DMT : चंडीगढ़ : (26 अगस्त 2023) : –
अब जब देश शहीद उधम सिंह का 84वां शहीदी वर्ष मना रहा है और बृहस्पतिवार को उनके जीवन पर बनी एक फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है, ऐसे में उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण यादगार चीजें फिल्लौर स्थित पंजाब पुलिस अकादमी में लोगों की नजरों से छिपी हुई हैं। ये हैं 1927 में ली गई उनके फिंगर प्रिंट की दुर्लभ प्रतियां। ये उस समय ली गईं उन्हें गदर पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में गिरफ्तार किया गया था। ट्रिब्यून संवाददाता को पुलिस अकादमी में शहीद भगत सिंह के फिंगर प्रिंट मिले। अकादमी 1860 के दशक से पुलिस केस फाइलों, दस्तावेजों और हथियारों का भंडार है। पहले यह अकादमी एक सैन्य पुलिस बल थी और बाद में 1891 में यह पुलिस अकादमी बन गई। उधम सिंह के फिंगर प्रिंट की यह फोटो पहली बार प्रकाशित हो रही है, जब कोई इसे देख सकता है।
उधम सिंह ने 13 मार्च 1940 को लंदन में ब्रिटिश भारत के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’डायर की हत्या करके अप्रैल 1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लिया था। ‘सरदार उधम’ नाम से बनी हिंदी फिल्म ने शुक्रवार को पांच राष्ट्रीय पुरस्कार जीते।
जब डीजीपी पंजाब गौरव यादव को इन फिंगर प्रिंट्स के बारे में बताया गया तो उन्होंने कहा कि वह फिंगर प्रिंट्स के बारे में जानकर उत्साहित हैं और खुश हैं कि पुलिस अकादमी ने इतने महत्वपूर्ण दस्तावेजों को इतने वर्षों तक संरक्षित रखा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि फिंगर प्रिंट्स जल्द ही उचित रूप से प्रदर्शित किए जाएंगे। इससे पहले इसी अकादमी में शोध के दौरान संवाददाता को शहीद भगत सिंह की खोई हुई पिस्तौल भी मिली थी। 1927 में उधम सिंह पर ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया गया और कथित तौर पर गदर पार्टी के 25 सहयोगियों को इकट्ठा किया। ब्रिटिश पुलिस ने बिना लाइसेंस हथियार, रिवॉल्वर, गोला-बारूद रखने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया और ‘गदर-दी-गुंज’ (वॉयस ऑफ रिवोल्ट) नामक प्रतिबंधित गदर पार्टी के अखबार की प्रतियां जब्त कर ली गईं। उन पर मुकदमा चलाया गया और पांच साल जेल की सजा सुनाई गई। उसी समय ये फिंगर प्रिंट लिए गए थे।
उधम सिंह का वास्तविक नाम शेर सिंह था। वह सुनाम के रहने वाले थे और उनका जन्म 26 दिसंबर, 1899 को टहल सिंह और नारायण कौर के घर हुआ था। उनके एक बड़ा भाई साधु सिंह थे। जब वह तीन वर्ष के थे तब मां की मृत्यु हो गई और बाद में उनके पिता की भी मृत्यु हो गई। दोनों भाइयों को सेंट्रल खालसा अनाथालय ने पाला था। यहां उन्हें नये नाम मुक्ता सिंह और उधम सिंह दिया गया था। कुछ वर्ष बाद उनके बड़े भाई की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई।
सूचना प्रपत्र में फिंगर प्रिंट में धारक का नाम शेर सिंह पुत्र टहल सिंह बताया गया है। प्रिंट 10 अक्तूबर, 1927 को लिए गए थे। दिलचस्प बात यह है कि प्रिंट पर 1 अप्रैल, 1940 की नोटिंग भी है, जहां ऐसा लगता है कि प्रिंट उधम सिंह की पहचान की पुष्टि करने के लिए अकादमी से निकाले गए थे, जब वे 13 मार्च 1940 में माइकल ओ’डायर की हत्या कर के मामले में लंदन में गिरफ्तार थे।