भारतीय ‘स्पाइडर मैन’ जिसने पूरी दुनिया में बांधा अपना समां

Hindi New Delhi

DMT : नई दिल्ली : (18 जुलाई 2023) : –

ये स्पाइडर मैन का भारतीय संस्करण है. आपकी स्क्रीन पर नीली धोती और हाथों में सोने के कड़े पहनकर ये शख्स आपको नैतिकता का प्रवचन देते दिख सकता है.

काले लंबे लहराते बालों और हाथों में सोने के कड़े पहनने वाला ये स्पाइडर मैन ऊंची बिल्डिंग्स के बीच उड़ते हुए ज़बरदस्त समां बांधता दिखता है.

सोनी पिक्चर्स के स्पाइडर मैन: अक्रॉस द स्पाइडर- वर्स में आप इसकी झलक देख सकते हैं.

‘स्पाइडर मैन’ के इस भारतीय अवतार ने रिलीज़ होने के शुरुआती हफ्ते में बॉक्स ऑफिस की कमाई का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इस सप्ताहांत इसने 22 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा की कमाई की है.

भारत में स्पाइडर मैन काफी लोकप्रिय है. भारत में हॉलीवुड की सुपरहीरो फिल्में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में शुमार होती रही हैं.

2007 से ये फिल्में अलग-अलग भाषाओं में अच्छा प्रदर्शन करती रही हैं. इन फिल्मों में स्थानीय पुट भी डाला जाता है. जैसे स्पाइडर मैन में एक हिंदी गाना डाला गया है- ‘स्पाइडर मैन, तूने चुराया मेरे दिल का चैन.’

भारत में ‘स्पाइडर मैन’ की फिल्म ने कल्ट स्टेटस हासिल कर लिया है.

लेकिन स्पाइडर सीरीज की नई फिल्म इसलिए खास है क्योंकि इसमें पहली बार सुपरहीरो का इंडियन वर्जन दिखाया गया है.

अस्त-व्यस्त दिखने वाला एक किशोर जो मुंबाटन की गलियों की हिफाजत करता है. मुंबाटन यानी मैनहटन और मुंबई से बना काल्पनिक शहर.

ये नाम पीटर पार्कर को ध्यान में रख कर बनाया गया है. पीटर पार्कर ही स्पाइडर मैन के नकाब के पीछे का असली किशोर है.

इंद्रजाल कॉमिक्स से निकला कैरेक्टर

पवित्र, पांच अलग-अलग स्पाइडर सितारों में से एक हैं. ये सभी एक शक्ति से जुड़े हुए हैं. ये सभी किशोर माइल्स मोराल्स के साथ मिल कर शातिर विलेन को रोकने की कोशिश करते हैं.

पवित्र के कैरेक्टर को दुनियाभर में तारीफ मिल रही है. खासकर भारतीय दर्शकों से जो पवित्र प्रभाकर के उत्साही व्यक्तित्व से बड़े प्रभावित हैं.

कुछ फैन्स को आड़े-तिरछे मुंबाटन में फिल्माए गए फिल्मों के सीक्वेंस काफी पसंद आ रहे हैं. ये एक तरह से 1970 के दशक में पढ़े जाने वाले इंद्रजाल कॉमिक्स की तरह है.

इसमें फैंटम और मैंड्रेक द मैजिशियन के कारनामों को स्थानीय भाषाओं में छापा जाता था.

फिल्म में अलग-अलग बैकग्राउंड्स के कैरेक्टर को जिस तरह से एक साथ जोड़ा गया है उसकी तारीफ हो रही है. यानी अलग-अलग जातीय समूहों के स्पाइडरमैन की टीम.

घोर कॉमिक प्रेमी मृत्युंजय पाल कहते हैं, “मार्वल ने हमें पहला ब्लैक स्पाइडर माइल्स मोराल्स दिया. और अब हमारे सामने पवित्र है. ये एक रोमांचक आइडिया पेश कर रहा है. यानी किसी भी नस्ल या देश का शख्स स्पाइडर मैन हो सकता है.’’

पवित्र भारत और इसके बाहर के कुछ दर्शकों के लिए भले ही नया कैरेक्टर हो. लेकिन मूल कहानी दशकों पुरानी है. ये वो समय था जब सुपरहीरो का छोटा सा समूह सिर्फ कॉमिक बुक के दायरे में बंधा था.

स्पाइडर मैन कैरेक्टर पहली बार 2004 में स्पाइडर-मैन इंडिया-1 में आया. इस कॉमिक बुक की दस लाख प्रतियां बिकीं. ये कैरेक्टर चार संस्करणों तक अपने कारनामे दिखाता रहा.

कैसा है पवित्र प्रभाकर

किसी भी किशोर की तरह पवित्र की प्राथमिकताएं आपस में टकराती हैं. उसे होमवर्क भी करना है और सुपरहीरो के कारनामे भी करने हैं. जबकि स्कूल में वो बुरी तरह बुलिइंग का शिकार होता है.

लेकिन रात को वो ऊंची बिल्डिंग्स के बीच हवा में लहराते हुए सुपरमैन की स्पीड से अपराधियों से टकराता है. वो उन लोगों की हिफाजत के लिए मास्क पहनता है जिन्हें वो प्यार करता है.

अपनी पहचान छिपाने के लिए मास्क पहनना उसके लिए जरूरी भी है.

लेकिन पवित्र की कहानी में खास ‘इंडियन ट्विस्ट’ डाला गया है. ये धोतीधारी और चाय पीने वाला सुपरहीरो है जो मकड़ी के काटने से निकलने वाले रेडियोधर्मी विकिरण से नहीं बल्कि किसी रहस्यमयी योगी से अपनी ताकत हासिल करता है.

स्पाइडर मैन के ओरिजिनल वर्जन में स्पाइडर मैन की माशूका होती है मेरी जेन. लेकिन भारतीय संस्करण में पवित्र की प्रेमिका है मीरा जैन.

पीटर पार्कर को स्कूल में हमेशा किताबों में घुसे रहने की वजह से परेशान किया जाता है और मजाक उड़ाया जाता है. लेकिन गांव के पढ़ाकू लड़के के पवित्र का मजाक उनकी विचित्र वेशभूषा के लिए उड़ाया जाता है.

पवित्र प्रभाकर के कैरेक्टर की परिकल्पना 2003 में की गई थी. इस साल इस कैरेक्टर को गढ़ने वाले शरद देवराजन, जीवन कंग और सुरेश सीता रमण कहते हैं, “ये ‘भारतीय स्पाइडर मैन’ है जिसे भारतीयों ने गढ़ा है.”

देवराजन ने बीबीसी से कहा, “हमने इसमें भारत के सामाजिक यथार्थ का थोड़ा सा पुट भी डाला है. पवित्र को गांव के लड़के के तौर पर दिखाया गया है, जो मुंबई के इलिट के साथ तालमेल बिठाने में नाकाम है.”

”2004 में हम बड़े शहरों को जिस तेज गति से बदलते हुए देख रहे थे उसी अनुभव को हम इस कैरेक्टर से जोड़ना चाहते थे. ये वो दौर था जब ग्रामीण भारत के कई लोग खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे थे.’’

इंटरनेशनल हीरो को लोकल आइकन में तब्दील करने का सपना

स्पाइडर-वर्स ने अलग-अलग नस्लों और जेंडर बैकग्राउंड के दर्शकों के लिए स्पाइडर मैन के कैरेक्टर गढ़े हैं. मोराल्स अफ्रीकी और प्योर्टिकन बैकग्राउंड के हैं.

मिगल ओ’हारा मैक्सिकन पृष्ठभूमि से है. मार्वल ने जेसिका ड्रयू जैसी गर्भवती सुपर हीरो को भी उतारा है. स्पाइडर-पंक होबी ब्राउन अफ्रीकी मूल के हैं.

लेकिन देवराजन कहते हैं कि 2004 में भारतीय दर्शकों के हिसाब से स्पाइडरमैन का कैरेक्टर गढ़ना एक चेलैंज था. देवराजन ने स्पाइडर मैन का कैरेक्टर तो देखा था लेकिन उसकी कोई कॉमिक्स बुक नहीं पढ़ी थी.

“भारत में हमेशा से कॉमिक्स बुक काफी पढ़े जाते रहे हैं. ग्रॉसरी की दुकानों, न्यूजपेपर स्टॉल और रेलवे प्लेटफॉर्म में ये खूब दिखते हैं. पौराणिक और इतिहास के नायकों वाले अमर चित्र कथा के अलावा ट्विंकल और चंपक जैसी बच्चों की पत्रिकाएं खूब पढ़ी जाती थीं.’’

कॉमिक-कॉन इंडिया के फाउंडर जतिन वर्मा कहते हैं, “ज्यादातर कॉमिक्स इतिहास और पौराणिक कथाओं वाले होते थे.’’

लेकिन हाल के दिनों में सुपरहीरो के कारनामों में लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ी है. ऐसा इसलिए भी कि भारतीय फिल्मों में नायक गोलियों से बचते, छतों में छलांग लगाते दर्जनों गुंडों से एक साथ भिड़ते दिखाए जाते हैं.

देवराजन कहते हैं, “हमारा सीधा लक्ष्य था एक इंटरनेशनल हीरो को लोकल आइकन में तब्दील करना. एक ऐसा लड़का जो गेटवे ऑफ इंडिया के ऊपर से उड़ता हुआ आता है और अपनी चाची के साथ दिवाली मनाता है.”

स्पाइडर मैन का ठेठ देसी अंदाज़

2003 में पवित्र की कल्पना इसी रूप में की गई थी और आज 20 साल बाद वो यही काम कर रहा है.

फिल्म में वो सफेद धोती छोड़ कर थोड़ी नीली धोती पहनता है. उस पर उसका रंगीन सूट, जिनमें भारतीय कशीदाकारी है. हेयरकट कूल है.

हालांकि आम भारतीय पारिवारिक मूल्यों से बंधे पारंपरिक कैरेक्टर में थोड़े बदलाव भी किए गए हैं.

माइल्स जहां अपनी ताकत से पैदा चिंताओं से घिरे रहते हैं वहीं पवित्र मुंबाटन की गलियों में उड़ते हुए बड़े आशावादी नजर आते हैं.

पवित्र का आत्मविश्वास कई मौकों पर कहानी को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होता है. मुंबाटन में घूमते हुए ऐसे ही एक मौकै पर पवित्र कहता है यही वह जगह है जहां से अंग्रेज हमारा सामान चुरा कर ले गए थे.

पवित्र मोराल्स के चाय टी मांगने पर मजाक भी उड़ाता है. वो कहते हैं कि क्या आप कॉफी-कॉफी कहते हैं या फिर क्रीम-क्रीम कहते हैं.

फिल्म के तीन निर्देशकों में से एक कैंप पावर ने वैराइटी मैगजीन के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि फिल्म के लिए काम करने वाले कुछ एनिमेटर भारतीय मूल के थे. बीच प्रोडक्शन में ही पवित्र के कैरेक्टर के बारे में काफी सोचा गया और फिर लगा कि इसमें और प्रामाणिकता लाने की कोशिश करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, “दरअसल पवित्र का कैरेक्टर मिला-जुला कर काम करने की भावना का उदाहरण है.’’

वर्मा कहते हैं कि भले ही ये फिल्म भारत के बाहर के ऑडियंस को देख कर बनाई गई हो लेकिन इसके सांस्कृतिक तत्व ढीले-ढाले या स्टीरियो टाइप नहीं हैं.

सच तो ये है भारतीय स्पाइडर मैन सबसे अच्छी स्पाइडर मैन मूवी का हिस्सा है. कुछ मायनों में तो वो इससे भी अच्छा है.

देवराजन कहते हैं, “स्पाइडरमैन ने भले ही कॉस्टयूम बदला हो लेकिन इस चरित्र का देसीपना बरकरार है.’’

वो इसे मार्वल वर्ल्ड में पवित्र के कैरेक्टर के आगे के सफर की शुरुआत भर मानते हैं.

वो कहते हैं, “पवित्र को कॉमिक बुक से निकाल कर पर्दे पर लाने में 20 साल लगे लेकिन हमें लगता है कि हमें इसके लाइव एक्शन देखने के लिए 20 साल का इंतजार नहीं करना होगा. लाइव एक्शन वर्जन जल्दी आएगा. भारत को उसका अपना स्पाइडर मैन चाहिए.’’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *