पीएम मोदी के फ़्रांस दौरे पर वहाँ के मीडिया में किस बात की सबसे ज़्यादा चर्चा

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DMT : नई दिल्ली : (14 जुलाई 2023) : –

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ़्रांस के बास्तिल डे समारोह में ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के तौर पर शामिल हो रहे हैं.

फ्रेंच मीडिया ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ़्रांस की ओर से दिए जा रहे सम्मान का ज़िक्र करते हुए उन वजहों पर फोकस किया है जो भारत और फ़्रांस के बीच मौजूदा गठजोड़ को मज़बूती दे रहे हैं.

फ्रांस 24.कॉम ने लिखा है पिछले साल मैक्रों यूएन जनरल असेंबली में उन देशों को आड़े हाथ ले रहे थे जो यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर तटस्थता का रुख़ अपना रहे थे.

वो कह रहे थे ये देश रूस के नए ‘साम्राज्यवाद’ को लेकर उदासीन रवैया अपना रहे हैं.

यूएन की आम सभा को भारत के प्रधानमंत्री ने भी संबोधित किया था. भारत यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा के प्रस्ताव पर पांच बार वोटिंग से बचता रहा था.

भारत ने यूक्रेन में रूस के युद्ध से भी जुड़े मामलों पर भी कुछ नहीं कहा था.

बाद में मैक्रों ने अपने भाषण में मोदी का भी जिक्र किया. लेकिन उन्होंने भारत को न तो यूक्रेन मामले पर तटस्थ बने रहने और न ही रूस से सस्ता तेल ख़रीदने के लिए लताड़ा. इसके उलट उन्होंने मोदी की तारीफ़ की.

मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि ये युद्ध का समय नहीं है.

मैक्रों के भाषण में मोदी के इस अंदाज़ के लिए तारीफ़ भरे शब्द थे.फ़्रांस 24 ने लिखा है, भले ही भारत ने यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा न की हो लेकिन मैक्रों भारत को इसके लिए माफ़ करने में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी दिखाई है. मैक्रों अक्सर मोदी को ‘’मेरे दोस्त’’ कह कर बुलाते हैं.

भारत फ्रांस से बड़ी तादाद में हथियार और नागरिक विमान ख़रीद रहा है.

दोनों देशों के बीच ये सौदे अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बनते रहे हैं.

फ्रांस 24.कॉम ने लिखा है कि भारत और फ्रांस दोनों बहुध्रुवीय दुनिया के समर्थक हैं. पारंपरिक तौर पर दोनों रूस और अमेरिका के बीच संतुलन बना कर चलते रहे है. इसके अलावा इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षा भी दोनों को सामने ला रही है.

इसने लिखा है, ‘’भारत में फ्रांस की छवि काफ़ी सकारात्मक है. ऐसा इसलिए भी कि जब 1998 के पोखरण में परमाणु विस्फोट के बाद जब सारी दुनिया भारत के ख़िलाफ़ हो गई थी तो फ्रांसीसी राष्ट्रपति जाक शिराक भारत के साथ मज़बूती से खड़े थे.

लेकिन अपने नौ साल के शासन काल में नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बडे़ जियोपॉलिटिकल ताक़त के तौर पर भारत की मौजूदगी सुनिश्चित कर दी है.

अख़बार ने लिखा है कि एक वक़्त था जब नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा पर रोक थी लेकिन आज फ्रांस एक सम्मानित अतिथि के तौर पर उनका स्वागत कर रहा है.

अख़बार लिखता है, ’’इस अनिश्चित दौर में मोदी ने पश्चिमी देशों के राष्ट्रपतियों और ग्लोबल साउथ के नेताओं के बीच कुछ ख़ुद को एक अहम पार्टनर के तौर पर स्थापित कर लिया है. एक ऐसा पार्टनर जो रूस, जापान और सऊदी अरब से समान स्तर पर बातचीत कर सकता है.’’

अख़बार लिखता है, ‘’जिस शख्स को गुजरात दंगे में लापरवाह रवैये के लिए अमेरिका ने अपने यहां आने से दस साल तक रोक रखा था वो 14 जुलाई को फ्रांस के बास्तिल डे समारोह में हिस्सा लेंगे.’’

अख़बार ने लिखा है, ‘’लेकिन पिछले कुछ समय से अधिनायक रुख़ वाले ये बेधड़क हिंदू राष्ट्रवादी नेता अहम देशों की राजधानियों में गर्मजोशी भरे स्वागत का आनंद ले रहे हैं. मोदी की भारतीय जनता पार्टी 2014 का आम चुनाव जीत कर सत्ता में आई थी और 2024 में भी वह चुनाव जीतने के लिहाज से अच्छी स्थिति में नज़र आ रही है.’’

अख़बार ने लिखा है कि जून में मोदी ने अमेरिका का दौरा किया था और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उनका शानदार स्वागत किया था. अमेरिका के साथ भारत के अहम सैन्य, आर्थिक और टेक्नोलॉजी समझौते हुए.

ये भारत और अमेरिका के बीच उभरते एक अहम रिश्ते का संकेत है. बाइडन ने भारत और अमेरिका के रिश्ते को पहले से ज्यादा मजबूत, घनिष्ठ और जीवंत कहा था.

अख़बार ने लिखा है कि भारत लंबे समय तक अहम गुटनिरपेक्ष देश रहा है. लेकिन अब मोदी के नेतृत्व में ये बहुपक्षीय कूटनीति को अपना रहा है.

अख़बार ने लिखा है कि भारत लंबे समय तक अहम गुटनिरपेक्ष देश रहा है. लेकिन अब मोदी के नेतृत्व में ये बहुपक्षीय कूटनीति को अपना रहा है.

इसके ज़रिये भारत अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता पर ज़ोर दे रहा. इससे इसका प्रभाव भी बढ़ रहा है. अपने हिसाब से ये एक तरफ़ रूस से रिश्ता बनाए हुए है, जो उसे इसकी ज़रूरत का 50 फ़ीसदी हथियार के साथ तेल और गैस दे रहा है तो दूसरी ओर ये अमेरिका के नजदीक भी जाता दिख रहा है.

जबकि अमेरिका चीन के आक्रामक बढ़त को कम करने के लिए भारत को तवज्जो दे रहा है.

लेकिन इसने भी कहा है कि यूक्रेन मुद्दे पर रूस के रवैये पर भारत और पश्चिमी देशों के बीच मतभेदों और मानवाधिकार के सवाल पर बढ़ते तनाव के बावजूद पश्चिमी देश नरेंद्र मोदी का स्वागत कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें एशिया में चीन की बढ़त को रोकना है.

‘डॉयचे वैले’ ने समाचार एजेंसी एएफपी के हवाले से फ्रांस के राष्ट्रपति के उस बयान को जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत उनके देश की इंडो-पैसिफिक रणनीति का एक अहम स्तंभ है.

डॉयचे वैले ने भारत और फ्रांस के बीच हथियार सौदे का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत ने 2015 में 4.48 अरब डॉलर के 36 रफाल लड़ाकू विमानों का सौदा किया था.

2017 में मैक्रों के सत्ता में आने के बाद मोदी फ्रांस का चार बार दौरा कर चुके हैं.

मोदी ने इस इंटरव्यू में कहा है कि ‘ग्लोबल साउथ’ के अधिकारों के लंबे समय तक नकारा जाता रहा है और इससे इन देशों के भीतर एक पीड़ा है.

मोदी ने इंटरव्यू में ग्लोबल साउथ के देशों और पश्चिमी देशों के बीच संबंधों का पुल बनाने में भारत की भूमिका को रेखांकित किया है.

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में बदलाव की पैरवी की है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत को दुनिया में फिर से एक सही जगह हासिल करने की ज़रूरत है.

मोदी ने इस इंटरव्यू के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा है, ’’संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दुनिया की तरफ़ बोलने का हक़ कैसे हासिल कर सकती है, जब दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश ही इसका सदस्य नहीं है.’’

मोदी ने फ्रांस को एशिया-पैसिफिक में अपना रणनीतिक साझेदार बताया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को लेकर उनके और मैक्रों के विचार मिलते हैं.

मोदी से जब रक्षा क्षमता बढ़ाने में चीन की ओर भारी खर्च करने के सवाल पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इंडो-पैसिफिक में भारत के हित काफ़ी व्यापक हैं. यहां भारत गहराई से जुड़ा है.

उन्होंने कहा भारत हमेशा से विवादास्पद मुद्दों को बातचीत और राजयनिक पहल से सुलझाने का हिमायती रहा है.

उन्होंने लिखा है कि भू-रणनीतिक तौर पर भारत 1998 से ही फ्रांस का क़रीबी रहा है, जब उसने पोखरण में परमाणु विस्फोट किया था.

उस समय पूरी दुनिया भारत के ख़िलाफ़ थी लेकिन फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति जाक शिराक ने भारत का दौरा किया था.

उस समय अमेरिका, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन ने भारत के ख़िलाफ़ कई प्रतिबंध लगाए थे लेकिन फ्रांस ने ऐसा नहीं किया था.

25 साल के भारत और फ्रांस के रणनीतिक संबंध अब और मौजूं हो गए गए हैं क्योंकि चीन मज़बूत होता जा रहा है. ख़ास कर हिंद महासागर में उसका महत्व बढ़ता जा रहा है.

उन्होंने लिखा है कि चीन की वजह से दोनों देशों के बीच बढ़ते जियोपॉलिटिकल रिश्तों के अलावा भी हथियारों का सौदा भी उनकी नज़दीकी का सबब है.

जेफरलो लिखते हैं, ’’भारत और फ्रांस के बीच 1970 के दशक से ही ऊर्जा, एयरोस्पेस और डिफेंस इंडस्ट्रीज में सहयोग रहा है. जब अमेरिका ने भारत को परमाणु परीक्षण के लिए ज़रूरी सप्लाई से इनकार कर दिया था तब फ्रांस की मदद से ही भारत ने 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था.’’

1982 में जब फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा मितरां भारत आए थे तब फ्रांस से 200 मिराज विमान खरीदे गए थे. इसके बाद से बड़े रक्षा सौदे दोनों देशों के आपसी संबंध को मजबूत बनाते रहे हैं.

भारत ने 2005 में छह स्कॉर्पिन श्रेणी की पनडुब्बियां खरीदी थी. 2015 में भारत ने फ्रांस से 36 रफाल लड़ाकू विमान ख़रीदने का सौदा किया था.

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