भुगतान मिलने के बाद पाकिस्तान के लिए तेल का निर्यात शुरू कर दिया है.

रूस और अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक रूसी ऊर्जा मंत्री ने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि पाकिस्तान को तेल ख़रीद पर कोई विशेष छूट नहीं दी गई है.

पिछले सप्ताह सैंट पीटर्सबर्ग में इंटरनेशल इकोनॉमिक फ़ोरम (एसपीआईईएफ़) के दौरान पत्रकारों से बाद करते हुे शुलगिनोव ने कहा था कि रूस पाकिस्तान को अधिक मात्रा में तेल भेजने पर ज़ोर देगा. उन्होंने रूस के तेल के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश भी की.

शुलगिनोव ने रूस के पुराने सहयोगी और पाकिस्तान के प्रतिद्वंद्वी भारत के प्रभाव को भी कम दर्शाते हुए कहा कि ‘हम मानते हैं कि पाकिस्तान भी इतना ही अहम सहयोगी है, जितना की भारत.’

रूसी ऊर्जा मंत्री ने कहा, “पाकिस्तान के लिए तेल का निर्यात शुरू हो गया लेकिन पाकिस्तान के लिए कोई ख़ास छूट नहीं है. पाकिस्तान को उन्हीं दामों पर तेल बेचा जा रहा है, जिन पर दूसरे ख़रीददारों को दिया जा रहा है. हाल ही में एक जहाज़ गया और निकट भविष्य में और डिलिवरी भी दी जाएगी.”

पिछले महीने से शुलगिनोव ने कहा था कि रूस अपने तेल निर्यात को सीमित करने पर विचार कर रहा है और अगर ज़रूरत पड़ी तो ऐसा प्रस्ताव लाया जा सकता है. हालांकि रूस के टीवी चैनल रशा-24 टीवी से बात करते हुए उन्होंने तेल के निर्यात पर प्रतिबंधों की संभावना को भी नज़रअंदाज़ किया.

शुलगिनोव ने कहा, “थोक बाज़ार में बढ़ रहे दामों के संबंध में हमने निर्यात को सीमित करने पर चर्चा की. थोक बाज़ार के खुदरा बाज़ार पर दबाव पर भी चर्चा हुई…हालांकि, हमारा बाज़ार उत्पादन पर निर्भर है.”

भारत में रिफाइन तेल यूएई के रास्ते पहुँचा पाकिस्तान?

भारतीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक़ जो तेल पाकिस्तान को पहुंचाया गया है, उसे भारत के गुजरात में स्थित रिफ़ायनरी में रिफाइन किया गया है.

अंग्रेज़ी अख़बार द ट्रिब्यून के मुताबिक़ पिछले रविवार को रूस का जो तेल कराची पहुंचा था, उसे गुजरात में भारतीय रिफ़ायनरी में रिफाइन किया गया था. हालांकि पाकिस्तान की भारत को लेकर संवेदनशीलता को देखते हुए इसे यूएई के रास्ते पाकिस्तान पहुंचाया गया.

भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार बंद है.

माना जा रहा है कि तेल को यूएई के रास्ते भेजकर रूस ये सुनिश्चित करना चाहता है कि भारत पाकिस्तान के साथ तेल समझौते को लेकर उससे नाराज़ ना हो.

शिपिंग निवेशक और विश्लेषक एड फिनले रिचर्डसन ने ट्विटर पर पाकिस्तान भेजे गए रूस के तेल का रूट मैप शेयर करते हुए लिखा है-

पाकिस्तान को रूस का तेल कैसे भेजा जाए- पहले रूस से तेल भारत आया, फिर भारत से संयुक्त अरब अमीरात पहुंचा और फिर वहां से पाकिस्तान.

पाकिस्तान सीधे भारत से भेजा गया कार्गो स्वीकार नहीं करता है, ऐसे में रूस के इस तेल को यूएई के रास्ते भेजा गया है.

जिस जहाज़ से ये तेल पाकिस्तान पहुँचा, वह यूएई में पंजीकृत एक कंपनी का है.

इस रूट पर सवाल उठाते हुए रिचर्डसन ने लिखा, ‘क्या आपको ये रूट ठीक लग रहा है? क्या आपको लगता है कि रूस इसे लेकर ख़ुश होगा? क्या इससे तेल के दामों पर दबाव बढ़ेगा या घटेगा?’

इस बारे में और जानकारी देते हुए रिचर्डसन ने लिखा, ‘ये कयास लगाये जा रहे हैं कि रूस का ये तेल पहले रूस से ईरान आया, फिर ओमान गया और फिर ओमान से भारत, जहां ये रिफाइन हुआ और इसके बाद ये संयुक्त अरब अमीरात पहुंचा और फिर पाकिस्तान.’

पाकिस्तान ने रूस से एक लाख टन तेल ख़रीदने का सौदा किया है. 45 हज़ार टन पाकिस्तान पहुंच चुका है जबकि 55 हज़ार टन अभी रास्ते में ही है.

उठते सवाल

पाकिस्तानी पत्रकार वक़ास ने सवाल उठाते हुए कहा है कि इस तेल सौदे में ‘भारत और यूएई के बिचौलिये’ फ़ायदा उठा रहे हैं.

वक़ास ने लिखा है, “रूस ने भारत को 52 डॉलर प्रति बैरल पर तेल बेचा, फिर भारत और यूएई के बीच एक ही पक्ष ने इस तेल को एक क़ीमत पर ख़रीदा और बेचा और फिर इसे पाकिस्तान को कम से कम 69 डॉलर प्रति बैरल पर बेचा गया. इसमें भारतीय ख़रीददार ने एक बैरल पर कम से कम 17 डॉलर बनाये.”

वकास लिखते हैं, “पाकिस्तान को इस सौदे में सिर्फ़ लॉलीपाप मिला. ये चुनावों से पहले तेल के दाम कम करने का बहाना हो सकता है.”

वहीं पाकिस्तान के लोग इस सौदे में हुई देरी पर भी सवाल उठा रहें हैं. विपक्षी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ (पीटीआई) से जुड़े हमाद चौधरी ने लिखा है कि अगर पाकिस्तान ने पिछले साल अप्रैल में रूस से तेल ख़रीदा होता तब पाकिस्तान को फ़ायदा हो सकता था क्योंकि उस समय डिस्काउंट बहुत अधिक था और पाकिस्तान को इससे विदेशी मुद्रा बचाने में मदद मिलती.

पाकिस्तान की तत्कालीन इमरान ख़ान सरकार ने रूस से तेल ख़रीदने का प्रयास किया था.

रूस और पाकिस्तान दोनों का फ़ायदा?

इस तेल सौदे को रूस और पाकिस्तान दोनों के लिए ही फ़ायदेमंद माना जा रहा है.

रूस के तेल निर्यात पर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगाए हैं. ऐसे में रूस अपने तेल के लिए नए बाज़ार की तलाश कर रहा है.

पाकिस्तान रूस के तेल के लिए बड़ा बाज़ार साबित हो सकता है.

वहीं दूसरी तरफ़ पाकिस्तान आर्थिक संकट से गुज़र रहा है. रूस का तेल पाकिस्तान के लिए भी नया मौका हो सकता है.

पाकिस्तान अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है और उसके विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा तेल ख़रीदने पर ख़र्च होता है.

पाकिस्तान को उम्मीद है कि रूस का तेल ख़रीदने से उसे बचत होगी और उसे राहत मिलेगी. पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 6.5 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज भी हासिल करने की कोशिश कर रहा है.

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