DMT : कर्नाटक : (15 मई 2023) : –
कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक प्रवीण सूद सीबीआई के नए निदेशक बनाए गए हैं.
वो मौजूदा निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल की जगह लेंगे.
महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अफ़सर जायसवाल 25 मई को रिटायर हो रहे हैं. सूद का कार्यकाल दो साल का होगा.
‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और लोकसभा में विपक्ष (कांग्रेस) के नेता अधीर रंजन चौधरी के तीन सदस्यीय पैनल ने शनिवार को उनके नाम पर सहमति की मुहर लगा दी थी.
हालांकि ‘द हिंदू’ की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि चौधरी ने सूद के नाम पर ‘असहमति नोट’ दर्ज किया था. अख़बार के मुताबिक़, अधीर रंजन चौधरी का कहना था कि प्रवीण सूद का नाम अफ़सरों के उस पैनल में शामिल नहीं था, जिनके नाम सीबीआई निदेशक पद शॉर्टलिस्ट किए गए थे.
उनका नाम आख़िर में जोड़ा गया था. मीटिंग से पहले इन उम्मीदवारों के नाम चयनकर्ताओं के पैनल को दिखाए गए थे.
कौन हैं प्रवीण सूद?
प्रवीण सूद 1986 बैच के कर्नाटक कैडर के आईपीएस अफ़सर हैं.
उन्हें तीन साल पहले कर्नाटक का डीजीपी बनाया गया था. सूद मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं.
सूद ने अपनी शिक्षा आईआईटी-दिल्ली से पूरी की है. उन्हें 2024 में रिटायर होना था, लेकिन सीबीआई के निदेशक के तौर पर उन्हें दो साल का कार्यकाल मिल गया है.
‘द हिंदू’ ने लिखा है कि यह भी दिलचस्प है कि सूद के चयन के लिए पैनल की बैठक उस दिन हुई जिस दिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली.
माना जा रहा था कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सूद के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती थी. शायद इसलिए उन्हें बचाने के लिए समय रहते कर्नाटक से निकाल लिया गया.
कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी के शिवकुमार के बयानों से ऐसे संकेत मिलने लगे थे.
शिवकुमार, प्रवीण सूद पर राज्य में बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाते रहे हैं.
पिछले महीने उन्होंने पत्रकारों से कहा,” हमारे डीजीपी अपनी नौकरी में फ़िट नहीं हैं. वो पिछले तीन साल से बीजेपी की सेवा कर रहे हैं. अब और कितने दिनों तक बीजेपी के कार्यकर्ता बने रहेंगे.”
जब सूद की सीनियॉरिटी घटाई गई
प्रवीण सूद 2017 में भी विवादों में आए थे, जब कर्नाटक में सिद्धारमैया की सरकार थी. सूद उन दिनों बेंगलुरू के पुलिस कमिश्नर थे.
कन्नड़ समर्थक आंदोलनकारियों की गिरफ़्तारी के आरोप में उन्हें पुलिस कमिश्नर के ओहदे से निचले ओहदे पर भेज दिया गया था.
हालांकि सरकार ने इसे रूटीन ट्रांसफ़र बताया था, लेकिन उन्हें एडीजीपी (लॉजिस्टिक्स और कम्यूनिकेशन) बना कर नई तैनाती में भेज दिया गया.
सूद पर आरोप था कि उन्होंने कन्नड़ समर्थक आंदोलनकारियों को हिंदी के बिलबोर्ड और साइनबोर्ड पर कालिख पोतने के लिए गिरफ़्तार करवाया था.
सूद की उपलब्धियां
कांग्रेस भले ही सूद पर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाती आई हो, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि वो एक काबिल अफ़सर हैं.
23 अक्टूबर 2018 को वर्मा और अस्थाना दोनों को छुट्टी पर भेज दिया गया. इसके बजाय नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाया गया.
राव उनकी तुलना में कम अनुभव वाले अफ़सर थे, लेकिन जानकारों के मुताबिक़ उन्हें भारतीय जनता पार्टी का आदमी माना जाता था.
14 नवंबर 2021 को मोदी सरकार ने एक अध्यादेश पेश किया जो सीबीआई डायरेक्टर को पांच साल का एक्सटेंशन देता है. हालांकि अभी उनकी नियुक्ति दो साल के लिए होती है.