रूस और भारत की इस टिप्पणी से पुतिन को लेकर बढ़ी दुविधा

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DMT : रूस  : (21 जुलाई 2023) : –

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ब्रिक्स सम्मेलन में अगले महीने दक्षिण अफ्रीका न जाने के फ़ैसले के बाद उनका भारत आना भी संदिग्ध हो गया है.

पुतिन को सितंबर महीने में जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आना है.

दक्षिण अफ्रीका के एक शीर्ष राजनयिक का कहना है कि पुतिन ब्रिक्स सम्मेलन को ‘ख़तरे’ में नहीं डालना चाहते हैं, इसलिए नहीं आ रहे हैं.

चूंकि पुतिन के ख़िलाफ़ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में वॉरंट जारी किया गया है. इसलिए अगर वो दक्षिण अफ्रीका जाते हैं, तो वहां उनकी गिरफ़्तारी हो सकती है.

दक्षिण अफ्रीका इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का सदस्य है, इसलिए उसे पुतिन की गिरफ़्तारी के क़दम उठाने पड़ सकते हैं. दक्षिण अफ्रीका के लिए ये एक बड़ी कूटनीतिक और क़ानूनी दुविधा हो सकती है.

लेकिन बुधवार को जब दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के दफ़्तर ने ये साफ़ कर दिया कि पुतिन जोहानिसबर्ग नहीं आ रहे हैं तो उनके भारत न आने के लेकर चर्चा और तेज़ हो गई

पुतिन के जी-20 सम्मेलन में नई दिल्ली न आने की आशंका तभी से जताई जा रही थी जब इस महीने की शुरुआत में भारत ने एससीओ की बैठक वर्चुअली की थी.

कहा गया कि पुतिन के भारत न आने के फ़ैसले बाद ही इस सम्मेलन को वर्चुअली करने का फ़ैसला किया गया.

दक्षिण अफ्रीका क्यों नहीं जाएंगे पुतिन?

एशिया और ब्रिक्स के दक्षिण अफ्रीकी ऐम्बैस्डर-एट-लार्ज अनिल सुकलाल ने कहा कि एक सामूहिक फ़ैसले के बाद यह तय हुआ कि पुतिन ब्रिक्स सम्मेलन में वर्चुअली हिस्सा लेंगे.

सुकलाल ने जोहानिसबर्ग में पत्रकारों से कहा,‘’ राष्ट्रपति पुतिन दक्षिण अफ्रीका की दुविधा समझते हैं. इसलिए वो ब्रिक्स सम्मेलन को ख़तरे में नहीं डालना चाहते.’’

दक्षिण अफ्रीका इस साल ब्रिक्स की अध्यक्षता कर रहा है. ब्राजील, रूस, भारत और दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स को पश्चिमी देशों के आर्थिक दबदबे को चुनौती देने के लिए खड़ा किया गया था.

2001 में गोल्डमैन सैक्श के अर्थशास्त्री जिम ओ नील इन देशों को ब्रिक्स नाम दिया था. उन्होंने कहा था कि 2050 तक पूरी दुनिया में इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं का वर्चस्व होगा.

ब्रिक्स के सभी सदस्य देश जी-20 के भी सदस्य हैं. फ़िलहाल दुनिया की जीडीपी में ब्रिक्स देशों की हिस्सेदारी 26 फीसदी से ज्यादा है.

ब्रिक्स सम्मेलन में पुतिन के दक्षिण अफ्रीका न जाने से जुड़ी ख़बरों की पुष्टि के बाद उनके जी-20 सम्मेलन के लिए भारत न आने की आशंका जताई जा रही है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से गुरुवार को जब पुतिन के जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आने से जुड़े सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि सदस्य देशों के नेताओं को यहां आकर ही इसमें भागीदारी करनी है.

भारत में जी-20 सम्मेलन 9-10 सितंबर को होगा.

जी-20 सम्मेलन में भारत न आने को लेकर क्या है चर्चा

अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ने जी-20 के सभी सदस्य देशों, नौ मेहमान देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को निमंत्रण भेज दिया है.

उन्होंने कहा, ‘’सदस्य देशों, मेहमान देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने आने की पुष्टि की है. लेकिन किसी ख़ास राष्ट्र के प्रमुख के यहाँ आने को लेकर कोई जवाब नहीं मिला है.’’

बागची ने कहा, ‘’मुझे नहीं लगता कि इसे इस तरह देखा जाना चाहिए. हम सितंबर में होने वाले सम्मेलन में सभी देशों के नेताओं के स्वागत के लिए तैयार हैं.’’

हालांकि रूसी समाचार एजेंसी ताश की एक ख़बर के मुताबिक़ पुतिन के जी-20 सम्मेलन के लिए भारत पहुंचने के सवाल पर अभी कोई फ़ैसला नहीं हुआ है.

ताश ने लिखा है कि इस मामले में राष्ट्रपति पुतिन ने अभी कोई फ़ैसला नहीं किया है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा,‘’ अभी तक इस मामले में कोई फ़ैसला नहीं किया गया है.’’

हालांकि भारत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का सदस्य नहीं है. इसलिए दक्षिण अफ़्रीका में आयोजित ब्रिक्स समिट में पुतिन के नहीं जाने से भारत में जी-20 समिट में पुतिन के आने से नहीं जोड़ा जा सकता है.

पिछले साल जब इंडोनेशिया में जी-20 का सम्मेलन हुआ था तब रूस की ओर से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने इसमें हिस्सा लिया था.

2020 और 2021 में भी पुतिन ने वीडियो लिंक के ज़रिये ही जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लिया था. हालांकि 2019 में वो इस सम्मेलन के लिए जापान पहुँचे थे.

क्या आईसीसी का वॉरंट पुतिन की यात्रा में अड़चन है?

17 मार्च 2023 को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी आईसीसी ने यूक्रेन में कथित युद्धापराधों के मामले में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की गिरफ़्तारी के लिए वॉरंट जारी किया था.

आईसीसी ने पुतिन पर यूक्रेन के रूसी कब्ज़े वाले इलाक़ों से बच्चों को ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से बाहर ले जाने के आरोप लगाए हैं.

आईसीसी ने रूस के बाल अधिकार आयोग की प्रमुख मारिया लवोवा-बेलोवा की गिरफ़्तारी के लिए भी वॉरंट जारी किया था.

दक्षिण अफ्रीका ने रूस-यूक्रेन पर तटस्थ रवैया अपनाया है. लेकिन अगर पुतिन दक्षिण अफ्रीका जाते हैं तो आईसीसी का सदस्य होने के नाते उसे रूसी राष्ट्रपति की गिरफ़्तारी के लिए वॉरंट जारी करना पड़ सकता है.

आईसीसी का मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में है. एक स्वतंत्र न्यायिक निकाय है, जिसने 1 जुलाई 2002 से काम करना शुरू किया था.

इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस किसी देश के मामले में काम करता है लेकिन आईसीसी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए ख़तरा बने किसी व्यक्ति के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाता है.

रूस ने यूक्रेन में पिछले साल फ़रवरी में किए गए हमले के दौरान अत्याचार के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वो आईसीसी के फ़ैसले को कोई अहमियत नहीं देता.

इसके साथ ही आईसीसी का न्याय क्षेत्र 1 जुलाई 2002 के बाद हुए अपराधों तक ही सीमित है. वो भी उन देशों में जिन्होंने आईसीसी समझौते पर हस्ताक्षर किया है.

रूस उन 123 देशों में नहीं है जो आईसीसी के अधिकार को मान्यता देता है. अमेरिका ने भी इस पर दस्तखत नहीं किए हैं. भारत और चीन भी आईसीसी के न्याय क्षेत्र को मान्यता नहीं देता.

पुतिन की गिरफ़्तारी की क्या संभावना है?

पुतिन तभी गिरफ्तार किए जा सकते हैं जब वो आईसीसी को मान्यता देने वाले देश में जाएं. दक्षिण अफ्रीका में उनकी गिरफ्तारी हो सकती है. लेकिन सैद्धांतिक तौर पर ही.

यह पहली बार है जब आईसीसी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों में से किसी के प्रमुख के ख़िलाफ वारंट जारी किया है.

इससे पहले सूडान के पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर और लीबिया के मुअम्मर गद्दाफी के ख़िलाफ़ सत्ता में रहते ही गिरफ़्तारी का वॉरंट जारी किया गया था. गद्दाफी को सत्ता से हटाए जान और फिर उनकी हत्या के बाद ये वारंट निरस्त कर दिया गया था.

बशीर के ख़िलाफ़ 2009 में मुकदमा चलाया गया था लेकिन वो 2019 तक राष्ट्रपति रहे और इस दौरान आईसीसी के कई सदस्य देशों की यात्रा भी की.

सत्ता से बाहर होने के बाद उन पर सूडान में मुकदमा चलाया गया लेकिन उन्हें कभी आईसीसी को नहीं सौंपा गया.

आईसीसी ने केन्या के विलियम रूतो और उरू केन्याता पर आरोप दर्ज किए थे लेकिन उनके राष्ट्रपति बनने से पहले. हालांकि बाद में ये आरोप हटा दिए गए.

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