भारत में बनेंगे युद्धक विमानों के इंजन

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DMT : वाशिंगटन : (23 जून 2023) : – एक महत्वपूर्ण समझौते के तहत अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस ने भारतीय वायु सेना के हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए)-एमके-2 तेजस के जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए बृहस्पतिवार को हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ समझौता किया। इस समझौते की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान हुई है।

अमेरिकी कंपनी ने अपने बयान में कहा, ‘इस समझौते में जीई एरोस्पेस के एफ414 इंजन के भारत में संयुक्त उत्पादन की संभावना शामिल है और जीई एरोस्पेस अमेरिकी सरकार के साथ इस उद्देश्य के लिए जरूरी निर्यात प्राधिकार प्राप्त करने के वास्ते काम करना जारी रखेगा।’ उसने एचएएल के साथ समझौता ज्ञापन को भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत बनाने की दिशा में ‘एक महत्वपूर्ण’ कारक बताया है। जीई एरोस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं जीई के अध्यक्ष एच लॉरेंस कल्प जूनियर ने कहा, ‘यह ऐतिहासिक समझौता भारत और एचएएल के साथ हमारे दीर्घकालिक गठजोड़ के कारण संभव हुआ है।’ यह समझौता जीई एरोस्पेस के भारतीय वायु सेना के एलसीए-एमके-2 कार्यक्रम के लिए 99 इंजन का निर्माण करने की पूर्व की प्रतिबद्धता को सुगम बनायेगा। गौरतलब है कि एचएएल भारतीय वायु सेना के लिए 83 हल्का लड़ाकू विमान तैयार करने के लिए जीई 404 इंजन का उपयोग कर रहा है। जीई एरोस्पेस पिछले चार दशकों से अधिक समय से भारत में परिचालन कर रहा है और यह इंजन, एवियोनिक्स, सेवा, इंजीनियरिंग, विनिर्माण सहित उद्योगों से व्यापक रूप से जुड़ा है। जीई एयरोस्पेस एम404 और एम 414 एनसीए एमके 1 और एलसीए एमके 2 कार्यक्रम के विकास एवं उत्पादन का हिस्सा रहा है। कुल 75 एफ404 इंजनों की आपूर्ति की गई है और एलसीए एमके 1ए के लिए 99 अन्य का आर्डर दिया गया है।

इसलिए बेहद महत्वपूर्ण है समझौता

यह समझौता महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भारत अभी तक रूस और यूरोपीय गठजोड़ से सैन्य जेट प्राप्त करता रहा है। हाल में भारत ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान खरीदे थे। जीई एयरोस्पेस उन्नत मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान (एएमसीए) के एमके2 इंजन कार्यक्रम के लिए भारत सरकार से गठजोड़ जारी रखेगा।

अंतरिक्ष के लिए भी संयुक्त मिशन

व्हाइट हाउस ने कहा कि भारत ने अर्टेमिस संधि में शामिल होने का फैसला किया है तथा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए एक संयुक्त मिशन भेजने पर सहमत हुए हैं। अर्टेमिस संधि असैन्य अंतरिक्ष अन्वेषण पर समान विचार वाले देशों को एक मंच पर लाता है। उल्लेखनीय है कि 1967 के बाह्य अंतरिक्ष संधि पर आधारित अर्टेमिस संधि 2025 तक चंद्रमा पर मानव को फिर से भेजने का अमेरिका नीत प्रयास है, जिसका लक्ष्य मंगल और अन्य ग्रहों तक अंतरिक्ष का अन्वेषण करना है। अधिकारी ने कहा कि नासा और इसरो इस साल मानव युक्त अंतरिक्ष उड़ान के लिए एक रणनीतिक ‘फ्रेमवर्क’ तैयार कर रहे हैं।

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