DMT : पाकिस्तान : (20 जुलाई 2023) : –
पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते भारत पहुंचीं सीमा हैदर की कहानी इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं. ये अकेली महिला अपने चार छोटे-छोटे बच्चों के साथ, कथित तौर पर एक भारतीय युवा के प्यार में सबकुछ छोड़कर भारत आई हैं.
सीमा हैदर की सुर्ख़ियों वाली कहानी से क़रीब एक सौ किलोमीटर दूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले में सलमा रहती हैं.
63 साल की उम्र की सलमा दिखने में काफ़ी कमजोर हैं. उन्हें डायबिटीज़ है और उनकी एक आंख में मोतियाबिंद होने की वजह से उन्हें दिखाई भी नहीं देता है.
सलमा की आंखों की कम होती रोशनी के बावजूद कागज़ों में ख़ुद को भारत की बहू बनते देखने की उनकी उम्मीद अभी धूमिल नहीं पड़ी है. वह भारत की नागरिकता के लिए बीते 38 साल से कोशिश कर रही हैं.
इस बारे में गढ़ी पुख़्ता थाना कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक राधेश्याम कहते हैं, “गढ़ी पुख़्ता के जैनपुरी मोहल्ले में अनीस अहमद हैं. उनकी पत्नी सलमा हैं जो पाकिस्तान की रहने वाली हैं. वह यहां लॉन्ग टर्म वीज़ा पर रह रही हैं, मेरी जानकारी में अभी बस इतना ही है पर वह लगातार हमारी निगरानी में हैं.”
क्या है मामला
लगभग 65 साल के अनीस अहमद का घर शामली के गढ़ी पुख़्ता में है. वह सब्ज़ियों के थोक विक्रेता हैं. उनकी पत्नी सलमा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में झंग की रहने वाली हैं.
अनीस अहमद बीबीसी से कहते हैं, “सलमा से मेरी शादी पाकिस्तान में 23 सितंबर 1983 को हुई थी. वह मेरी बुआ की बेटी हैं. भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पहले मेरी बुआ पानीपत में रहती थीं, लेकिन बंटवारे के बाद वे पाकिस्तान के झंग चली गईं जबकि हमारे पिता अब्दुल अज़ीज़ भारत में गढ़ी पुख़्ता में ही रह गए.”
उन्होंने बताया, ” इसके बाद भी हमारी बुआ और फूफा सलामतुल्ला का यहां आना-जाना लगा रहा. झंग में ही सलमा का जन्म हुआ था. रिश्तेदारी क़ायम रहे इसलिए बुआ ने सलमा का रिश्ता मुझसे कर दिया और हमारी शादी हो गई. उस वक्त मैं 24 साल का था और सलमा 22 साल की थीं. मैं अपनी पत्नी के लिए भारतीय नागरिकता के लिए वर्ष 1985 से ही कोशिश कर रहा हूं.”
पाकिस्तान गई थी अनीस की बारात
अनीस के परिवार में तीन भाई और एक बहन हैं. ये सभी गढ़ी पुख़्ता में ही रहते हैं. उनके एक बड़े भाई और छोटी बहन का इंतकाल हो चुका है जबकि एक बड़े भाई अभी यहीं रहते हैं.
अनीस अपनी शादी को याद करते हैं, “मेरी बारात पाकिस्तान गई थी. वहां हम ट्रेन से गए थे. बारात में हमारे सभी रिश्तेदारों समेत क़रीब 22 लोग शामिल थे. हमने वहां किराए का एक कमरा लिया था और सलमा को रुख़सत कर वहां लेकर गए थे. वहां हम लगभग तीन महीने रुके और शादी की तमाम रस्में अदा करने के बाद सलमा के साथ वापस भारत लौट आए थे.”
अपनी शादी के बारे में सलमा कहती हैं, “हमारी शादी के बारे में मुझे अच्छी तरह याद है. शादी के दिन मैंने लाल जोड़ा पहना था. घर में सभी बहुत ख़ुश थे. मैं इस बात को लेकर भी काफी उत्सुक थी कि मैं अब भारत जाऊंगी और देखूंगी कि मेरा होने वाला ये देश कैसा है.”
सलमा झंग के मोहल्ला भबराना के रहने वाले सलमातुल्ला की बेटी हैं जिनका पहले ही इंतकाल हो चुका था. हालांकि मौजूदा वक्त में सलमा की ननिहाल में पाकिस्तान में अब सिर्फ़ सलमातुल्ला के भतीजे-भतीजियां ही हैं. अपने चार भाई-बहनों में अब सिर्फ़ सलमा ही ज़िंदा हैं.”
1985 से शुरू हुई नागरिकता के लिए भागदौड़
अनीस अहमद अपनी पत्नी को ब्याह कर भारत तो ले आए लेकिन जब सलमा का वीज़ा ख़त्म हुआ तो उन्होंने 1985 में उनकी नागरिकता के लिए आवेदन किया.
अनीस बताते हैं, “मैंने उस समय ज़िला प्रशासन से अपनी पत्नी को भारतीय नागरिकता देने के लिए आवेदन किया था तब ज़िला शामली अस्तित्व में नहीं था. उस समय मुज़फ़्फ़रनगर ही हमारा ज़िला लगता था. प्रशासन ने हमारी मदद का भरोसा दिया था.
“बाद में मैंने अपनी पत्नी की वीज़ा अवधि पांच साल बढ़वा ली, लेकिन उन्हें नागरिकता आज तक नहीं मिल पाई है. ऐसे में हम हर बार वीज़ा अवधि बढ़वाते और पासपोर्ट रिन्यूअल करवाते चले आ रहे हैं.”
“राज्य निष्ठा की शपथ ने जगाई थी उम्मीद”
सलमा और उनके पति अनीस अहमद यूं तो 38 साल से पत्नी को नागरिकता दिलाने के लिए अधिकारियों के पास अर्जियां देते आए हैं, लेकिन उन्होंने दावा किया कि 10 अगस्त 2015 को जब उन्हें शामली प्रशासन से राज्य निष्ठा की शपथ दिलाने का न्योता मिला तो उन्हें नागरिकता मिलने की उम्मीद जग गई.
अनीस अहमद ने कहा, “10 अगस्त 2015 को उनकी पत्नी को तत्कालीन अपर जिला मजिस्ट्रेट शामली की ओर से एक पत्र मिला जिसमें उन्हें प्रातः 11 बजे कलेक्ट्रेट (तहसील परिसर) में बुलावा मिला. यहां शपथ हुई थी, लेकिन हम आज तक नागरिकता मिलने के इन्तज़ार में हैं.”
सलमा की भारतीय नागरिकता के सवाल पर शामली के ज़िलाधिकारी रविन्द्र सिंह ने बीबीसी से कहा, “हमने इस बारे में पता कराया था, यहां से रिपोर्ट केंद्र सरकार के पास भेजी जा चुकी है, अब आगे वहीं से कार्रवाई होगी. हमारे यहां से जनवरी 2023 में रिपोर्ट जा चुकी है.”
‘मेरी दुनिया भारत में, पाकिस्तान जाकर क्या करूंगी?’
भारतीय नागरिकता के लिए लंबे समय से कोशिशों में लगी सलमा के परिवार में छह बच्चे हैं, दो लड़के और चार लड़कियां. इन सभी की उम्र 37 से लेकर 19 साल है.
भारत की नागरिकता को लेकर सलमा कहती हैं, “मेरे बच्चे, मेरा शौहर सभी भारत के ही रहने वाले हैं. इस उम्र में अब ज़्यादा भागदौड़ नहीं होती है. मैं चाहती हूं कि सरकार मुझे अब भारतीय नागरिकता दे दे. मेरी दुनिया भारत में ही है, पाकिस्तान जाकर तो मैं मर ही जाऊंगी.”
ऐसा कहते हुए सलमा रोने लगती हैं. पास ही उनकी सबसे छोटी बेटी तफसिरा बैठी हैं, वो भी माँ के साथ रोने लगती हैं.