भारत में कोरोना के बढ़ते मामले कितनी चिंता का विषय

Hindi New Delhi

DMT : नई दिल्ली : (11 अप्रैल 2023) : –

भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. एक दिन पहले देश भर में क़रीब छह हज़ार मामले सामने आए हैं.

सोमवार को कोरोना को लेकर कुछ अस्पतालों में मॉक ड्रिल हुई और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने तैयारियों का जायजा भी लिया.

कुछ राज्य सरकारों ने लोगों को सतर्क रहने और एहतियात बरतने की सलाह भी दी है.

मास्क पहनने और भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहने की भी सलाह दी जा रही है.

क्या मौजूदा वैक्सीन कोरोना के ताज़ा वैरिएंट पर प्रभावी है?

क्या तीनों डोज़ ले चुके लोग संक्रमण से बच पाएँगे?

ऐसे कई सवाल हैं, जिनको लेकर लोगों के मन में कई भ्रम हैं. आइए इस रिपोर्ट में इन्हीं सवालों के जवाब ढूँढ़ते हैं.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी ‘आईएमए’ का कहना है कि वैक्सीन की तीनों डोज़ लगवाने के बाद लोगों में एक ‘आम भ्रम सा पैदा’ हो गया है कि वो कोविड के संक्रमण से हमेशा बचे रहेंगे.

वैक्सीन असरदार लेकिन संक्रमण रोकने में पूरी तरह कामयाब नहीं

आईएमए का मानना है कि यही कारण है कि लोग ना तो ‘मास्क’ पहन रहे हैं और ना ही सार्वजनिक स्थलों पर अनावश्यक रूप से जाने से ख़ुद को रोक रहे हैं.

बीबीसी से बातचीत में ‘आईएमए’ के अध्यक्ष शरद कुमार अग्रवाल का कहना था कि जिन लोगों में कोरोना के लक्षण साफ़ भी नज़र आ रहे होते हैं, वो भी अपनी जाँच नहीं करवा रहे हैं, जिसकी वजह से ये संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है.

उनका कहना था, “बेशक वैक्सीन लगने की वजह से संक्रमण घातक नहीं है. लेकिन लोग अब इसको हल्के तौर पर लेने लग गए हैं. इसके कारण न वो जाँच करा रहे हैं और ना ही बचाव के उपाय ही अपना रहे हैं. नतीजा ये है कि कोरोना का नया वैरिएंट बहुत तेज़ी से फैल रहा है और अब हर रोज़ देश भर में पाँच हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं.”

अग्रवाल कहते हैं कि अगर सही तरह से जाँच की जाए, तो कोरोना संक्रमण के मामले कई गुना ज़्यादा पाए जाएँगे. वो कहते हैं कि वैक्सीन असरदार ज़रूर है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि लोगों में संक्रमण नहीं हो सकता.

अस्पतालों में मॉक ड्रिल

कोरोना के मामलों में अचानक आई उछाल को देखते हुए पूरे देश में चिकित्सा व्यवस्था को एक बार फिर दुरुस्त करने के लिए सोमवार को कई अस्पतालों में मॉक ड्रिल किया गया.

इस अभ्यास में देश की राजधानी दिल्ली से लेकर देश भर के कई अस्पतालों को शामिल किया गया है.

वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार पिछले 24 घंटों में देश भर में कोरोना के 5,880 मामले सामने आए हैं.

इनमे सबसे ज़्यादा कोरोना के ओमिक्रोन के नए वेरिएंट XBB.1.16 के संक्रमण पाए गए हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को कोविड के नए दिशा निर्देश जारी करने की सलाह दी है. ख़ास तौर पर उन राज्यों को जहां संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है.

देश के जाने-माने ‘एपिडेमियोलाजिस्ट’ जयप्रकाश मुलियिल ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ एपिडेमियोलाजी’ की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य हैं.

बीबीसी से बात करते हुए वो कहते हैं कि भारत में कोरोना के नए वैरिएंट के संक्रमण के मामलों में भले ही तेज़ी आई है, लेकिन ये बहुत ज़्यादा ख़तरनाक स्थिति नहीं है.

वो कहते हैं कि 95 फीसदी से ज़्यादा संक्रमित लोग इसके संक्रमण से ठीक भी हो रहे हैं.

उन्होंने बताया कि पहले जब कोरोना का ‘वुहान वैरिएंट’ आया था, तो पूरा विश्व इससे निपट पाने की स्थिति में नहीं था. फिर ‘डेल्टा संक्रमण’ आया और हालात बेहद ख़राब रहे क्योंकि किसी के कुछ समझ में नहीं आ रहा था.

जयप्रकाश मुलियिल कहते हैं, “वैक्सीन की वजह से संक्रमण का प्रभाव कम होता गया. लेकिन ये बात सही है कि कोरोना के हज़ारों वेरिएंट इस बीच फैलते रहे. ओमिक्रोन के भी 900 के आसपास वेरिएंट आए हैं, क्योंकि वायरस के स्वरूप में में बदलाव होते रहते हैं.”

”ओमिक्रोन का जो नया वेरिएंट पाया जा रहा है, उसका संक्रमण काफ़ी तेज़ी से फैलता है और वो शशीर में रोग से लड़ने की क्षमता को भी प्रभावित कर रहा है. लेकिन अच्छी बात ये है कि ये घातक नहीं है. लोग संक्रमित होंगे और ठीक भी हो जाएँगे.”

दूसरी लहर की तरह नहीं है ये संक्रमण

उन्होंने स्वीडन का उदहारण देते हुए कहा कि कोरोना की पहली लहर और उसके बाद की लहरों में भी स्वीडन एकमात्र ऐसा देश था, जिसने लॉकडाउन नहीं किया और लोगों में ‘हर्ड इम्युनिटी’ पैदा हो गई.

वो कहते हैं कि अब कोरोना भी आम सर्दी और खांसी या फ़्लू की तरह ही रह जाएगा, जिसके मामले बीच-बीच में बढ़ते रहेंगे और कम भी हो जाएँगे.

डॉक्टर मुलियिल कहते हैं कि अब चूँकि पूरी की पूरी आबादी को वैक्सीन की डोज़ के अलावा ‘बूस्टर’ भी लग चुका है, ऐसी स्थिति में लोगों में वायरस के प्रतिरोध की क्षमता बढ़ गई है.

दिल्ली के भगवान महावीर सफ़दरजंग अस्पताल के निदेशक और सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख जुगल किशोर कहते हैं कि भारत की आबादी के हिसाब से कोरोना के ताज़ा मामलों को देखा जाए, तो स्थिति बिलकुल नियंत्रण में है.

वो कहते हैं कि नए संक्रमण के मामले बढ़े ज़रूर हैं, लेकिन वो कम भी हो रहे हैं.

उन्होंने बीबीसी को बताया, “नए वैरिएंट में ज़्यादा लोगों को संक्रमित करने की क्षमता है. लोग संक्रमित हो भी रहे हैं और ठीक भी हो रहे हैं. जो मौतें दर्ज हो रही हैं, उनके अध्ययन से पता चलता है कि इस संक्रमण से उन लोगों पर ज़्यादा असर हो रहा है, जिन्हें पहले से ही गंभीर बीमारियाँ हैं. वैसे आम तौर ये संक्रमण वैसा नहीं है, जैसा कोरोना की पहली और दूसरी लहर में था.”

डॉक्टर जुगल किशोर कहते हैं कि भारत सरकार ने निर्देश के बाद जाँच के सैंपल निर्धारित की गई विशेष लैब में भेजे जा रहे हैं, जहाँ इनकी जीनोम सिक्वेसिंग की जा रही है ताकि कोरोना वायरस के अलग-अलग वैरिएंट’ का पता चलता रहे.

उनके अनुसार, इसी वजह से अब संक्रमित लोगों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध हो रही है और ज़्यादातर लोग घरों में ही उपचार के बाद ठीक हो रहे हैं.

वो कहते हैं,”जो वैक्सीन लोगों को अभी तक लगी हैं और जो ‘बूस्टर डोज़’ दिए जा चुके हैं, उनसे लोगों में ‘एंटी बॉडीज’ पैदा हो गई है, जिनकी वजह से संक्रमण की सूरत में अस्पताल में भर्ती होने की नौबत भी नहीं के बराबर ही है. नए वैरिएंट का भारत में ज़्यादा असर नहीं होगा. लेकिन फिर भी सावधानी तो रखनी ही चाहिए.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *