बिहार सरकार ने कोर्ट की चेतावनी के बावजूद जेडीयू सांसद के बेटे को दिया 1600 करोड़ का ठेका

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DMT : बिहार  : (19 जून 2023) : – बिहार में जनता दल यूनाइटेड के एक सांसद के बेटे को अदालत की चेतावनी के बावजूद 1600 करोड़ रुपये का ऐम्बुलेंस का ठेका दिया गया.

बिहार की महागठबंधन सरकार ने एक राज्य में आपात ऐम्बुलेंस चलाने का ठेका अगले पांच साल के लिए ऐसी कंपनी को दिया है, जिसे लेकर कई सवाल उठते रहे हैं.

अख़बार ने इस रिपोर्ट में दावा किया है कि पांच साल के लिए ठेके को नवीकरण करने के लिए पटना हाई कोर्ट की टिप्पणी को नज़रअंदाज़ किया है और ऑडिट में सामने आई कई अनियमितताओं को भी नज़रअंदाज़ किया गया.

31 मई को बिहार सरकार ने राज्य में 102 आपात सेवा के तहत चलने वाली 2125 ऐम्बुलेंस को चलाने का ठेका पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड (पीडीपीएल) को दिया है. ये ठेका 1600 करोड़ रुपये का है.

ये कंपनी जहानाबाद से सांसद चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी के रिश्तेदारों की है.

सरकार की इस योजना के तहत ऐमबुलेंस गर्भवती महिलाओं, गंभीर बीमार लोगों और नवजात बच्चों को अस्पताल पहुंचाती हैं. मरीज़ों से कोई फ़ीस नहीं ली जाती है.

इस ठेके के लिए 5 अप्रैल 2022 को प्रस्ताव के लिए अनुरोध जारी किया गया था. इंडियन एक्सप्रेस ने अधिकारिक दस्तावेज़ों के हवाले से ये दावा किया है कि नियमों को बदला गया और आपत्तियों को नज़रअंदाज़ किया गया.

पीडीपीएल के निदेशक सांसद के बेटे सुनील कुमार हैं. सुनील कुमार की पत्नी नेहा रानी भी निदेशक हैं. सांसद के बेटे जितेंद्र कुमार की पत्नी मोनालिसा और सांसद के साले योगेंद्र प्रसाद निराला भी कंपनी के निदेशक हैं. अख़बार के आरोपों पर किसी भी निदेशक ने कोई टिप्पणी नहीं की है.

राज्य में ऐम्बुलेंस के संचालन के लिए पीडीपीएल को ये ठेका दूसरी बार मिला है. इस बार इस ठेके के लिए पीडीपीएल ने अकेले ही दावेदारी की थी. इससे पहले पीडीपीएल और सम्मान फ़ाउंडेशन को एक कॉन्सॉर्टियम (सह-व्यवस्था) के तरत 625 एंबुलेंस चलाने का साझा ठेका मिला था.

सम्मान फ़ाउंडेशन ने इस बार मुंबई की कंपनी बीवीजी इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर ठेके के लिए दावेदारी पेश की थी.

इसके अलावा जीवीके इमरजेंसी मैनेजमेंट रिसर्च इंस्टिट्यूट सिकंदराबाद और ज़ीक्वित्ज़ा हेल्थ केयर लिमिटेड , मुंबई ने भी ठेके के लिए दावेदारी की थी.

आरोप है कि ठेके के रिक्वेस्ट फॉर प्रोपोज़ल के नियमों में बदलाव किए गए. अख़बार के मुताबिक़ मूल आरएफ़पी में कहा गया था कि अगर कोई कंपनी अकेले ही बोली लगा रही है तो उसके पास पिछले तीन सालों के दौरान (2018-19 के बाद से) कम से कम 750 ऐम्बुलेंस के फ्लीट को चलाने का अनुभव हो (50 एडवांस लाइफ़ सपोर्ट ऐम्बुलेंस के अतिरिक्त) और कम से कम 75 सीटों वाला कॉल सेंटर हो.

इन तीन सालों में पीडीपीएल ने बिहार में अकेले ऐम्बुलेंस का संचालन नहीं किया था और उसके पास सिर्फ़ 50 सीटों का कॉल सेंटर था.

ऐसे में जब बिहार में ऐम्बुलेंस सेवा का प्रबंधन करने वाली स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी स्टेट हेल्थ सोसायटी ऑफ़ बिहार (एसएचएसबी) ने एडवांस लाइफ़ सपोर्ट एंबुलेंस की संख्या 40 और काल सेंटर में सीटों की संख्या 50 की तो इससे पीडीपीएल को राहत मिली.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मई 2022 में आरएफ़पी में एक और बदलाव किया गया. मूल आरएफ़पी में कहा गया था कि अंतिम चयन गुणवत्ता और क़ीमत के आधार पर होगा (बेहतर अनुभव की एजेंसी को काम देने के लिए यही प्रक्रिया अपनाई जाती है. लेकिन बदलाव के बाद इस क्राइटीरिया को बदलकर कहा गया कि ‘न्यूनतम ख़र्च के आधार पर अंतिम चयन होगा.’ इस बदलाव के साथ सबसे कम बोली लगाने वाले ठेकेदार के लिए रास्ता साफ़ हो गया.

ठेके की इस प्रक्रिया में दस्तावेज़ लीक करने के आरोप भी लगाए गए और आरजेडी के तीन विधायकों ने जुलाई 2022 में इस बारे में बिहार के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी नेता मंगल पांडे को पत्र भी लिखा.

लेकिन बाद में नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना ली और तेजस्वी यादव बिहार के स्वास्थ्य मंत्री बन गए. इसके बाद आरजेडी विधायकों की ये शिकायत भी ठंडे बस्ते में चली गई.

इस टेंडर प्रक्रिया से अयोग्य घोषित होने के बाद बीवीजी और सम्मान फ़ाउंडेशन ने दिसंबर 2022 में पटना हाई कोर्ट में टेंडर को चुनौती दी थी.

पटना हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि चूंकि टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, उसे चालू रखा जाय लेकिन समिति (स्टेट हेल्थ सोसायटी ऑफ़ बिहार) अदालत की अनुमति के बिना कोई अंतिम निर्णय ना ले.

हालांकि बाद में पटना हाई कोर्ट ने अपने इस आदेश को वापस ले लिया था और सम्मान फ़ाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट को मामले का समाधान करने के लिए कहा था.

कर्नाटक कांग्रेस में फिर शुरू हुई सत्ता के लिए कलह?

कर्नाटक कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच सत्ता के बंटवारे को लेकर संघर्ष एक बार फिर से सतह पर आ गया है.

मैसूर में समाज कल्याण मंत्री एचसी महादेवप्पा ने बयान दिया था कि सिद्धारमैया ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे. इसके बाद उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के भाई और बैंगलूरू ग्रामीण क्षेत्र के सांसद डीके सुरेश ने रविवार को महादेवप्पा पर अपने काम पर ध्यान ना देने का आरोप लगाया है.

वहीं देवांगेरे में केपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष और पीडब्ल्यूडी मंत्री सतीश जारकिहोली भी एक बयान देकर इस बहस में शामिल हो गए हैं.

द हिंदू के मुताबिक जारकिहोली ने कहा है कि दोनों नेताओं के बीच सत्ता के बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है.

हालांकि जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से महादेवप्पा के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है और उनसे ही इस बारे में पूछा जाए.

वहीं डीके सुरेश ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “मुझे नहीं पता की महादेवप्पा ने ऐसा बयान क्यों दिया है. वो एक परिपक्व नेता और वरिष्ठ मंत्री हैं, उनकी अपनी राजनीतिक ताक़त और विचारधारा है. मुजे लगता है कि वो मंत्री के रूप में अपने काम पर ध्यान देने के बजाए अन्य मुद्दों पर बात करने पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं.”

जब सुरेश से इस बारे में आगे सवाल किए गए तो उन्होंने कुछ ना बोलते हुए बस यही कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और महादेवप्पा ही इस बयान पर अधिक बोल सकते हैं.

वहीं जारकिहोली ने देवांगेरे ज़िले में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सत्ता के बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं चल रही है.

उन्होंने कहा, “सिद्धारमैया मुख्यमंत्री हैं और मुझे लगता है कि वो ही बने रहेंगे. सत्ता के बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही है. अंत में ये पार्टी का ही निर्णय होगा.”

पिछले महीने मंत्री एमबी पाटील ने भी इसी तरह का बयान दिया था जिसे लेकर डीके शिवकुमार के समर्थकों ने ग़ुस्सा ज़ाहिर किया था.

इसी बीच पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने द हिंदू से कहा है कि 21 जून को दिल्ली में कर्नाटक के मंत्रियों की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाक़ात के दौरान इस विषय पर चर्चा हो सकती है.

पार्टी नेता ने कहा कि मंत्रियों से राज्य में सत्ता बंटवारे पर बयान देने के बजाय काम पर ध्यान देने के लिए कहा जा सकता है.

इसी बीच बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री आर अशोक कुमार ने तंज कसते हुए कहा है कि शिवकुमार अभी बी मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं.

आर अशोक ने कहा, “सिद्धारमैया एक चतुर राजनेता हैं, वो पद नहीं छोड़ेंगे. वो तो एचडी देवेगौड़ा और एचडी कुमारास्वामी तक को संभाल चुके हैं. सिद्धारमैया ही पांच साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे. सत्ता के लिए लड़ाई सड़कों पर होगी जैसे की राजस्थान कांग्रेस में हो रही है.”

आरएसएस ने मणिपुर को लेकर जारी की अपील, मोदी की चुप्पी पर सवाल

आरएसएस की इस अपील ने मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री की ख़ामोशी को सवालों के घेरे में ला दिया है.

वहीं कांग्रेस ने तंज़ कसते हुए सवाल किया है कि क्या सरकार ने अपनी ज़िम्मेदारी पार्टी के मूल संगठन को सौंप दी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक मणिपुर के मुद्दे पर ना ही कोई बयान दिया है और ना ही कोई ट्वीट किया है. राज्य के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधिमंडल से भी मोदी ने मुलाक़ात नहीं की है.

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में भी मणिपुर का ज़िक्र नहीं किया.

अख़बार अपनी रिपोर्ट में लिखता है कि इससे ये धारणा और मजबूत होती है कि वह जान-बूझकर उन विषयों पर बोलने से बचते हैं जो उनके लिए अप्रिय हैं, भले ही ये ज्वलंत राष्ट्रीय मुद्दे ही क्यों ना हों.

कांग्रेस और मणिपुर के नेताओं ने भी मन की बात कार्यक्रम में मणिपुर का ज़िक्र न करने पर प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की है.

इसी बीच आरएसएस ने बयान जारी कर मणिपुर में शांति बहाल किए जाने की अपील की है.

कांग्रेस के एक नेता ने टेलीग्राफ़ से कहा, “हम हैरान हैं, क्या आरएसएस मोदी को एक संदेश दे रहा है कि उन्हें मणिपुर को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त करनी चाहिए? आख़िरकार मणिपुर में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है जो परेशान करने वाली बात है.”

कांग्रेस नेता ने कहा, “बीजेपी का ट्विटर हैंडल देखिए, आपको लगेगा कि मणिपुर में कुछ नहीं हो रहा है. अमित शाह और जेपी नड्डा के पंजाब और असम में प्रचार करते वीडियो दिख जाएंगे.”

मणिपुर में जारी हिंसा में 110 लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है.

आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारी दत्तात्रेय होसाबले ने एक बयान में कहा है, “मणिपुर में पिछले 45 दिनों से जारी हिंसा बेहद चिंताजनक है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदियों से शांति और सौहार्द से रहते आए लोगों के बीच शुरू हुई हिंसा अभी तक नहीं रुकी है.”

अमेरिका में भारतीयों को भाषण देंगे मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अमेरिका दौरे के दौरान भारतीय समुदाय के साथ दो घंटे का कार्यक्रम भी करेंगे.

प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी 23 जून को वॉशिंगटन की रोनाल्ड रीगन बिल्डिंग एंड इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर में भारतीय समुदाय के आमंत्रित लोगों और कारोबारी नेताओं को संबोधित करेंगे.

अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन के न्यौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 से 24 जून तक चार दिन के अमेरिकी दौरे पर जा रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में 22 जून को व्हाइट हाउस में डिनर होगा.

वहीं 23 जून को मोदी वाशिंगटन में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करेंगे. इस कार्यक्रम में सिर्फ़ वहीं लोग हिस्सा ले सकेंगे जिनके पास निमंत्रण होगा.

ये कार्यक्रम स्थानीय समयानुसार शाम 7 बजे से 9 बजे के बीच होगा. इसमें गायिका मैरी मिलबेन भी प्रस्तुति देंगी.

अमेरिका में भारतीय समुदाय के क़रीब 45 लाख लोग रहते हैं.

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